आज के शहरीकरण में हर व्यक्ति अपना एक स्वतंत्र रुप का घर चाहता है । घर बनवाने हेतु विभिन्न तरह के डिजाइन के अलग दिखने वाला घर आकेंटेक्ट के माध्यम से तैयार करवाता है। जिसके कारण ही शिक्षित व अनुभवी आर्किटेक्ट की मांग दिनों-दिन बढती जा रही है । समाज में धन और प्रतिष्ठा से जुड़कर इनकी अलग पहिचान हो रही है । इसी कारण आज का नवयुवक भी आकेंटेक्ट की पढाई कर इस व्यवसाय को अपनाना चाहता हैं । इस व्यवसाय से संबंधित शिक्षा व कार्य करने के लिए कुछ कारक ग्रह और ग्रहयोरा हमारे शोध में पहिचाने गये है । भूमि कारक शनि व मंगल एवं कलात्मक कारक शुक्र का कुंडली में वली होना आकेंटेक्ट शिक्षा के लिए कारक हैं। मंगल की राशि की लग्न या शनि की राशि की लग्न हो या शनि व मंराल में से किसी का भी लग्न पर प्रभाव हो और साथ ही शनि, संयत, शुक्र जैसे ग्रहों का पंचम, लग्न, दशम,धन,लाभ आदि में से किन्हें से संबंध हो रहा हो, तो भी जातक को आकेंटेक्ट की शिक्षा दिलाकर आकेंटेक्ट बनाता है ।यदि लग्नेश वाल का शुक्र के साथ युति या दुष्ट संबंध होब का संबंध केन्द्र या त्रिकोंण में भूमि कारक शनि से हो एवं बुध भी अच्छी स्थिति में हो और कर्मेश का संबंध भी यदि मंराल या शनि या शुक्र में से किसी भी रुप से बन रहा हो, तो जातक आकेंटेक्ट की पढाई कर आकेंटेक्ट का काम करता है । यदि लग्नेश के रुप में शनि पर गुरु की दृष्टि हो रही हो, भारयेष्टा के रुप में कारक शुक्र का संबंध यश मंगल के साथ होकर भाग्य या तान भाव में गुरू से दषदै ही रहा हो एवं बुध के साथ केन्द्र में वुधादित्व योग होकर शनि और " राहु जैसे यहीं से प्रभावित हो, तब भी जातक आकेंटेक्ट कार्य कर सकता है । यदि मंगल की राशि का लग्न होकर गुरू से दृष्ट हो, गुरु का शुक्र और शनि 1 जैसे ग्रहों पर दृष्टि प्रभाव हो व लग्नेश मंगल का भी शुक्र पर दृष्टि संबंध हो रहा हो और शुक्र की राशि में बुधाद्रित्य योग होकर रादूसे युति या दृष्टि द्वारा प्रभावित हो रहा हो, तो भी जातक आकेंटेक्ट के कार्य में दक्ष होता है । यदि मंगल लग्नेश होकर लग्न में राहू जैसे ग्रह से प्रभावित हो, शनि व शुक्र का मंगल की राशि मेष में युति या दृष्टि संबध हो रहा हो एंवं बुथादित्य योग केन्द्र या त्रिकोंण में हो, तो जातक भी आकेंटेक्ट प्रोफेज्ञान का कार्य करता है। यदि शनि लाभ या धन भाव में हो या धन भाव में बैठकर कर्मेश शुक्र व ताभभाव को प्रभावित को एवं भश्चयेश के रुप में मंगल पचंमेश गुरु व लग्नेश सूर्य के साथ होकर केन्द्र या त्रिकोंण में राहु से युति या दृष्ट द्वारा प्रभावित हो तो भी जातक भूति, भवन संबंधित कार्य का आर्केटेक्ट बनता है ।
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