Monday, 18 May 2015

नक्षत्रों का स्वाभाव और क्या करें


नक्षत्र संख्‍या में 27 हैं और एक राशि ढाई नक्षत्र से बनती है। नक्षत्र भी जातक का स्वभाव निर्धारित करते हैं-----------

1. अश्विनी : बौद्धिक प्रगल्भता, संचालन शक्ति, चंचलता व चपलता इस जातक की विशेषता होती है।
इस नक्षत्र में वाहन खरीदना,यात्रा,शुभ हे....
नए वस्त्र धारण से सुख की प्राप्ति और शुभता में वृद्धि होती हे...
इस नक्षत्र में ध्यान रखें- अग्नि, सजावट, श्रंगार, लकड़ी, द्वार, छत ,व्यापार,
दान करें- गुड और बिल्वफल/ बिल्वपत्र ;
इसमें स्वास्थ्य सम्बन्धी कार्य और स्थिरता वाले कार्यो को प्राथमिकता देवे;
नक्षत्र भोजन- आलू,सीताफल, उड़द ,जो, गुड का मालपुआ,.....
इस नक्षत्र में केसर का सेवन लाभकारी होता हे.......
इस नक्षत्र में निम्न वस्तु नहीं खानी चाहिए-मुली,मोगरी,इलायची,घी,हरे मुंग,कंदमूल,शक्करकंद,

2. भरणी : स्वार्थी वृत्ति, स्वकेंद्रित होना व स्वतंत्र निर्णय लेने में समर्थ न होना इस नक्षत्र के जातकों में दिखाई देता है।
इस नक्षत्र में कुंवा, तालाब खुदवाना, गणित-ज्योतिष कार्य शुभ हे....
नए वस्त्र धारण से परेशानी में वृद्धि होती हे...
इस नक्षत्र में ध्यान रखें- अग्नि, सजावट, श्रंगार, लकड़ी, द्वार, छत ,व्यापार,
दान करें- नमक का
इसमें स्त्री और मित्र से सम्बंधित कार्यो को प्राथमिकता देवे;
नक्षत्र भोजन- तिल, तिल का तेल, चांवल .....
इस नक्षत्र में इलायची का सेवन लाभकारी होता हे.......
इस नक्षत्र में निम्न वस्तु नहीं खानी चाहिए - दही, घी,आंवला, केसर,

3. कृतिका : अति साहस, आक्रामकता, स्वकेंद्रित, व अहंकारी होना इस नक्षत्र के जातकों का स्वभाव है। इन्हें शस्त्र, अग्नि और वाहन से भय होता है।
इस नक्षत्र में कुंवा, तालाब खुदवाना, गणित-ज्योतिष कार्य,वस्त्र सिलवाना, शुभ हे....
नए वस्त्र धारण से उस वस्त्र के फटने या दाग लगने की संभावना होती हे...
इस नक्षत्र में ध्यान रखें- पानी, सजावट, श्रंगार, लकड़ी, द्वार, छत ,व्यापार,
दान करें- नमक का,
इसमें खुदाई, बिज रोपण (धान्य बुवाई ),जमीन,मकान(गृह) कार्यो को प्राथमिकता देवे;
नक्षत्र भोजन- इस नक्षत्र में लहसुन का सेवन लाभकारी होता हे....... दही, खीर, घी,उड़द,मिश्री,
इस नक्षत्र में निम्न वस्तु नहीं खानी चाहिए - निम्बू, खीर, चांवल,तिल, हरी सब्जी,

4. रोहिणी : प्रसन्न भाव, कलाप्रियता, मन की स्वच्छता व उच्च अभिरुचि इस नक्षत्र की विशेषता है।
इस नक्षत्र में राज्याभिषेक,मकान बनवाना,प्रथम व्यापार, शुभ हे....
नए वस्त्र धारण से आर्थिक लाभ की संभावना होती हे...
इस नक्षत्र में ध्यान रखें- पानी, सजावट, श्रंगार, लकड़ी, छत ,अग्नि,
दान करें- तिल का,
इसमें व्यापार और हमेशा स्थिर रहने वाले ( कंट्रोल ) कार्यो को प्राथमिकता देवे;
नक्षत्र भोजन- इस नक्षत्र में घी, हरे मुंग का सेवन लाभकारी होता हे......सिंघाड़ा,
इस नक्षत्र में निम्न वस्तु नहीं खानी चाहिए - खीर, आलू, आम, सीताफल,

5. मृगराशि : बु्द्धिवादी व भोगवादी का समन्वय, तीव्र बुद्धि होने पर भी उसका उपयोग सही स्थान पर न होना इस नक्षत्र की विशेषता है।
इस नक्षत्र में यात्रा, वाहन,वस्त्र और गहने खरीदना,शुभ हे....
नए वस्त्र धारण से वस्त्र फटने की संभावना होती हे...
इस नक्षत्र में ध्यान रखें- पानी, गृह, सजावट, श्रंगार,
दान करें- तिल का,
इसमें हमेशा स्थिर रहने वाले ( कंट्रोल ) और कल्याणकारी कार्यो को प्राथमिकता देवे;
नक्षत्र भोजन- इस नक्षत्र में इलायची और कस्तूरी का सेवन लाभकारी होता हे......
इस नक्षत्र में निम्न वस्तु नहीं खानी चाहिए -करेला, कंदमूल, मुंग की दाल ,शकरकंद,निम्बू, सुगन्धित जल,

6. आर्द्रा : ये जातक गुस्सैल होते हैं। निर्णय लेते समय द्विधा मन:स्थिति होती है, संशयी स्वभाव भी होता है
इस नक्षत्र में मकान बनवाना और राज्याभिषेक शुभ हे....
नए वस्त्र धारण से स्वास्थ्य कमजोर संभावना होती हे...
इस नक्षत्र में ध्यान रखें- व्यापार, पानी, गृह,गृह,
दान करें- तिल का,गुड का
इसमें हमेशा मित्र और स्त्री सम्बन्धी कार्यो को प्राथमिकता देवे;
नक्षत्र भोजन- इस नक्षत्र में मक्खन और आम का सेवन लाभकारी होता हे......
इस नक्षत्र में निम्न वस्तु नहीं खानी चाहिए - आंवला,तुरई, सिंघाड़ा, स्वादिष्ट और भरपेट भोजन

7. पुनर्वसु : आदर्शवादी, सहयोग करने वाले व शांत स्वभाव के व्यक्ति होते हैं। आध्‍यात्म में गहरी रुचि होती है।
इस नक्षत्र में मकान बनवाना,यात्रा, वाहन खरीदना,वस्त्र, सम्रद्धि के कार्य शुभ हे....
नए वस्त्र धारण से धन-धान्य और कार्य में सफलता की संभावना होती हे...
इस नक्षत्र में ध्यान रखें- व्यापार, पानी, गृह,छत ,
दान करें- तिल का,गुड का
इसमें जमीन खरीदना और बिज(धन्य) सम्बन्धी कार्यो को प्राथमिकता देवे;
नक्षत्र भोजन- इस नक्षत्र में मीठी खीर, घी और कस्तूरी का सेवन लाभकारी होता हे......हरी सब्जी भी,
इस नक्षत्र में निम्न वस्तु नहीं खानी चाहिए - मोगरी, लहसुन, मुली, करेला

8. अश्लेषा : जिद्‍दी व एक हद तक‍ अविचारी भी होते हैं। सहज विश्वास नहीं करते व 'आ बैल मुझे मार' की तर्ज पर स्वयं संकट बुला लेते हैं।
इस नक्षत्र में गणित,ज्योतिष,खुदाई के कार्य-कुंवा-तालाब-बावड़ी जेसे कार्य शुभ हे....
नए वस्त्र धारण से अचानक बीमारी ( स्वास्थ्य हानी )की संभावना होती हे...
इस नक्षत्र में ध्यान रखें- व्यापार, पानी, गृह,छत ,सजावट, अग्नि, लकड़ी,श्रंगार,
दान करें- नमक और गुड का....
इसमें पूजा,दान,ब्राह्मन,भोजन सम्बन्धी और मित्र सम्बन्धी कार्यो को प्राथमिकता देवे;

नक्षत्र भोजन- इस नक्षत्र में केसर,गुड,कमलगट्टा, शक्कर का सेवन लाभकारी होता हे....कंदमूल-शक्करकंद....,
इस नक्षत्र में निम्न वस्तु नहीं खानी चाहिए - सीताफल,मिश्री,आम,सुगन्धित जल

9. मघा : स्वाभिमानी, स्वावलंबी, उच्च महत्वाकांक्षी व सहज नेतृत्व के गुण इन जातकों का स्वभाव होता है।
इस नक्षत्र में गणित,ज्योतिष,खुदाई के कार्य-कुंवा-तालाब-बावड़ी जेसे कार्य शुभ हे....
नए वस्त्र धारण से अचानक बीमारी ( स्वास्थ्य हानी )की संभावना होती हे...
इस नक्षत्र में ध्यान रखें- व्यापार, पानी, द्वार,गृह,छत ,सजावट, अग्नि, लकड़ी,श्रंगार,
दान करें- तिल और गुड का....
इसमें स्त्री और मित्र सम्बन्धी कार्यो को प्राथमिकता देवे;
नक्षत्र भोजन- इस नक्षत्र में केसर का सेवन लाभकारी होता हे....मुली, मोगरी,
इस नक्षत्र में निम्न वस्तु नहीं खानी चाहिए - आलू, कमलगट्टा,सीताफल,खीर,चांवल,तिल

10. पूर्वा फाल्गुनी : श्रद्धालु, कलाप्रिय, रसिक वृत्ति व शौकीन होते हैं। ।
इस नक्षत्र में गणित,ज्योतिष,खुदाई के कार्य-कुंवा-तालाब-बावड़ी जेसे कार्य शुभ हे....
नए वस्त्र धारण से अचानक बीमारी ( स्वास्थ्य हानी )की संभावना होती हे...
इस नक्षत्र में ध्यान रखें- व्यापार, पानी, द्वार,गृह,छत ,सजावट, अग्नि, लकड़ी,श्रंगार,
दान करें- तिल,नमक और गुड का....
इसमें स्थिर( कंट्रोल), कल्याणकारक सम्बन्धी कार्यो को प्राथमिकता देवे;
नक्षत्र भोजन- इस नक्षत्र में आलू,उड़द, इलायची का सेवन लाभकारी होता हे....आंवला
इस नक्षत्र में निम्न वस्तु नहीं खानी चाहिए - सीताफल,आलू,खीर,तिल,खीर..

11. उत्तरा फल्गुमी :---- ये संतुलित स्वभाव वाले होते हैं। व्यवहारशील व अत्यंत परिश्रमी होते हैं।
इस नक्षत्र में मकान बनवाना,मंदिर निर्माण,राज्याभिषेक जेसे कार्य शुभ हे....
नए वस्त्र धारण से धन लाभ की संभावना होती हे...
इस नक्षत्र में ध्यान रखें- व्यापार, द्वार,गृह,छत,अग्नि, लकड़ी,श्रंगार,सजावट......
दान करें- नमक का....
इसमें दान, भोजन, पूजा, ब्रह्मण कार्यो को प्राथमिकता देवे; स्त्री और मित्र सम्बन्धी कार्य.......
नक्षत्र भोजन- इस नक्षत्र में आलू,उड़द,लहसुन का सेवन लाभकारी होता हे....
इस नक्षत्र में निम्न वस्तु नहीं खानी चाहिए -खीर, निम्बू, दही, घी, सुगन्धित जल........
12. चित्रा : लिखने-पढ़ने में रुचि, शौकीन मिजाजी, भिन्न लिंगी व्यक्तियों का आकर्षण इन जातकों में झलकता है।
इस नक्षत्र में यात्रा, खरीददारी--जेसे---मकान, गहने,वाहन,वस्त्र खरीदना जेसे कार्य शुभ हे....
नए वस्त्र धारण शुभ रहता हे..........
ध्यान रखें- द्वार,गृह,छत,लकड़ी,श्रंगार,सजावट......
दान करें- तिल का....
इसमें व्यापर, हमेशा स्थिर कार्यो को प्राथमिकता देवे; व्यापार, जमीं खोदना, बीजारोपण सम्बन्धी कार्य.......
नक्षत्र भोजन- इस नक्षत्र में मिंग की दल, कंदमूल, शक्करकंद...का सेवन लाभकारी होता हे....
इस नक्षत्र में निम्न वस्तु नहीं खानी चाहिए - करेला, कस्तूरी, मुली, मोगरी, इलायची.........
.13. स्वा‍ति : समतोल प्रकृति, मन पर नियंत्रण, समाधानी वृत्ति व दुख सहने व पचाने की क्षमता इनका स्वभाव है।
इस नक्षत्र में यात्रा, खरीददारी--जेसे---वाहन,वस्त्र खरीदना जेसे कार्य शुभ हे....
नए वस्त्र धारण से अर्थ लाभ, और मीठा भोजन प्राप्ति की संभावना हे.............
ध्यान रखें- द्वार,गृह,छत,लकड़ी,श्रंगार,सजावट......
दान करें- तिल का...गुड का.....
इसमें व्यापर, हमेशा स्थिर कार्यो को प्राथमिकता देवे; हेल्दी,कल्याणकारक... सम्बन्धी कार्य.......
नक्षत्र भोजन- इस नक्षत्र में आम,केला, तुरई ...का सेवन लाभकारी होता हे....
इस नक्षत्र में निम्न वस्तु नहीं खानी चाहिए - हरे मुंग, मक्खन , कंदमूल ,घी,शक्करकंद...............
14. विशाखा : स्वार्थी, जिद्‍दी, हेकड़ीखोर व्यक्ति होते हैं। हर तरह से अपना काम निकलवाने में माहिर होते हैं।।
इस नक्षत्र में गणित, ज्योतिष, खुदाई कार्य-( कुवां, तालाब, ), हवन ,संग्रह, वस्त्र सम्बन्धी कार्य शुभ हे....
नए वस्त्र धारण से मन-सम्मान और दबदबा बढ़ने की संभावना हे.............
ध्यान रखें- द्वार,गृह,श्रंगार,सजावट......
दान करें- ..गुड का.....
इस नक्षत्र में दान,पूजा, ब्राह्मन कर्म भोजन जेसे कार्यो को प्राथमिकता देवे; मित्र और स्त्री ...सम्बन्धी कार्य.......
नक्षत्र भोजन- इस नक्षत्र में हरी सब्जी , आंवले की सब्जी , करेला ...का सेवन लाभकारी होता हे....
इस नक्षत्र में निम्न वस्तु नहीं खानी चाहिए - घी,शक्करकंद, दही, मिश्री, कंदमूल, मीठी खीर मिश्रित धान्य .........
15. अनुराधा : कुटुंबवत्सल, श्रृंगार प्रिय, मधुरवाणी, सन्मार्गी, शौकीन होना इन जातकों का स्वभाव है।
इस नक्षत्र में यात्रा, खरीद दरी सम्बन्धी कार्य जेसे- वाहन,वस्त्र, गहने की ...शुभ हे....
नए वस्त्र धारण से मित्र से मुलाकात की संभावना हे.............
ध्यान रखें- --- द्वार,श्रंगार,सजावट...अग्नि......
दान करें- ..नमक का ....
इस नक्षत्र में मित्र और स्त्री ...सम्बन्धी कार्यो को प्राथमिकता देवे; ....
नक्षत्र भोजन- इस नक्षत्र में दाख( किशमिश )मिश्रित धान्य, भरपेट स्वादिष्ट भोजन ..का सेवन लाभकारी होता हे....
इस नक्षत्र में निम्न वस्तु नहीं खानी चाहिए - मीठी खीर,तिल, चांवल, कमलगट्टा की और हरी सब्जी ............
16. ज्येष्ठा : स्वभाव निर्मल, खुशमिजाज मगर शत्रुता को न भूलने वाले, छिपकर वार करने वाले होते हैं।
इस नक्षत्र में यात्रा, खरीद दरी जेसे- वाहन की ...शुभ हे....
नए वस्त्र धारण से मन विचलित रहने की संभावना हे.............
ध्यान रखें- --- द्वार,श्रंगार,सजावट...अग्नि......
दान करें- ..नमक का ...गुड का......
इस नक्षत्र में स्थिरता .सम्बन्धी कार्यो को प्राथमिकता देवे; ....
नक्षत्र भोजन- इस नक्षत्र में कंदमूल, शक्करकंद, कद्दू, मिश्री ..का सेवन लाभकारी होता हे....
इस नक्षत्र में निम्न वस्तु नहीं खानी चाहिए - मीठी खीर,आम, आलू,सीताफल, कमलगट्टा .........
17. मूल : प्रारंभिक जीवन कष्टकर, परिवार से दुखी, राजकारण में यश, कलाप्रेमी-कलाकार होते हैं।
इस नक्षत्र में ...गणित, ज्योतिष, खुदाई कार्य-कुंवा,तालाब....शुभ हे....
नए वस्त्र धारण से कलह रहने या पानी में डूबने की आशंका हे.............
ध्यान रखें- --- द्वार,.अग्नि......
दान करें- ..नमक का ...गुड का......तिल का...
इस नक्षत्र में दान,पूजा, भोजन, ब्राहम्ण सम्बन्धी और मित्र व् स्त्री सम्बन्धी कार्यो को प्राथमिकता देवे; ....
नक्षत्र भोजन- इस नक्षत्र में मुली, मोगरी, आलू, सीताफल, .का सेवन लाभकारी होता हे....
इस नक्षत्र में निम्न वस्तु नहीं खानी चाहिए - मुंग की दाल, केसर, घी, मीठी खीर, सुगन्धित जल..........
18. पूर्वाषाढ़ा : शांत, धीमी गति वाले, समाधानी व ऐश्वर्य प्रिय व्यक्ति इस नक्षत्र में जन्म लेते हैं।
इस नक्षत्र में ...गणित, ज्योतिष, खुदाई कार्य-कुंवा,तालाब....शुभ हे....शीघ्र लाभ
नए वस्त्र धारण से अचानक बीमारी/ रोग की आशंका हे.............
ध्यान रखें- ---अग्नि......
दान करें- ..नमक का ...गुड का......तिल का...
इस नक्षत्र में जमीं खुदाई, गृह, कल्याण करक.. कार्यो को प्राथमिकता देवे; ....
नक्षत्र भोजन- इस नक्षत्र में निम्बू, आंवला, मिश्री....तिल, चांवल...का सेवन लाभकारी होता हे....
इस नक्षत्र में निम्न वस्तु नहीं खानी चाहिए - सिंघाड़ा, इलायची, मक्खन, भरपेट स्वादिष्ट भोजन .........
19 -. उत्तराषाढ़ा : विनयशील, बुद्धिमान, आध्यात्म में रूचि वाले होते हैं। सबको साथ लेकर चलते हैं।
इस नक्षत्र में ...मंदिर, मकान, बनाना ..शुभ हे...राज्याभिषेक और सर्प कार्य से .शीघ्र लाभ
नए वस्त्र धारण से मीठा भोजन प्राप्ति की संभावना हे...............
ध्यान रखें- ---पानी, राजपाट, श्रंगार का......
दान करें- ......तिल का...
इस नक्षत्र में स्थिर ( कंट्रोल), जमीन खुदाई और व्यापारिक कार्यो को प्राथमिकता देवे; ....
नक्षत्र भोजन- इस नक्षत्र में निम्बू, मिश्री..बिल्वपत्र ..घी, दहीं, खीर ...का सेवन लाभकारी होता हे....
इस नक्षत्र में निम्न वस्तु नहीं खानी चाहिए - करेला, इलायची, कस्तूरी, लहसुन ......
20. श्रवण : सन्मार्गी, श्रद्धालु, परोपकारी, कतृत्ववान होना इन जातकों का स्वभाव है।
इस नक्षत्र में ...मकान बनाना ..शुभ हे...विजय, राज्याभिषेक और शत्रु नाशक कार्य से .शीघ्र लाभ
नए वस्त्र धारण से नेत्र रोग की संभावना हे...............
ध्यान रखें- ---पानी,श्रंगार, सजावट, लकड़ी का......
दान करें- ......तिल का...नमक का...
इस नक्षत्र में स्थिर ( कंट्रोल), कल्याण कारक कार्यो को प्राथमिकता देवे; ....
नक्षत्र भोजन- इस नक्षत्र में दूध, खीर, खांड, घी, हरे मुंग .का सेवन लाभकारी होता हे....
इस नक्षत्र में निम्न वस्तु नहीं खानी चाहिए - सिंघाड़ा, शक्करकंद, कंदमूल,दहीं .......
21. धनिष्ठा : गुस्सैल, कटुभाषी व असंयमी होते हैं। हर वक्त अहंकार आड़े आता है।
इस नक्षत्र में ...मकान बनाना ..शुभ हे..राज्याभिषेक से .शीघ्र लाभ
नए वस्त्र धारण से आर्थिक लाभ की संभावना हे...............
ध्यान रखें- ---पानी,श्रंगार, सजावट, लकड़ी , द्वार,का......
दान करें- ......नमक का...
इस नक्षत्र मेंदान, भोजन, पूजा ब्रह्मण कार्य और मित्र तथ स्त्री सम्बन्धी कार्यो को प्राथमिकता देवे; ....
नक्षत्र भोजन- इस नक्षत्र में कस्तूरी, इलायची, मुंग, चांवल. करेला, कंदमूल, शक्करकंद का सेवन लाभकारी होता हे....
इस नक्षत्र में निम्न वस्तु नहीं खानी चाहिए - हरी सब्जी, मुंग की दल, खीर ....
22. शतभिषा :- रसिक मिजाज, व्यसनाधीनता व कामवासना की ओर अधिक झुकाव होता है। समयानुसार आचरण नहीं करते।
इस नक्षत्र में ...मकान बनाना ..शुभ हे..राज्याभिषेक से .शीघ्र लाभ
नए वस्त्र धारण से अशुभ सूचना की आशंका/संभावना हे...............
ध्यान रखें- ---पानी,श्रंगार, सजावट, लकड़ी , द्वार,का......
दान करें- ......नमक का..तिल का.....
इस नक्षत्र में जमीं खरीदना, गृह/ कल्याण करक कार्य और धान्य( बीजारोपण ) सम्बन्धी कार्यो को प्राथमिकता देवे; ....
नक्षत्र भोजन- इस नक्षत्र में मक्खन और तुरई , तुम्बे के बीज का सेवन लाभकारी होता हे....
इस नक्षत्र में निम्न वस्तु नहीं खानी चाहिए - आम, खीर ...
23. पूर्व भाद्रपद : बुद्धिमान, जोड़-तोड़ में निपुण, संशोधक वृत्ति, समय के साथ चलने में कुशल होते हैं।
इस नक्षत्र में ...ज्योतिष, गणित, खुदाई कार्य- तालाब, कुंवा से शीघ्र लाभ
नए वस्त्र धारण से अशुभ सूचना की आशंका/संभावना हे...जल स्रोत से खतरा--- तालाब, कुंवा, नदी, ............
ध्यान रखें- ---व्यापर, द्वार, लकड़ी, ......
दान करें- ......नमक का....
इस नक्षत्र में पूजा पाठ, गृह निर्माण / विकास, स्थिर और कल्याणकारी कार्य को प्राथमिकता देवे; ....
नक्षत्र भोजन- इस नक्षत्र में दही, करेला, का सेवन लाभकारी होता हे....
इस नक्षत्र में निम्न वस्तु नहीं खानी चाहिए - हरी सब्जी, मुंग की दाल, नींबू, ..घी, मीठी खीर ,
24. उत्तरा भाद्रपद : मोहक चेहरा, बातचीत में कुशल, चंचल व दूसरों को प्रभावित करने की शक्ति रखते हैं।
इस नक्षत्र में ...मकान, मंदिर निर्माण, राज्याभिषेक, स्थिर और सर्वकार्य से लाभ
नए वस्त्र धारण से पुत्र लाभ .....
ध्यान रखें- ---व्यापर, द्वार, लकड़ी, ......
दान करें- ......नमक का....
इस नक्षत्र में पूजा पाठ, दान, भोजन ,ब्रह्मण कर्म. स्त्री और मित्र सम्बन्धी कार्य को प्राथमिकता देवे; ....कपूर का प्रयोग करें....
नक्षत्र भोजन- इस नक्षत्र में खीर, उड़द का बड़ा, स्वादिष्ट भरपेट भोजन का सेवन लाभकारी होता हे....
इस नक्षत्र में निम्न वस्तु नहीं खानी चाहिए - आंवला, सिंघाड़ा, मक्खन, मिश्रित धान्य , ..
25. रेवती : सत्यवादी, निरपेक्ष, विवेकवान होते हैं। सतत जन कल्याण करने का ध्यास इनमें होता है
इस नक्षत्र में ...यात्रा, वाहन खरीद दरी से लाभ
नए वस्त्र धारण से अचानक धन / अर्थ लाभ ...
ध्यान रखें- ---व्यापार, द्वार, लकड़ी, ......
दान करें- ......गुड का....
इस नक्षत्र में व्यापर, स्थिर कार्य , जमीन खुदाई और बीज रोपण सम्बन्धी कार्य को प्राथमिकता देवे; ....
नक्षत्र भोजन- इस नक्षत्र में दही, कमलगट्टा और सुगन्धित जल का सेवन लाभकारी होता हे....
इस नक्षत्र में निम्न वस्तु नहीं खानी चाहिए - मुली, मोगरी, इलायची, लहसुन, कंदमूल, शक्करकंद, कस्तूरी...
26 --. हस्त : कल्पनाशील, संवेदनशील, सुखी, समाधानी व सन्मार्गी व्यक्ति इस नक्षत्र में जन्म लेते हैं।
इस नक्षत्र में ...यात्रा, वाहन खरीद दरी से लाभ , मकान बनवाना, वस्त्र और सम्रद्धि के कार्य
नए वस्त्र धारण से ...कार्य में सफलता प्राप्त होती हे....
ध्यान रखें- ---अग्नि. द्वार., सजावट,..श्रंगार........
दान करें- ......गुड का....नमक का....
इस नक्षत्र में ------व्यापर, स्थिर कार्य , जमीन खुदाई और बीज रोपण सम्बन्धी कार्य को प्राथमिकता देवे; ....
नक्षत्र भोजन- इस नक्षत्र में घी , हरे मुंग का, सिंघाड़ा का सेवन लाभकारी होता हे....
इस नक्षत्र में निम्न वस्तु नहीं खानी चाहिए - आंवला, मक्खन, खीर, भरपेट स्वादिष्ट भोजन.....
27. पुष्य : सन्मर्गी, दानप्रिय, बुद्धिमान व दानी होते हैं। समाज में पहचान बनाते हैं।
इस नक्षत्र में ...मकान बनवाना, वस्त्र और गहने बनवाना, राज्याभिषेक करवाना..जेसे कार्य करवाना और सम्रद्धि के कार्य करवाना चाहिए...
नए वस्त्र धारण से ...इच्छाओ की पूर्ति और ..अर्थ लाभ की प्राप्ति होती हे.....
ध्यान रखें- ---जल, द्वार., व्यापर, लकड़ी, चोखट, छत ...
दान करें- ........नमक का....
इस नक्षत्र में ------व्यापर, स्थिर कार्य , कल्याण कारक कार्यो को प्राथमिकता देवे; ....
नक्षत्र भोजन- इस नक्षत्र में खीर, दूध ,मिश्र धन्य का भोजन / सेवन लाभकारी होता हे....
इस नक्षत्र में निम्न वस्तु नहीं खानी चाहिए - भरपेट स्वादिष्ट भोजन.., इलायची, कंदमूल, शक्करकंद, तुरई, ...

कीजिए असंभव को संभव:कैसे जानें ज्योतिष से

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कीजिए असंभव को संभव:कैसे जानें ज्योतिष से
इस बात को कोई नकार नहीं सकता कि 'असंभव' शब्द केवल शब्दकोश में पाया जाता है, वास्तविक जीवन में इसका कोई मतलब नहीं होता। कभी-कभी किसी व्यक्ति को ऐसा महसूस होता है कि यह दिया गया कार्य उसके बूते से बाहर की बात है, लेकिन वही कार्य वह किसी दूसरे समय में जाकर आसानी से पूरा कर लेता है। यह इस बात की ओर इंगित करता है कि हमारी जरूरत और ईमानदारी से की गई कोशिश ने असंभव को संभव में बदल दिया। जिंदगी में इच्छा का होना ऐसा बल है जो हमें किसी भी चीज को हासिल करने में मदद करता है। केवल उस चीज की इच्छा का होना ही काफी नहीं, उसे पाने का जुनून हमारे भीतर होना चाहिए। हम जब कुछ पाना चाहते हैं, लेकिन उसमें सफल नहीं होते तो असफलता के लिए कई सारे बहाने ढूंढ निकालते हैं। ऐसा इसलिए, क्योंकि हम अपनी असफलता का विश्लेषण करने में अक्षम हैं और विजेता की कोशिशों का सम्मान करते हैं। केवल यही नहीं, हम इसके लिए अपने भाग्य को भी कोसने से नहीं चूकते, परंतु हम यह भूल जाते हैं कि भाग्य और नियति उन्हीं की मदद करते हैं जिनमें कुछ करने की इच्छा है। 'मेट्रो मैन' के तौर पर पहचाने जाने वाले ई. श्रीधरन महज एक दिन, महीना या साल में इतनी बड़ी शख्सियत नहीं बने हैं। बल्कि 'कोंकण रेल परियोजना' के मास्टर माइंड यही हैं और इसके पूरा होने तक वह इसके साथ निष्ठा से जुड़े रहे थे। इसे उन्होंने एक चुनौती के रूप में लिया। उन्हें खुद को साबित करने का एक अवसर मिला था, जिसका उन्होंने बेहतर सदुपयोग किया। आपको यह याद होना चाहिए कि रेलवे के पास लाखों इंजीनियर हैं, लेकिन श्रीधरन ने खुद को औरों से अलग साबित किया। मौका मिलने पर आपको कुछ कर दिखाना होगा। श्रीधरन ने कोंकण रेलवे प्रोजेक्ट पर ही अपनी दक्षता नहीं साबित की, बल्कि इससे पहले भी वह जिस पद पर थे, उसे उन्होंने निष्ठा से निभाया था। आपको किसी चमत्कार का इंतजार करने की बजाय परिस्थितियों को अपने अनुकूल बनाना होगा। ज्यादातर लोगों की सोच होती है कि वर्तमान में जो करने के लिए उनके सामने है, वह उनकी इच्छा और योग्यताओं के मुताबिक नहीं है और वह कुछ विशेष होने का इंतजार करते हैं, लेकिन वह दिन कभी नहीं आता। हमें बचपन से ही यह बताया गया है कि जीवन गुलाब के फूलों की सेज नहीं है। मुझे आज तक इस मुहावरे का मतलब समझ में नहीं आया, क्योंकि मैंने एक प्राइमरी स्कूल के शिक्षक से अपने कॅरियर की शुरुआत की और आज मैं एक नहीं, तकरीबन 15-16 बड़े संगठनों को एक साथ संचालित कर रहा हूं। जब मैं प्राइमरी शिक्षक था, तब भी लोग मुझे जानते थे और आज भी। बस फर्क पड़ा है तो महज इतना कि मुझे जानने वाले लोगों की संख्या बढ़ गई है। मैं जहां भी होता हूं, सर्वोत्तम करने की चाहत रखता हूं। दूसरों के संदर्भ में आपको अपनी परिस्थिति में फर्क पैदा करना होगा, तब चीजें बेहतर होंगी। इसके लिए आप समय का इंतजार नहीं कर सकते, क्योंकि जिंदगी आपको ज्यादा समय नहीं देगी।
जब आप कुछ पाना शुरू कर देंगे तो आपको महसूस होगा कि आपने जिंदगी का बहुत सारा कीमती वक्त गंवा दिया, लेकिन तब पछताने के सिवा कुछ नहीं किया जा सकता। एक सफल व्यक्ति और सामान्य व्यक्ति के बीच जो फर्क है वह शक्ति और ज्ञान का नहीं, बल्कि इच्छाशक्ति का होता है। अगर आप विजेता बनना चाहते हैं तो कहीं से भी बस शुरुआत भर करने की जरूरत है। आपको यह नहीं भूलना चाहिए कि जो लोग कुछ करते रहते हैं, वे स्वयं क्रियाशीलता से जिंदगी को पूर्ण आनंद के साथ जीते हैं। जहां से भी आपको उचित लगता हो, शुरू कर दीजिए और किसी इंतजार में मत रहिए कि अवसर मिलेगा, तब काम शुरू करेंगे। एक बार आपने सर्वोत्तम देना शुरू किया तो, सच मानिए कि आपकी चाहत आप से दूर नहीं। जिंदगी में उन्हीं को इनाम मिलता है जो अपना कार्य खुद करते हुए स्वयं पर यकीन करते हैं। कई बार ऐसा होता है कि आपसे कमतर लोग आपसे आगे बढ़ जाते हैं, इससे दु:खी होने की जरूरत नहीं। बिना योग्यता और पूर्ण दक्षता के वे बहुत आगे तक नहीं जा सकते और अगर वे जाते हैं तो इसका मतलब है कि उनमें योग्यता है। आपको इन सब में नहीं उलझना चाहिए और बेहतर तरीके से अपना काम निबटाना चाहिए, जो आपको सफलता की ओर ले जाएगा। न्यूटन की गति के द्वितीय नियम को याद कीजिए, बिना किसी बाहरी बल के कोई वस्तु इधर-उधर नहीं हो सकती है। बाहरी बल लगाने पर कोई वस्तु क्रियाशील होती है, पर वह बल लगाना खत्म होने पर फिर से अपनी जगह वापस हो जाता है। ऐसा जड़त्व की वजह से होता है। हमारी जिंदगी में भी जड़त्व समा चुका है जो हमें आगे बढ़ने से रोकता है। अपने मूल्य को आप पहचानें, केवल खुद को जानिए और बाकी सब चीजों को भुला दीजिए। जिंदगी वास्तव में फूलों की सेज है, लेकिन इसके लिए गुलाब आपको खुद ही चुनने होंगे। संभवत: गुलाब के फूल को तोड़ते वक्त आपको उसका कांटा चुभ सकता है और खून भी निकल सकता है, लेकिन वह अस्थायी होगा और फूलों की सेज पर सोना उससे ज्यादा आनंददायक होगा। जिस तरह फूल चुनने में आप कांटों का सामना करते हैं, उसी तरह से जिंदगी में आने वाली मुश्किलों का सामना करने के लिए तैयार रहना होगा। भौतिक सुख देने वाले साधन अस्थायी होते हैं, इसलिए हमेशा ऐसे साधनों की तलाश कीजिए जो आपको विजेता बना सकें। मेरा विश्वास है कि अगर आप जिंदगी में आने वाली मुश्किलों से निबटते जाएंगे तो आप मजबूत बनेंगे और विजय की ओर अग्रसर होंगे। ये मुश्किलें आपके जीवन का स्वाद भी बदलेंगी।
हमेशा सफलता पाने की योजना बनाइए और इन गुरुमंत्रों को दिल की गहराइयों में उतारिए :
* समाज आपको बताता है कि आप क्या हैं? लेकिन ज्ञान आपको बताता है कि आपको कैसा होना चाहिए?
* दुनिया में अब तक जितने भी बड़े लोग हुए हैं, वे सब भाग्य से नहीं, अपनी कोशिश, संघर्ष और योजनाओं से बड़े बने हैं।
* असफलताओं से निराश होने वाले व्यक्ति कायर होते हैं, क्योंकि असफलताएं ही सफलता प्राप्त करने का रास्ता बताती हैं।
* योग्यता, आत्मविश्वास, साहस, सार्थक संवाद, कठिन परिश्रम और काम के प्रति समर्पण, सफलता का सबसे प्रचलित फार्मूला है, जिसके द्वारा दुनिया के करोड़ों लोग सफलता प्राप्त कर चुके हैं।
* अपने अंदर आत्मविश्वास रखें कि आप दुनिया के सबसे महत्वपूर्ण इंसान हैं। फिर पीछे मुड़कर मत देखें, हंसते हुए जीवन गुजारें, क्योंकि हृदय की विशालता से ही सफलता की नींव पड़ती है।
* सफल लोग खतरों की परवाह किए बिना भीड़ को चीरकर आगे निकल जाते हैं, क्योंकि उन्हें वह भीड़ दिखाई नहीं देती, सिर्फ लक्ष्य ही नजर आता है।
* एक आइडिया किसी को अमीर बना देता है, तो किसी को खाक में मिला देता है, जबकि इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि वह कितना पुराना है? बस आपको उस आइडिए को पेश करने का तरीका आना चाहिए।
* समस्या के अंदर ही समाधान छिपा होता है। इसलिए समस्या के बारे में रचनात्मक तरीके से सोचिए, फिर समाधान आपको खुद ही नजर आ जाएगा।
* पैसा आपका चोरी हो सकता है। सेहत और ताकत आपका साथ छोड़ सकती है, लेकिन जो आप पुस्तकों के अध्ययन से सीखते हैं वह हमेशा आपके साथ रहता है।
* साधारण लोग छोटी-छोटी परेशानियों में उलझ कर पूरा जीवन बर्बाद कर लेते हैं, जबकि अमीर लोग उन परेशानियों को एक मुस्कान में ही हल कर देते हैं।
* ईश्वर ने जब ब्रह्मांड की रचना की थी, तब समस्याएं जानबूझ कर छोड़ी गई थीं, ताकि मनुष्य शारीरिक रूप से मजबूत रहे और जीवन में आने वाले हर मुश्किल का मुकाबला डट कर करे।
हमेशा प्रगति के बारे में सोचिए और इन गुरुमंत्रों को बार-बार दोहराइए :
* यह मत सोचिए कि देश की अर्थव्यवस्था कब समृद्ध होगी, बल्कि यह सोचिए कि आप की अपनी अर्थव्यवस्था कैसे समृद्ध होगी?
* सफलता हमेशा असफलताओं के बाद ही मिलती है, क्योंकि सफलता का रास्ता असफलताओं के बीच से ही होकर गुजरता है।
* यदि आपके पास एक पेन और एक सपना है, तब आप पूरी दुनिया को जीत सकते हैं, क्योंकि बड़ा आदमी बनने के लिए सिर्फ इन दो ही चीजों की जरूरत होती है-लक्ष्य और जुनून।
* जब आपका मन प्रसन्न होता है, तब आपके अंदर ऊर्जा का उत्पादन कई गुना बढ़ जाता है, जिसे आप सही दिशा में प्रयोग करके अधिक सफलता प्राप्त कर सकते हैं।
* जिन्हें लगता है कि वह सफल हो सकते हैं और जो ये सोचते हैं कि वे सफल नहीं होंगे, वे दोनों ही सही हैं। क्योंकि मन में जो विचार ज्यादा प्रभावशाली होंगे, वही आपकी सोच को निर्धारित करेंगे।
* आपको सफलता नहीं मिलती, क्योंकि आप सफलता नहीं मांगते। आप मांगते हो, फिर भी नहीं मिलता, क्योंकि तुम श्रद्धा से नहीं मांगते। लेकिन यदि आपके भीतर राई के दाने के बराबर भी विश्वास है, तो आप किसी पर्वत से कहिए कि यहां से खिसक जाओ, तब वह अवश्य खिसक जाएगा।
* जीवन की तमाम विफलताएं आपको आपकी वास्तविक योग्यता और क्षमता का आभास कराती है और फिर वही विफलताएं आपको सफलता का रास्ता दिखाती हैं।
*जोखिम उठाए बिना आप जीवन में कभी कोई बड़ी कामयाबी हासिल नहीं कर सकते, क्योंकि अंग्रेजी में एक कहावत है, नो रिस्क नो रिवार्ड।
* फूलों की महक सिर्फ उसी दिशा में फैलती है, जिधर हवा का रुख होता है, लेकिन व्यक्ति की उन्नति के चर्चे पूरे विश्व में फैलते हैं।
* जागने के बाद कचरा, कूड़ा-करकट चित्त से गिरना शुरू हो जाता है। फिर चित्त निर्मल होता चला जाता है और जब चित्त निर्मल हो जाता है, तब चित्त दर्पण बन जाता है

ग्रह और बीमारी

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ग्रह और बीमारी
मनुष्य के मन, मस्तिष्क और शरीर पर मौसम, ग्रह और नक्षत्रों का प्रभाव लगातार रहता है। कुछ लोग इन प्रभाव से बच जाते हैं तो कुछ इनकी चपेट में आ जाते हैं। बचने वाले लोगों की सुदृढ़ मानसिक स्थिति और प्रतिरोधक क्षमता का योगदान रहता है। लाल किताब अनुसार हम जानते हैं कि किस ग्रह से कौन-सा रोग उत्पन्न होता है।
कुंडली का खाना नं. छह और आठ का विश्लेषण करने के साथ की ग्रहों की स्थिति और मिलान अनुसार ही रोग की स्थिति और निवारण को तय किया जाता है। प्रत्येक व्यक्ति की कुंडली में यह स्थितियाँ अलग-अलग होती है। यहाँ प्रस्तुत है सामान्य जानकारी, जिसका किसी की कुंडली से कोई संबंध है या नहीं यह किसी लाल किताब के विशेषज्ञ से पूछकर ही तय किया जा सकता है।
ग्रहों से उत्पन्न बीमारी :-
1. बृहस्पति : पेट की गैस और फेफड़े की बीमारियाँ।
2. सूर्य : मुँह में बार-बार थूक इकट्ठा होना, झाग निकलना, धड़कन का अनियंत्रित होना, शारीरिक कमजोरी और रक्त चाप।
3. चंद्र : दिल और आँख की कमजोरी।
4. शुक्र : त्वचा, दाद, खुजली का रोग।
5. मंगल : रक्त और पेट संबंधी बीमारी, नासूर, जिगर, पित्त आमाशय, भगंदर और फोड़े होना।
6. बुध : चेचक, नाड़ियों की कमजोरी, जीभ और दाँत का रोग।
7. शनि : नेत्र रोग और खाँसी की बीमारी।
8. राहु : बुखार, दिमागी की खराबियाँ, अचानक चोट, दुर्घटना आदि।
9. केतु : रीढ़, जोड़ों का दर्द, शुगर, कान, स्वप्न दोष, हार्निया, गुप्तांग संबंधी रोग आदि।
रोग का निवारण :
1. बृहस्पति : केसर का तिलक रोजाना लगाएँ या कुछ मात्रा में केसर खाएँ।
2. सूर्य : बहते पानी में गुड़ बहाएँ।
3. चंद्र : किसी मंदिर में कुछ दिन कच्चा दूध और चावल रखें या खीर-बर्फी का दान करें।
4. शुक्र : गाय की सेवा करें और घर तथा शरीर को साफ-सुथरा रखें।
5. मंगल : बरगद के वृक्ष की जड़ में मीठा कच्चा दूध 43 दिन लगातार डालें। उस दूध से भिगी मिट्टी का तिलक लगाएँ।
6. बुध : 96 घंटे के लिए नाक छिदवाकर उसमें चाँदी का तार या सफेद धागा डाल कर रखें। ताँबे के पैसे में सूराख करके बहते पानी में बहाएँ।
7. शनि : बहते पानी में रोजाना नारियल बहाएँ।
8. राहु : जौ, सरसों या मूली का दान करें।
9. केतु : मिट्टी के बने तंदूर में मीठी रोटी बनाकर 43 दिन कुत्तों को खिलाएँ।


जब दो ग्रह एक साथ: बीमारियाँ

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जब दो ग्रह एक साथ:  बीमारियाँ
प्रत्येक व्यक्ति की कुंडली में ग्रहों की स्थितियाँ अलग-अलग होती है। यदि कुंडली के किसी खाने में दो ग्रह एक साथ हैं तो उनसे कई बीमारियाँ हो सकती है। प्रस्तुत है उनकी सामान्य जानकारी।

कुंडली के किसी भी खाने में दो ग्रह साथ होने पर उनसे होने वाली बीमारियाँ :

1. बृहस्पति-राहु : दमा, तपेदिक या श्वास की तकलीफ।
2. बृहस्पति-बुध : दमा या श्वास की तकलीफ।
3. चंद्र-राहु : पागलपन या निमोनिया (बुखार)।
4. सूर्य-शुक्र : दमा और तपेदिक।
5. मंगल-शनि : शरीर का फटना, कोढ़, रक्त संबंधी बीमारी।
6. शुक्र-राहु : नपुंसकता, स्वप्न दोष आदि गुप्तांग संबंधी रोग।
7. शुक्र-केतु : पेशाब, धातु रोग, शुगर।
8. बृहस्पति-मंगल : पीलिया।

कुछ खास अन्य उपाय ::::-----
यदि किसी व्यक्ति को लंबे समय से बीमारी हो तो उसके लिए कुछ सामान्य उपायों की जानकारी भी दी गई है, लेकिन उपरोक्त और निम्न उपाय लाल किताब के जानकार से पूछकर ही करें।
1. बुखार न उतरें तो तीन दिन लगातार गुड़ और जौ सूर्यास्त से पूर्व मंदिर में रख आएँ।
2. प्रति माह गाय, कौए और कुत्तों को मीठी रोटियाँ खिलाएँ।
3. पका हुआ सीता फल कभी-कभी मंदिर में रख आएँ।
4. रक्त चाप के लिए रात को सोते समय अपने सिरहाने पानी रख कर प्रात: पौधों को दें।
5. कान की बीमारी के लिए काले-सफेद तिल सफेद और काले कपड़े में बाँधकर जंगल या किसी सुनसान जगह पर गाड़कर आ जाएँ।
6. जब भी श्मशान या कब्रिस्तान से गुजरना तो ताँबे के सिक्के उक्त स्थान पर डालने से दैवीय सहायता प्राप्त होगी।
7. यदि आँखों में पीड़ा हो तो शनिवार को चार सूखे नारियल या खोटे सिक्के नदी में प्रवाहित करें।
8. शुगर, जोड़ों का दर्द, मूत्र रोग, रीढ़ की हड्डी में दर्द के लिए काले कुत्ते की सेवा करें।
9. सिरहाने कुछ रुपए-पैसे रख कर प्रात: सफाईकर्मी को दे दें।


अपने कुंडली में कैसे करें मंगल को कैसे बनाएँ अनुकूल



कोई भी व्यक्ति चाहे वह लड़की हो या लड़का, सबसे पहले आँखों के माध्यम से फीजिकल ब्यूटी की ओर एट्रैक्ट होता है। उसके बाद म्युचअल अंडरस्टैंडिंग यानी कि वैचारिक समानता और फिर सहन-सहन की समानता। परंतु क्या शादी के बंधन के लिए मात्र सुंदर शरीर और वैचारिक या रहन-सहन की समानता पर्याप्त है। नहीं....। मात्र केवल क्षणिक सौंदर्य का आकर्षण पूरे जीवन को नरक बना सकता है। आजकल बहुत कम लव मैरिज सफल होते देखी गई है।
जिस प्रकार चंद्रमा के कारण ज्वार-भाटा समुद्र में आता है, वनस्पतियों में रस चंद्रमा के कारण ही आता। ठीक उसी प्रकार सौर-मंडल के ग्रह हमें अलग-अलग रूप से प्रभावित करते हैं। अतः सावधानीपूर्वक कुंडली मिलान करके ही विवाह करना चाहिए। कहने को मंगल बड़ा क्रूर ग्रह माना गया है जबकि मंगल क्रूर नहीं, वह तो मंगलकर्ता, दुखहर्ता, ऋणहर्ता व कल्याणकारी है। मंगल दोषपूर्ण होने पर मनुष्य को अलग-अलग तरह के कष्ट होते हैं। मंगल को अनुकूल बनाने के उपाय भी अलग-अलग हैं।

मंगल की अनुकूलता के उपायः::::----

- कर्ज बढ़ जाने पर ऋणमोचक मंगल स्तोत्र का पाठ स्वयं करे या किसी युवा ब्राह्मण सन्यासी से कराएँ।
- जीवन में जमीन-जायदाद प्राप्त करने हेतु किसी की जमीन न दबाए और बड़े भाई की सेवा करें।
- रोग होने पर गुड़, आटा दान करें।
- क्लेश शांति हेतु लाल मसूर जल प्रवाह करें।
- विद्या प्राप्ति हेतु रेवड़ी मीठे जल में प्रवाह करें।
- मूँगा रत्न किसी श्रेष्ठ ज्योतिषाचार्य से विचार-विमर्श के बाद ही धारण करें.....

जानें मंगल दोष के बारे में और दूर करने के उपाय

जब कुंडली में हो मंगल दोष--मंगली दोष कैसे करें दूर?
यदि प्रथम, चतुर्थ, सप्तम, अष्ठम व द्वादश भावों में कहीं भी मंगल हो तो उसे मंगल दोष कहा जाता है लेकिन उन दोषों के बावजूद अगर अन्य ग्रहों की स्थिति, दृष्टि या युति निम्नलिखित प्रकार से हो, तो मंगल दोष खुद ही प्रभावहीन हो जाता है :-
* यदि मंगल ग्रह वाले भाव का स्वामी बली हो, उसी भाव में बैठा हो या दृष्टि रखता हो, साथ ही सप्तमेश या शुक्र अशुभ भावों (6/8/12) में न हो।
* यदि मंगल शुक्र की राशि में स्थित हो तथा सप्तमेश बलवान होकर केंद्र त्रिकोण में हो।
* यदि गुरु या शुक्र बलवान, उच्च के होकर सप्तम में हो तथा मंगल निर्बल या नीच राशिगत हो।
* मेष या वृश्चिक का मंगल चतुर्थ में, कर्क या मकर का मंगल सप्तम में, मीन का मंगल अष्टम में तथा मेष या कर्क का मंगल द्वादश भाव में हो।
* यदि मंगल स्वराशि, मूल त्रिकोण राशि या अपनी उच्च राशि में स्थित हो।
* यदि वर-कन्या दोनों में से किसी की भी कुंडली में मंगल दोष हो तथा कुंडली में उन्हीं पाँच में से किसी भाव में कोई पाप ग्रह स्थित हो। कहा गया है -
"""शनि भौमोअथवा कश्चित्‌ पापो वा तादृशो भवेत्‌।
""""तेष्वेव भवनेष्वेव भौम-दोषः विनाशकृत्‌॥ ..................

इनके अतिरिक्त भी कई योग ऐसे होते हैं, जो मंगली दोष का परिहार करते हैं। अतः मंगल के नाम पर मांगलिक अवसरों को नहीं खोना चाहिए। मंगली कन्या सौभाग्य की सूचिका भी होती है। यदि कन्या की जन्मकुंडली में प्रथम, चतुर्थ, सप्तम, अष्टम तथा द्वादशभाव में मंगल होने के बाद भी प्रथम (लग्न, त्रिकोण), चतुर्थ, पंचम, सप्तम, नवम तथा दशमभाव में बलवान गुरु की स्थिति कन्या को मंगली होते हुए भी सौभाग्यशालिनी व सुयोग्य पत्नी तथा गुणवान व संतानवान बनाती है।

कल्याणकारी सूर्य स्तोत्र जो आपको जीवन में सुखी और सम्पन्नता प्रदान करेगी




विकर्तनो विवस्वांश्च मार्तण्डो भास्करो रविः।

लोक प्रकाशकः श्री माँल्लोक चक्षुर्मुहेश्वरः॥

लोकसाक्षी त्रिलोकेशः कर्ता हर्ता तमिस्रहा।

तपनस्तापनश्चैव शुचिः सप्ताश्ववाहनः॥

गभस्तिहस्तो ब्रह्मा च सर्वदेवनमस्कृतः।

एकविंशतिरित्येष स्तव इष्टः सदा रवेः॥..................................

'विकर्तन, विवस्वान, मार्तण्ड, भास्कर, रवि, लोकप्रकाशक, श्रीमान, लोकचक्षु, महेश्वर, लोकसाक्षी, त्रिलोके...श, कर्ता, हर्त्ता, तमिस्राहा, तपन, तापन, शुचि, सप्ताश्ववाहन, गभस्तिहस्त, ब्रह्मा और सर्वदेव नमस्कृत- इस प्रकार इक्कीस नामों का यह स्तोत्र भगवान सूर्य को सदा प्रिय है।' (ब्रह्म पुराण : 31.31-33)
यह शरीर को निरोग बनाने वाला, धन की वृद्धि करने वाला और यश फैलाने वाला स्तोत्रराज है। इसकी तीनों लोकों में प्रसिद्धि है। जो सूर्य के उदय और अस्तकाल में दोनों संध्याओं के समय इस स्तोत्र के द्वारा भगवान सूर्य की स्तुति करता है, वह सब पापों से मुक्त हो जाता है।

भगवान सूर्य के सान्निध्य में एक बार भी इसका जप करने से मानसिक, वाचिक, शारीरिक तथा कर्मजनित सब पाप नष्ट हो जाते हैं। अतः यत्नपूर्वक संपूर्ण अभिलक्षित फलों को देने वाले भगवान सूर्य का इस स्तोत्र के द्वारा स्तवन करना चाहिए।

सप्तम भाव में ग्रहों की दृष्टि


##सप्तम भाव पर ग्रहों की दृष्टि कई मामलों में महत्वपूर्ण ही नहीं होती वरन् कई बार यह भाव फल को ही बदल देती है। पिछले अंक में हमने सप्तम पर सूर्य, मंगल और चन्द्र की दृष्टि की चर्चा की थी। आज हम बात करेंगे सप्तम पर गुरु, बुध और शुक्र की दृष्टि की।
##बुध की सप्तम पर दृष्टि जातक को व्यवहार कुशल, वाक् पटु और विवेकी बनाती है। ऐसे जातक प्रायः लेखन-प्रकाशन के कार्यों से जुड़े नजर आते है। यदि यह बुध पुरुष राशि में हो तो यह संभावना और प्रबल हो जाती है और जातक इसी को अपनी जीविका बनाता है।
##बुध की इस भाव पर दृष्टि जातक को भोजन भट्ट यानि अधिक भोजन करने वाला बनाती है और इससे जातक का वजन बढ़ता है। बुध की दृष्टि जीवन साथी का सेन्स ऑफ ह्यूमर अच्छा रखती है। साथी वाचाल होता है, उसे बहुत बोलने की आदत होती है और यदि बुध अशुभ हो तो यह बोलना कटु, व्यंग्य या ताने मारने वाला भी हो सकता है।
##अग्नि तत्व की राशि का बुध, जातक को मिमिक्री करने वाला और विनोदी भी बनाता है। बुध की दृष्टि मन को अस्थिर बना देती है अतः साथी के बारे में भी विचार बदलते नजर आते है। विवाह में बहुत नाप-तौल करने की आदत हो जाती है।
##लग्न में रहकर यदि गुरु सप्तम को देखे तो जातक सुन्दर, बुद्धिमान और विवेकी होता है। उसकी आयु पूर्ण होती है और वह दूसरों की मदद को तत्पर रहता है। हाँ, इनमें अपने ज्ञान का अहंकार भी रहता है। जीवन साथी सुशिक्षित, अच्छे स्वभाव का और समझदार होता है।
##यदि गुरु तीसरे भाव में रहकर सप्तम को देखता हो तो शिक्षा में कमी को दिखाता है। बड़ी बहन का सुख नहीं मिलता, धन या कीर्ति में से एक ही प्राप्त होता है। जीवन साथी से मतान्तर रहने से खटपट बनी रहती है। यदि गुरु आय (11वें) भाव में हो तो जातक और उसके साथी के लिए ठीक होता है मगर पुत्र सुख में कमी करता है। सिंह का गुरु इस अशुभ फलों में वृद्धि करता है। ये जातक व्यवसाय में हानि ही पाते है।
#शुक्र की सप्तम पर दृष्टि जातक और उसके साथी को आकर्षक बनाती है। भिन्न लिंगी लोगों की तरफ झुकाव ज्यादा रहता है। बोलने में मिठास रहती है। ऐसा शुक्र होने पर जातक शादी के समय खूब नखरे करता है और अंत में साधारण से व्यक्ति से विवाह कर लेता है। विचार अस्थिर होने से धन का अपव्यय भी करता है।
##मंगल का प्रभाव होने पर अति भोग-विलास और नशे आदि का शौक हो जाता है जिससे स्वास्थ्य बिगड़ने की पूरी आशंका रहती है। ऐसे लोगों को चरित्र का विशेष ध्यान रखना चाहिए और गुरु की शरण में रहना चाहिए।

आपकी कुंडली में दशम स्थान और राशियों का हाल



किसी भी जातक की कुंडली में चार केंद्र स्थान प्रथम, चतुर्थ, सप्तम व दशम भाव होता है। दशम भाव कर्म भाव भी कहलाता है। अतः जातक के जीवन में इसका विशेष प्रभाव होता है। कुंडली में दशम घर से कर्म, आत्मविश्वास, आजीविका, करियर, राज्य प्राप्ति, कीर्ति, व्यापार, पिता का सुख, गोद लिए पुत्र का विचार, विदेश यात्रा आदि का विचार किया जाता है। कहा जा सकता है कि दशम भाव किसी के जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।परंतु आजीविका की अच्छी स्थिति जानने के लिए मुख्यतः चंद्रमा, गुरु-सूर्य व शनि की स्थिति का अवलोकन भी करना चाहिए। यदि दशम भाव व भाग्य भाव मजबूत है तो निश्चित रूप से अच्छा करियर होता है। साथ ही आपका भविष्य सुनहरा होता है।

मेषः यदि दसवें स्थान में मेष राशि हो तो जातक घूमने-फिरने का शौकीन, दौड़ने का शौक रखने वाला, चाल कुछ टेढ़ी हुआ करती है। यदि विवाह योग कुंडली में न हो तो भी वह सुख भोगता है। नम्रता से हीन, चुगलखोर, क्रोधी होता है और शीघ्र ही लोगों का अप्रिय बन जाता है। ऐसा जातक कई कार्यों को एक साथ शुरू कर देता है। यदि कुंडली में मंगल शुभ हो तो निश्चित ही करियर बहुत अच्छा, धन, पद व अधिकार प्राप्ति होती है। माता-पिता, गुरुजनों, मित्रों व पत्नी से सत्य व सौम्य व आदर का व्यवहार करना चाहिए।
वृषभ: कुंडली में दशम घर में वृषभ राशि होने से जातक पिता का प्यार पाने वाला, वाली, स्नेही, विनम्र, धनी, व्यापार में कुशल, बड़े लोगों से मित्रता करने वाला, आत्मविश्वासी और राजपुरुषों से कार्य लेने वाला होता है। यदि शुक्र शुभ अंशों में बलवान हो तो जातक अच्छा व्यापारी व मैनेजर बन सकता है।
मिथुनः ऐसा जातक कर्म को ही प्रधान मानता है। समाज का हितैषी, मन्दिर निर्माण करने वाला, दुर्गा जी का भक्त, देवी दर्शन करने वाला, भगवान को मानने वाला, व्यापार या कृषि कर्म से आजीविका चलाने वाला, बैंक, बीमा कपंनी, कोषाध्यक्ष, अध्यापक की नौकरी करने वाला होता है।
कर्कः यदि कुंडली के दसवें घर में कर्क राशि हो तो जातक कई सगुणों से युक्त, यदि चतुर्थ चन्द्रमा हो तो राजनीति में रूचि रखने वाला व राज्य सत्ता प्राप्त करके समाज की भलाई करने वाला, पापों से डरने वाला, स्नेहवान, अन्याय के विरुद्ध लड़ने वाला होता है। वह आत्मविश्वासी भी होता है।
सिंहः ऐसा जातक अहंकार से घिरा होता है। यदि अहंकार को त्याग दे तो जीवन को जगमगा सकते हैं। संर्कीण विचारधारा के कारण कभी-कभी अपयश के पात्र होते हैं। यदि गुरु, शनि, सूर्य, मगंल, चंद्रमा अति शुभ हो तो जातक पद, प्रतिष्ठा प्राप्त करता है। पिता धनी होता है, बहुत बड़े उद्योग स्थापित करता है।
कन्याः वाकपटुता के कारण लोकप्रिय प्रोफेसर, दुखी व्यक्तियों की सहायता करने वाला, अपने प्राणों को संकट में डालकर दूसरों की रक्षा में तत्पर, स्वाभिमानी होता है। बुध बलवान होने से राज्य में सम्मान होता है। यदि गुरु भी शुभ हो तो जातक अच्छा पद, प्रतिष्ठा प्राप्त जरूर प्राप्त करता है।
तुलाः दशम भाव में तुला राशि हो तो जातक मानव-भाग की भलाई में लगा रहता है। धर्म प्रचारक, धर्म के गूढ़ मर्म को समझने वाला आदर्श व्यक्ति होता है। नौकरी की बजाय व्यापार हितकारी व पसंदीदा होता है। युवावस्था में ही ऐसा जातक अपनी कार्यक्षमता कौशल के बल पर पूर्णतया स्थापित हो जाता है।
वृश्चिकः सौम्य व्यवहार व बुद्धि कौशल के बल पर परिस्थितियों को अनुकूल बनाना इन्हें अच्छी तरह आता है। धार्मिक व सामाजिक कार्यों में बढ़ चढ़ कर हिस्सा लेते हैं। यदि मंगल बलवान हो या लग्नेश शनि स्वयं दसवे घर में हो तो जातक धनी होता है। खेलकूद, राजनीति, पुलिस अधिकारी होता है। इसकी सूर्य, गुरु की स्थिति भी अच्छी रहती है।
धनुः यदि बृहस्पति उच्च का हो या नवांश, दशमांश कुण्डली में शुभ हो तो जातक धनी भी हो सकता है। पिता की सेवा करने वाला, सुंदर वस्तुओं को एकत्र करने वाला, उपकारी होता है। व्यापार में विशेष उन्नति प्राप्त करता है।
मकरः कर्म हो ही धर्म समझने वाला, स्वार्थी, मानसिक शक्ति वाला, समयानुकूल कार्य करने वाला, दया से हीन होता है। जीवन के मध्यकाल में सुखी होता है। ऐसा जातक खोजी, आविष्कारक होता है और अपनी खोज से लोगों को आश्चर्यचकित कर देता है। इसका काम हटकर होता है।
कुंभः यदि दसवे घर में कुंभ राशि हो तो जातक कूटनीतिज्ञ, राजनीतिज्ञ विरोधियों से भी काम निकालने वाला, आस्तिक होता है। आर्थिक स्थिति अच्छी होती है। शनि की स्थिति अच्छी होने पर खूब धन, पद प्रतिष्ठा मिलती है। पिता से संबंध अच्छे नहीं रहते। नौकरी करते हैं यदि कुण्डली में शुभ योग हो तो शानदार प्रगति करते हैं।
मीनः मीन राशि दशम में होने से जातक गुरु आशा पालन करने वाला, गौ, ब्राह्मण व देव उपासक होता है। जल से संबंधित कार्यों से जीविका चलाने वाला, सम्मानित होता है। यदि गुरु बलवान हो तो राज्य पद, धन, आयु का दाता होता है।

अंक ज्योतिष से जानें की आपको कौन सा रत्न धारण करना चाहिए

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अंक ज्योतिष के अनुसार आपके लिए शुभ रत्न इस प्रकार है-

1, 10, 19, 28 का मूलांक 1 का स्वामी सूर्य है- माणिक्य रत्न शुभ रहेगा।

2, 11, 20, 29 का मूलांक- 2, स्वामी चंद्रमा- रत्न मोती

3, 12, 21, 30 मूलांक- 3, स्वामी गुरू, रत्न पुखराज

4, 13, 22, 31 मूलांक 4, स्वामी राहु, रत्न गोमेद

5, 14, 23 मूलांक 5, स्वामी बुध, रत्न पन्ना।

6, 15, 24 मूलांक 6, स्वामी शुक्र, रत्न हीरा।

7, 16, 25 मूलांक 7, स्वामी केतु, रत्न लहसुनिया।

8, 17, 26 मूलांक 8, स्वामी- शनि, रत्न नीलम।

9, 18, 27 मूलांक 9, स्वामी मंगल, रत्न मूंगा।