Thursday, 13 April 2017

कर्क अप्रैल 2017 मासिक राशिफल


महीने के आरंभ में बुध और मंगल की युति का आपके दसवें स्थान में से भ्रमण होगा जिससे कारण आप काम में उत्साहपूर्वक आगे बढ़ेंगे और कुछ नवीन होगा। इस समय आप महत्वपूर्ण डील पूरी कर सकेंगे। नये व्यक्तियों के साथ मुलाकात हो सकती है। स्त्री जातकों को पहले सप्ताह में भावुकता का स्तर खूब बढ़ जाएगा। दूसरे सप्ताह में कामकाज के प्रयोजन से किसी छोटी यात्रा की संभावना रहेगी। संपत्ति के संदर्भ में लंबे समय से कोई बात अटक गई हो तो फिलहाल इसका हल निकल सकता है। महीने के मध्य में विद्यार्थीवर्ग को पढ़ाई पर खूब ध्यान देना पड़ेगा। महीने के उत्तरार्ध में सूर्य राशि बदलकर आपके कर्मस्थान में आएगा जबकि इस समय मंगल राशि बदलकर लाभ स्थान में चला जाएगा। आप सरकारी कामकाज, वरिष्ठ अधिकारियों के साथ मुलाकात आदि में व्यस्त रहेंगे। पैतृक संपत्ति संबंधी विवादों में भी आपके पक्ष में समाधान अथवा फैंसला आने की संभावना रहेगी। विदेश में अध्ययन के प्रयोजन से जाने के इच्छुक जातकों के लिए अनुकूल समय है। विद्यार्थी जातकों की विद्वान व्यक्तियों से मुलाकात होगी और इसके साथ अध्ययन के विषय में महत्वपूर्ण चर्चा हो सकती है। महीने के अंत में इस अवधि के दौरान आप कम्युनिकेशन पर अधिक ध्यान देंगे। आपके कामकाज में आ रहे अवरोध हल हो सकेंगे।
व्यावसायिक एवं करियर- धंधे-व्यवसाय में इस मंथ सफलता के योग हैं। जो जातक कृषि, औजार, वाहनों की लेन-देन, रियल एस्टेट, बैंकिंग, शिक्षण,लेखन अथवा पत्रकारिता से जुड़े हैं उनके लिए माह का पहला पखवाड़ा उत्तम जाएगा। इसके बाद के दो सप्ताह में आप सरकारी कार्यों में प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से तरक्की करेंगे। दैनिक आमदनी में इजाफा करने के प्रयासों में अनुमान से कम गति में आगे बढ़ सकेंगे।
धन स्थिति-इस महीने आमदनी धीमी पर एक स्थिर गति से चालू रहेगी। वसूली के कार्यों में शायद आपकी अपेक्षा से अलग परिणाम आने की आशंका है। प्रोफेशनल कार्यों के लिए प्रवास की तैयारी रखें। इस महीने के उत्तरार्ध में भाग्य का साथ मिलता रहेगा। नये कार्यों को शुरू करने में सोच-समझकर आगे बढ़ना ठीक रहेगा। नौकरी कर रहे लोग हाल में धीमी पर स्थिर गति से आगे बढ़ सकेंगे।
स्वास्थ्य- इस महीने के शुरू से ही आप की तंदुरूस्ती के ऊपर कोई गंभीर डर नजर नहीं आता। आपकी फिटनेस अच्छी रहेगी। आपके द्वारा मानसिक व शारीरिक श्रम हो सकेंगा। जिन जातकों की तबीयत पहले से ही ढीली चल रही है उनको 16से 23 तारीख के दौरान विशेष सावधानी बरतनी होगी। इस दौरान कोई छिपा रोग सतह पर आता दिखाई दे तो तुरंत ही नजदीकी डाक्टर से सलाह-मश्वरा करें।

मिथुन अप्रैल 2017 मासिक राशिफल


इस सप्ताह की शुरूआत में तारीख 9 के दिन सिंह का चंद्र आपकी राशि से तृतीय राहु के ऊपर भ्रमण कर रहा है। छोटी दूरी की यात्रा का योग बनेगा। आप कम्युनिकेशन के आधुनिक माध्यम अपनाएंगे, परंतु विशेष रूप से आपके शब्दों में पारदर्शिता और संयम बनाए रखें अन्यथा आपके बारे में अन्य लोग गलत विचारधारा बनाएंगे और उसका असर संबंधों पर पड़ेगा। मैत्री संबंधों में गलतफहमी पैदा होने का योग है। धंधेदारी में जोखिम न उठाएं, तारीख 10, 11 कन्या के चंद्र का चतुर्थ स्थान से भ्रमण हो रहा है। आर्थिक लाभ होगा। चंद्र का गुरू पर भ्रमण प्रोपर्टी से संबंधित कार्यों में शुभ फल प्रदान कर सकता है। वाहन की खरीद का विचार बना रहे हैं तो शुभ समय है। माता के साथ संबंधों में निकटता रहेगी। तारीख 12, 13 के दिन तुला का चंद्र आपकी राशि से पांचवें भ्रमण कर रहा है। प्रणय संबंध में, आर्थिक विषयों में, पढ़ाई के लिए, संतान के संबंध में शुभ परिणाम प्रदान कराएगा। तारीख 14, 15 के दिन वृश्चिक का चंद्र आपकी राशि से छठे स्थान में भ्रमण कर रहा है। शत्रुओं से सावधान रहें। कितने ही लोग आपकी पीठ पीछे प्रहार करने के प्रयास में रहेंगे, इसलिए सावधानी रखें। कामकाज में किसी भी प्रकार से लापरवाह न रहें। नौकरी में बहसबाजी न करें। तबियत के विषय में संभाल रखें। धीमी परंतु स्थिर गति से आपकी प्रगति होने की संभावना रहेगी।
वसायिक एवं करियर- करियर में मिल रहे अवसरों का लाभ लेने के लिए शुभ समय है। सप्ताह के उत्तरार्ध में आप खुद की इच्छानुसार आगे बढ़ेंगे और अधिक मेहनत करेंगे। व्यवसायिक मोर्चे पर अधिक लाभ की संभावना नजर आती है। सौंदर्य प्रसाधन, सरकारी कामकाज, सोने-चांदी और दूर स्थानों पर बसी मल्टीनेशनल कंपनी जिसमें आपकी बौद्धिक प्रतिभा की आवश्यकता हो उसमें अधिक सफलता की उम्मीद है।
धन स्थिति- सप्ताह की शुरूआत में आप परिवार की खुशी हेतु और उनकी मांगो को पूरा करने के लिए खर्च करेंगे। सप्ताह के मध्य का समय अपनी संतान के पीछे खर्च का संकेत देता है। जो लोग शेयर बाजार और सट्टे से जुड़ी प्रवृत्तियों से जुड़े हैं वे यदि सप्ताह के मध्य में सोच-विचारकर सौदे तय करेंगे तो अधिक लाभ मिलेगा। भागीदारी के कार्य में धीमी गति से कमाई होगी। नौकरीवर्ग और खुदरा काम कर रहे जातक सप्ताह के अंतिम दो दिनों में इंसेंटिव, नया अॉर्डर अथवा वेतन वृद्धि जैसे माध्यमों से लाभ प्राप्त कर सकते हैं।
स्वास्थ्य- इस सप्ताह के शुरू के चरण में आपको खासकर कि डायबिटीज और मोटापे की समस्याओं में सर्तकता रखनी होगी। सप्ताह के अंतिम दो दिनों में मंगल आपके व्यय स्थान में होगा और चंद्र आपके रोग स्थान में आएगा जिस पर अब मंगल की सीधी दृष्टि पड़ेगी। आपको चोट या दुर्घटना से अपनी रक्षा करनी होगी। एसिडिटी, आँखों में सूजन और गर्मी से पैदा होने वाले रोगों की संभावना बढ़ने का खतरा रहेगा।

वृषभ अप्रैल 2017 मासिक राशिफल


महीने के प्रारंभिक समय में आपके व्यय स्थान में मंगल और बुध, लाभ स्थान में सूर्य और वक्री शुक्र तथा पंचम स्थान में वक्री गुरु की उपस्थिति है। उच्च अध्ययन के प्रयोजन से विदेशगमन हेतु प्रयत्न करने पर सफलता मिलने का योग बनेगा। आय की तुलना में व्यय की मात्रा अधिक रहेगी। आपके विचारों में थोड़ी नकारात्मकता आ सकती है। आकस्मिक चोट, इलेक्ट्रॉनिक चीजों या मशीनरी पर खर्च आदि की संभावना अधिक रहेगी। इस समय के दौरान बिना किसी कारण आपका मन में उद्वेग और उदासीनता का अनुभव करेगा। फिलहाल, आपके कर्म स्थान में केतु होने से नौकरी या व्यवसाय में किसी भी प्रकार की लापरवाही मत करें। दूसरे सप्ताह के बाद कला, संस्कृति, साहित्य, संगीत और कला क्षेत्र संबंधी वस्तुओं की तरफ आपका रूझान रहेगा। कम्युनिकेशन में आपके शब्दों के चयन में ध्यान रखें, अन्यथा गलत मतलब निकाला जा सकता है। महीने के मध्य की अवधि के दौरान मंगल आपके लग्न स्थान में तथा सूर्य व्यय स्थान में आएगा। स्थान परिवर्तन का योग भी बनेगा। आध्यात्मिक तंत्र-मंत्र और ज्योतिष संबंधी साहित्य पढ़ने में अभिरुचि जागृत होगी और उसको पढ़ने में आप समय व्यतीत करेंगे। कोर्ट- कचहरी के सरकारी काम में अड़चनें आएंगी। महीने के अंत में इस अवधि के दौरान आपके निकट के किसी स्वजन की चिंता आपको सताएगी। हांलाकि, बाहर घूमने-फिरने से आपका मूड पॉजिटिव बनेगा। प्रियजन का सहयोग मिलता रहेगा।
व्यावसायिक एवं करियर- इस महीने की शुरूआत के समय में आप धंधे-व्यवसाय में धीमी पर स्थिर गति से आगे बढ़ेंगे। हालांकि,उत्तरार्ध के समय में व्यवसायियों को सरकारी जांच के रूप में कुछ परेशानियों का सामना करने के लिए तैयार रहना होगा। नौकरीकर्ता की नौकरी में उनके कामकाज और आचरण को लेकर सवाल उठाए जा सकते हैं, इसलिए उन्हें अपने कार्यों में स्पष्टता रखना चाहिए। आमतौर से देखें तो 1 तारीख के पश्चात आपको अपने द्वारा हाथ में लिए गए प्रोजेक्ट्स को सफलतापूर्वक पूर्ण करेंगे जिससे आपके अंदर अदम्य आत्मविश्वास भी बढ़ेंगा। आपके कामकाज में अचानक से परिवर्तन आने की संभावना है।
धन स्थिति- महीने के शुरू में आपको धन प्राप्ति हेतु आपके ग्रहों के योग कुछ मंदे नजर आते हैं। हालांकि, महीने के मध्य भाग में आप पूरे जोश व उत्साह से काम में जुट जाएंगे और उसी के अनुरूप कमाई करेंगे। धन स्थान के मालिक बुध के साथ व्यय स्थान में 15तारीख के बाद सूर्य की युति होती है। खासकर कि कानूनी या सरकारी कार्यों में खर्च की संभावना रहेगी। पूर्व के पखवाड़े में आप अपने मान-सम्मान को बचाने लिए खर्च करेंगे। पैतृक संपत्ति से जुड़े मामलों के अटकने की आशंका है। बाहरी स्थानों से मिलने वाले लाभों में 16 तारीख के बाद से अनुकूलता प्रतीत हो सकती है। इस समय में आप लंबी अवधि के सुरक्षित निवेश के संबंध में विचार कर सकते हैं।
स्वास्थ्य- इस महीने आपका शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य सामान्य कहा जा सकता है। कभी-कभार किसी मौसमी बीमारी के शिकंजे में आ जाने की आशंका से इंकार नहीं किया जा सकता है। महीने के उत्तरार्ध में रीढ़ की हड्डी, हृदय, ब्लडप्रेशर, बिजली के करंट वगैरह जैसी समस्याओं के अंदेशे के देखते हुए इस ओर सतर्कता बनाए रखना जरूरी है। सामाजिक कार्यो से जुड़कर आप अपने मन को प्रफुल्लित करने का प्रयास कर सकते हैं। संतान प्राप्ति की कामना रखने वाले जातकों को इस दिशा में सफलता मिलने की संभावना उतनी नहीं लगती है। फिर भी 15 तारीख के बाद का समय आपके लिए धीरे-धीरे अनुकूल होने की संभावना है।

मेष अप्रैल 2017 मासिक राशिफल


महीने की शुरूआत में सूर्य मीन राशि में भ्रमण कर रहा है और साथ में शुक्र युति में है। आपकी ही राशि में मंगल और बुध की युति है। आर्थिक तथा संतान संबंधी विषयों को लेकर चिंता होगी। नींद नहीं आने की भी संभावना रहेगी। लग्नेश तथा अष्टमेश मंगल अपनी स्वराशि मेष राशि में होने से शारीरिक तथा मानसिक स्थिति मजबूत रखेगा। आपमें आत्मविश्वास बढ़ेगा जिससे हाल के कार्य आसानी से पूरे करके आप दूसरों को प्रभावित कर सकेंगे। मंगल के साथ बुध युति में है जो आपके कामकाज में विशेषकर प्रोफेशनल मोर्चे पर कहीं-न-कहीं विलंब अथवा अवरोध का कारण बन सकता है। फिलहाल, आपकी धार्मिकवृत्ति, धार्मिक अध्ययन, देवस्थान के दर्शन आदि में वृद्धि होगी। आप मौजशौक और विलासी गतिविधियों में अधिक खर्च करेंगे जहाँ आवक की मात्रा मर्यादित रहने से विशेषकर अपने खर्च पर नियंत्रण रखें, अन्यथा कर्ज हो सकता है। अनैतिक संबंध की संभावना भी रहेगी। महीने के मध्य में मंगल धन स्थान में और सूर्य आपकी ही राशि में आएगा। सार्वजनिक जीवन में आपकी प्रतिष्ठा बढ़ेगी तथा विद्वान लोगों के साथ मुलाकात की संभावना बढ़ेगी। प्रतिष्ठित लोगों की मदद से आप प्रगति कर सकेंगे। दांपत्य जीवन में अहं का टकराव हो सकता है। आर्थिक मोर्चे पर उधार वसूली में मुश्किल आ सकती है। वाणी को नियंत्रण में रखें। दांत, मसूड़ों और कंधे के भाग में दर्द जैसी समस्या हो सकती है। आपकी राशि से पांचवें स्थान में भ्रमण करता हुआ सिंह का राहु शेयर बाजार में सावधानी से सौदा करने का संकेत दे रहा है। गर्भवती महिलाओं को फिलहाल स्वास्थ्य की विशेष संभाल रखनी पड़ेगी। विदेश से संबंधित कार्य में अवरोध आ सकता है।
व्यवसाय और करियर- व्यवसायिक कामकाजों के लिए महीने का पहला पखवाड़ा थोड़ा चुनौतीपूर्ण है। वहीं उत्तरार्ध का समय उत्तम रहेगा। सेल्स एवं मार्केटिंग के काम कर रहे जातको को 14 तारीख के बाद अपनी बोली में अंकुश रखना होगा। सरकारी कार्यों या सरकारी नौकरी में तारीख 15 के बाद अनुकूलता बढ़ेंगी। शुरूआत में दबंग और वरिष्ठ अधिकारियों की ओर से कम समर्थन मिलने से आपकी परेशानियां बढ़ जाने की आशंका है। तारीख14 तक कृषि, रसायन, जंतुनाशक दवाओं, लाल रंग की चीजों इत्यादि में अनुकूलता रहेगी। विदेश में काम करने के इच्छुक जातकों की वीजा से संबंधित कार्यो के अटक जाने की आशंका है।
आर्थिक स्थिति-आर्थिक मोर्चे पर आपको थोड़ा ध्यान रखने की जरूरत है। आपके धन स्थान का मालिक शुक्र पूरी महीने के दरमियान व्यय स्थान को अपना निवास स्थान बनाएगा। इससे बेधड़क और व्यर्थ खर्चे रहेंगे। शुरू के पखवाड़े में सरकारी और कानूनी कार्यों में काफी ज्यादा खर्चे होने की संभावना है। पैतृक संपत्ति संबंधी मामलों में शुरू के दो हफ्तों तक फंसे रहेंगे। आप मेहनत काफी करेंगे और व्यवसायिक कामकाज भी काफी अच्छे चलेंगे, पर अंत में आप यदि हिसाब लगाने बैठेंगे तो आपको मेहनत की तुलना में लाभ कम मिलता दिखाई देगा। हालांकि, उत्तरार्ध का समय आपके लिए आशाप्रद रहेगा।
स्वास्थ्य- स्वास्थ्य में आपको हर समय उतार-चढ़ाव का अनुभव होता रहेगा। माता का स्वास्थ्य आपके लिए चिंताकारक रहेगा। हकीकत में किसी रोग से पीड़ित होने की अपेक्षा किसी रोग के अज्ञात भय आप आतंकित दिखाई पड़ेंगे। पानी से उत्पन्न होने वाले रोगों की चपेट में आने की आशंका को देखते हुए इस ओर जरा सतर्कता बरतें। नियमित रूप से हनुमान चालीसा का पाठ करने से आप मानसिक रूप से राहत महसूस करेंगे।

Wednesday, 12 April 2017

साप्ताहिक राशिफल 10-16 अप्रैल 2017

मेष-
इस सप्ताह कार्य ही आपके उत्साह का स्रोत है। सप्ताह के शुरुआत में आपको अप्रत्याशित लाभ मिल सकता है, परन्तु सप्ताह का अंतिम हिस्सा आर्थिक दृष्टि से आपके लिए खर्चीला रहेगा, कार्यक्षेत्र में सीनियर्स के साथ कुछ अनबन होने की संभावना है, लाभ पाने के लिए आपको अधिक मेहनत करने की आवश्यकता होगी। किसी के मनोबल और वास्तविक सहयोग के बिना परिस्थिति का सामना करना कठिन होगा। यह सप्ताह छात्रों के लिए मुश्किल भरा हो सकता है, छात्रों को मेहनत के साथ-साथ सही दिशा की ओर अग्रसर होना पड़ेगा। एकाग्रता बनाने के लिए मेहनत करनी पड़ेगी। यदि आप विवाहित हैं तो जीवनसाथी के साथ सही वक्त बीतेगा। परन्तु घरेलु रिश्तों के लिहाज से थोड़ा कठिन हो सकता है, परिवार में माता-पिता या किसी बड़े से विवाद हो सकता है। बोलने से पहले अपने शब्दों पर ध्यान रखें, वाणी पर संयम रखें और किसी प्रकार की गलतफहमी ना पालें। इस सप्ताह सेहत के मामले में ध्यान रखने की जरुरत है, सिरदर्द और थकान से परेशान हो सकते हैं।
उपाय
1.ॐ नमः शिवाय का जाप करें...
2.दूध, चावल का दान करें...
वृष-
इस सप्ताह के कुछ दिन धार्मिक कार्यो के प्रति मन अग्रसर होगा। छात्रों को इस सप्ताह कड़ी मेहनत करनी पड़ सकती है। लाइफ पार्टनर के साथ आपके रिश्ते और मधुर होंगे। परिवार से भरपूर मदद मिलेगी, आपके प्रियजन आपके साथ सुरक्षित, संरक्षित एवं अच्छा महसूस करेंगे। मित्र भी आपके पक्ष में खड़े रहकर आपकी मदद करते नजर आएंगे। सेहत में भी सुधार आएगा परन्तु जीवनसाथी व माता के स्वास्थ्य की चिंता बढ़ सकती हैं। कारोबार में इजाफा होगा, शेयर बाजार आपको मुनाफा दे सकता है। कानूनी विवाद में विजय की सम्भावनाएं है। खर्चे अधिकता बनी रहेगी। किसी अपरिचित व्यकित से विवाद होने की आशंका रहेगी।
उपाय
1.ऊॅ अं अंगारकाय नमः का जाप करें...
2.हनुमानजी की उपासना करें..
3.मसूर की दाल, गुड दान करें..
मिथुन राशि -
आमदनी में वृद्धि होगी लेकिन जितना तेजी से पैसा आयेगा, उतनी ही तेजी से खर्च भी होगा। घरेलू मामलों में तनाव की सिथति रहेगी। इस समय एसीडिटी तथा मानसिक तनाव बढ़ेगा। व्यापारी वर्ग के लिए यह समय अनुकूल रहेगा। किसी नये कार्य को करने से पहले अपने जीवन साथी से विचार विमर्श अवश्य कर लें तभी आपको सफलता प्राप्त होगी। इस समय हर किसी के साथ कम्युनिकेशन में सावधानी बरतनी पड़ेगी। विशेष रूप से मैत्री संबंध निजी संबंधों में गलतफहमी पैदा न हो उसका ध्यान रखें। पैतृक संपत्ति के लिए अनुकूल समय रहेगा। उच्च अध्ययन करने वाले विद्यार्थी जातकों को इस अवधि के दौरान विशेष मेहनत की तैयारी रखनी पड़ेगी।
उपाय -
1.ऊॅ गुरूवे नमः का जाप करें...
2.पीली वस्तुओं का दान करें...
3.गुरूजनों का आर्शीवाद लें..
कर्क राशि -
इस सप्ताह जो लोग किसी कानूनी विवाद में फंसे हुए है उन्हे विशेष सावधानी की आवश्यकता है। आपको ब्याज कर्ज के लेनदेन से बहुत दूर रहना चाहिए। आय व व्यय में समानता की स्थिति बनी रहेगी जिसके कारण मन चिन्ताग्रस्त रह सकता है। रोजगार के नये अवसर प्राप्त होगे। स्वास्थ्य की दृष्टि से इस राशि वालों को सर्दी के रोग होने की सम्भावना है। जो लोग व्यापार के क्षेत्र में है उनमें से अधिकतर की आर्थिक सिथति मजबूत होगी। लेकिन जो लोग नौकरी कर रहें है उन्हें अपने सीनियर्स से परेशानी होगी। प्रेम के नयें मामलें बन सकते है। इस समय आप महत्वपूर्ण डील पूर्ण कर सकेंगे। नये व्यक्तियों से मुलाकात हो सकती है। नयी पहचान बनेगी। इस समय मानसिक उद्वेग हो सकता है। सप्ताह के अंत तक समस्याओं का समाधान आ जाएगा। आप हर कार्य बड़ा संवेदनशील होकर करेंगे।
उपाय -
1.ऊॅ शुं शुक्राय नमः का जाप करें...
2.माॅ महामाया के दर्शन करें...
3.चावल, दूध, दही का दान करें...
सिंह-
इस सप्ताह आप के बहुत सारे रूके हुये कार्य पूरे होने के संकेत है। यदि किसी जगह पैसा फँसा चुके हैं तो वह फंसा हुआ पैसा वापस आएगा, जिससे आपकी पैसे की तंगी दूर होती महसूस होगी। बुजुर्ग वर्ग से आपको फायदा होगा तथा इसके साथ आनंदपूर्वक समय बिता सकेंगे। जो लोग किसी प्रमोशन का इंतजार कर रहे हैं, उनके लिए यह समय काफी उत्तम रहेगा। बहुत से लोगों को धार्मिक यात्रा करने का अवसर प्राप्त होगा। मकान व वाहन आदि से संबंधित लाभ होने की सम्भावना है। कुछ लोगों को सरकारी मामलों में सावधान रहने की आवश्यकता है। आपके उत्साह में वृद्धि होगी और कुछ कर गुजरने की योग्यता का प्रर्दशन करेगें।
उपाय
1.ऊॅ बुं बुधाय नमः का एक माला जाप करें....
2.गणपति की आराधना करें
3.दूबी गणपति में चढ़ाकर मनन करें,
कन्या राशि -
व्यापार व व्यवसाय में वृद्धि होगी जो लोग कर्ज-ब्याज आदि कार्य करते हैं, उन्हें थोड़ा सा तनाव रहेगा। अपने स्वास्थ्य के प्रति विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है। जो लोग पेट के रोगी है उनकी समस्या बढ़ेगी । वाहन चलाते समय सावधानी बरतें अन्यथा कोई दुर्घटना घट सकती है। अपने कार्य क्षेत्र में किये गये कार्यो में सफलता प्राप्त होगी। पति-पत्नी में तनाव की स्तिथि रहेगी। प्रशासनिक अधिकारियों से सहयोग मिलेगा जिससे बिगडें हुए कार्य पूर्ण होंगे। रूके हुए कार्यों का समाधान होने से आप मानसिक राहत का अनुभव करेंगे। शरीर में थकान, आलस और सुस्ती रहेगी। मानसिक बैचेनी रहेगी। बड़े-बुजुर्गों के साथ संबंधों में सावधान रहें। व्यर्थ वाद-विवाद टालें, नौकरी को लेकर कुछ असंतोष की समस्याएं खड़ी होंगी।
उपाय -
1.ॐ नमः शिवाय का जाप करें...
2.दूध, चावल का दान करें...
3.रूद्राभिषेक करें...
तुला-
इस सप्ताह नौकरी वाले व्यक्ति अपने बास से सावधानी बरतें। कर्ज व ब्याज आदि से सावधान रहें। नौकर चाकर से सावधान रहें। परिवार में बड़ो को स्वास्थ्य की दृष्टि से यह समय अच्छा नहीं हैं। इस समय अपने कार्य पर एकाग्रता बढ़ायें और गोपनीयता तथा पारदर्शिता का पूरा ध्यान रखें। गुप्त शत्रुओं से सावधान रहें। दोस्तों और दुश्मनों के बीच का अंतर कर व्यवहार करें। इस समय अपने प्रत्येक कार्य और व्यवहार पर सावधानी रखना ही उचित समाधान होगा। लेनदेन में पूर्ण सावधानी से कार्य करें। जो लोग श्वास रोग से पीड़ित है उन्हें इस दिनों पूरी सावधानी रखनी होगी।
उपाय
1.सूक्ष्म जीवों की सेवा करें...
2.शनि के मंत्रों का जाप कर.. तिल या तिल का तेल का दान करें...
वृश्चिक-
जो लोग व्यापार में है। उनकी कमाई में वृद्धि होगी। जिन लोगों का धन कही फंसा हैं उसे प्राप्त होने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है। धार्मिक कार्यो में धन खर्च होगा। आर्थिक स्थिति में वृद्धि और रूके कार्यों में प्रगति होगी। नौकरी पेशा लोगों को पद प्रतिष्ठा आदि का लाभ होगा। परिवार में बड़ो से तनाव होने की आशंका नजर आ रही है, अतः सावधानी बरतें। मन में दुविधा उत्पन्न हो सकती है जिससे प्रोफेशनल मोर्चे पर आपको योग्य दिशा नहीं सूझेगी।
उपाय
1.ऊॅ बृं बृहस्पतयै नमः का एक माला जाप करें....
2.पुरोहित को केला, नारियल का दान करें....
3.साई जी के दर्शन कर दिन की शुरूआत करें....
4.देवी जी में पीला वस्त्र...पीले पुष्प....लड्डू...का भोग लगायें....
धनु-
रोजगार के नये अवसर प्राप्त होगे। आय में वृद्धि होगी । स्वास्थ्य के मामलों में सावधानी बरतें। जो लोग कमीशन एजेन्सी आदि के कार्य से जुड़े हुए हैं उनके लिए समय अनुकूल है। कुछ लोगों को पद प्रतिष्ठा आदि का लाभ होगा। जो जोग मशीनरी का काम करते हैं उनको हानि होने की आशंका रहेगी। उत्साह में वृद्धि होगी। मकान वाहन आदि पर व्यय होगा। कार्य योजनओं को सही समय व सुचारू रूप से शुरू करने में लाभ अवश्य होगा। वाणी पर नियन्त्रण रखने की आवश्यकता है। प्रेम सम्बन्धों में विरोधाभास की स्थिति उत्पन्न हो सकती है।
उपाय
1.माता को दूध दही से अभिषेक करें....
2.लाल वस्त्र...पुष्प से श्रृगांर करें....
3.दुर्गासप्तशती का पाठ करें.....
मकर-
परिवारिक स्थितियों में उतार-चढ़ाव की सिथति बनी रहेगी। जो लोग ब्लड प्रेशर रोग से पीड़ित है उन्हें इन दिनों पूरी सावधानी रखनी होगी। छात्रों के लिए उचित समय है, अतः अवसरों का लाभ उठायें। नौकरी वाले जातक अपने बास के प्रति विश्वास बनायें रखें अन्यथा आप उपेक्षा का शिकार हो सकते है। अपने कार्यो के प्रति सकारात्मक रवैया रखें जिससे कि आप प्रशंसा के पात्र बन सकते है। इस सप्ताह अप्रत्याशित आय अथवा पैसा मिलने की संभावना । धन से संबंधित विवादों में धीमी गति से प्रगति होगी। आपको मित्रों और भाई-बहन की तरफ से अच्छा सहयोग मिलने के आसार है।
उपाय
1. तिल...गुड....से बने लड्डू का भोग लगायें....
2. सभी भक्तजनों को प्रसाद वितरित करें....
कुंभ-
इस सप्ताह व्यवसायिक मामलों में एवं घरेलू खरीददारी में धन का व्यय में अधिक होगा । वाहन की खरीद का विचार बना रहे हैं तो इस दौरान योग्य समय है। घर-मकान संबंधित कामकाज में आप गंभीरता से विचार करके आगे बढ़ सकते हैं। आप में धार्मिक वृत्ति अधिक रहने से विशेष रूप से धार्मिक स्थलों के दर्शन के लिए जाने की संभावना है।
जिन समस्याओं को लेकर आप चिंतित है, उनका हल आपकी सोच पर निर्भर है। नयें लोगों को कैरियर के प्रति सकारात्मक रूख करने की आवश्यकता है। विद्यार्थीगण अध्ययन के मामले में अधिक उत्साहित महसूस करेंगे।
उपाय
1. ऊॅ गुं गुरूवे नमः का जाप करें...
2. कुल पुरोहित, ब्राह्ण्य को यथासंभव दान दें,
मीन -
इस सप्ताह कुछ लोगों को आकस्मिक लाभ हो सकता है। सरकारी तंत्र से सावधानी बरतें। परिवारिक सुखों के लिए यह समय श्रेष्ठ साबित होगा। अपनी उपयोगिता को बनायें रखें तभी आप अपने लक्ष्य को प्राप्त कर सकेंगे। परिवार के कुछ सदस्यों के प्रति आपका मन उदासीन हो सकता है। मन अस्थिर और दुविधा में रहेगा। इष्ट मित्रों के साथ किसी बात को छिपाने का प्रयास न करें। प्रबन्धन से जुड़े छात्रों को शुभ अवसर मिल सकते हैं। भोजन और नींद में अनियमितता रहेगी। समाज में यश, कीर्ति और आनंद की प्राप्ति होगी। परिवारजनों के साथ आनंदपूर्वक समय व्यतीत होगा।
उपाय
1.माॅ महामाया के दर्शन करें...
2.ऊॅ गुं गुरूवे नमः का जाप करें...
3.कुल पुरोहित, ब्राह्ण्य को यथासंभव दान दें,

Astrology Sitare Hamare On 12 April 2017

Saturday, 8 April 2017

मीन लग्न कुंडली में शनि का प्रभाव

जन्म कुण्डली में ग्रह से मिलने वाले फल अनेक कारणों से प्रभावित होते है. जैसा कि सर्वविदित है कि ग्रह के फल दशाओं में प्राप्त होते है. चूंकि कई ग्रहों के पास दो-दो राशियों का स्वामित्व है.
इस कार्य में राशि के स्वामी ग्रह की स्थिति, युति, व दृष्टि सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है. इस ग्रह से संबध बनाने वाले अन्य ग्रहों के प्रभाव से भी ग्रह फल प्रभावित होते है. ग्रह शुभ हों, या अशुभ जब भी उसे कोई शुभ ग्रह देखता है. उसकी शुभता में वृ्द्धि होती है. पर अशुभ ग्रह का दृष्टि प्रभाव होने पर ग्रह की अशुभता में ही बढोतरी होती है. कुण्डली के सभी भाव अपना- अपना महत्व रखते है. इन भावों में स्थित राशियों के महत्व को भी अनदेखा नहीं किया जा सकता है.
मीन लग्न के 12 भावों में शनि किस प्रकार के फल दे सकते है
प्रथम भाव में शनि के फल
मीन लग्न की कुण्डली के लग्न भाव में शनि हों तो व्यक्ति के शारीरिक सौन्दर्य में कुछ कमी हो सकता है. व्यक्ति को बाल्य काल में स्वास्थ्य में कमी का सामना करना पड सकता है. उसके भाई - बहनों के सुख में भी कमी होने की संभावनाएं बनती है. पर यह योग व्यक्ति के पराक्रम में बढोतरी करता है. शनि के प्रथम भाव में होने के कारण व्यक्ति का दांम्पत्य जीवन कुछ कष्टकारी हो सकता है. व्यापारिक क्षेत्र के लिये भी यह योग बाधाएं लेकर आता है. पिता के साथ व्यक्ति के सम्बध मधुर न रहने की संभावनाएं बनती है.
द्वितीय भाव में शनि के फल
व्यक्ति को आर्थिक क्षेत्रों में कठिनाईयां हो सकती है. उसके परिवारिक सुखों में कमी की संभावनाएं बनती है. आय सामान्य स्तर की हो सकती है. पर व्यक्ति को मेहनत अधिक करनी पड सकती है.
तृ्तीय भाव में शनि के फल
व्यक्ति के जीवन में उतार- चढाव अधिक रहने की संभावनाएं बनती है. व्यक्ति के शिक्षा में व्यक्ति को संघर्ष करना पड सकता है. व्यक्ति का भाग्य पूरा सहयोग नहीं करता है. व्यक्ति के आय व व्यय अधिक होते है.
चतुर्थ भाव में शनि के फल
व्यक्ति के पारिवारिक सुख में कमी हो सकती है. उसके शत्रु प्रबल हो सकते है. और शत्रुओं के कारण परेशानियों का सामना करना पड सकता है. कोर्ट-कचहरी का सामना करना पड सकता है. आजिविका में मन्द गति से सफलता प्राप्ति होती है. व्यक्ति को विदेश स्थानों से लाभ होने की संभावनाएं बनती है.
पंचम भाव में शनि के फल
शिक्षा क्षेत्र में बाधाएं आ सकती है. परन्तु इस अशुभता को परिश्रम से कम दिया जा सकता है. संतान पक्ष से कष्ट प्राप्त हो सकते है. व्यापार के क्षेत्र में उतार-चढाव आ सकते है. व्यक्ति के अपने जीवन साथी के साथ संबन्धों में मधुरता की कमी होती है.
छठे भाव में शनि के फल
शत्रुओं पर प्रभाव बनाये रखने में व्यक्ति को सफलता मिलती है. कोर्ट- कचहरी के विषयों में व्यक्ति को विजय प्राप्त होती है. भाई - बहनों का सुख मिलने की भी संभावनाएं बनती है. आत्मबल से व्यक्ति सफल हो सकता है.
सप्तम भाव में शनि के फल
व्यापार मिला-जुला फल देता है. दांम्पत्य सुख में कमी हो सकती है. स्वास्थ्य में कमी के योग भी बनते है. इसके फलस्वरुप व्यक्ति की मान हानि के योग बनते है. व्यय अधिक होता है. भूमि, भवन आदि के मामले व्यक्ति की चिन्ताओं में वृ्द्धि कर सकते है.
अष्टम भाव में शनि के फल
अत्यधिक मेहनत करने से ही सफलता की संभावनाएं बनती है. व्यक्ति के अपने पिता के साथ मतभेद बने रहते है. सरकारी कार्यों में अडचने आ सकती है. धन संचय में कमी हो सकती है. व्यक्ति को उसके शिक्षा क्षेत्र में बाधाएं आ सकती है. तथा संतान के कारण भी कष्ट प्राप्त हो सकते है.
नवम भाव में शनि के फल
यह योग व्यक्ति की धार्मिक आस्था में वृ्द्धि करता है. उसे भाग्य का सहयोग प्राप्त होता है. पर भाग्य का सहयोग प्राप्त करने के लिये व्यक्ति को प्रयासों को बनाये रखना होता है. ऋण लेने पड सकते है. उसका शत्रुओं पर प्रभाव बना रहता है. आजिविका के लिये यह योग सामान्य रहता है.
दशम भाव में शनि के फल
व्यक्ति को अपने पिता से पूर्ण सुख व सहयोग प्राप्त नहीं हो पाता है. व्ययों के बढने की सम्भावनाएं रहती है. व्यवसाय में परेशानियां बनी रहती है. वैवाहिक जीवन में कष्ट प्राप्त हो सकते है. मकान व भूमि के विषयों से व्यक्ति के कष्ट बढ् सकते है. व्यक्ति की सामाजिक प्रतिष्ठा में वृ्द्धि होती है. कठिन परिश्रम करने से लाभों को भी बढाया जा सकता है.
एकादश भाव में शनि के फल
आय के उतम संभावनाएं बनती है. व्यक्ति को विदेश स्थानों से लाभ प्राप्त हो सकता है. पर उसकी मान -प्रतिष्ठा को ठेस लग सकती है. धन को लेकर व्यक्ति अत्यधिक महत्वकांक्षी हो सकता है. जो सही नहीं है. इसके कारण व्यक्ति के परिवार व अन्य संबध मधुर न रहने की संभावनाएं बनती है. स्वभाव से अहंम की भावना का त्याग करना व्यक्ति के लिये हितकारी रहता है. तथा सुखों में वृ्द्धि के लिये व्यक्ति को स्वार्थ भावना से काम नहीं लेना चाहिए.
द्वादश भाव में शनि के फल
व्यक्ति के व्ययों में वृ्द्धि होती है. विदेश स्थानों से लाभ प्राप्त हो सकता है. व्यक्ति के धन संचय में परेशानियां आ सकती है. तथा उसके शत्रु प्रबल हो सकते है. इस योग के व्यक्ति की सफलता शत्रुओं के कारण बाधित हो सकती है.

कुम्भ लग्न कुंडली में शनि का प्रभाव

ज्योतिष शास्त्र में कुल नौ ग्रह है. तथा सभी ग्रहों की अपनी विशेषताएं है. ग्रह के फलों का विचार करने के लिये सबसे पहले ग्रह की शुभता व अशुभता निर्धारित की जाती है. ज्योतिष के सामान्त नियम के अनुसार शुभ ग्रह केन्द्र- त्रिकोंण भाव में होने पर शुभ फल देते है. इसके विपरीत अशुभ ग्रह इसके अतिरिक्त अन्य भावों में हों तो शुभ फलकारी कहे गये है.
लग्न भाव में लग्नेश हो, तो लग्न भाव को बल प्राप्त होता है. इसी प्रकार लग्नेश का त्रिक भावों में स्थित होना व्यक्ति के स्वास्थ्य में कमी का कारण बन सकता है. शनि को आयु का कारक ग्रह कहा गया है. इस भाव से शनि का संबन्ध बनने पर व्यक्ति की आयु में वृ्द्धि की संभावनाएं रहती है. इसी प्रकार धन भावों से गुरु का संबध व्यक्ति के धन में बढोतरी करता है. कुम्भ लग्न में शनि कुण्डली के विभिन्न भावों में किस प्रकार के फल दे सकता है
प्रथम भाव में शनि के फल
कुम्भ लग्न की कुण्डली में शनि लग्न भाव में हों, तो व्यक्ति के स्वास्थ्य सुख में वृ्द्धि होती है. आत्मबल भी बढता है. योग के कारण व्यक्ति के धन संबन्धी परेशानियों में कमी होती है. व्ययों की अधिकता हो सकती है. यह योग कुण्डली में होने पर व्यक्ति को दुर्घटनाओं से सावधान रहना चाहिए. वैवाहिक जीवन सुखमय न रहने की संभावनाएं बनती है. व्यापार क्षेत्र भी बाधित हो सकता है. पर अधिनस्थों से सहयोग प्राप्त हो सकता है.
द्वितीय भाव में शनि के फल
धन संचय करने के लिये व्यक्ति को अत्यधिक परिश्रम करना पड सकता है. माता-भूमि आदि का सुख मिलता है. व्यापार से आय प्राप्ति की इच्छा हो सकती है. पर व्यक्ति को इस क्षेत्र में परेशानियों का सामना करना पड सकता है.
तृ्तीय भाव में शनि के फल
व्यक्ति के पराक्रम में वृ्द्धि होती है. शिक्षा के बाधायें आने के बाद सफलता प्राप्ति की संभावनाएं बनती है. भाग्य का सहयोग भी व्यक्ति को प्राप्त होता है. व्यक्ति को धर्म के कार्यो में रुचि रहती है. इसके साथ ही व्ययों के बढने की भी संभावनाएं बनती है.
चतुर्थ भाव में शनि के फल
कुम्भ लग्न की कुण्डली के चतुर्थ भाव में शनि की स्थिति होने पर व्यक्ति को माता- भूमि के सुख में कमी हो सकती है. उसका स्वास्थ्य ठीक रहता है. शत्रु प्रबल हो सकते है. व्यापार में परेशानियों के साथ व्यक्ति सफलता की ओर अग्रसर रहता है. बुद्धि व परिश्रम से व्यक्ति को समाज में उच्च स्थान प्राप्त होता है.
पंचम भाव में शनि के फल
विधा के क्षेत्र में सफलता प्राप्ति में व्यक्ति को कुछ दिक्कतें हो सकती है. व्यापार में अडचनें आ सकती है. आय में कमी की संभावनाएं बनी हुई है. धन संचय भी सरलता से नहीं होता है.
छठे भाव में शनि के फल
कठोर परिश्रम द्वारा उन्नती, शत्रु शक्तिशाली होते है. व्यक्ति में दया भाव अधिक होने के कारण व्यक्ति अपने शत्रुओं पर भी कठोर नहीं होता है. स्वभाव से व्यक्ति अत्यधिक चिन्ता करने वाला होता है.
सप्तम भाव में शनि के फल
भाग्य में उतार-चढाव की स्थिति लगी रहती है. मान-प्रतिष्ठा प्राप्त होती है. परन्तु कुछ समय बाद इसमें भी कमी हो जाती है. दांम्पत्य जीवन में भी परेशानियां लगी रहती है.
अष्टम भाव में शनि के फल
व्यक्ति को असाध्य रोग हो सकते है. लम्बी अवधि के रोग भी हो सकते है. वाहनों का प्रयोग करते समय दुर्घटनाओं से बचके रहना चाहिए. व्यापार में चोरी जैसी घटनाएं हो सकती है. शिक्षा क्षेत्र बाधित हो सकता है. ऋणों से कष्ट बढने की संभावनाएं बनती है.
नवम भाव में शनि के फल
मेहनत से उन्नती का मार्ग खुलता है. भाग्य का सहयोग प्राप्त होता है. स्वभाव में मधुरता की कमी होने के कारण व्यक्ति की परेशानियों में बढोतरी होती है.
दशम भाव में शनि के फल
अत्यधिक मेहनत के बाद सफलता प्राप्त हो सकती है. व्ययों की अधिकता हो सकती है. पर यह योग व्यक्ति के सुखों में बढोतरी कर सकता है.
एकादश भाव में शनि के फल
आमदनी कम हो सकती है. पर व्यक्ति अपने आत्मबल व मनोबल के द्वारा आय में वृ्द्धि करने में सफल होता है. मान- प्रतिष्ठा की प्राप्ति की संभावनाएं बनती है. व्यक्ति के भौतिक सुखों में वृ्द्धि होती है.
द्वादश भाव में शनि के फल
व्यय अधिक हो सकते है. धन संचय में कमी हो सकती है. व्यक्ति को शत्रुओं द्वारा कष्ट प्राप्त हो सकता है. ऋणों के बढने की भी संभावनाएं बनती है. यह योग व्यक्ति की धार्मिक आस्था में बढोतरी करता है. व्यक्ति के जीवन में सुखों की अधिकता रहती है.

Sitare Hamare Saptahik Rashifal 3 April To 9 April 2017

Astrology Sitare Hamare on 08 April 2017

Friday, 7 April 2017

मकर लग्न कुंडली में शनि का प्रभाव

ज्योतिष में कुल 12 भाव, 12 राशियां, 9 ग्रह, 27 नक्षत्र होते है. इन सभी के मेल से बनी कुण्ड्ली से व्यक्ति का भविष्य निर्धारित होता है. व्यक्ति को इन में से जिन ग्रहों की दशा - अन्तर्दशा का प्रभाव व्यक्ति पर चल रहा होता है. उन्हीं भाव से संबन्धित घटना घटित होने की संभावनाएं बनती है. सभी 12 भावों के अपने कारकतत्व होते है. जो स्थिर प्रकृ्ति के है.
सभी कुण्डली के लिये भावों के कारकतत्व एक समान रहते है. तथा इसी प्रकार राशियों की भी अपनी विशेषताएं होती है. जो स्थिर है. तथा जिनके गुण लग्न बदलने से परिवर्तित नहीं होते है.
भाव व राशियों के तरह ग्रहों की भी विशेषताएं होती है. जिनसे ग्रह की शुभता व अशुभता का निर्धारण होता है. पर ग्रह भाव, राशियों में अपनी स्थिति के अनुसार अपने फलों को बदल लेते है. विशेष रुप से लग्नेश व महादशा स्वामी से ग्रह के संबन्ध फलों को प्रभावित करते है. मकर लग्न की कुण्डली के 12 भावों में शनि इस प्रकार के फल दे सकता है
प्रथम भाव में शनि के फल
मकर लग्न के प्रथम भाव में शनि स्थित होने पर व्यक्ति के स्वास्थ्य सुख में वृ्द्धि होती है. व्यक्ति स्वभाव से स्वाभिमानी होता है. स्वराशि का शनि व्यक्ति के पराक्रम में वृ्द्धि करने में सहयोग करता है. इस योग के फलस्वरुप व्यक्ति के व्यापार में परेशानियां आने की संभावना बनती है. वैवाहिक जीवन के आरम्भ में कष्ट प्राप्त हो सकते है. परन्तु बाद में स्थिति सामान्य होकर व्यक्ति को अपने जीवन साथी का सहयोग प्राप्त होने की संभावनाएं बनती है. अधिनस्थों का सहयोग भी प्राप्त होता है.
द्वितीय भाव में शनि के फल -
व्यक्ति धन संचय करने में सफल होता है. व्यक्ति को अपने परिवार के सदस्यों का सुख प्राप्त होता है. परन्तु माता के सुख में कमी की संभावनाएं बनती है. भूमि- भवन संबन्धी मामलों से भी समस्याएं आ सकती है. इस योग से आयु में कुछ कमी हो सकती है. पर आय वृ्द्धि को सहयोग प्राप्त होता है.
तृ्तीय भाव में शनि के फल
पराक्रम भाव में मंगल की मेष राशि में शनि व्यक्ति के पराक्रम में वृ्द्धि करता है. पर इस योग के कारण व्यक्ति को अपने भाई -बहनों का सुख कम मिल सकता है. व्यक्ति के भाग्य व शिक्षा क्षेत्र में बाधाएं बनी रहती है. व्यक्ति के व्यय भी बढ सकते है.
चतुर्थ भाव में शनि के फल
व्यक्ति को अपनी माता का सुख कम मिल सकता है. तथा उसे घर से दूर रहना पड सकता है. शनि के इस भाव में होने से व्यक्ति के धन में कमी हो सकती है. शत्रु पक्ष भी व्यक्ति को हानि पहुंचा सकते है. व्यापार व आय के स्त्रोत ठीक रहने की संभावनाएं बनती है. योग के कारण व्यक्ति का स्वास्थ्य मध्यम स्तर का हो सकता है.
पंचम भाव में शनि के फल
शिक्षा, योग्यता, संतान आदि से सुख प्राप्त हो सकते है. विवाहित जीवन में अडचनें आ सकती है. यह योग होने पर व्यक्ति को साझेदारी व्यापार से बचना चाहिए. अन्यथा व्यापार में हानि हो सकती है. आय का स्तर मध्यम रहने के योग बनते है. पर व्यक्ति को धन से सुख की प्राप्ति होती है. इस योग के कारण व्यक्ति के द्वारा किये गये व्यय व्यर्थ विषयों पर नहीं होते है.
छठे भाव में शनि के फल
व्यक्ति का स्वास्थ्य मध्यम स्तर का हो सकता है. उसे शारीरिक परिश्रम अधिक करना पड सकता है. तथा व्ययों के भी अधिक होने की संभावनाएं बनती है. यह योग व्यक्ति को चिन्तित रहने का स्वभाव दे सकता है. व इसके कारण उसके धन में कमी हो सकती है.
सप्तम भाव में शनि के फल
जिस व्यक्ति की कुण्ड्ली में सप्तम भाव में शनि स्थित हों, उस व्यक्ति का स्वास्थ्य मध्यम रहने की संभावनाएं बनती है. व्यक्ति को शत्रुओं द्वारा कष्ट प्राप्त हो सकते है. पर भाग्य का सहयोग व्यक्ति को प्राप्त होता है. जीवन साथी से व्यक्ति को सुख प्राप्त होता है. पर साथ ही साथ व्यक्ति को व्यापारिक क्षेत्रों में परेशानियां बनी रह सकती है. व्यक्ति की आय बाधित हो सकती है. मेहनत व लगन से व्यक्ति अपने कार्यो को पूर्ण करने में सफल होता है.
अष्टम भाव में शनि के फल
मकर लग्न के अष्टम भाव में सिंह राशि में शनि व्यक्ति के पिता के स्वास्थ्य में कमी कर सकता है. इस योग के व्यक्ति को अपने पिता का सहयोग कम मिलने की संभावनाएं बनती है. इसके अतिरिक्त मतभेद भी हो सकते है. परिवार के अन्य सदस्यों के सहयोग में बढोतरी होती है. इस योग के फलस्वरुप व्यक्ति के संचय में भी वृ्द्धि को सहयोग प्राप्त होता है. आजिविका क्षेत्र के फल देर से प्राप्त होते है. इसके कारण संतान में कमी हो सकती है.
नवम भाव में शनि के फल
कन्या राशि नवम भाव में शनि की स्थिति व्यक्ति को भाग्य का सहयोग प्राप्त होने की संभावनाएं देती है. व्यक्ति अपने शत्रुओं पर विजय प्राप्त करने में सफल होता है. व्यक्ति को आय क्षेत्र में परेशानियां आ सकती है. पराक्रम को बनाये रखने से व्यक्ति अपने कार्यक्षेत्र की बाधाओं को दूर करने में सफल होता है. व्यक्ति के अपने छोटे भाई बहनों से संबन्ध मधुर न रहने की संभावनाएं बनती है.
दशम भाव में शनि के फल
यह योग व्यक्ति को व्यापार क्षेत्र में सहयोगी रहता है. उसे अपने कार्यक्षेत्र में भी अच्छी सफलता मिलने की संभावनाएं बनती है. मान-सम्मान प्राप्ति के लिये भी यह योग व्यक्ति के अनुकुल रहता है. व्यक्ति के व्यय अधिक हो सकते है. तथा उसे माता- भूमि का पूर्ण सुख न मिलें, इस प्रकार के संयोग भी बनते है. वैवाहिक जीवन में कुछ बाधाएं बनी रह सकती है.
एकादश भाव में शनि के फल
व्यक्ति का स्वास्थ्य ठीक रहता है. तथा व्यक्ति के आत्मबल में भी वृ्द्धि होती है. मान-सम्मान प्रपति की संम्भावनाएं बनती है. योग के कारण व्यक्ति के व्यय बढ सकते है. तथा व्यक्ति को धन संग्रह में अत्यधिक रुचि हो सकती है. शिक्षा क्षेत्र में सफलता मिलने की संभावनाएं बनती है. यह योग होने पर व्यक्ति को दुर्घटनाओं से बचने का प्रयास करना चाहिए. आयु में कमी हो सकती है.
द्वादश भाव में शनि के फल
शनि द्वादश भाव में धनु राशि में होने पर व्यक्ति को सरकारी कार्यो से कष्ट प्राप्त हो सकते है. संचय करनें में भी परेशानियां हो सकती है. शत्रु पर व्यक्ति अपना प्रभाव बनाये रखता है. यह योग सामान्यत: व्यक्ति के भाग्य में वृ्द्धि करता है.

धनु लग्न की कुंडली में शनि का प्रभाव

पराशर ऋषि के अनुसार ग्रह अपनी स्थिति, युति व दृष्टि के अनुसार फल देते है. इसके अतिरिक्त शुभ ग्रह केन्द्र भावों में व अशुभ ग्रह केन्द्र , त्रिकोण के अलावा अन्य भावों में शुभ फल देने वाले कहे गये है. कारक ग्रह अपने भाव को देखे तो भाव को बल प्राप्त होता है. भाव को भावेश देखे तब भी भाव बली होता है. ग्रह से शुभ ग्रह दृष्टि संबन्ध बनाये तो ग्रह की अशुभता में कमी व शुभता में वृ्द्धि होती है. इसके विपरीत ग्रह से कोई भी अशुभ ग्रह संबन्ध बनाये तो फल इसके विपरीत प्राप्त होते है.
ऋषि पराशर के इन नियमों को धनु लग्न की कुण्डली में लगाने का प्रयास करते है.
प्रथम भाव में शनि के फल
मकर लग्न में व्यक्ति का स्वास्थ्य मध्यम स्तर का रहने की संभावनाएं बनती है. व्यक्ति के मान-सम्मान और प्रतिष्ठा में बढोतरी के योग बनते है. योग के फलस्वरुप व्यक्ति के सुखों में बढोतरी होती है.
द्वितीय भाव में शनि के फल
यह योग व्यक्ति के पराक्रम में कमी कर सकता है. व्यक्ति को धन संचय करने में सफलता प्राप्त होती है. आय भी संतोषजनक होने की संभावनाएं बनती है. व्यक्ति को अपनी माता से संबन्धों को मधुर बनाये रखने का प्रयास करना चाहिए. कार्यक्षेत्र के कार्यो में आलस्य का भाव दिखाने से बचना चाहिए.
तृ्तीय भाव में शनि के फल
व्यक्ति को विदेश से लाभ प्राप्त हो सकते है. इस योग के कारण व्यक्ति के व्ययों में बढोतरी हो सकती है. परिश्रम करने से ही उन्नती की संम्भावनाएं बनती है. व्यक्ति को शिक्षा क्षेत्र में परेशानियों का सामना करना पड सकता है.
चतुर्थ भाव में शनि के फल
व्यक्ति को माता से मिलने वाले सुख में कमी हो सकती है. परिवार से भी कम सहयोग प्राप्ति के योग बनते है. यह योग व्यक्त के स्वास्थ्य में कमी कर सकता है. व्यक्ति को व्यापार में मध्यम स्तर की सफलता मिलने की संभावनाएं बनती है. व्यवसायिक क्षेत्र में मान-सम्मान व यश प्राप्त हो सकता है.
पंचम भाव में शनि के फल
शिक्षा भाव में बाधाओं के बाद भी व्यक्ति को सफलता प्राप्त होती है. आय का स्तर उतम रहता है. व्यक्ति को परिवारिक जनों के कारण कष्ट प्राप्त हो सकता है. संतान के सुख में भी कमी हो सकती है.
छठे भाव में शनि के फल
व्यक्ति को जीवन के अनेक क्षेत्रों में धोखे मिल सकते है. कोर्ट-कचहरी के मामलों में सफलता मिलने की संभावनाएं बनती है. व्यक्ति के व्यय अधिक हो सकते है. कार्यक्षेत्र में पुरुषार्थ को बनाये रखना लाभकारी रहता है.
सप्तम भाव में शनि के फल
व्यक्ति का परिवारिक जीवन सुखमय रहने की संभावनाएं बनती है. व्यापार से आय प्राप्त हो सकती है. भाग्य का सहयोग कुछ देर से प्राप्त होने के योग बनते है. स्वास्थ्य संबन्धी परेशानियां भी आ सकती है.
अष्टम भाव में शनि के फल
इस भाव में शनि व्यक्ति कि आयु में बढोतरी करता है. प्रतिदिन के कार्यो में दिक्कतें हो सकती है. शिक्षा क्षेत्र में रुकावटों का सामना करना पडता है. तथा कार्यक्षेत्र में हौसला बनाये रखने से उन्नती प्राप्त हो सकती है.
नवम भाव में शनि के फल
व्यक्ति को जीवन में संघर्ष की स्थिति का सामना करना पड सकता है. भाग्य का सहयोग मिलता है. पर व्यक्ति की धार्मिक आस्था में कमी रहने की संभावनाएं बनती है. आय मध्यम स्तर की होने की संभावनाएं बनती है.
दशम भाव में शनि के फल
योग के फलस्वरुप व्यक्ति को मान-सम्मान, पिता का सहयोग मिलने की संभावनाएं बनती है. व्यक्ति के व्यय भी अधिक रहते है. भूमि-भवन के विषयों में विवाद उत्पन्न हो सकते है.
एकादश भाव में शनि के फल
धनु लग्न के एकादश भाव में शनि होने पर व्यक्ति की आय में बढोतरी के योग बनते है. स्वास्थ्य के प्रभावित होने की भी संभावनाएं बनती है. परिवारिक जीवन में परेशानियां बनी रह सकती है.
द्वादश भाव में शनि के फल
व्यक्ति के व्यय अधिक हो सकते है. भाई -बहनों से पूर्ण सुख -सहयोग प्राप्त हो सकता है. व्यक्ति अपने शत्रुओं को पराजित करने में सफल होता है. तथा बुद्धि का कुश्लता से प्रयोग करने पर व्यक्ति की आय में बढोतरी होने के योग बनते है.

Astrology Sitare Hamare on 07 April 2017

Thursday, 6 April 2017

वृ्श्चिक लग्न कुण्डली में शनि का प्रभाव

शनि सभी ग्रहों में सबसे मन्द गति ग्रह है. इसलिये शनि के फल दीर्घकाल तक प्राप्त होते है. इसके अतिरिक्त व्यक्ति के जीवन में किसी भी घटना के घटित होने के लिये शनि के गोचर का विशेष विचार किया जाता है. यहीं कारण है कि शनि को काल कहा जाता है.
जन्म कुण्डली में शनि जिस भाव व जिस राशि में स्थित होता है. उसके अनुसार व्यक्ति को शनि के फल मिलने की संभावनाएं बनती है. शनि से मिलने वाले फलों को समझने के लियेस सबसे पहले जन्म कुण्डली में शनि के लग्नेश से संबन्धों को देखा जाता है. उसके पश्चात शनि किस भाव में स्थित है यह देखा जाता है. तथा अन्त में भाव की राशि, अन्य ग्रहों से शनि के संबन्ध का विचार किया जाता है.
वृ्श्चिक लग्न की कुण्डली में शनि 12 भावों में किस प्रकार के फल दे सकता है.
प्रथम भाव में शनि के फल
वृ्श्चिक लग्न कि कुण्डली में शनि लग्न भाव में हों, तो व्यक्ति के स्वभाव में उग्रता का भाव हो सकता है. इस योग का व्यक्ति स्वभाव से शान्त होता है. व्यक्ति का अपने शत्रुओं पर प्रभाव बना रहता है. उसके वैवाहिक जीवन में उतार-चढाव आने की संभावनाएं बनती है. व्यक्ति के अपने पिआ के साथ मतभेद हो सकते है. तथा सरकारी क्षेत्रों से परेशानियां हो सकती है. व्यापार के क्षेत्र में आरम्भ में असफलता परन्तु धैर्य से काम लेने से, बाद में सफलता मिलने की संभावनाएं बनती है.
द्वितीय भाव में शनि के फल
वृ्श्चिक लग्न के दूसरे भाव में धनु राशि होती है. इस भाव में शनि हो तो व्यक्ति को शेयर बाजार से लाभ प्राप्त हो सकता है. अन्य अचानक से भी धन लाभ होने के योग बनते है. इस योग के कारण व्यक्ति की आय मध्यम स्तर की हो सकती है. व्यक्ति योग्य, कुशल व श्रेष्ठ कार्यो को करने में रुचि लेता है.
उसे अपने परिजनों के कारण कष्टों का सामना करना पड सकता है. इस भाव से शनि अपनी तीसरी दृष्टि से माता के भाव में स्थित अपनी राशि से संम्बन्ध बनाने के कारण मातृ्भाव को बली कर रहा होता है. जिसके कारण व्यक्ति के मातृसुख में वृ्द्धि व सुख-सुविधाओं में भी बढोतरी होने की संभावनाएं बनती है.
तृ्तीय भाव में शनि के फल
व्यक्ति के पराक्रम में बढोतरी होती है. उसके शिक्षा क्षेत्र में बाधाएं आ सकती है. व्यापारिक क्षेत्र भी इसके कारण प्रभावित हो सकता है. व्यक्ति कठिनाईयों के साथ जीवन में आगे बढता है. यह योग व्यक्ति के भाग्य में कमी का कारण बन सकता है.
चतुर्थ भाव में शनि के फल
वृश्चिक लग्न के चतुर्थ भाव में शनि कुम्भ राशि में स्थित होता है. इस स्थिति में व्यक्ति को माता का पूर्ण सुख मिलने की संभावनाएं बनती है. भूमि-भवन के विषयों से भी लाभ प्राप्त हो सकते है. व्यक्ति का शत्रु बली हो सकते है. जिसके कारण व्यक्ति को हानि हो सकती है. व्यक्ति का स्वास्थ्य मध्यम स्तर का होता है. तथा आजिविका क्षेत्र में मेहनत से उन्नती प्राप्त हो सकती है.
पंचम भाव में शनि के फल
व्यक्ति को शिक्षा के लिये घर से दूर जाना पड सकता है. यह योग व्यक्ति को विदेश में शिक्षा प्राप्ति की संभावनाएं देता है. व्यक्ति को अपनी माता से कम सुख प्राप्त हो सकता है. स्वास्थ्य में कुछ कमी हो सकती है. तथा आय के स्तोत्र उतम रहने की संभावनाएं बनती है.
छठे भाव में शनि के फल
व्यक्ति के शत्रु अधिक शक्तिशाली होते है. इसलिये प्रतियोगियों से पराजय का सामना करना पड सकता है. रोग व ऋण संबन्धी विषय व्यक्ति को परेशान कर सकते है. धैर्य, हिम्मत व साहस को बनाये रखने से विजय व लाभ दोनों होने कि संभावनाएं बनती है.
सप्तम भाव में शनि के फल
भाई- बहनों के सुख में कमी, स्वास्थ्य मध्यम स्तर का होता है. धार्मिक कार्यो में रुचि कम होती है. जीवन साथी का सुख प्राप्त होता है. तथा व्यापार में भी लाभ प्राप्ति के संयोग बनते है. भाग्य का सहयोग प्राप्त होता है. व्यक्ति को शारीरिक मेहनत अधिक करनी पड सकती है. अधिक भाग-दौड के कारण स्वास्थ्य प्रभावित हो सकता है.
अष्टम भाव में शनि के फल
व्यक्ति को दीर्घकालानी रोग होने की संभावनाएं रहती है. इस योग के कारण व्यक्ति की आय में बढोतरी हो सकती है. व्यक्ति की आय उतम स्तर कि हो सकती है. शिक्षा में कमी हो सकती है. संतान का सुख मतभेदों के साथ प्राप्त होता है.
नवम भाव में शनि के फल
भाग्य की उन्नति होती है. पर भाग्य में उतार-चढाव बने रहते है. व्यक्ति अपने शत्रुओं को परेशान करने में सफल होता है. आय बाधित होकर प्राप्त होती है.
दशम भाव में शनि के फल
पिता के साथ मतभेद, सरकारी नियमों से कष्ट, व्यापार में परेशानियां, तथा आय में बढोतरी होती है.
एकादश भाव में शनि के फल
विधा के क्षेत्र में अडचनें, आयु में वृ्द्धि, आय उतम स्तर कि होती है. व्यक्ति को सभी प्रकार के सुख प्राप्त होने की संभावनाएं बनती है.
द्वादश भाव में शनि के फल
माता, भाई बहनों से कम सुख मिलने की संभावनाएं बनती है. आयु में बढोतरी होती है. ऎश्वर्यपूर्ण जीवन व्यतीत करने के अवसर प्राप्त हो सकते है.

तुला लग्न कुंडली में शनि का प्रभाव

किसी भी ग्रह के फलों का विचार करने के लिये ग्रह की स्थिति, युति व दृष्टि का विश्लेषण किया जाता है. ज्योतिष शास्त्र में सभी नौ ग्रहों के अपने गुण व विशेषताएं है. इसलिये ग्रह अपने गुण व विशेषताओं से भी प्रभावित होते है. जैसे:- गुरु को धन, ज्ञान व संतान का कारक ग्रह कहा जाता है. गुरु प्रभावित दशा अवधि में व्यक्ति को इन सभी कारक वस्तुओं की प्राप्ति की संभावनाएं बनती है. इसी प्रकार अन्य ग्रह भी अपने कारकतत्वों के अनुरुप फल देते है.
शनि को पापी व अशुभ ग्रह कहा जाता है. शनि तीसरे, छठे, दशम व एकादश भाव में शुभ फल देने वाले कहे गहे है. इसके अतिरिक्त पराशरी ज्योतिष का यह सामान्य सिद्धान्त है कि पापी ग्रह बली होकर शुभ भावों में हों, तो ओर भी अधिक कष्टकारी हो जाते है.
प्रथम भाव में शनि के फल
तुला लग्न, प्रथम भाव में शनि व्यक्ति के स्वास्थ्य को अनुकुल रखने में सहयोग करता है. इस योग की शुभता से व्यक्ति की शिक्षा में भी वृ्द्धि होने की संभावनाएं बनती है. उसे मान-सम्मान, यश, प्रतिष्ठा की प्राप्ति हो सकती है. परन्तु यह योग होने पर व्यक्ति को अपनी चारित्रिक विशेषताओं को बनाये रखने का प्रयास करना चाहिए. व्यक्ति को व्यापार क्षेत्र में कुछ परेशानियों का सामना करना पड सकता है.
द्वितीय भाव में शनि के फल
यह योग व्यक्ति को अपने जन्म स्थान से दूर रख सकता है. व्यक्ति स्वभाव से दूसरे के लिये त्याग करने वाला हो सकता है. योग के शुभ फलों प्राप्त करने के लिये व्यक्ति को अपनी माता के सम्मान में कमी नहीं करनी चाहिए. माता का सम्मान करने पर व्यक्ति के सुखों में वृ्द्धि होती है. मान -सम्मान, यश, प्रतिष्ठा दोनों की प्राप्ति होती है. व्यक्ति को कार्यक्षेत्र में अत्यन्त कठिनाईयों का सामना करना पड सकता है. विपरीत परिस्थितियों में धैर्य बनाये रखने से कार्यक्षेत्र की बाधाओं में कमी होने की संभावनाएं बनती है.
तृतीय भाव में शनि के फल
अत्यन्त मेहनत करने के बाद ही सफलता प्राप्ति हो सकती है. व्यक्ति के सभी के साथ कटुतापूर्ण व्यवहार हो सकता है. पर व्यक्ति ज्ञानी व विद्वान होता है. अपनी योग्यता का पूर्ण उपयोग करने से व्यक्ति के कष्टों में कमी हो सकती है.
चतुर्थ भाव में शनि के फल
शिक्षा पक्ष से यह योग व्यक्ति के लिये शुभ फल देने वाला होता है. व्यक्ति के संतान सुख में भी वृ्द्धि हो सकती है. पर उसके अपनी माता के साथ कुछ मतभेद हो सकते है. भूमि सम्बन्धी विवाद परेशान कर सकते है. इस योग का व्यक्ति अपने शत्रुओं पर अपना प्रभाव बनाये रखता है. स्वभाव में जिद्द व स्वतन्त्रता का भाव होने की संभावनाएं बनती है.
पंचम भाव में शनि के फल
तुला लग्न कि कुण्डली में शनि पंचम भाव में होने पर व्यक्ति के ज्ञान क्षमता में वृ्द्धि करता है. उसे छुपी हुई विधाओं को जानने में रुचि हो सकती है. माता का पूर्ण सुख प्राप्त होने की भी संभावनाएं बनती है. पर ये सभी शुभ फल व्यक्ति को प्रयास करने से ही प्राप्त होते है.
छठे भाव में शनि के फल
व्यक्ति को बाहरी स्थानों अर्थात विदेश स्थानों से लाभ प्राप्त हो सकते है. पर व्यक्ति के शत्रु अधिक शक्तिशाली होते है. इसलिये व्यक्ति को अपने शत्रुओं से हानि हो सकती है. व्ययों के अधिक होने के भी योग बनते है. आलस्य करना इस लग्न के व्यक्तियों के लिये लाभकारी नहीं रहता है. पुरुषार्थ करते रहने से उन्नती की रुकावटों में कमी होती है.
सप्तम भाव में शनि के फल
तुला लग्न के व्यक्ति की कुण्डली में जब शनि सप्तम भाव में हो, तो व्यक्ति के स्वास्थ्य सुख में वृ्द्धि होती है. व्यक्ति को शत्रु पक्ष के कार्यो से सावधान रहना चाहिए. यह योग व्यक्ति के व्यवसाय में अडचनें लेकर आ सकता है. व्यक्ति को अधिक परिश्रम करना पड सकता है. तथा मेहनत के अनुरुप सुख न मिलने की भी संभावनाएं बनती है.
अष्टम भाव में शनि के फल
व्यक्ति के जीवन का अधिकतर भाग संघर्ष में व्यतीत होता है. उसे अपने भाई-बहनों का प्यार कम मिलने की संभावनाएं बनती है. समय पर मित्रों व भाई-बहनों का सहयोग न मिलें यह भी हो सकता है. व्यक्ति को विधा के क्षेत्र में भी बाधाओं का सामना करना पड सकता है. पर व्यक्ति कि शिक्षा उतम व व्यक्ति विद्वान हो सकता है. यह योग होने पर व्यक्ति को जन्म स्थान से दूर रहने पर उन्नति प्राप्ति कि संभावनाएं बनती है. उसके अपने जीवन साथी से मतभेद हो सकते है. जीवन के अनेक क्षेत्रों में कठिनाईयों को झेलते हुए व्यक्ति सफलता की सीढियां चढता है. यह योग व्यक्ति के संतान सुख में भी वृ्द्धि करता है. इस योग के व्यक्ति के स्वभाव में स्वार्थ का भाव न होने की संभावनाएं बनती है. अर्थात व्यक्ति में दया व निस्वार्थ सेवा का भाव हो सकता है.
नवम भाव में शनि के फल
तुला लग्न की कुण्डली के नवम भाव में शनि होने पर व्यक्ति को अपने शत्रुओं से कष्टों का सामना करना पड सकता है. पर व्यक्ति अपनी बुद्धि के बल पर अपने शत्रुओं पर विजय प्राप्त करने में सफल हो सकता है. सफलता के लिये परिश्रम अधिक करना पड सकता है. व्यक्ति को संघर्ष के बाद सुख प्राप्त होने की सम्भावनाएं बनती है.
दशम भाव में शनि के फल
धन, मकान, माता-पिता आदि से अल्प सुख मिलने के योग बनते है. आय मध्यम स्तर की हो सकती है. व्ययों के अधिक होने की संभावनाएं बनती है. दांम्पत्य जीवन के लिये भी यह योग अनुकुल नहीं होता है. व्यक्ति की संतान होती है. पर मतभेद हो सकते है.
एकादश भाव में शनि के फल
कठिनाईयों के साथ आय की प्राप्ति, स्वास्थ्य ठीक रहता है. कार्यक्षेत्र में उन्नती का मार्ग रुकावटों से होकर जाता है. व्यक्ति कुछ स्वार्थी हो सकता है. यह योग व्यक्ति की चिन्ताओं में वृ्द्धि कर सकता है. तथा व्यक्ति को अपनी जिम्मेदारियों का अहसास कम होने कि संभावनाएं बनती है.
द्वादश भाव में शनि के फल
व्यक्ति की वाणी में जोश व तेज हो सकता है. व्यय अधिक हो सकते है. तथा आय में मन्द गति से वृ्द्धि होने की सम्भावनाएं बनती है. व्यक्ति को बौद्धिक कार्यो में सहयोग कम मिलने की संभावनाएं बनती है. योग के फल्स्वरुप व्यक्ति के जीवन के संघर्ष में वृ्द्धि होती है.

कन्या लग्न कुंडली में शनि का प्रभाव

प्रत्येक जन्म कुण्डली में 12 भाव होते है. जिन्हें कुण्डली के "घर" भी कहा जाता है. सभी कुण्डली में भाव स्थिर रहते है. पर इन भावों में स्थित राशियां लग्न के अनुसार बदलती रहती है. कुण्डली के प्रथम भाव को लग्न भाव कहते है. तथा इसी भाव से कुण्डली के अन्य भावों की राशियां निर्धारित होती है. लग्न भाव केन्द्र व त्रिकोण भाव दोनों का होता है. तथा कुण्डली का आरम्भ भी इसी भाव से होने के कारण यह भाव विशेष महत्व रखता है.
जब कुण्डली में किसी एक भाव, राशि में स्थित ग्रह से मिलने वाले फलों का विचार किया जाता है. तो सर्वप्रथम यह देखा जाता है कि ग्रह कुण्डली के किस भाव में स्थित है, उस भाव में कौन सी राशि है, तथा उस राशि स्वामी से ग्रह के किस प्रकार के संबन्ध है. इसके अतिरिक्त इस ग्रह से अन्य आठ ग्रहों से किसी भी ग्रह का कोई संबन्ध बन रहा है या नहीं. इन सभी बातों का विचार करने के बाद ही यह निर्धारित किया जाता है कि ग्रह से किस प्रकार के फल प्राप्त हो सकते है.
प्रथम भाव में शनि के फल
व्यक्ति का स्वास्थ्य प्राय: कमजोर हो सकता है. शिक्षा क्षेत्र के लिये शनि का कन्या लग्न में प्रथम भाव में होना उतम होता है. यह योग व्यक्ति के संतान सुख में वृ्द्धि कर सकता है. इस स्थिति में आलस्य में कमी करना व्यक्ति के लिये हितकारी होता है. व्यक्ति को कार्यक्षेत्र में संघर्ष और परिश्रम द्वारा उन्नति प्राप्त हो सकती है.
द्वितीय भाव में शनि के फल
जिस व्यक्ति कि कुण्डली में यह योग बन रहा हों, उस व्यक्ति के धन में बढोतरी हो सकती है. ऎसा व्यक्ति अपने परिवार व कुटुम्ब आदि विषयों में अधिक खर्च कर सकता है. यह योग व्यक्ति को जीवन के आजिविका के क्षेत्र में परेशानियों के बाद उन्नति प्राप्त होने की संभावनाएं देता है.
तृ्तीय भाव में शनि के फल
वृ्श्चिक राशि, तीसरे भाव में शनि अपने शत्रु मंगल की राशि में होता है. जिसके कारण शत्रुओं से हानि होने की संभावना बनती है. व्यक्ति को अपने भाई- बहनों से कम सुख प्राप्त होता है. ऎसे में व्यक्ति के मित्र भी समय पर सहयोग नहीं करते है. विधा क्षेत्र से व्यक्ति को अनुकुल फल प्राप्त होने की संभावनाएं बनती है. तथा व्यक्ति की विधा भी उतम हो सकती है. व्यक्ति के वैवाहिक जीवन में कुछ चिन्ताएं बनी रह सकती है. संतान पक्ष से सुख में कमी हो सकती है. इसके फलस्वरुप व्यक्ति के व्यय अधिक हो सकते है. तथा सामान्यत: व्यक्ति का जीवन संघर्षमय रहने की संभावनाएं बन सकती है.
चतुर्थ भाव में शनि के फल
माता के सुख में कमी हो सकती है. भूमि संबन्धी मामले होते है. व्यक्ति को व्यापार के क्षेत्र में अडचनें आ सकती है. व्यक्ति का स्वास्थ्य मध्यम स्तर का हो सकता है. मेहनत में बढोतरी कर व्यक्ति शनि के अशुभ फलों में कमी कर सकता है. परन्तु आलस्य करने पर व्यक्ति के जीवन में परेशानियां बढने कि संभावना रहती है. अपनी पूरी क्षमता से प्रयासरत रहने से व्यक्ति के सुखों में वृ्द्धि की संभावनाएं बन सकती है.
पंचम भाव में शनि के फल
इस भाव में शनि की स्थिति व्यक्ति को विधा के क्षेत्र में बाधाएं दे सकती है. यह योग व्यक्ति को गलत तरीकों से शिक्षा क्षेत्र में आगे बढने की प्रवृ्ति दे सकता है. इस स्थिति में व्यक्ति मेहनत के अतिरिक्त अन्य तरीकों से शिक्षा क्षेत्र में सफल होने का प्रयास कर सकता है. व्यक्ति धन संचय में सफल हो सकता है. पर व्यक्ति को मेहनत में कमी न करने से ही यह योग व्यक्ति को शुभ फल देता है.
छठे भाव में शनि के फल
छठे भाव में शनि कुम्भ राशि में हों तो व्यक्ति को दुर्घटनाओं से सावधान रहना चाहिए. शिक्षा के क्षेत्र में पूर्ण संघर्ष करना इस योग के व्यक्ति के लिये लाभकारी रहता है. व्यक्ति के शत्रु उसके लिये कष्ट का कारण बन सकते है. तथा धैर्य के साथ शत्रुओं का सामना करने से व्यक्ति को विजय प्राप्त होती है.
सप्तम भाव में शनि के फल
यह योग व्यक्ति को जन्म स्थान से दुर रहने पर उन्नति के योग बनते है. स्वास्थ्य मध्यम रहने की संभावनाएं बनती है. कार्यक्षेत्र में सफल होने के लिये व्यक्ति को मेहनत के साथ साथ बुद्धि का प्रयोग भी करना लाभकारी रहता है. उसे अपने जीवन साथी संबन्धी विषयों में चिन्ता हो सकती है. तथा व्यक्ति को भूमि संबन्धी मामलों में परेशानियां का सामना करना पड सकता है.
अष्टम भाव में शनि के फल
मेष राशि में शनि अष्टम भाव में हों तो व्यक्ति की शिक्षा में कमी हो सकती है. व्यक्ति के स्वभाव में चतुराई का भाव होने की संभावनाएं बन सकती है. व्यक्ति को असमय की घटनाओं का सामना करना पड सकता है. इस स्थिति में व्यक्ति को दुर्घटनाओं से बचके रहना चाहिए. धन व सुख-सुविधाओं के विषयों में व्यक्ति को कठोर परिश्रम करना पड सकता है.
नवम भाव में शनि के फल
व्यक्ति बौद्धिक कार्यो के कारण अपने भाग्य की उन्नती करने में सफल होता है. विवादों से बचने के प्रयास करना चाहिए. यह योग व्यक्ति को नीति निपुण बनाये रखने में सहायक होता है. योग के प्रभाव से व्यक्ति के स्वभाव में चतुराई के भाव में वृ्द्धि हो सकती है. तथा शनि के नवम भाव में होने पर व्यक्ति का व्यक्तित्व प्रभाव शाली बना रह सकता है. व्यक्ति के व्यय अधिक हो सकते है. साथ ही साथ आय भी अधिक होने कि संभावनाएं बनती है.
दशम भाव में शनि के फल
व्यक्ति के मान-सम्मान में बढोतरी होती है. व्ययों के बढने से आर्थिक चिन्ताएं परेशान कर सकती है. व्यक्ति के माता के सुख में कमी हो सकती है. जीवन साथी का स्वास्थ्य मध्यम हो सकता है. कठिन परिश्रम करने से व्यक्ति के कार्यों की बाधाओं में कमी हो सकती है.
एकादश भाव में शनि के फल
दुर्घटना होने के भय रहते है. व्यक्ति को शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है. जिसके फलस्वरुप उसके लाभों में बढोतरी हो सकती है. इस योग के व्यक्ति को अपने व्ययों पर नियन्त्रण रहता है. योग की शुभता से व्यक्ति के संतान सुख में वृ्द्धि होती है. स्वास्थ्य में कमी हो सकती है.
द्वादश भाव में शनि के फल
व्यक्ति को विदेशों से हानि होने की संभावनाएं बनती है. बुद्धि प्रयोग से व्यक्ति के भाग्य में वृ्द्धि होती है. धन वृ्द्धि के लिये भी यह योग अनुकुल रहता है. पर रोगो के उपचार में धन का व्यय अधिक हो सकता है.

कामदा एकदशी व्रत

कामदा एकदशी व्रत चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को कामदा एकादशी के नाम से जाना जाता है. वर्ष 2017 में 7 अप्रैल को यह व्रत किया जायेगा. यह एकादशी कामनाओं की पूर्ति को दर्शाती है. इस व्रत को करने से पापों का नाश होता है तथा साधक की इच्छा एवं कामना पूर्ण होती है. इस एकादशी के फलों के विषय में कहा जाता है, कि यह एकादशी व्यक्ति के पापों को समाप्त कर देती है. कामदा एकादशी के प्रभाव से पापों का शमन होता है और संतान की प्राप्ति होती है. इस व्रत को करने से परलोक में स्वर्ग की प्राप्ति होती है.
कामदा एकादशी पूजन
चैत्र शुक्ल पक्ष कि एकादशी तिथि में इस व्रत को करने से पहले कि रात्रि अर्थात दशमी तिथि से ही सात्विकता एवं शुद्धता का आचरण अपनाना चाहिए. भूमि पर ही शयन करना चाहिए. दशमी तिथि के दिन से ही व्रत के नियमों का पालन करना चाहिए. एकादशी व्रत करने के लिये व्यक्ति को प्रात: उठकर, अपने नित्य कर्म करने के उपरांत भगवान श्री विष्णु जी की पूजा करनी चाहिए इसके साथ ही सत्यनारायण कथा का पाठ करना चाहिए.
कामदा एकादशी व्रत विधि
हिन्दू धर्म ग्रन्थों के अनुसार कामदा एकादशी के दिन स्नानादि से शुद्ध होकर व्रत संकल्प लेना चाहिए। इसके पश्चात भगवान विष्णु का फल, फूल, दूध, पंचामृत, तिल आदि से पूजन करने की सलाह दी गई है। रात में सोना नहीं चाहिए बल्कि भजन- कीर्तन करते हुए रात बितानी चाहिए। अगले दिन यानि पारण के दिन पुनः पूजन कर ब्राह्मण को भोजन कराना चाहिए। दक्षिणा देकर ब्राह्मण को विदा करने के बाद भोजन ग्रहण कर उपवास खोलना चाहिए।
कामदा एकादशी पौराणिक कथा
कामदा एकादशी के संदर्भ में पौराणिक मतानुसार एक कथा है जिसमें पुण्डरीक नामक राजा था, उसकी भोगिनीपुर नाम कि नगरी थी. वहां पर अनेक अप्सरा, गंधर्व आदि वास करते थें. उसी जगह ललिता और ललित नाम के स्त्री-पुरुष अत्यन्त वैभवशाली घर में निवास करते थे. उन दोनों का एक-दूसरे से बहुत अधिक प्रेम था. एक समय राजा पुंडरिक गंधर्व सहित सभा में शोभायमान थे. उस जगह ललित गंधर्व भी उनके साथ गाना गा रहा था. उसकी प्रियतमा ललिता उस जगह पर नहीं थी. इससे ललित उसको याद करने लगा.ध्यान हटने से उसके गाने की लय टूट गई. यह देख कर राजा को क्रोध आ गया. ओर राजा पुंडरीक ने उसे श्राप दे दिया. मेरे सामने गाते हुए भी तू अपनी स्त्री का स्मरण कर रहा है. जा तू अभी से राक्षस हो जा, अपने कर्म के फल अब तू भोगेगा. राजा पुण्डरीक के श्राप से वह ललित गंधर्व उसी समय राक्षस हो गया, उसका मुख भयानक हो गया और अपने कर्म का फल वह भोगने लगा.अपने प्रियतम का जब ललिता ने यह हाल देख तो वह बहुत दु;खी हुई. अपने पति के उद्धार करने के लिये वह विन्धाजल पर्वत पर एक ऋषि के आश्रम जाती है और ऋषि से विनती करने लगी. उसके करूणा भरे विलाप से व्यथित हो ऋषि उसे कहते हैं कि हे कन्या शीघ्र ही चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी आने वाली है. उस एकादशी के व्रत का पालन करने से, तुम्हारे पति को इस श्राप से मुक्ति मिलेगी. मुनि की यह बात सुनकर, ललिता ने आनन्द पूर्वक उसका पालन किया. और द्वादशी के दिन ब्राह्मणों के सामने अपने व्रत का फल अपने पति को दे दिया, और भगवान से प्रार्थना करने लगी.
हे प्रभो, मैनें जो यह व्रत किया है, उसका फल मेरे पति को मिले, जिससे वह इस श्राप से मुक्त हों. एकादशी का फल प्राप्त होते ही, उसका पति राक्षस योनि से छुट गया. और अपने पुराने रुप में वापस आ गया. इस प्रकार इस वर को करने से व्यक्ति के समस्त पाप नष्ट हो जाते है तथा कामनाओं की सिद्धि होती है.

सिंह लग्न के कुंडली में शनि का प्रभाव

वैदिक ज्योतिष से किसी भी ग्रह से मिलने वाले फलों को जानने के लिये संबन्धित ग्रह की स्थिति का संपूर्ण विश्लेषण किया जाता है. सभी ग्रह कुछ निश्चित भावों में होने पर शुभ फल देते है तथा कुछ भावों में ग्रहों की स्थिति मध्यम स्तर के शुभ फल दे सकती है. तथा इसके अतिरिक्त कुण्डली के कुछ विशेष भावों में ग्रहों की स्थिति सर्वथा प्रतिकूल फल देने वाली कही गई है.
इसी प्रकार सभी ग्रह अपनी स्वराशि, मित्र राशि, उच्च राशि में हों तो शुभफल देने की क्षमता रखते है. सम राशि में होने पर मिले- जुले फल देते है. या वे शत्रु राशि, राशिगत, नीच राशि में हों, तो शुभ फल देने में असमर्थ होते है. अन्य अनेक कारणों से ग्रहों से मिलने वाले फल प्रभावित होते है.
प्रथम भाव में शनि के फल
सिंह लग्न के स्वामी सूर्य व शनि के मध्य शत्रुवत संबन्ध होने के कारण इस राशि में लग्न भाव में स्थित हों तो व्यक्ति को स्वास्थ्य संबन्धी परेशानियां हो सकती है. आजिविका के लिये यह योग सामान्य फल देता है. तथा शनि के प्रथम भाव में होने पर व्यक्ति के अपने जीवन साथी से अनुकुल संबन्ध न रहने की सम्भावनाएं बनती है. जिसके कारण व्यक्ति की मानसिक परेशानियों में वृ्द्धि हो सकती है.
द्वितीय भाव में शनि के फल
द्वितीय भाव, कन्या राशि में शनि होने पर व्यक्ति को भूमि- भवन के मामलों में कठिनाईयों को झेलना पड सकता है. उसके जीवन साथी के स्वास्थ्य में कमी हो सकती है. इस योग के प्रभाव से धन संबन्धी विषयों में सहयोग प्राप्त होगा. तथा धन के बढने की भी संभावनाएं बन सकती है. यह योग होने पर व्यक्ति को अपनी माता के साथ मधुर संबन्ध बनाये रखने का प्रयास करना चाहिए. आजिविका क्षेत्र में सामान्य से अधिक मेहनत करनी पड सकती है. तथा कार्यभार भी अधिक होने कि संभावनाएं बनती है.
तृ्तीय भाव में शनि के फल
इस योग के फलस्वरुप व्यक्ति के आय से अधिक व्यय हो सकते है. जिसके कारण व्यक्ति को संचय में परेशानियां हो सकती है. कार्यो में उसे अपने भाईयों का सहयोग मिलता है. व्यक्ति को पराक्रम व पुरुषार्थ से सफलता व उन्नति प्राप्त होने की संभावनाएं बनती है. तथा शिक्षा क्षेत्र के लिये यह योग शुभ फलकारी न होने के कारण व्यक्ति को इस क्षेत्र में बाधाएं दे सकता है. संतान से भी कष्ट प्राप्त हो सकते है.
चतुर्थ भाव में शनि के फल
सिंह लग्न के चतुर्थ भाव में शनि व्यक्ति को व्यापार व आजिविका क्षेत्र में अनुकुल फल देता है. पर इस योग के कारण व्यक्ति के स्वास्थ्य में कमी हो सकती है. भूमि या मकान संबन्धित मामलों के अपने पक्ष में फैसला होने की संभावनाएं बनती है. प्रयास करने से इन विषयों की योजनाओं को पूरा करने में सफलता मिलती है. आय के भी सामान्य रहने के योग बनते है.
पंचम भाव में शनि के फल
व्यक्ति को शिक्षा के क्षेत्र में सफलता मिलती है. शनि के प्रभाव के कारण संतान देर से प्राप्त हो सकती है. व्यक्ति को पिता का सुख कम मिलता है. कई अवसरों पर पिता से मिलने वाले सहयोग में भी कमी हो सकती है. व्यक्ति के अपने जीवन साथी से संबन्ध मधुर रहते है. आजिविका क्षेत्र में कई बार बद्लाव करना पड सकता है. बुद्धिमानी, चतुराई से व्यक्ति अपने संचय में वृ्द्धि करने में सफल हो सकता है.
छठे भाव में शनि के फल
दैनिक कार्यो में परेशानियां बनी रहती है. प्रतिदिन के व्ययों के लिये रोकड में कमी का कई बार सामना करना पड सकता है. व्यक्ति का अपने शत्रुओं पर प्रभाव बना रहता है. मेहनत से व्यक्ति को उन्नती की प्राप्ति होती है. पर इस योग के व्यक्ति को अपने छोटे- भाई- बहनों के सुख में कमी अनुभव हो सकती है.
सप्तम भाव में शनि के फल
माता-पिता से सुख -सहयोग कम मिलने की संभावनाएं बनती है. व्यक्ति को अपने जीवन साथी से कष्ट मिल सकते है. उसे अपने व्यापार में बाधाओं की स्थिति से गुजरना पड सकता है. योग के कारण व्यक्ति के भाग्य में भी मन्द गति से वृ्द्धि होती है. तथा जीवन में अधिक संघर्ष का सामना करना पड सकता है.
अष्टम भाव में शनि के फल
सिंह लग्न की कुण्डली के अष्टम भाव में शनि हों तो व्यक्ति को समय के साथ चलने का प्रयास करना चाहिए. अत्यधिक रुढिवादी होना उसके लिये सही नहीं होता है. यह योग व्यक्ति की आय को बाधित कर सकता है. इन बाधाओं को दूर करने के लिये व्यक्ति को अपनी मेहनत में वृ्द्धि करनी चाहिए.
नवम भाव में शनि के फल
यह योग व्यक्ति को जीवन में बार-बार बाधाएं व परेशानियां दे सकता है. भाग्य भाव में शनि व्यक्ति के स्वास्थ्य में मध्यम स्तर की कमी कर सकता है. उसके अपने जीवन साथी के साथ संबन्ध मधुर न रहने की संभावनाएं बनती है. लडाई -झगडें हो सकते है. आय के लिये शनि का यह योग प्रतिकूल नहीं रहता है.
दशम भाव में शनि के फल
यह योग व्यक्ति के अपने पिता से संबन्ध मधुर न रहने कि संभावनाएं देता है. सिंह लग्न कि कुण्डली में शनि जब दशम भाव में स्थित हों तो उसे कानूनी नियमों व करों का सख्ती से पालन करना चाहिए. व्यक्ति के व्यय अधिक हो सकते है. पुरुषार्थ व मेहनत में वृ्द्धि करने से वह कार्यक्षेत्र में सफलता प्राप्त कर सकता है. इसके फलस्वरुप व्यक्ति के दांम्पत्य जीवन में मिला-जुला प्रभाव बना रहता है. शनि के प्रभाव से उसके अपनी माता के सुख में कमी हो सकती है.
एकादश भाव में शनि के फल
व्यक्ति की आ में मन्द गति से मगर लम्बी अवधि तक वृ्द्धि होती है. उसके विवाहित जीवन में परेशानियां बनी रहती है. व्यवसाय में आरम्भ में हानि के बाद लाभ प्राप्त हो सकते है. नौकरी में होने पर व्यक्ति को पूर्ण प्रयास करने से लाभ प्राप्त हो सकते है.
द्वादश भाव में शनि के फल
व्यक्ति के परिवार से बाहर के लोगों के साथ संबन्ध मधुर न रहने के योग बनते है. व्यापार में अडचने मिलने की संभावनाएं बनती है. उसे धन-संचय में कठिनाईयों का सामना करना पड सकता है. परन्तु आय के क्षेत्र में लाभ प्राप्त होते है.

Tuesday, 4 April 2017

कर्क लग्न में शनि का प्रभाव

पराशरी ज्योतिष के सामान्य नियम के अनुसार ग्रहों के फल भाव, राशि व ग्रह पर अन्य ग्रहों की दृष्टि, युति व स्थिति से प्रभावित होते है. शनि तीसरे, छठे, दसवें व ग्यारहवें भाव में शुभ फल देते है. शनि आयु भाव अर्थात अष्टम भाव के कारक ग्रह है. इस भाव में शनि सामान्यता: अनुकुल फल देते है. शेष भावों में शनि के फलों को शुभ नहीं कहा गया है.
कर्क लग्न के लिये शनि सप्तमेश व अष्टमेश भाव के स्वामी होते है. विभिन्न भावों में प्रभाव
प्रथम भाव में शनि के फल
शनि कुण्डली के प्रथम भाव में होने पर व्यक्ति का स्वास्थ्य मध्यम रहने की संभावनाएं बनती है. भाई -बहनों के सुख में कमी हो सकती है. व्यक्ति की हिम्मत और साहस में वृ्द्धि होती है. व्यक्ति को अपने जीवन साथी से सुख प्राप्त होता है. पर वैवाहिक जीवन में कुछ रुकावटें बनी रह सकती है. व्यक्ति को आजिविका के क्षेत्र में बाधाएं आने की संभावनाएं बनती है. व्यक्ति के लाभों में बढोतरी होती है.
द्वितीय भाव में शनि के फल
इस योग के व्यक्ति को माता का पूर्ण सुख प्राप्त होने की संभावनाएं बनती है. जमीन व भूमि के विषयों से भी सुख प्राप्त होता है. पर व्यक्ति को अपने परिवार के सदस्यों से परेशानियां हो सकती है. ऎश्वर्य पूर्ण जीवन व्यतीत करने के अवसर प्राप्त हो सकते है. इसके कारण व्ययों की अधिकता व संचय में कमी हो सकती है. दांम्पत्य जीवन के सुख में कमी हो सकती है.
तृतीय भाव में शनि के फल
कर्क लग्न के व्यक्ति की कुण्डली में शनि तीसरे भाव में हों, उस व्यक्ति के स्वभाव में क्रोध का भाव हो सकता है. उसके पराक्रम में भी बढोतरी होने की सम्भावनाएं बनती है. भाई-बहनों से संबन्ध मधुर न रहने के योग बनते है. तथा समय पर उसे अपने मित्रों का सहयोग न मिलने की भी संभावनाएं बनती है.
शनि का तीसरे भाव में होना व्यक्ति की आर्थिक स्थिति को प्रभावित करता है. इसके फलस्वरुप उसके व्ययों में बढोतरी हो सकती है. बाहरी व्यक्तियों से संबन्ध मधुर न रहने के योग बनते है. उसके धन में कमी हो सकती है. व्यापारिक क्षेत्र में बाधाएं आ सकती है. तथा व्यक्ति का मन धार्मिक कार्यो में नहीं लगता है.
चतुर्थ भाव में शनि के फल
कर्क लग्न के व्यक्ति के चतुर्थ भाव में शनि व्यक्ति के अपनी माता के सुख में कमी करते है. उसके अपनी माता से विवाद पूर्ण संबन्ध हो सकते है. भूमि- भवन के मामलों में चिन्ताएं बढती है. परन्तु प्रयास करने से बाद में स्थिति सामान्य हो जाती है. इस योग के व्यक्ति के व्यापार में बाधाएं आने की संभावनाएं बनती है. इस स्थिति में व्यक्ति को अपने शत्रुओं से कष्ट प्राप्त हो सकते है. ऎसे में व्यक्ति अगर हिम्मत से काम लें तो शत्रुओं को परास्त करने में सफल होता है. उसका दांम्पत्य जीवन कलह पूर्ण हो सकता है. सरकारी नियमों का सख्ती से पालन करना उसके लिये हितकारी रहता है.
पंचम भाव में शनि के फल
कर्क लग्न के पंचम भाव में वृ्श्चिक राशि आती है. इस भाव में शनि व्यक्ति को प्रेम में असफलता दे सकते है. पंचम भाव क्योकि शिक्षा का भाव भी है. इसलिये शिक्षा में भी रुकावटें आने के योग बनते है. व्यक्ति अपने मनोबल को उच्च रखे तो वह उच्च शिक्षा प्राप्त कर सकता है. इस योग के व्यक्ति का जीवन साथी शिक्षित व चिंतन शील होने की संभावनाएं बनती है. व्यक्ति के धन संचय में कमी हो सकती है. आजिविका क्षेत्र थोडा सा प्रभावित होता है. पर आय सामान्य रहती है. यह योग व्यक्ति को सदैव चिन्तित रहने की संभावनाएं देता है.
छठे भाव में शनि के फल
कर्क लग्न, धनु राशि, छठे भाव में शनि व्यक्ति कि आजिविका को अनुकुल रखता है. इस योग के फलस्वरुप व्यक्ति के नौकरी करने की संभावनाएं बनती है. उसके अपने दांम्पत्य जीवन में मतभेद हो सकते है. विदेश स्थानों से लाभ प्राप्त हो सकते है. तथा व्ययों की अधिकता हो सकती है. इस योग का व्यक्ति अपने पुरुषार्थ तथा बुद्धि से लाभ प्राप्त करने में सफल होता है.
सप्तम भाव में शनि के फल
यह योग व्यक्ति के व्यापार को अच्छा बनाये रखने में सफल होता है. व्यक्ति को अपने ग्रहस्थ जीवन में सुख की कुछ कमी हो सकती है. धन में भी कमी हो सकती है. मेहनत व प्रयास में कमी न करना हितकारी रहता है.
अष्टम भाव में शनि के फल
इस भाव में शनि अपनी स्वराशि कुम्भ राशि में स्थित होने के कारण व्यक्ति की आयु में वृ्द्धि करता है. व्यक्ति के जीवन साथी के स्वास्थ्य में कमी हो सकती है. उसे भूमि संबन्धी विषयों में परेशानियां हो सकती है. पिता और सरकारी पक्ष से कष्ट प्राप्त हो सकते है. विधा व संतान विषयों में भी कठिनाईयां हो सकती है. इन से संबन्धित सुखों में कमी हो सकती है.
नवम भाव में शनि के फल
आमदनी के स्त्रोत ठीक रहते है. शत्रु पर प्रभाव बना रहता है. जीवन साथी का सुख प्राप्त होता है. व्यक्ति को व्यापार से लाभ प्राप्त हो सकता है. व्यक्ति का स्वास्थ्य मध्यम रहने की संभावनाएं बनती है. उसे अपने भाई- बहनों से कम सहयोग प्राप्त होता है. यह योग व्यक्ति के अपने छोटे भाई बहनों से संबन्ध मधुर न रहने की संभावनाएं देता है.
दशम भाव में शनि के फल
पिता का पूर्ण सहयोग प्राप्त नहीं होता है. सरकार की ओर से भी परेशानियां आ सकती है. व्यक्ति के ग्रहस्थ जीवन सुख में कमी हो सकती है. तथा उसके स्वयं के स्वास्थ्य में कमी की संभावनाएं बनती है. व्यवसायिक क्षेत्र से आमदनी अनुकुल प्राप्त होती है.
एकादश भाव में शनि के फल
स्वास्थ्य मध्यम रहता है. उसके शिक्षा क्षेत्र में रुकावटें आ सकती है. यह योग व्यक्ति की बुद्धिमता में वृ्द्धि करता है. व्यक्ति अपने परिश्रम व चतुराई से अपने आय में वृ्द्धि करने में सफल होता है.
द्वादश भाव में शनि के फल
आमदनी से खर्च अधिक होता है. हमेशा किसी न किसी समस्या में फंसे रहते है. जीवन साथी के सुख में कमी हो सकती है. परिवार के सदस्यों से सहयोग व सुख कम प्राप्त होने की सम्भावनाएं बनती है.