Wednesday, 6 May 2015

निरंतर बदलाव हेतु प्रयास - केतु की दषा -



निरंतर बदलाव हेतु प्रयास - केतु की दषा -

निरंतर चलायमान रहने अर्थात् किसी जातक को अपने जीवन में निरंतर उन्नति करने हेतु प्रेरित करने तथा बदलाव हेतु तैयार तथा प्रयासरत रहने हेतु जो ग्रह सबसे ज्यादा प्रभाव डालता है, उसमें एक महत्वपूर्ण ग्रह है केतु। ज्योतिष शास्त्र में राहु की ही भांति केतु भी एक छायाग्रह है तथा यह अग्नितत्व का प्रतिनिधित्व करता है। इसका स्वभाग मंगल ग्रह की तरह प्रबल और क्रूर माना जाता है। केतु ग्रह विषेषकर आध्यात्म, पराषक्ति, अनुसंधान, मानवीय इतिहास तथा इससे जुड़े सामाजिक संस्थाएॅ, अनाथाश्रम, धार्मिक शास्त्र आदि से संबंधित क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करता है। केतु ग्रह की उत्तम स्थिति या ग्रह दषाएॅ या अंतरदषाओं में जातक को उन्नति या बदलाव हेतु प्रेरित करता है। केतु की दषा में परिवर्तन हेतु प्रयास होता है। पराक्रम तथा साहस दिखाई देता है। राहु जहाॅ आलस्य तथा कल्पनाओं का संसार बनाता है वहीं पर केतु के प्रभाव से लगातार प्रयास तथा साहस से परिवर्तन या बेहतर स्थिति का प्रयास करने की मन-स्थिति बनती है। केतु की अनुकूल स्थिति जहाॅ जातक के जीवन में उन्नति तथा साकारात्मक प्रयास हेतु प्रेरित करता है वहीं पर यदि केतु प्रतिकूल स्थिति या नीच अथवा विपरीत प्रभाव में हो तो जातक के जीवन में गंभीर रोग, दुर्घटना के कारण हानि,सर्जरी, आक्रमण से नुकसान, मानसिक रोग, आध्यात्मिक हानि का कारण बनता है। केतु के शुभ प्रभाव में वृद्धि तथा अषुभ प्रभाव को कम करने हेतु केतु की शांति करानी चाहिए जिसमें विषेषकर गणपति भगवान की उपासना, पूजा, केतु के मंत्रों का जाप, दान तथा बटुक भैरव मंत्रों का जाप करना चाहिए जिससे केतु का शुभ प्रभाव दिखाई देगा तथा जीवन में निरंतर उन्नति बनेगी।




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नक्षत्रों का प्रभाव - आर्थिक संकट -



नक्षत्रों का प्रभाव - आर्थिक संकट -

वर्तमान दौर में प्रत्येक व्यक्ति को किसी ना किसी रूप में आर्थिक परेषानी तथा कमी का सामना करना पड़ता है। आज के आधुनिक दौर में सभी आवष्यक कार्यो जैसे दैनिक दैनिंदन कार्य, बच्चों की षिक्षा विवाह के लिए हो या मकान वाहन के लिए आर्थिक संकट हो सकता है। इन परिस्थितियों में कई बार कर्ज लेना जरूरी हो गया है। कई बार कुछ कर्ज आसानी से चुक जाते हैं तो कई कर्ज बोझ बढ़ाने का ही कार्य करते हैं। अतः यदि कर्ज लेते समय नक्षत्र, लग्न एवं राषि पर विचार करते हुए अपनी ग्रह दषाओं के अनुकूल या प्रतिकूल परिस्थितियों का निर्णय लेते हुए कर्ज लिया जाए तो बोझ ना होकर ऐष्वर्या तथा उन्नति बढ़ाने का साधन भी बन सकता है। अतः 27 नक्षत्रों में से 1.अष्विनी, 2.मृगषिरा, 3.पुनवर्सु, 5.चित्रा, 6.विषाखा, 8.अनुराधा, 9.श्रवण, 10.ज्येष्ठा, 11.धनिष्ठा, 12.षतभिषा, 13.रेवती ये नक्षत्र कर्ज हेतु उचित नक्षत्र हैं, जिनमें लिया गया कर्ज चुकाने में कठिनाई का सामना नहीं करना पड़ता वहीं पर हस्त, भरणी, पुष्य, स्वाति इत्यादि नक्षत्र कर्ज लेने हेतु प्रतिकूल फल देते हैं। उसी प्रकार चर लग्न में कर्जा लेना इसलिए उचित होता है क्योंकि इस लग्न में कर्ज आसानी से चुक जाता है किंतु इस लग्न में कर्ज देना उचित नहीं होता। वहीं पर द्विस्वभाव लग्न में लिया गया कर्ज चुकान के उपरांत भी चुका हुआ नहीं दिखता। स्थिर लग्न में लिया गया कर्ज चुकाने में बहुत कष्ट, विवाद की संभावना होती है अतः इन लग्नों में कर्ज लेने से बचना चाहिए। उसी प्रकार प्रत्येक व्यक्ति की कुंडली में अपनी राषि तथा ग्रह स्थिति को दृष्टिगत रखते हुए कर्ज लेना या देना चाहिए। अगर कोई ग्रह प्रतिकूल हैं उनकी स्थिति तथा दषाओं में कर्ज लेने से बचना ही तनाव से मुक्ति का सरल उपाय है।



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बच्चों में आक्रामकता - मंगल की शांति से पायें राहत -



बच्चों में आक्रामकता - मंगल की शांति से पायें राहत -

भारतीय वैदिक ज्योतिष में मंगल को मुख्य तौर पर ताकत और आक्रमण का कारक माना जाता है। मंगल के प्रबल प्रभाव वाले जातक आमतौर पर दबाव से ना डरने वाले तथा अपनी बात हर प्रकार से मनवाने में सफल रहते हैं। मंगल से मानसिक क्षमता, शारीरिक बल और साहस वाले कार्यक्षेत्र होते हैं। मंगल शुष्क और आग्नेय ग्रह है तथा मानव के शरीर में अग्नि तत्व का प्रतिनिधि करता है तथा रक्त एवं अस्थि का प्रतीक होता है। मंगल पुरूष राषि को प्रदर्षित करता है। मकर राषि में सर्वाधिक बलषाली तथा उच्च का होता है। मंगल के निम्न प्रकार से उच्च या अनुकूल होने पर बालक पर मंगल की आक्रामकता का पूर्ण प्रभाव दिखाई देता है। जिसके कारण बालक उर्जा से भरपूर तथा तेज होता है, जिससे तर्कषक्ति, विवाद तथा खेल में विषेष रूचि होती है। जिसके कारण उसमें आक्रामकता का ज्यादा प्रभाव होने से नियंत्रित तथा अनुषासित रख पाना कठिन होता है। यदि बच्चा अपने को बच्चा ना समझ बहकाव की दिषा में अग्रसर हो तो किसी विद्धान ज्योतिष से कुंडली में मंगल की स्थिति का विष्लेषण कराकर मंगलस्तोत्र का पाठ, तुला दान तथा मंगल की शांति कराना लाभकारी होता है। स्वअनुषासन में रखने हेतु बचपन से अपने बच्चे को हनुमान चालीसा का जाप करने की आदत डालना भी अच्छा होगा।



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शनि प्रभाव -दबंगता तथा आत्मनिर्भरता -



शनि प्रभाव -दबंगता तथा आत्मनिर्भरता -

सृष्टि के आरंभ से ही नर और नारी में परस्पर आकर्षण विद्यमान रहा है, जिसे प्राचीन काल में गंर्धव विवाह के रूप में मान्यता प्राप्त थी। आज के आधुनिक काल में इसे ही प्रेम विवाह का रूप माना जा सकता है। इस विवाह में वर-वधु की पारस्परिक सहमति के अतिरिक्त किसी की आज्ञा अपेक्षित नहीं होती। पुराणों में वणिर्त पुरूष और प्रकृति के प्रेम के साथ आज के युग में प्रचलित प्रेम विवाह देष और काल के निरंतर परिवर्तनषील परिस्थितियों में प्रेम और उससे उत्पन्न विवाह का स्वरूप सतत रूपांतरित होता रहा है किंतु एक सच्चाई है कि सामाजिकता का हवाला दिया जाकर विरोध के बावजूद आज भी यह परंपरा अपारंपरिक तौर पर मौजूद है। अतः इसका ज्योतिषीय कारण देखा जाना उचित प्रतीत होता है। जन्मांग में प्रेम विवाह संबंधी संभावनाओं का विष्लेषण करते समय सर्वप्रथम पंचमभाव पर दृष्टि डालनी चाहिए। पंचम भाव से किसी जातक के संकल्प-षक्ति, इच्छा, मैत्री, साहस, भावना ओर योजना-सामथ्र्य आदि का ज्ञान होता है। सप्तम भाव से विवाह, दाम्पत्य सुख, सहभागिता, संयोग आदि का विचार किया जाता है। अतः प्रेम विवाह हेतु पंचम एवं सप्तम स्थान के संयोग सूत्र अनिवार्य हैं। सप्ताधिपति एवं पंचमाधिपति की युति, दोनों में पारस्परिक संबंध या दृष्टि संबंध हेाना चाहिए। प्रेम विवाह समान जाति, भिन्न जाति अथवा भिन्न धर्म में होगा इसका विचार करने हेतु नवम भाव पर विचार किया जाना चाहिए। स्फुट रूप से एकादष और द्वितीय स्थान भी विचारणीय है, क्योंकि एकादष स्थान इच्छापूर्ति और द्वितीय भाव पारिवारिक सुख संतोष के अस्तित्व को प्रकट करता है। चंद्रमा मन का कारक ग्रह है। किसी व्यक्ति की कुंडली में इन स्थिति में शनि का प्रभाव या किसी भी स्थान पर शनि की उपस्थिति व्यक्ति को स्व-प्रेरणा से कार्य करने की आदत देता है यदि लग्न या पंचम या सप्तम तथा सप्तमेष पर शनि किसी भी प्रकार से प्रभाव डालें तो व्यक्ति अपनी पसंद के अनुसार रिष्ता स्वीकार करता है। जिनके जीवन में इस प्रकार के प्रभाव से विवाह में रूकावट या कष्ट हों उन्हें षिव-पावर्ती की पूजा सोमवार का व्रत करते हुए करना चाहिए तथा शंकर मंत्र का जाप करने से बाधा दूर होती है।






रिष्तों की मधुरता में बाधक अहंकार का टकराव- दूर करने के ज्योतिषीय उपाय -



रिष्तों की मधुरता में बाधक अहंकार का टकराव- दूर करने के ज्योतिषीय उपाय -

किसी व्यक्ति का व्यवहार मधुर होने के लिए उसका लग्नेष तथा तृतीयेष की बलवान और शुभ स्थान पर स्थिति होना चाहिए, जिससे पारस्परिक आनंद का कारण बनता है। किसी दो व्यक्ति का लग्नेष, तृतीयेष एवं सप्तमेष का जन्म कुंडली में शुभ भावों में युति या दृष्टि संबंध हो अथवा दोनों का एक दूसरे के नवांष में हों तो परस्पर प्रगाढ़ प्रेम होता है। इन पर किसी भी ग्रह की क्रूर दृष्टि का ना होना उनके रिष्तों में कभी भी मतभेद नहीं ला सकता है। लग्नेष, तृतीयेष एवं सप्तमेष एक दूसरे से 6, 8 या 12 भाव में हो तो परस्पर शत्रु भाव से रिष्तो में कटुता आती है तथा जीवन बाधित होता है। 6, 8 या 12 भाव के स्वामी होकर तृतीय या सप्तम भाव से संबंध स्थापित होने पर सुख में बाधा का कारण बनता है। इसके अलावा लग्नेष, तृृतीयेष या सप्तमेष का निर्बल होकर क्रूर स्थान या क्रूर ग्रहों के साथ होना भी मित्रवत् तथा मधुर रिष्तों में दुख तथा कष्ट का कारण बनता है। द्वितीय, पंचम, सप्तम, अष्टम या द्वादष भाव पर क्रूर ग्रह का होना भी मधुरता को कम करने का कारण बनता है। यदि किसी के जीवन में किसी विषेष रिष्तों में कटुता तथा कष्ट उत्पन्न हो रहा हो तो उसे अपने जीवन में मधुर तथा सामंजस्य लाने हेतु विधि पूर्वक नकुल मंत्र का जाप कराना चाहिए या स्वयं करना चाहिए। जिस प्रकार नकुल ने अहि का विच्छेद करके सत्य का रूप धारण किया उसी प्रकार अपने जीवन में मधुरता की कामना से नकुल मंत्र -‘‘ यथा नकुलो विच्छिद्य संदधात्यहिं पुनः। एवं कामस्य विच्छिन्नं स धेहि वो यादितिः।। का जाप दुर्गादेवी के षोडषोपचार पूजन के उपरांत विधिवत् संकल्प लेकर इस मंत्र का जाप करने से रिष्तों की समस्त विषमाताएॅ समाप्त होकर जीवन में सुख प्राप्त होता है।




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हाथ बताता है ओवर स्मार्ट हैं आप?

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हाथ बताता है ओवर स्मार्ट हैं आप?
गुरु पर्वत का क्षेत्र मस्तिष्क रेखा (मस्तिष्क रेखा के संबंध में लेख प्रकाशित किया जा चुका है) तक माना जाता है एवं मध्यमा (मीडिल फिंगल) एवं इंडेक्स फिंगर के मध्य तक गुरु पर्वत होता है।
गुरु पर्वत के प्रभाव
- यदि गुरु पर्वत सामान्य हो तो व्यक्ति महत्वकांशी, स्वाभिमानी, उत्साही और नेतृत्व करने की क्षमता रखने वाला होता है।
- यदि गुरु पर्वत अत्यधिक विकसित, उन्नत हो तो वह व्यक्ति अहंकारी और तानाशाही प्रवृत्ति वाला होता है। ऐसा व्यक्ति अपने सामने किसी और की कोई चलने नहीं देता।
- यदि गुरु पर्वत सामान्य से भी कम उन्नत है, धंसा हुआ है तो वह व्यक्ति बड़ों का अनादर करने वाला और धर्म से विमुख होता है।
- अच्छे और दोष रहित गुरु पर्वत वाले व्यक्ति अनुशासन प्रिय, नेतृत्व करने में सक्षम, भोजन के शौकिन, धार्मिक आस्था वाले और सभी को सम्मान देने वाले होते हैं।



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क्या आपका व्यक्तित्व संतुलित है जाने अपनी हाथों की उंगलियों से:

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क्या आपका व्यक्तित्व संतुलित है जाने अपनी हाथों की उंगलियों से:
जिन व्यक्तियों की उंगलियों के तीनों भाग बराबर होते हैं उनका व्यक्तित्व आमतौर पर संतुलित होता है। जब एक व्यक्ति की उंगलियों के ऊर्ध्व एवं मध्य भाग बराबर होते हैं तब उस व्यक्ति की संकल्प शक्ति एवं निर्णय लेने की क्षमता मे सामंजस्य होता है। यदि ऊर्ध्व भाग अन्य दो भागों से बड़ा होता है तो संकल्प शक्ति की कमी के कारण व्यक्ति अपनी इच्छाओं एवं आकांक्षओं की पूर्ति में कमी पाता है। संकल्प शक्ति की कमी के कारण सही निर्णय लेने की क्षमता भी प्रभावित होती है एवं व्यक्ति अपनी इच्छाओं तथा आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए सही निर्णय नहीं ले पाता है।
यदि उंगलियों का मध्य भाग अन्य दो भागों से अधिक लंबा है तो व्यक्ति की तार्किक क्षमता एवं बौद्धिक क्षमता प्रबल होती है। परंतु उस की संकल्प शक्ति एवं कार्य के प्रति एकाग्रता मे कमी कारण सफलता मिलने मे देरी हो सकती है। ऐसे व्यक्ति दूसरों की सफलता देखकर ईर्ष्या की भावना से भी ग्रस्त हो सकते हैं। क्योंकि बुद्दिमत्ता में अन्य व्यक्तियों से कम न होने पर भी वे उनके जीतने सफल नहीं होते हैं। परंतु इसका प्रमुख कारण यह है कि उन की संकल्प शक्ति एवं इच्छा शक्ति मे कमी है और इसे केवल मेहनत एवं कठिन परिश्रम से ही जीता जा सकता है।
यदि उंगलियों का निम्न भाग अन्य दो भागों से अधिक लंबा होता है तो आप विवेक पूर्ण एवं परिस्थिति के अनुसार निर्णय लेने में समर्थ हैं। ऐसे व्यक्ति भावुक प्रवृति के होते हैं। वे अपना समय, पैसा एवं सलाह जरूरतमंदों के लिए खर्च करने के लिए सदैव तत्पर रहते हैं। इसके लिए यदि उन्हे आलोचना भी सहनी पड़े तो वे उसके लिए तैयार रहते हैं।
हाथ की उंगलियों की स्थिति जिस व्यक्ति की पूर्ण रूप से व्यस्थित होती है वे व्यक्ति जीवन में बहुत सफल होते हैं। लंबी एवं पतली उंगलियों वाले व्यक्ति भावुक होते हैं जबकि मोटी उंगलियों वाले व्यक्ति मेहनती होते हैं। जिन व्यक्तियों की उंगलियां कोण के आकार की होती हैं वे अत्यधिक संवदेनशील होते हैं तथा अपनी वेषभूषा एवं सौन्दर्य का विशेष ध्यान रखते हैं। जिन व्यक्तियों की उंगलियां ऊपर से नुकीली होती हैं वे आध्यात्मिक प्रवृत्ति के होते हैं तथा इनकी कल्पना शक्ति अद्भुत होती है। स्वभाव से ये नम्र होते हैं।
जिन व्यक्तियों की उंगलिया ऊपर से चौकोर होती हैं वे व्यावहारिक, तर्कर्संगत एवं नम्र होते हैं। ये परम्पराओं एवं रूढि़वादिता में विश्वास रखते हैं। जिन की उंगलियां स्पैचुल के आकार की होती हैं वे व्यक्ति साहसी, यथार्थवादी एवं घूमने के शौकीन होते हैं। ये कार्य करने के शौकीन होते है एवं अनेक विषयों के ज्ञाता होते हैं। इस तरह के व्यक्ति वैज्ञानिक , इंजिनियर या कार्य कुशल तकनीशियन होते हैं।
जिन व्यक्तियों की उंगलियां सीधी होती हैं वे व्यक्ति ईमानदार, शालीन एवं न्यायसंगत होते हैं। जीवन में अच्छी तरक्की करते हैं। जिन व्यक्तियों की उंगलियां गांठदार होती हैं वे बहुत व्यावहारिक एवं अच्छे नियोजक होते है। वे स्पष्टवक्ता होते है। लंबी उंगलियों वाले व्यक्ति शिक्षा में रुचि रखते हैं एवं अच्छे विश्लेषक होते हैं।
जिस हाथ में उंगलियों की स्थिति अव्यवस्थित होती है विशेष तौर पर जब कनिस्ठिषक उंगली जो की बुध की उंगली के नाम से जानी जाती है बहुत छोटी होती है तब व्यक्ति में आत्मविश्वास की कमी पाई जाती है।
उंगलियों की आकृति धनुषाकार होने पर व्यक्ति का व्यक्तित्व संतुलित होता है तथा वह व्यक्ति बहुत विचारशील होता है।

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नेम एंड फेम दिलाने वाली रेखा



नेम एंड फेम दिलाने वाली रेखा
हस्तरेखा ज्योतिष के अनुसार हथेली में एक विशेष रेखा ऐसी बताई गई है जो बता देती है कि कोई व्यक्ति नेम एंड फेम प्राप्त करेगा या नहीं। यदि आप भी जानना चाहते हैं कि आपको प्रसिद्धि मिलेगी या नहीं तो यहां दी गई खबर से जानिए आपके भविष्य से जुड़ी खास बातें।
हाथों में दिखाई देने वाली रेखाएं हमारा भूत, भविष्य और वर्तमान बता देती हैं। हाथों की सभी रेखाओं का अलग-अलग महत्व होता है। हर रेखा अलग विषय की भविष्यवाणी करती है।
नेम एंड फेम दिलाने वाली रेखा रिंग फिंगर (अनामिका उंगली) के नीचे वाले हिस्से पर होती है। ये रेखा खड़ी अवस्था में दिखाई देती है। आमतौर पर ये रेखा सभी लोगों के हाथों में नहीं होती है। कई परिस्थितियों में ये रेखा होने के बाद भी व्यक्ति को पैसों की तंगी भी झेलना पड़ सकती है और प्रसिद्धि भी प्राप्त नहीं होती है।
हथेली में अनामिका उंगली (रिंग फिंगर) के ठीक नीचे वाले भाग सूर्य पर्वत पर सूर्य रेखा होती है। इस भाग पर जो रेखाएं खड़ी अवस्था में होती हैं, वे ही सूर्य रेखा कहलाती हैं। यदि किसी व्यक्ति के हाथ में ये रेखा दोष रहित हो तो व्यक्ति को जीवन में भरपूर मान-सम्मान और पैसा प्राप्त होता है।
सूर्य रेखा सूर्य पर्वत से हथेली के नीचले हिस्से मणिबंध या जीवन रेखा की ओर जाती है। सूर्य रेखा यदि अन्य रेखाओं से कटी हुई हो या टूटी हुई हो तो इसका शुभ प्रभाव समाप्त हो सकता है।
- हथेली में भाग्यरेखा से निकलकर सूर्य रेखा अनामिका उंगली की ओर जाती है तो यह भी शुभ प्रभाव दर्शाने वाली स्थिति होती है। इसके शुभ प्रभाव से व्यक्ति बहुत नाम और पैसा कमा सकता है।
- यदि किसी व्यक्ति के हाथ में मणिबंध से अनामिका उंगली तक सूर्य रेखा है तो यह बहुत शुभ स्थिति मानी जाती है। ऐसे लोग जीवन में बहुत कामयाब होते हैं और भरपूर धन लाभ प्राप्त करते हैं।सूर्य रेखा लहरदार हो तो
यदि किसी व्यक्ति के हाथ में सूर्य रेखा लहरदार होती है तो व्यक्ति किसी भी कार्य को एकाग्रता के साथ नहीं कर पाता है। यदि यह रेखा बीच में लहरदार हो और सूर्य पर्वत पर सीधी एवं सुंदर हो गई हो तो व्यक्ति किसी विशेष कार्य में उल्लेखनीय सफलता प्राप्त कर लेता है।
सूर्य रेखा पर क्रॉस का निशान हो तो
यदि सूर्य रेखा पर किसी क्रॉस का निशान हो तो व्यक्ति को जीवन में कई बार दुखों का सामना करना पड़ता है। ऐसे लोग कठिनाइयों के साथ कार्य को पूरा करते हैं और फिर भी इन्हें उचित प्रतिफल प्राप्त नहीं हो पाता है।इन लोगों को मिलता है मान-सम्मान और सुख-सुविधाएं
यदि किसी व्यक्ति के हाथों में जीवन रेखा से निकलकर सूर्य रेखा अनामिका उंगली की ओर जाती है तो यह रेखा व्यक्ति को भाग्यशाली बनाती है। ऐसे लोग जीवन में सभी सुख और सुविधाओं के साथ मान-सम्मान भी प्राप्त करते हैं।
सूर्य रेखा चंद्र पर्वत से निकली हो तो
यदि किसी व्यक्ति के हाथ में चंद्र पर्वत से निकलकर कोई रेखा सूर्य पर्वत की ओर जाती है तो यह भी सूर्य रेखा ही कहलाती है। चंद्र पर्वत हथेली में अंगूठे के ठीक दूसरी ओर अंतिम भाग को कहते हैं। यहां से रेखा निकलकर अनामिका उंगली की ओर जाती है तो व्यक्ति की कल्पना शक्ति बहुत तेज रहती है। इन लोगों की भाषा पर अच्छी पकड़ रहती है।जब सूर्य रेखा के साथ हों अन्य रेखाएं
यदि किसी व्यक्ति के हाथ में सूर्य के साथ ही एक या एक से अधिक खड़ी समानांतर रेखाएं चल रही हों तो ये रेखाएं सूर्य रेखा के शुभ प्रभावों को और अधिक बढ़ा देती हैं। इस प्रकार की रेखाओं के कारण व्यक्ति समाज में प्रसिद्ध होता है और धन-ऐश्वर्य प्राप्त करता है।
लंबी सूर्य रेखा से होता है ज्यादा लाभ
हथेली में सूर्य रेखा जितनी लंबी और स्पष्ट होती है, उतना अधिक लाभ देती है। यदि यह रेखा अन्य रेखाओं से कटी हुई हो या बीच-बीच में टूटी हुई हो तो इसके शुभ प्रभाव खत्म हो जाते हैं। लंबी, साफ एवं स्पष्ट सूर्य रेखा होने पर व्यक्ति बुद्धिमान होता है और घर-परिवार के साथ ही समाज में भी एक खास मुकाम हासिल करता है।जब सूर्य रेखा से निकलती हों शाखाएं
यदि किसी व्यक्ति की हथेली में सूर्य पर्वत (अनामिका की उंगली यानी रिंग फिंगर के ठीक नीचे वाला भाग सूर्य पर्वत कहलाता है।) पर पहुंचकर सूर्य रेखा की एक शाखा शनि पर्वत (मध्यमा उंगली के नीचे वाला भाग शनि पर्वत कहलाता है।) की ओर तथा एक शाखा बुध पर्वत (सबसे छोटी उंगली के ठीक नीचे वाला भाग बुध पर्वत होता है।) की ओर जाती हो तो ऐसा व्यक्ति बुद्धिमान, चतुर, गंभीर होता है। ऐसे लोग समाज में मान-सम्मान प्राप्त करते हैं और बहुत पैसा कमाते हैं।
ऐसे लोगों का जीवन होता है शाही
ऐसे लोग राजा-महाराजाओं के समान शाही जीवन व्यतीत करते हैं, जिनके हाथों में सूर्य रेखा बृहस्पति पर्वत (इंडेक्स फिंगर के नीचे वाला भाग बृहस्पति पर्वत कहलाता है।) तक जाती है। बृहस्पति पर्वत पर पहुंचकर सूर्य रेखा के अंत में यदि किसी तारे का निशान बना हो तो व्यक्ति किसी राज्य का बड़ा अधिकारी हो सकता है।
हथेली में सूर्य रेखा न हो तो
यदि किसी व्यक्ति के हाथ में सूर्य रेखा न हो तो इसका मतलब यह नहीं माना जा सकता है कि व्यक्ति जीवन में सफल नहीं होगा। सूर्य रेखा कुछ लोगों के हाथों में नहीं होती है। यह रेखा जीवन में व्यक्ति की सफलता को आसान बनाती है। सूर्य रेखा न होने पर व्यक्ति को परिश्रम अधिक करना पड़ सकता है, लेकिन व्यक्ति सफल भी हो सकता है। हथेली में सूर्य रेखा न हो और अन्य रेखाओं का प्रभाव शुभ हो तो व्यक्ति जीवन में उल्लेखनीय कार्य कर सकता है।सूर्य रेखा पर बिंदु का निशान हो तो
सूर्य रेखा पर बिंदु का निशान हो तो व्यक्ति को अशुभ प्रभाव प्राप्त होते हैं। ऐसी रेखा वाले इंसान की बदनामी होने का भय बना रहता है। यदि बिंदु एक से अधिक हों और अधिक गहरे हों तो यह स्थिति समाज में अपमानित होने का योग बनाती है। अत: ऐसी रेखा वाले इंसान को सावधानी पूर्वक कार्य करना चाहिए।
- यदि सूर्य रेखा से छोटी-छोटी शाखाएं निकल रही हों और वे ऊपर उंगलियों की ओर जा रही हो तो यह शुभ लक्षण होता है।
- यदि सूर्य रेखा से छोटी-छोटी शाखाएं निकलकर नीचे की ओर जा रही हो तो ये रेखाएं सूर्य रेखा को कमजोर करती हैं।सूर्य रेखा के दोष दूर करने के उपाय
- यदि किसी व्यक्ति के हाथ में सूर्य रेखा न हो तो उसे समाज में मान-सम्मान बड़ी कठिनाइयों से प्राप्त होता है। साथ ही पैसा कमाने में भी कड़ी मेहनत करना होती है।
- सूर्य रेखा का संबंध सूर्य देव से है। सूर्य मान-सम्मान का कारक ग्रह है। अत: सूर्य रेखा के दोषों को दूर करने के लिए सूर्य देव की आराधना करनी चाहिए।
- प्रतिदिन सूर्य को जल अर्पित करने से सूर्य रेखा के दोष दूर हो जाते हैं।
- अपने सामर्थ्य के अनुसार सूर्य देव के निमित्त गरीब लोगों को पीले रंग की वस्तुएं दान करनी चाहिए।
- शिवलिंग पर जल चढ़ाएं, इससे भी सूर्य संबंधी दोषों की शांति होती है।
हथेली की सभी रेखाओं का अलग-अलग महत्व होता है। एक रेखा के गुण, दूसरी रेखा के अवगुणों को समाप्त कर सकते हैं। अत: हथेली की स्थिति, बनावट और सभी रेखाओं का अध्ययन गहनता से किया जाना चाहिए। तभी सटीक भविष्यवाणी की जा सकती है।


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विभिन्न राशियों एवं ग्रहों का प्रतिनिधित्व करता है आपका हाथ

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विभिन्न राशियों एवं ग्रहों का प्रतिनिधित्व करता है आपका हाथ
जानिए कैसे ????
यदि हम अंगूठे को अलग कर दे तो चार उंगलियों के कुल बारह भाग होते हैं। ये बारह भाग बारह राशियों का प्रतिनिधित्व करते हैं। तर्जनी उंगली के ऊपरी भाग से गिनती आरंभ करने पर मेष राशि तर्जनी उंगली के प्रथम भाग , वृष राशि तर्जनी उंगली के मध्य भाग एवं मिथुन राशि तर्जनी उंगली के निम्न भाग पर आएगी। इसी प्रकार कर्क राशि मध्यमा के प्रथम भाग, सिंह राशि मध्य भाग एवं कन्या राशि निम्न भाग पर आएगी। अनामिका के प्रथम भाग पर तुला राशि, मध्य भाग पर वृश्चिक एवं अंतिम भाग पर धनु राशि होगी एवं कनिष्ठिका के प्रथम भाग पर मकर राशि, मध्य भाग पर कुम्भ एवं अंतिम भाग पर मीन राशि होगी।
इसी प्रकार हथेली मे सात पर्वत होते हैं। ये सात पर्वत सात ग्रहों का प्रतिनिधित्व करते हैं। हाथ का बढ़ा हुआ मास पिंड करतल पर पर्वत के स्वरूप को धारण करता है। करतल पर पूर्ण विकसित पर्वत व्यक्ति के उच्च चरित्र निर्माण मे सहायक होते हैं। अधोगत पर्वत व्यक्ति के उच्च गुणों को संकुचित करता है।


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हस्त रेखा में तर्जनी उंगली



हस्त रेखा में तर्जनी उंगली
जानिए अपने व्यक्तित्व के बारे में ...................
यह उंगली व्यक्ति की महत्वाकांक्षा, अहम एवं नेतृत्व की क्षमता को दर्शाती है। इस उंगली से व्यक्ति के भाग्य एवं कार्य क्षेत्र के बारे मे जानकारी मिलती है। तर्जनी उंगली की सामान्य लंबाई मध्यमा के ऊपरी भाग के मध्य तक होती है। यदि यह उंगली सामान्य से अधिक लंबी होती है तो व्यक्ति में नेतृत्व की क्षमता बहुत होती है। इसके विपरीत इसके छोटे होने पर व्यक्ति सामान्यत: दूसरों के मार्गदर्शन में ही कार्य करता है या वह अकेले की कार्य करना पसंद करता है तथा स्वयं का ही कुछ कार्य करता है। इस उंगली का लंबा होने पर व्यक्ति का गुरु प्रबल होता है।
यदि तर्जनी उंगली सामान्य से अधिक लंबी हो, तो व्यक्ति में लापरवाही और तानाशाही बढ़ जाती है। जब यह छोटी हो तो व्यक्ति में ये विशेषताएं लुप्त होती हैं। यदि यह उंगली विकृत है तो व्यक्ति चालाक, स्वार्थी और पाखंडी होता है।
जब तर्जनी उंगली का पहला खंड लंबा हो तो व्यक्ति राजनीति, धर्म, और शिक्षण क्षेत्रों में कुशल होते हैं। यदि उंगली का दूसरा खंड लंबा हो तो व्यक्ति व्यापारी होता है और उंगली का तीसरा खंड लंबा हो तो ऐसे व्यक्ति विभिन्न प्रकार के व्यंजन के शौकीन होते हैं।
गुरु पर्वत तर्जनी उंगली से नीचे होता है। पूर्ण विकसित गुरु पर्वत वाले व्यक्ति लोक नेतृत्व की आकांक्षा, नीति से पूर्ण एवं स्वाभिमानी होते हैं। ऐसे व्यक्ति शासन एवं नेतृत्व में कुशल होते हैं। विकसित गुरु पर्वत व्यक्ति को महत्वाकांक्षी बनाता है। यह लोग धन से अधिक अपने ओहदे को महत्व देते हैं। ऐसे लोग अच्छे सलाहकार होते हैं। यह लोग कानून के दायरे में रह कर कार्य करते हैं। ऐसे लोग अनेक तरह के व्यंजन खाने के शौकीन होते हैं और अपने परिवार से मोह करते हैं।
अधिक विकसित गुरु पर्वत व्यक्ति को अहंकारी, दिखावटी, क्रूर और इर्ष्यालु बनाता है। ऐसे लोग अधिक खर्चीले होते हैं।
यदि गुरु पर्वत अर्द्धविकसित हो तो व्यक्ति में गुरु संबंधित बुनियादी प्रवृत्ति विकसित नहीं होती है।


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अंगूठे में पर्व ज्ञान---



अंगूठे में पर्व ज्ञान---
अंगूठा हमारी पूरी हथेली का प्रतिनिधित्व करता है और यह इच्छा शक्ति एवं मन को बल प्रदान प्रदान करता है। हस्तरेखा शास्त्र यानी पामिस्ट्री में तो अंगूठे के हर पोर का विशेष महत्व है।
हस्तरेखीय ज्योतिष अंगूठे को ज्ञान का पिटारा कहता है जिसके हरेक पोर में व्यक्ति के विषय में काफी रहस्य छुपा होता है। इस पिटारे की एक मात्र चाभी है हस्त रेखा विज्ञान का सूक्ष्म ज्ञान अर्थात जिसने हस्तरेखा विज्ञान का सूक्ष्मता से अध्ययन किया है वह इस पर लगा ताला खोल सकता है। आप भी अगर हस्तरेखा विज्ञान को गहराई से समझने के इच्छुक हैं तो आपको भी अंगूठे पर दृष्टि जमानी होगी अन्यथा इस शास्त्र में आप कच्चे रह जाएंगे अर्थात "अंगूठा टेक" ही रह जाएंगे। अंगूठा हड्डियों के दो टुकड़ों से मिलकर बना है और अन्य उंगलियो की तरह इसके भी तीन पर्व यानी पोर हैं। इसके तीनों ही पर्व व्यक्ति के विषय में अलग अलग कहानी कहती है।
अंगूठे का पहला पर्व-
सामुद्रिक ज्योतिष के अनुसार जिस व्यक्ति के अंगूठे का पहला पर्व लम्बा होता है वह व्यक्ति आत्मविश्वास से भरा होता है और अपना जीवन पथ स्वयं बनता है। ये आत्मनिर्भरता में यकीन करते हैं और सजग रहते हैं। हथेली का पहला पर्व लम्बा हो यह तो अच्छा है लेकिन अगर यह बहुत अधिक लम्बा है तो यह समझ लीजिए कि व्यक्ति असामाजिक गतिविधियों को अंजाम देने वाला है, यह खतरनाक काम कर सकता है। दूसरी ओर जिस व्यक्ति के अंगूठे का पहला पर्व छोटा होता है वह दूसरों पर निर्भर रहते हैं और जिम्मेवारी भरा निर्णय नहीं ले पाते हैं। ये काम को गंभीरता से नहीं लेते हैं। पहला पर्व अगर चौड़ा है तो समझ लीजिए यह व्यक्ति मनमानी करने वाला अर्थात जिद्दी है। जिनका पहला पर्व लगभग समकोण जैसा दिखता हो उनके साथ होशियारी से पेश आने की जरूरत होती है क्योंकि ये काफी चालाक और तेज मस्तिष्क वाले होते हैं।
अंगूठे का दूसरा पर्व -
अंगूठे का दूसरा भाग लम्बा होना बताता है कि व्यक्ति चालाक और सजग है, यह व्यक्ति सामाजिक कार्यों एवं जनसेवा के कार्यों में सक्रिय रहने वाला है। दूसरा पूर्व जिनका छोटा होता है वे बिना आगे पीछे सोचे काम करने वाले होते हैं परिणाम की चिंता नहीं करते यही कारण है कि ये ऐसा काम कर बैठते हैं जो जोखिम और खतरों से भरा होता है। दूसरा पर्व अंगूठे का दबा हुआ है तो यह बताता है कि व्यक्ति गंभीर और संवेदशील है और इनकी मानसिक क्षमता अच्छी है।
अंगूठे का तीसरा पर्व-
अंगूठे का तीसरा पर्व वास्तव में शुक्र पर्वत का स्थान होता है जिसे व्यक्ति विश्लेषण के समय अंगूठे के तीसरे पर्व के रूप में लिया जाता है ,यह पर्व अगर अच्छी तरह उभरा हुआ है और गुलाबी आभा से दमक रहा है तो यह मानना चाहिए कि व्यक्ति प्यार और रोमांस में काफी सक्रिय है। इस स्थिति में व्यक्ति जीवन के कठिन समय को भी हंसते मुस्कुराते गुजराना जानता है। यह पर्व अगर सामान्य से अधिक उभरा हुआ है तो यह जानना चाहिए कि व्यक्ति में काम की भावना प्रबल है यह इसके लिए किसी भी सीमा तक जा सकता है। अंगूठे का तीसरा पर्व अगर सामन्य रूप से उभरा नहीं है और सपाट है तो यह कहना चाहिए कि व्यक्ति प्रेम और उत्साह से रहित है।


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उंगलियां तथा अंगूठा-



उंगलियां तथा अंगूठा-
हाथ में चार उंगलियां होती हैं तथा प्रत्येक उंगली किसी एक ग्रह का प्रतिनिधित्व करती है।
• तर्जनी उंगली - गुरु
• मध्यमा – शनि
• अनामिका - सूर्य
• कनिस्ठिका – बुध
तर्जनी उंगली
यह उंगली व्यक्ति की महत्वाकांक्षा, अहम एवं नेतृत्व की क्षमता को दर्शाती है। इस उंगली से व्यक्ति के भाग्य एवं कार्य क्षेत्र के बारे मे जानकारी मिलती है। तर्जनी उंगली की सामान्य लंबाई मध्यमा के ऊपरी भाग के मध्य तक होती है। यदि यह उंगली सामान्य से अधिक लंबी होती है तो व्यक्ति में नेतृत्व की क्षमता बहुत होती है। इसके विपरीत इसके छोटे होने पर व्यक्ति सामान्यत: दूसरों के मार्गदर्शन में ही कार्य करता है या वह अकेले की कार्य करना पसंद करता है तथा स्वयं का ही कुछ कार्य करता है। इस उंगली का लंबा होने पर व्यक्ति का गुरु प्रबल होता है।
यदि तर्जनी उंगली सामान्य से अधिक लंबी हो, तो व्यक्ति में लापरवाही और तानाशाही बढ़ जाती है। जब यह छोटी हो तो व्यक्ति में ये विशेषताएं लुप्त होती हैं। यदि यह उंगली विकृत है तो व्यक्ति चालाक, स्वार्थी और पाखंडी होता है। जब तर्जनी उंगली का पहला खंड लंबा हो तो व्यक्ति राजनीति, धर्म, और शिक्षण क्षेत्रों में कुशल होते हैं। यदि उंगली का दूसरा खंड लंबा हो तो व्यक्ति व्यापारी होता है और उंगली का तीसरा खंड लंबा हो तो ऐसे व्यक्ति विभिन्न प्रकार के व्यंजन के शौकीन होते हैं।
गुरु पर्वत तर्जनी उंगली से नीचे होता है। पूर्ण विकसित गुरु पर्वत वाले व्यक्ति लोक नेतृत्व की आकांक्षा, नीति से पूर्ण एवं स्वाभिमानी होते हैं। ऐसे व्यक्ति शासन एवं नेतृत्व में कुशल होते हैं। विकसित गुरु पर्वत व्यक्ति को महत्वाकांक्षी बनाता है। यह लोग धन से अधिक अपने ओहदे को महत्व देते हैं। ऐसे लोग अच्छे सलाहकार होते हैं। यह लोग कानून के दायरे में रह कर कार्य करते हैं। ऐसे लोग अनेक तरह के व्यंजन खाने के शौकीन होते हैं और अपने परिवार से मोह करते हैं। अधिक विकसित गुरु पर्वत व्यक्ति को अहंकारी, दिखावटी, क्रूर और इर्ष्यालु बनाता है। ऐसे लोग अधिक खर्चीले होते हैं। यदि गुरु पर्वत अर्द्धविकसित हो तो व्यक्ति में गुरु संबंधित बुनियादी प्रवृत्ति विकसित नहीं होती है।
मध्यमा उंगली
इस उंगली को शनि की उंगली भी कहा जाता है तथा यह व्यक्ति की सचाई, ईमानदारी एवं अनुशासन को दर्शाती है। यदि यह उंगली सामान्य लंबाई की होती है यानि अन्य उंगलियों से लंबी परंतु बहुत अधिक लंबी नहीं तो व्यक्ति जिम्मेदार एवं गंभीर व्यक्तित्व का धनी होता है एवं महत्वाकांक्षी होता है। यदि यह उंगली सामान्य से अधिक लंबी हो तो वह व्यक्ति अकेले में रहना पसंद करता है। तथा वह व्यक्ति किसी गलत कार्य मे भी फंस सकता है। जिस व्यक्ति कि मध्यमा उंगली छोटी होती है वह व्यक्ति लापरवाह एवं आलसी होता है।
यदि शनि की उंगली का प्रथम खंड लंबा हो तो व्यक्ति का झुकाव धार्मिक ग्रंथ और रहस्यवादी कला के अध्ययन की ओर होता है। यदि मध्यमा का द्वितीय खंड लंबा हो तो व्यक्ति का व्यवसाय संपत्ति संबंधी, रसायन, जीवाश्म ईंधन या लोहा मशीनरी से संबंधित होता है, जब तीसरा खंड लंबा हो तो दर्शाता है कि व्यक्ति चालाक, स्वार्थी और दुराचार में युक्त रहता है। शनि पर्वत मध्यमा उंगली से नीचे होता है। शनि पर्वत दार्शनिक विचारों को दर्शाता है। शनि पर्वत पूर्ण विकसित होने पर व्यक्ति ज्ञानी, गंभीर एवं विचार शील होता है। वह सोच-विचार कर कुछ कार्य आरंभ करता है एवं उसकी इंद्रियां उसके नियंत्रण में रहतीं हैं।
अनामिका
इस उंगली को अपोलो रिंग या सूर्य कि उंगली कहा जाता है। यह उंगली व्यक्ति की प्रसिद्धि की इच्छा, बुद्धिमत्ता एवं रचनात्मक क्षमता को दर्शाती है। यदि यह उंगली तर्जनी उंगली से अधिक लंबी हो तो यह उंगली सामान्य से अधिक लंबी होती है। इस प्रकार के व्यक्तियों मे जोखिम उठाने की अद्भुत क्षमता होती है। ये रचनात्मक क्षमता के धनी होते हैं। इनका संबंध फैशन या फिल्म क्षेत्र से भी हो सकता है। जिनकी अनामिका उंगली तर्जनी से छोटी होती है वे अपनी स्थिति से संतुष्ट होते हैं तथा उनमें अधिक नाम एवं प्रसिद्धि की इच्छा नहीं होती है। तर्जनी उंगली से छोटी अनामिका उंगली बहुत कम हाथों में पाई जाती है।
सूर्य पर्वत अनामिका उंगली के नीचे होता है। सूर्य पर्वत उन्नत हो तो सफलता का प्रतीक होता है। ऐसे व्यक्ति यश एवं प्रतिष्ठा से संतृप्त होते हैं। परिश्रम एवं कुशाग्र बुद्धि से जीवन मे सफलता प्राप्त करते हैं। ऐसे व्यक्ति भौतिक एवं व्यसायिक क्षेत्रों मे सफल होते हैं। वह धार्मिक होता है परंतु धर्मांध नहीं होता है। वह अपनी योग्यता एवं अयोग्यता को भली भांति जानता है। शीघ्र क्रोध करता है एवं शीघ्र ही शांत भी हो जाता है।
कनिष्ठिका
इस उंगली को बुध की उंगली कहा जाता है। इस उंगली के माध्यम से व्यक्ति की वाकपटुता, ज्ञान, बुद्धि एवं चातुर्य का पता चलता है। यदि इस उंगली की ऊंचाई अनामिका उंगली के प्रथम भाग का जहां अंत होता है वहां तक होती है तो इसकी लंबाई सामान्य है इससे छोटी होने पर यह सामान्य से छोटी मानी जाएगी। जिस व्यक्ति की कनिष्टिका सामान्य से छोटी होती है उनमें अभिव्यक्ति की क्षमता की कमी होती है तथा वे हीन भावना का शिकार होते हैं। उन्हें अपनी भावनाओं एवं शब्दों पर नियंत्रण नहीं होता है। उनके व्यवहार मे बचपना होता है तथा जब यह उंगली सामान्य से अधिक लंबी होती है तब व्यक्ति की अभिव्यक्ति की क्षमता अद्भुत होती है। उनका आई क्यू सामान्य से अधिक होता है तथा वे अच्छे लेखक एवं वक्ता साबित होते हैं। कनिष्ठिका उंगली का निचला भाग मोटा होने पर व्यक्ति विलासिता पूर्ण एवं आरामदायक जीवन जीना पसंद करता है।
बुध पर्वत कनिष्ठिका के नीचे होता है। बुध पर्वत पूर्ण उन्नत होने पर व्यक्ति प्रखर बुद्धि, गंभीर विचार, आकर्षक भाषण एवं लेखन शैली का धनी होता है। ऐसे व्यक्ति व्यवसाय एवं विज्ञान क्षेत्रों मे सफल होते हैं। ऐसा व्यक्ति प्रत्येक शक्तिशाली कार्य क्षेत्र मे विजयी होता है। नानाविध कार्य वह कुशलता पूर्वक सम्पन्न करता है।
हाथ का अंगूठा
हाथ का अंगूठा किसी व्यक्ति के व्यक्तित्व के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी देता है। हाथ का अंगूठा व्यक्ति की इच्छा शक्ति एवं जीवन शक्ति दर्शाता है। हाथ के अंगूठे के मुख्यतः दो भाग होते हैं। प्रथम भाग इच्छा शक्ति एवं द्वितीय भाग उस व्यक्ति की तर्क क्षमता दिखाता है। अंगूठे का द्वितीय भाग प्रथम भाग से बड़ा होना चाहिए क्योंकि कोई भी निर्णय तर्क से लिया जाना ही उचित होता है। हाथ का अंगूठा बिलकुल सीधा हो तो वह व्यक्ति कठोर एवं जिद्दी होता है। ऐसे व्यक्तियों पर विश्वास किया जा सकता है परंतु इनका स्वभाव जिद्दी होने से इनके अधिक मित्र नहीं बन सकते हैं। अत्यधिक लचीले अंगूठे वाले व्यक्ति खर्चीले होते हैं एवं इन पर आसानी से विश्वास नहीं किया जा सकता है। स्वभाव में लचीलापन होने से इनके बहुत मित्र होते हैं परंतु ये किसी ज़िम्मेदारी का कार्य अधिक कार्य कुशलता से करने में समर्थ नहीं होते हैं क्योंकि इन का किसी एक निर्णय पर डटा रहना बहुत कठिन होता है।
यदि हाथ का अंगूठा केवल 60 डिग्री का कोण खुलते समय बनाता है तो वह व्यक्ति समझदार एवं कार्यकुशल होता है। यदि 90 डिग्री का कोण बनाता है तो व्यक्ति अपने कार्य में जोखिम उठाने की क्षमता रखता है परंतु सदैव विवेकपूर्ण निर्णय लेता है। यदि हाथ का अंगूठा 90 डिग्री से 120 डिग्री तक खुलता है तो व्यक्ति बिना सोचे-समझे अत्यधिक जोखिम उठा सकता है। जिस व्यक्ति का अंगूठा कटि के आकार को होता है वह तर्क-वितर्क में निपुण होता है परंतु शारीरिक रूप से कुछ कमजोर हो सकता है। अंगूठे का अग्र भाग यदि कोनिकल हो तो व्यक्ति बुद्धिमान एवं रचनात्मक क्षमता से परिपूर्ण होता है। ऊपर से चौड़ा अंगूठा होने पर व्यक्ति जिद्दी होता है। अंगूठे का अग्र भाग यदि चौकोर हो तो व्यक्ति कानून का ज्ञाता होता है तथा वास्तविकता को ध्यान मे रख कर निर्णय लेता है।
यदि हम अंगूठे को अलग कर दे तो चार उंगलियों के कुल बारह भाग होते हैं। ये बारह भाग बारह राशियों का प्रतिनिधित्व करते हैं। तर्जनी उंगली के ऊपरी भाग से गिनती आरंभ करने पर मेष राशि तर्जनी उंगली के प्रथम भाग , वृष राशि तर्जनी उंगली के मध्य भाग एवं मिथुन राशि तर्जनी उंगली के निम्न भाग पर आएगी। इसी प्रकार कर्क राशि मध्यमा के प्रथम भाग, सिंह राशि मध्य भाग एवं कन्या राशि निम्न भाग पर आएगी। अनामिका के प्रथम भाग पर तुला राशि, मध्य भाग पर वृश्चिक एवं अंतिम भाग पर धनु राशि होगी एवं कनिष्ठिका के प्रथम भाग पर मकर राशि, मध्य भाग पर कुम्भ एवं अंतिम भाग पर मीन राशि होगी।


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हथेलियों की आकृति:



हथेलियों की आकृति:
इस दुनियां में जो व्यक्ति जन्म लेता है उनका भाग्य ईश्वर जन्म के साथ ही निर्धारित कर देता है। ईश्वर हर व्यक्ति के साथ उसकी जन्म कुण्डली स्वयं तैयार करके हाथों में थमा देता है। आपके हाथों में खींची आडी तीरछी रेखाएं और विभिन्न चिन्ह परमात्मा के लेख हैं जिसे विधि का लेख या भाग्य कहते हैं आपके हाथों में मौजूद चिन्ह आपके भाग्य के विषय में क्या कहता हैं आइये देखते हैं।
आप अपनी हथेलियों को गौर से देखिये आपको अपनी हथेली पर कई अलग अलग तरह की आकृति दिखाई देगी। आकृतियों में तारा, द्वीप, जाली, त्रिकोण, गुणा, वर्ग, धब्बा आपको नज़र आएंगे इसके अलावा छतरी आदि के चिन्ह भी आप अपनी हथेली पर देख सकते हैं। इन चिन्हों में से कुछ शुभ होते हैं तो कुछ अशुभ, हथेली में जिस स्थान पर ये चिन्ह होते हैं उसी के अनुरूप इन चिन्हों का फल हमें प्राप्त होता है।
तारा:
सबसे पहले हम तारा का जिक्र करते हैं। हथेली में इस चिन्ह को अत्यंत शुभ कहा गया है। किसी रेखा के अंतिम सिरे पर जब तारा होता है तब उस रेखा का पभाव काफी बढ़ जाता है। तारा हथेली के जिस पर्वत पर होता है उस पर्वत की शक्ति काफी बढ़ जाती है जिससे आपको उस पर्वत से सम्बन्धित फल में उत्तमता प्राप्त होती है। तारा जिस पर्वत पर होता है उसके अनुसार मिलने वाले फल की बात करें तो यह अगर बृइस्पति पर हो तो आप शक्तिशाली एवं प्रतिष्ठति होंगे व आपके मान सम्मान में इजाफा होगा।
तारा सूर्य पर्वत पर दिख रहा है तो इसका मतलब यह है कि आपके पास पैसा भी होगा और आप अच्छे पद एवं प्रभाव में होंगे फिर भी मन में खुशी की अनुभूति नहीं होगी। आपके हाथों तारा अगर चन्द्र पर्वत पर है तो आप लोकप्रियता एवं यश प्राप्त करेंगे हो सकता है कि इस स्थिति में आप कलाकर हो सकते हैं। मंगल पर्वत पर तारा होने से आपका भाग्य अच्छा रहेगा और आपके सामने एक से एक अवसर आते रहेंगे।
आप विज्ञान के क्षेत्र में कामयाबी प्राप्त कर सकते हें और इस क्षेत्र में एक के बाद एक सफलता हासिल कर सकते हैं। आप किसी से प्रेम करते हैं तो देखिये आपके शुक्र पर्वत पर तारा का निशान है या नहीं। अगर इस स्थान पर तारा का निशान है तो आप प्रेम में कामयाब रहेंगे। शनि पर्वत पर तारा का निशान होना इस बात का संकेत है कि आप जीवन में कामयाबी हासिल करेंगें, परंतु इसके लिए आपको काफी परेशानी व कठिनाईयों से गुजरना होगा।
द्वीप:
द्वीप चिन्ह को हस्तरेखीय ज्योतिष में दुर्भाग्यशाली चिन्ह माना जाता है। यह जिस पर्वत पर होता है उस पर विपरीत प्रभाव डालता है। गुरू पर्वत पर यह चिन्ह होने पर गुरू कमज़ोर हो जाता है जिससे आपके मान सम्मान की हानि होती है और आप जीवन में अपने उद्देश्य को प्राप्त करने में असफल होते हैं। द्वीप चिन्ह सूर्य पर्वत पर होने से सूर्य का प्रभाव क्षीण होता है फलत: आपकी कलात्मक क्षमता उभर नहीं पाती है। चन्द्र पर्वत पर इस चिन्ह के होने से आपकी कल्पना शक्ति प्रभावित होती है।
मंगल पर्वत पर द्वीप चिन्ह होने से आपके अंदर साहस एवं हिम्मत की कमी होती और बुध पर इस चिन्ह के होने से आपका मन अस्थिर होता है जिससे आप किसी भी काम को पूरा करने से पहले ही आपका मन उचट जाता है और आप काम में बीच में ही अधूरा छोड़ देते हैं। जिनके शुक्र पर्वत पर द्वीप के निशान होते हैं वे बहुत अधिक शौकीन होते हैं और सुन्दरता के प्रति दीवानगी रखते हैं। आपके शनि पर्वत पर यदि द्वीप बना हुआ है तो आपके जीवन में शनि का प्रकोप रहेगा यानी काफी मेहनत के बाद ही आपका कोई काम सफल होगा। आपका एक काम बनेगा तो दूसरी परेशानी सिर उठाए खड़ी रहेगी। द्वीप चिन्ह अगर हृदय रेखा पर साफ और उभरी नज़र आ रही है तो आप हृदय रोग से पीड़ित हो सकते हैं, इस स्थिति में आपको दिल का दौरा भी पड़ सकता है। यह चिन्ह का मस्तिष्क रेखा पर होने से आपको मानसिक परेशानियों का सामना करना होता है व आपके सिर में दर्द रहता है।
गुणा:
हस्त रेखा अध्ययन में इस चिन्ह को कई अर्थों में देखा जाता है क्योंकि यह चिन्ह कठिन, निराशा, दुर्घटना और जीवन में आने वाले बदलाव को दर्शाता है। इस चिन्ह को यूं तो शुभ नहीं माना जाता है परंतु कुछ स्थिति में यह लाभदायक भी होता है। यह चिन्ह जब बृहस्पति पर होता है तब आपकी रूचि गुप्त एवं रहस्यमयी विषयों में होती है। इस स्थिति में आप दर्शनशास्त्र में अभिरूचि लेते हैं इसी प्रकार जब यह निशान हथेली के मध्य होती है तब आप पूजा पाठ एवं अध्यात्म में रूचि लेते हैं आप अलसुलझे रहस्यो पर से पर्दा हटाने की कोशिश करते हैं अर्थात पराविज्ञान की ओर आकर्षित रहते हैं।
हस्त रेखा से भविष्य का आंकलन करने वाले कहते हैं गुणा का चिन्ह जब सूर्य पर्वत पर होता है तब आपको विभिन्न प्रकार की कठिनाईयों का सामना करना पड़ता है। इस स्थिति में आपकी आर्थिक दशा कमज़ोर रहती है आपके अंदर की कला का विकास सही से नहीं हो पाता है और न तो आपको प्रसिद्धि मिल पाती है। मंगल पर्वत पर बुध के नीचे अगर यह चिन्ह नज़र आ रहा है तो आपको अपने शत्रुओं से सावधान रहने की आवश्यकता है क्योंकि इस स्थिति में आपको अपने शत्रुओं से काफी खतरा रहता है। इसी प्रकार मंगल पर्वत पर यह चिन्ह बृहस्पति के नीचे दिखाई दे रहा तो यह भी शुभ संकेत नहीं है इस स्थति आपको संघर्ष से बच कर रहना चाहिए अन्यथा आपकी जान को खतरा रहता है। यह चिन्ह अगर शनि पार्वत पर हो और भाग्य रेखा को छू रहा हो तो यह समझना चाहिए कि दुर्घटना अथवा संघर्ष में जान का खतरा हो सकता है। शनि पर्वत के मध्य यह चिन्ह हो तब इसी तरह की घटना होने की संभावना और भी प्रबल हो जाती है। गुणा का चिन्ह जीवन रेखा पर होना जीवन के लिए घातक होता है, जीवन रेखा में जिस स्थान पर यह होता है उस स्थान पर प्राण को संकट रहता है। जीवन रेखा पर यह चिन्ह होने से आपके अपने करीबी रिश्तेदारों से अच्छे सम्बन्ध नहीं रहते हैं। शुक्र पर यह निशान एवं प्रेमी दोनों के लिए अच्छा नहीं माना जाता है।
त्रिकोण
आप श्रृंखला के पहले भाग में पढ़ चुके होंगे कि सभी चिन्ह शुभ नहीं होते हैं और न तो सभी अशुभ प्रभाव डालने वाले होते हैं। यहां हम जिस चिन्ह की बात कर रहे हैं वह चिन्ह हथेली में होना शुभता की निशानी होती है। इस चिन्ह को यानी त्रिकोण को श्रेष्ठ चिन्ह कहा गया है। हस्तरेखीय ज्योतिष के अनुसार अगर यह आपके हाथ में है तो आप भले ही आसमान को न छू पाएं परन्तु ज़मीन पर मजे में जीवन गुजार सकते हैं कहने का तात्पर्य यह है कि इस चिन्ह से बहुत बड़ी उपलब्धि तो नहीं मिलती है लेकिन यह बुरी स्थिति से भी बचाव करती है।
त्रिकोण चिन्ह साफ व स्पष्ट होने से आपकी सोचने समझने की क्षमता अच्छी रहती है व आपकी बुद्धि तेज चलती है। यह चिन्ह जिस स्थान पर होता है उस स्थान पर मौजूद ग्रह शक्तिशाली हो जाते हैं और आपको उस ग्रह से अनुकूलता प्राप्त होती है। यह चिन्ह जब अलग अलग पर्वत पर होता है तब कैसा फल मिलता है आइये अब इसे देखें। हस्तरेखीय ज्योतिष के अनुसार जब यह चिन्ह बृहस्पति पर होता है तब आपमें प्रबंधन की क्षमता बहुत ही अच्छी रहती है, आप किसी भी संस्था को सही तरह से चलाने में सक्षम होते हैं एवं जनसमुदाय को निर्देशित करने की योग्यता रखते हैं। त्रिकोण का चिन्ह अगर सर्य पर्वत पर हो तो आप गंभीर स्वभाव के होते हैं व कला के क्षेत्र में अपने प्रयास एवं लगन से धीरे धीरे सफलता एवं प्रसिद्धि हासिल करते हैं। आपकी हथेली मे चन्द्र पर्वत पर त्रिकोण का निशान होना इस बात का सूचक होता है कि आप आपकी कल्पना व आपकी सोच निराधार नहीं होती है। आप जो भी सोचते या कल्पना करते हैं उनका एक दृढ़ आधार होता है। त्रिकोण का चिन्ह मंगल पर्वत पर होने से आप संघर्ष की स्थिति से दूर रहते हैं अगर ऐसी स्थिति आ भी जाती है तो आप अपनी चतुराई एवं अक्लमंदी से स्थितियों को अपनी ओर कर लेते है, साथ ही आप कठिन घड़ी में भी अपने आप पर नियंत्रण बनाये रखने में सक्षम होते हें और संकट की स्थिति में सूझ बूझ भरा निर्णय लेते हैं।
आर्थिक दृष्टिकोण से यह माना जाता है कि यह चिन्ह जब बुध पर्वत पर होता है तब आप व्यापार, व्यवसाय एवं आर्थिक विषयों में सूझ बूझ भरा निर्णय लेते हैं और अपनी आर्थिक स्थिति को बेहतर बनाने में कामयाब होते हैं। शुक्र प्यार मुहब्बत का स्थान होता है, शुक्र पर्वत पर इस चिन्ह के होना प्रेम और प्रेमी दोनों के लिए ही शुभ माना जाता है। इस स्थान पर यह चिन्ह होने से आप अपने मन को काबू में रख पाने में सफल होते हैं अर्थात आपका अपने मन पर नियंत्रण होता है एवं आपमें सहनशीलता रहती है जो प्यार की कामयाबी के लिए आवश्यक कहा गया है। आप अपनी हथेली को गौर से देखिये कहीं यह चिन्ह शनि पर्वत पर तो नहीं है। अगर शनि पर्वत पर यह चिन्ह है तो आपके विषय में यही कहा जा सकता है कि यह आपको गुप्त विद्याओं की ओर आकर्षित करेगा आप तंत्र, मंत्र, यंत्र के पुजारी होंगे। आप लोगों को अपनी चमत्कारी विद्याओ से चकित करने की चाहत रखेंगे।
चक्र:
हस्त रेखीय ज्योतिष में चक्र के निशान को शुभ नहीं माना गया है। यह निशान जिस पर्वत पर होता है उस पर्वत से सम्बन्धित फल की हानि करता है, अगर यह किसी पर्वत पर स्थित होकर किसी रेखा को छूता है तो जिस रेखा को यह छूता है उसके शुभ प्रभाव की हानि हो जाती है। यह भी कहा गया है कि अगर यह रेखा चन्द्र पर्वत पर हो तब आपको जलक्षेत्र से सावधान रहना चाहिए क्योंकि इस स्थिति में आपको जल में डूबकर मरने की संभावना रहती है। सूर्य पर्वत इस सम्बन्ध में अपवाद माना गया है। अगर यह चिन्ह सूर्य पर्वत पर होता है तो इसे अशुभ नहीं माना जाता है क्योंकि इस स्थान पर यह सूर्य ग्रह से मिलने वाले फल की वृद्धि करता है और आपको सूर्य का शुभ प्रभाव दिलाता है।
वर्गाकार रेखा:
हथेली में वर्गाकार रेखा शुभ चिन्ह के रूप में जाता है। इस रेखा को रक्षा कवच के रूप में भी जाना जाता है क्योकि यह निशान आपको जीवन में आने वाली समस्याओं को सहने की ताकत देता है और आपके अंदर की क्षमता को बढ़ाता है जिससे आप आने वाली किसी भी कठिनाई से लड़कर अपने आपको सामान्य स्थिति मे ले आते हैं। हथेली में मौजूद अलग अलग पर्वत पर इस चिन्ह का प्रभाव भी अलग होता है जैसे अगर यह चिन्ह गुरू पर्वत पर हो तो आप महत्वाकांक्षी होते हैं आपके सपने आसमान की बुलंदियों को छूते हैं। सूर्य पर्वत पर यह निशान होने से आप लोकप्रियता और प्रसिद्धि प्राप्त करने के लिए अत्यंत उत्सुक होते हैं। आपकी हथेली में चन्द्र पर्वत पर अगर वर्ग का चिन्ह है तो आप बहुत अधिक कल्पनाशील होते हैं आप ख्वाबो व ख्यालों की दुनियां में खोये रहते हैं। मंगल पर्वत पर इस चिन्ह का होना इस बात का इशारा है कि आपको अपने शत्रुओं से सावधान रहना चाहिए अन्यथा शत्रु आपको परेशान कर सकते हैं। बुध पर्वत पर वर्गाकर निशान का होना मानसिक असंतुलन को दर्शाता है। इस स्थति के होने से आपका मन चचल रहता है, आप किसी एक विषय पर अपने मन को स्थिर नहीं कर पाते हैं।
शुक्र पर्वत पर यह चिन्ह उन स्थितियों में आपको बचाता है जब आप आवेग या जोश में आकर कोई कदम उठा लेते हैं और संकट में घिर जाते हैं। शनि पर्वत पर यह निशान शुभ नहीं माना जाता है। इस स्थान पर इस चिन्ह के होने से आपको जीवन में कई स्थानों पर आपको नुकसान या क्षति की स्थिति से गुजरना होता है।
जाल:
हथेली पर जालीनुमा निशान होना सामुद्रिक ज्योतिष की दृष्टि से शुभ नहीं है। यह निशान हथेली पर जहां भी होता है उस स्थान से सम्बन्धित फल को नष्ट कर देता है। यह निशान जिस पर्वत पर होता है उस पर्वत की गुणवत्ता कम हो जाती है। इस निशान के होने से आपको जीवन में काफी कठिनाईयों का सामना करना पड़ता है, अगर आपके हाथों में भी यह निशान है तो समझ लिये आपको कठिनायों पर विजय हासिल करने के लिए काफी कठिनाईयों का सामना करना होगा। हस्त रेखा विज्ञान में ऐसा माना जाता है कि अगर यह निशान अपोलो पर्वत पर हो तो आपको सफलता का स्वाद मुश्किल से मिलता है।
हथेली के विभिन्न पर्वत पर इस निशान का क्या प्रभाव होता है आइये इसे देखते हैं। अगर यह निशान गुरू पर्वत पर हो तो यह आपको घमंडी, अपने आपको बढ़ा चढ़ा कर दिखाने वाला और अहमवादी बनाता है। सूर्य पर्वत पर चिन्ह का होना बताता है कि आप झूठी प्रतिष्ठा के लिए दिखावा करते और आज्ञानियों वाला काम कर जाते हैं। चन्द्र पर्वत पर जालीनुमा निशान बताता है कि आप अंदर से व्याकुल, अस्थिर और वेचैन रहते हैं। अगर आप प्यार में दिवानगी की हद पार कर जाते हैं तो संभव है कि आपकी हथेली के शुक्र पर्वत पर जालीनुमा निशान मौजूद हो, क्योंकि इस स्थान पर जाली का होना यही बताता है। शनि पर्वत पर यह निशान आपको शारीरिक रूप से अस्वस्थ एवं कमज़ोर बनाता है साथ ही यह आपको दुखी रखता है।



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उंगलियां, अंगूठा तथा पर्वत-



उंगलियां, अंगूठा तथा पर्वत-
हाथ में चार उंगलियां होती हैं तथा प्रत्येक उंगली किसी एक ग्रह का प्रतिनिधित्व करती है।
• तर्जनी उंगली - गुरु
• मध्यमा – शनि
• अनामिका - सूर्य
• कनिस्ठिका – बुध
तर्जनी उंगली
यह उंगली व्यक्ति की महत्वाकांक्षा, अहम एवं नेतृत्व की क्षमता को दर्शाती है। इस उंगली से व्यक्ति के भाग्य एवं कार्य क्षेत्र के बारे मे जानकारी मिलती है। तर्जनी उंगली की सामान्य लंबाई मध्यमा के ऊपरी भाग के मध्य तक होती है। यदि यह उंगली सामान्य से अधिक लंबी होती है तो व्यक्ति में नेतृत्व की क्षमता बहुत होती है। इसके विपरीत इसके छोटे होने पर व्यक्ति सामान्यत: दूसरों के मार्गदर्शन में ही कार्य करता है या वह अकेले की कार्य करना पसंद करता है तथा स्वयं का ही कुछ कार्य करता है। इस उंगली का लंबा होने पर व्यक्ति का गुरु प्रबल होता है।
यदि तर्जनी उंगली सामान्य से अधिक लंबी हो, तो व्यक्ति में लापरवाही और तानाशाही बढ़ जाती है। जब यह छोटी हो तो व्यक्ति में ये विशेषताएं लुप्त होती हैं। यदि यह उंगली विकृत है तो व्यक्ति चालाक, स्वार्थी और पाखंडी होता है।
जब तर्जनी उंगली का पहला खंड लंबा हो तो व्यक्ति राजनीति, धर्म, और शिक्षण क्षेत्रों में कुशल होते हैं। यदि उंगली का दूसरा खंड लंबा हो तो व्यक्ति व्यापारी होता है और उंगली का तीसरा खंड लंबा हो तो ऐसे व्यक्ति विभिन्न प्रकार के व्यंजन के शौकीन होते हैं।
गुरु पर्वत तर्जनी उंगली से नीचे होता है। पूर्ण विकसित गुरु पर्वत वाले व्यक्ति लोक नेतृत्व की आकांक्षा, नीति से पूर्ण एवं स्वाभिमानी होते हैं। ऐसे व्यक्ति शासन एवं नेतृत्व में कुशल होते हैं। विकसित गुरु पर्वत व्यक्ति को महत्वाकांक्षी बनाता है। यह लोग धन से अधिक अपने ओहदे को महत्व देते हैं। ऐसे लोग अच्छे सलाहकार होते हैं। यह लोग कानून के दायरे में रह कर कार्य करते हैं। ऐसे लोग अनेक तरह के व्यंजन खाने के शौकीन होते हैं और अपने परिवार से मोह करते हैं।
अधिक विकसित गुरु पर्वत व्यक्ति को अहंकारी, दिखावटी, क्रूर और इर्ष्यालु बनाता है। ऐसे लोग अधिक खर्चीले होते हैं।
यदि गुरु पर्वत अर्द्धविकसित हो तो व्यक्ति में गुरु संबंधित बुनियादी प्रवृत्ति विकसित नहीं होती है।
मध्यमा उंगली
इस उंगली को शनि की उंगली भी कहा जाता है तथा यह व्यक्ति की सचाई, ईमानदारी एवं अनुशासन को दर्शाती है। यदि यह उंगली सामान्य लंबाई की होती है यानि अन्य उंगलियों से लंबी परंतु बहुत अधिक लंबी नहीं तो व्यक्ति जिम्मेदार एवं गंभीर व्यक्तित्व का धनी होता है एवं महत्वाकांक्षी होता है। यदि यह उंगली सामान्य से अधिक लंबी हो तो वह व्यक्ति अकेले में रहना पसंद करता है। तथा वह व्यक्ति किसी गलत कार्य मे भी फंस सकता है। जिस व्यक्ति कि मध्यमा उंगली छोटी होती है वह व्यक्ति लापरवाह एवं आलसी होता है।
यदि शनि की उंगली का प्रथम खंड लंबा हो तो व्यक्ति का झुकाव धार्मिक ग्रंथ और रहस्यवादी कला के अध्ययन की ओर होता है। यदि मध्यमा का द्वितीय खंड लंबा हो तो व्यक्ति का व्यवसाय संपत्ति संबंधी, रसायन, जीवाश्म ईंधन या लोहा मशीनरी से संबंधित होता है, जब तीसरा खंड लंबा हो तो दर्शाता है कि व्यक्ति चालाक, स्वार्थी और दुराचार में युक्त रहता है।
शनि पर्वत मध्यमा उंगली से नीचे होता है। शनि पर्वत दार्शनिक विचारों को दर्शाता है। शनि पर्वत पूर्ण विकसित होने पर व्यक्ति ज्ञानी, गंभीर एवं विचार शील होता है। वह सोच-विचार कर कुछ कार्य आरंभ करता है एवं उसकी इंद्रियां उसके नियंत्रण में रहतीं हैं।
अनामिका
इस उंगली को अपोलो रिंग या सूर्य कि उंगली कहा जाता है। यह उंगली व्यक्ति की प्रसिद्धि की इच्छा, बुद्धिमत्ता एवं रचनात्मक क्षमता को दर्शाती है। यदि यह उंगली तर्जनी उंगली से अधिक लंबी हो तो यह उंगली सामान्य से अधिक लंबी होती है। इस प्रकार के व्यक्तियों मे जोखिम उठाने की अद्भुत क्षमता होती है। ये रचनात्मक क्षमता के धनी होते हैं। इनका संबंध फैशन या फिल्म क्षेत्र से भी हो सकता है। जिनकी अनामिका उंगली तर्जनी से छोटी होती है वे अपनी स्थिति से संतुष्ट होते हैं तथा उनमें अधिक नाम एवं प्रसिद्धि की इच्छा नहीं होती है। तर्जनी उंगली से छोटी अनामिका उंगली बहुत कम हाथों में पाई जाती है।
सूर्य पर्वत अनामिका उंगली के नीचे होता है। सूर्य पर्वत उन्नत हो तो सफलता का प्रतीक होता है। ऐसे व्यक्ति यश एवं प्रतिष्ठा से संतृप्त होते हैं। परिश्रम एवं कुशाग्र बुद्धि से जीवन मे सफलता प्राप्त करते हैं। ऐसे व्यक्ति भौतिक एवं व्यसायिक क्षेत्रों मे सफल होते हैं। वह धार्मिक होता है परंतु धर्मांध नहीं होता है। वह अपनी योग्यता एवं अयोग्यता को भली भांति जानता है। शीघ्र क्रोध करता है एवं शीघ्र ही शांत भी हो जाता है।
कनिष्ठिका
इस उंगली को बुध की उंगली कहा जाता है। इस उंगली के माध्यम से व्यक्ति की वाकपटुता, ज्ञान, बुद्धि एवं चातुर्य का पता चलता है। यदि इस उंगली की ऊंचाई अनामिका उंगली के प्रथम भाग का जहां अंत होता है वहां तक होती है तो इसकी लंबाई सामान्य है इससे छोटी होने पर यह सामान्य से छोटी मानी जाएगी। जिस व्यक्ति की कनिष्टिका सामान्य से छोटी होती है उनमें अभिव्यक्ति की क्षमता की कमी होती है तथा वे हीन भावना का शिकार होते हैं। उन्हें अपनी भावनाओं एवं शब्दों पर नियंत्रण नहीं होता है। उनके व्यवहार मे बचपना होता है तथा जब यह उंगली सामान्य से अधिक लंबी होती है तब व्यक्ति की अभिव्यक्ति की क्षमता अद्भुत होती है। उनका आई क्यू सामान्य से अधिक होता है तथा वे अच्छे लेखक एवं वक्ता साबित होते हैं। कनिष्ठिका उंगली का निचला भाग मोटा होने पर व्यक्ति विलासिता पूर्ण एवं आरामदायक जीवन जीना पसंद करता है।
बुध पर्वत कनिष्ठिका के नीचे होता है। बुध पर्वत पूर्ण उन्नत होने पर व्यक्ति प्रखर बुद्धि, गंभीर विचार, आकर्षक भाषण एवं लेखन शैली का धनी होता है। ऐसे व्यक्ति व्यवसाय एवं विज्ञान क्षेत्रों मे सफल होते हैं। ऐसा व्यक्ति प्रत्येक शक्तिशाली कार्य क्षेत्र मे विजयी होता है। नानाविध कार्य वह कुशलता पूर्वक सम्पन्न करता है।
हाथ का अंगूठा
हाथ का अंगूठा किसी व्यक्ति के व्यक्तित्व के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी देता है। हाथ का अंगूठा व्यक्ति की इच्छा शक्ति एवं जीवन शक्ति दर्शाता है। हाथ के अंगूठे के मुख्यतः दो भाग होते हैं। प्रथम भाग इच्छा शक्ति एवं द्वितीय भाग उस व्यक्ति की तर्क क्षमता दिखाता है। अंगूठे का द्वितीय भाग प्रथम भाग से बड़ा होना चाहिए क्योंकि कोई भी निर्णय तर्क से लिया जाना ही उचित होता है। हाथ का अंगूठा बिलकुल सीधा हो तो वह व्यक्ति कठोर एवं जिद्दी होता है। ऐसे व्यक्तियों पर विश्वास किया जा सकता है परंतु इनका स्वभाव जिद्दी होने से इनके अधिक मित्र नहीं बन सकते हैं। अत्यधिक लचीले अंगूठे वाले व्यक्ति खर्चीले होते हैं एवं इन पर आसानी से विश्वास नहीं किया जा सकता है। स्वभाव में लचीलापन होने से इनके बहुत मित्र होते हैं परंतु ये किसी ज़िम्मेदारी का कार्य अधिक कार्य कुशलता से करने में समर्थ नहीं होते हैं क्योंकि इन का किसी एक निर्णय पर डटा रहना बहुत कठिन होता है।
यदि हाथ का अंगूठा केवल 60 डिग्री का कोण खुलते समय बनाता है तो वह व्यक्ति समझदार एवं कार्यकुशल होता है। यदि 90 डिग्री का कोण बनाता है तो व्यक्ति अपने कार्य में जोखिम उठाने की क्षमता रखता है परंतु सदैव विवेकपूर्ण निर्णय लेता है। यदि हाथ का अंगूठा 90 डिग्री से 120 डिग्री तक खुलता है तो व्यक्ति बिना सोचे-समझे अत्यधिक जोखिम उठा सकता है। जिस व्यक्ति का अंगूठा कटि के आकार को होता है वह तर्क-वितर्क में निपुण होता है परंतु शारीरिक रूप से कुछ कमजोर हो सकता है।
अंगूठे का अग्र भाग यदि कोनिकल हो तो व्यक्ति बुद्धिमान एवं रचनात्मक क्षमता से परिपूर्ण होता है। ऊपर से चौड़ा अंगूठा होने पर व्यक्ति जिद्दी होता है। अंगूठे का अग्र भाग यदि चौकोर हो तो व्यक्ति कानून का ज्ञाता होता है तथा वास्तविकता को ध्यान मे रख कर निर्णय लेता है।
यदि हम अंगूठे को अलग कर दे तो चार उंगलियों के कुल बारह भाग होते हैं। ये बारह भाग बारह राशियों का प्रतिनिधित्व करते हैं। तर्जनी उंगली के ऊपरी भाग से गिनती आरंभ करने पर मेष राशि तर्जनी उंगली के प्रथम भाग , वृष राशि तर्जनी उंगली के मध्य भाग एवं मिथुन राशि तर्जनी उंगली के निम्न भाग पर आएगी। इसी प्रकार कर्क राशि मध्यमा के प्रथम भाग, सिंह राशि मध्य भाग एवं कन्या राशि निम्न भाग पर आएगी। अनामिका के प्रथम भाग पर तुला राशि, मध्य भाग पर वृश्चिक एवं अंतिम भाग पर धनु राशि होगी एवं कनिष्ठिका के प्रथम भाग पर मकर राशि, मध्य भाग पर कुम्भ एवं अंतिम भाग पर मीन राशि होगी।
इसी प्रकार हथेली मे सात पर्वत होते हैं। ये सात पर्वत सात ग्रहों का प्रतिनिधित्व करते हैं। हाथ का बढ़ा हुआ मास पिंड करतल पर पर्वत के स्वरूप को धारण करता है। करतल पर पूर्ण विकसित पर्वत व्यक्ति के उच्च चरित्र निर्माण मे सहायक होते हैं। अधोगत पर्वत व्यक्ति के उच्च गुणों को संकुचित करता है।
मंगल पर्वत
मंगल पर्वत के दो स्थान हैं। पहला स्थान जीवन रेखा के ऊपरी स्थान के नीचे एवं दूसरा इसके विपरीत हृदय रेखा एवं मस्तिष्क रेखा के बीच में स्थित है। पहला स्थान शारीरिक अवस्था तथा दूसरा स्थान मानसिक अवस्था का द्योतक है। साहस, बल एवं शक्ति आदि का आकलन प्रथम पर्वत से होता है। यदि मंगल का प्रथम क्षेत्र सुंदर एवं उन्नत हो तो व्यक्ति सेना में या इसी प्रकार के उच्च पद पर आसीन होता है। वह एक सफल अधिकारी सिद्ध होता है। दूसरे पर्वत से व्यक्ति के धैर्य, शौर्य, संयम, क्षमा आदि गुणों का पाता चलता है। पहला पर्वत शारीरिक क्षमता एवं दूसरा पर्वत मानसिक क्षमताओं को दर्शाता है। विकसित मंगल पर्वत वाले व्यक्तिओं के व्यक्तित्व अत्यंत प्रभावशाली होता है। ये लोग जल्दबाजी में निर्णय लेने और आक्रामक स्वभाव वाले होते हैं। मंगल ग्रह अगर विकसित हो तो लोग अक्सर आर्मी या सशस्त्र बल के साथ जुड़े होते हैं। ऐसे लोग अपने उद्देश्यों के प्रति दृढ़ संकल्प रहते हैं। इनका सबसे बड़ा दोष इनमें आवेग और आत्म नियंत्रण की कमी है। ऐसे व्यक्तियों को आत्म -नियंत्रण का अभ्यास करना चाहिए और सभी प्रकार की मदिरा और उत्तेजक पदार्थों से दूर रहना चाहिए। यदि मंगल पर्वत अधिक विकसित है तो व्यक्ति मे मंगल संबंधित विशेषताएं बढ़ती हैं। ऐसे लोग अत्यंत शक्तिशाली बन जाते हैं और अपनी शक्ति के द्वारा वह कमजोरों का शोषण करते हैं। अक्सर ऐसे लोग समाज विरोधी गतिविधियों जैसे चोरी, डकैती, लूट आदि मे शामिल होकर अत्यंत क्रूर बन जाते हैं। कम विकसित मंगल पर्वत व्यक्ति को कायर बनाता है। लेकिन वह बहादुर होने का दावा करता है। जब अवसर की मांग और समय आता है, तो वह अपने कदम वापस ले लेता है।
चन्द्र पर्वत
चन्द्र पर्वत हाथ में बुध पर्वत के नीचे चन्द्र पर्वत स्थित होता है। चन्द्र पर्वत पूर्णतः उन्नत होने पर व्यक्ति बहुत गुणवान एवं कल्पनाशील होते हैं। कल्पना के द्वारा ही वे अपनी प्रतिभा को नई दिशा देते हैं। ये लोग संगीत, काव्य, वस्तु, ललितकला आदि मे प्रवीण होते हैं। ऐसे लोग विपरीत परिस्थिति को भी अनुकूल बनाने का सामर्थ्य रखते हैं। पूर्ण विकसित चंद्र पर्वत व्यक्ति को कला प्रेमी बनाता है। ऐसे लोग कलाकार, संगीतकार, लेखक बनते हैं। ऐसे व्यक्ति मजबूत कल्पनाशक्ति के गुणी होते हैं। यह लोग अति रुमानी होते हैं लेकिन अपनी इच्छाओं के प्रति आदर्शवादी होते हैं। शुक्र पर्वत की तरह इनमें भावुकता या कामुकता वाला स्वभाव नहीं होता है।
पूर्ण विकसित चंद्र पर्वत व्यक्ति को भावनाओं में बहने वाला और किसी को उदास न देखने वाला होता है। प्रायः यह लोग वास्तविकता से परे कल्पना प्रधान और अच्छे लेखक और कलाकार होते हैं। प्रतिकूल परिस्थितियों में ऐसे लोग उन्मादी और तर्कहीन व्यवहार करते हैं। इसके अतिरिक्त ये निर्णय लेने में अधिक समय लेने वाले और अत्यधिक महत्वाकांक्षी होते हैं।
अति विकसित चंद्र पर्वत व्यक्ति को आलसी और सनकी बनाता है। ऐसे व्यक्ति कल्पना से पूर्ण और वास्तविकता से दूर रहते हैं। कभी कभी, यह एक हल्के रूप में विकसित हो कर एक प्रकार का पागलपन भी हो सकता है।
यदि चंद्र पर्वत अविकसित है, तो व्यक्ति मे अच्छी कल्पना का अभाव, दूरदर्शिता का अभाव, नए और रचनात्मक विचारों का अभाव रहता है, यह लोग क्रूर और स्वार्थी होते हैं।
शुक्र पर्वत
शुक्र पर्वत समान्यतः उच्च गुणों का बोधक है। इससे स्वास्थय, सौन्दर्य,प्रेम,दया,सहानुभूति आदि मनोभावों का ज्ञान होता है। इस पर्वत का अत्यधिक उन्नत होने पर व्यक्ति विलासी, कमी और व्यभिचारी भी हो सकता है।
हथेली पर अंगूठे के आधार पर स्थित पर्वत, शुक्र पर्वत कहलाता है। यह अनुग्रह, आकर्षण, वासना और सौंदर्य की उपस्थिति या अनुपस्थिति को दर्शाता है। यह प्रेम और साहचर्य की इच्छा और सौंदर्य की हर रूप में पूजा करने को भी दर्शाता है। अति विकसित शुक्र पर्वत लोगों को सुन्दर और विपरीत सेक्स के प्रति आकर्षित करता है। मित्रों का साथ इन्हें बहुत पसंद होता है। अच्छा कपड़ों एवं अच्छा खाने के शौकीन होते हैं। स्वभाव से स्पष्टवादी होते हैं। पूर्ण विकसित शुक्र पर्वत चुंबकीय व्यक्तित्व के धनी बनाता है ऐसे व्यक्ति विपरीत सेक्स के बीच लोकप्रिय होते हैं। ये लोग जिज्ञासु प्रवृत्ति के होते हैं लेकिन जब यह किसी से प्यार करते हैं तो उनके प्रति पूर्णतः समर्पित होते हैं।
हाथ पर अति विकसित शुक्र पर्वत व्यक्ति में इंद्रिय सुख की इच्छा प्रबल कर देता है। ऐसे लोग प्रेम संबंधों में स्वार्थी होते हैं और सदैव शारीरिक सुख की इच्छा रखते हैं। इसके विपरीत कम विकसित शुक्र पर्वत व्यक्ति को सुस्त एवं कठोर बनाता है। सौन्दर्य एवं भौतिकता के प्रति इनमे कम आकर्षण होता है।



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HIT AND RUN: फैसले के बाद सलमान की आंखें नम, मां बेहोश, बहन रोईं, सोहेल सदमे में


मुंबई की एक निचली अदालत ने 13 साल पुराने हिट एंड रन केस में बॉलीवुड के सुपर स्टार सलमान खान को सभी आरोपों में दोषी करार दिया है.
डीडी न्यूज़ के हवाले से खबर है कि सलमान खान को हिरासत में लिए गया है.
अदालत के फैसले के बाद सलमान खान की आंखें नम हो गई, तो कोर्ट परिसर में उनकी बहन अलवीरा रो पड़ीं, जबकि भाई सोहेल खान मीडिया के सामने से गुजरे, लेकिन बिल्कुल खामोश दिखे.एएनआई के मुताबिक फैसले के बाद मां की तबीयत खराब हो गई.अदालत ने सलमान को जिन-जिन आरोपों में दोषी करार दिया है, उनमें सलमान खान को अधिकतम 10 साल की सज़ा हो सकती है.
ठीक 11 बजे कोर्ट की कार्यवाही शुरू हुई. सलमान खान जैसे ही 11.06 बजे कोर्ट रुम में पहुंचे. इस केस की कार्यवाही शुरू हुई. इसके साथ ही अदालत ने कहा कि हादसे की रात सलमान खान शराब पी कर गाड़ी चला रहे थे. अदालत ने ये भी कहा कि सलमान के पास लाइसेंस भी नहीं था.
इस तरह अदालत ने सलमान खान को गैर-इरादतन हत्या का दोषी करार दिया.
दोषी करार दिए जाने के बाद जज ने सलमान खान से कहा कि इन आरोपों में 10 साल की सजा बनती है, आपका क्या कहना है? जज के इस सवाल से घबराए सलमान खान कुछ नहीं बोल पाए और अपने वकील की तरफ देखा. अब उनके वकील जिरह कर रहे हैं|जैसे ही अदालत ने फैसला सुनाया, सलमान कोर्ट में अपने बचाव में कुछ भी नहीं बोल पाए.
अब क्या होगा?
अगर अदालत आज ही सजा का एलान कर देती है और सजा तीन साल से ऊपर होती है तो उन्हें आज ही सीधे जेल भेज दिया जाएगा और अगर सजा तीन साल से कम होती है तो निचली अदालत ही बैल दे सकती है.अभी अदालत की कार्यवाही जारी है.
रो पड़ीं अलवीरा
अदालत के फैसले के बाद सलमान खान की बहन अलवीरा कोर्ट परिसर में ही रो पड़ी. परिवार के दूसरे सदस्य भी काफी मायूस हैं.