Wednesday 29 April 2015

हस्तकला में हाथ की रेखाएं

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रेखाएं:
1 हस्तकला में हाथ की रेखाओं 1: जीवन रेखा - 2: मस्तिष्क रेखा - 3: दिल की रेखा - 4: सूचक और मध्यम उंगलियों के बीच के कटिसूत्र वीनस - 5: सूर्य रेखा - 6: बुध रेखा - 7: भाग्य रेखा
लगभग सभी हाथों में तीन रेखाएं पाई जाती हैं और आम तौर पर हस्तरेखाविद् इन पर सबसे ज्यादा जोर देते हैं.
बड़ी रेखाओं में हृदय रेखा को हस्तरेखाविद् पहले जांचता है. यह हथेली के ऊपरी हिस्से और उंगलियों के नीचे होती है. कुछ परंपराओं में, यह रेखा छोटी उंगली के नीचे हथेली के किनारे से और अंगूठे की तरु पूरी हथेली तक पढ़ी जाती है.दूसरों में, यह उंगलियों के नीचे शुरू होती है और हथेली के बाहर के किनारे की ओर बढ़ती देखी जाती है. हस्तरेखाविद् इस पंक्ति की व्याख्या दिल के मामलों के संबंध में करते हैं, जिसमें शारीरिक और लाक्षणिक दोनों शामिल होते हैं और विश्वास किया जाता है कि दिल की सेहत के विभिन्न पहलुओं के अलावा यह भावनात्मक स्थिरता, रुमानी दृष्टिकोण, अवसाद व सामाजिक व्यवहार प्रदार्शित करती हैं.
हस्तरेखाविद् द्वारा की पहचान की जाने वाली अगली रेखा मस्तिष्क रेखा होती है. यह रेखा तर्जनी उंगली के नीचे से शुरू होकर हथेली होते हुए बाहर के किनारे की ओर बढ़ती है. अक्सर मस्तिष्क रेखा शुरुआत में जीवन रेखा के साथ जुड़ी होती है (नीचे देखें). हस्तरेखाविद् आम तौर पर इस रेखा की व्याख्या व्यक्ति के मन के प्रतिनिधि कारकों के रूप में करते हैं और जिस तरह से यह काम करती है, उनमें सीखने की शैली, संचार शैली, बौद्धिकता और ज्ञान की पिपासा भी शामिल होती है. माना जाता है कि यह सूचना के प्रति रचनात्मक या विश्लेषणात्मक दृष्टिकोण की प्राथमिकता (यानी, दाहिना दिमाग या बांया दिमाग) का संकेतक होती है.
अंत में, हस्तरेखाविद् संभवत: सबसे विवादास्पद रेखा-जीवनरेखा को देखते हैं.
यह रेखा अंगूठे के ऊपर हथेली के किनारे से निकलती है और कलाई की दिशा में मेहराब की शक्ल में बढ़ती है. माना जाता है कि यह रेखा व्यक्ति की ऊर्जा और शक्ति, शारीरिक स्वास्थ्य और आम खुशहाली का प्रतिनिधित्व करती है. ऐसा भी माना जाता है कि जीवन रेखा दुर्घटनाओं, शारीरिक चोट, पुनर्स्थापन सहित जीवन में आने वाले बदलावों को प्रतिबिंबित करती है. आम धारणा के विपरीत, आधुनिक हस्तरेखाविद् आम तौर पर यह विश्वास नहीं करते कि एक व्यक्ति की जीवन रेखा की लंबाई के व्यक्ति की उम्र से जुड़ी हुई है.
अतिरिक्त मुख्य रेखाओं या रूपों में शामिल हैं:
एक बंदर रेखा (क्रीज) या दिल और मुख्य रेखा का मिलनस्थल का भावनात्मक और तार्किक प्रकृति दोनों के अध्ययन में अकेले इस रेखा का खास महत्व है. इस अजीब रेखा को सिर और दिल की रेखा का संयोजन माना जाता है और ऐसे हाथ को बाकी हाथों से अलग चिह्नित किया जाता है.
हस्तरेखाशास्त्र के अनुसार, यह रेखा एक व्यक्ति को उद्देश्य की तीव्रता या किसी उद्देश्य के प्रति एकाग्रता प्रदान करती है, जिसका स्वभाव हाथ पर इस रेखा की सही स्थिति और इससे निकलनेवाली किन्हीं शाखाओं से निर्धारित होती है, जो एक सामान्य मामला होता है. उन हाथों में, जिनमें ऐसी रेखा बिना किसी शाखा के एकल चिह्न के रूप में मौजूद होती है, वह अत्यंत गहन प्रकृति की ओर संकेत करती है और व्यक्तियों की विशेष देखभाल की जरूरत होती है. इस रेखा की सामान्य स्थिति सबसे बड़ी उंगली के नीचे शुरू होती है और सामान्य रूप से वहां समाप्त होती है, जहां दिल की रेखा छोटी उंगली के नीचे हाथ के किनारे खत्म होती है, इससे व्यक्ति के औसत हितों का संकेत मिलता है और स्वभाव की गहनता विशुद्ध रूप से यहां से निकलनेवाली किन्हीं शाखाओं की दिशा से निर्धारित होती है. हथेली के ऊपरी आधे हिस्से, जो उंगलियों तुरंत नीचे होता है, व्यक्ति के उच्चतर या बौद्धिक स्वभाव का प्रतिनिधित्व करता है और हथेली के निचला आधा हिस्सा व्यक्ति के स्वभाव के भौतिकवादी पक्ष का प्रतिनिधित्व करता है. अगर इन आधे-आधे हिस्सों में से एक बड़ा होता है, जो मुख्य रेखा की केंद्रीय स्थिति या इस मामले में एकल अनुप्रस्थ हथेली रेखा से निर्धारित होता है, व्यक्ति के स्वभाव के व्यापक विकास के पहलू को प्रदर्शित करता है. हालांकि यह एक आम सिद्धांत है कि अगर यह रेखा अपनी सामान्य स्थिति से नीचे होती है तो इससे गहन बौद्धिक स्वभाव का संकेत मिलता है, पर अगर यह अपनी सामान्य स्थिति से ऊपर होती है, तो घोर भौतिकवादी प्रकृति और हितों को दर्शाता है. इस रेखा से निकली किन्हीं शाखाओं की दिशा का इस रेखा पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है, जिससे ऊपर परिभाषित परिणामों से उपयुक्त संशोधन होते हैं और यह हाथ के उभार की प्रकृति पर आधारित होता है. उदाहरण के लिए, यदि इस रेखा से एक शाखा अंगूठे के बिल्कुल विपरीत चंद्रमा के उभार पर हाथ के निचले किनारे की ओर बढ़ती है तो यह संकेत करता है कि व्यक्ति भावुक स्वभाव और काफी हिचकिचानेवाला है.
भाग्य रेखा कलाई के पास हथेली के निचले हिस्से से शुरू होती है और हथेली के केन्द्र से होते हुए मध्य उंगली की ओर जाती है. माना जाता है कि यह रेखा स्कूल और कैरियर के चयन, सफलताओं और बाधाओं सहित व्यक्ति के जीवन-पथ से जुड़ी होती है. कभी कभी माना जाता है कि यह रेखा व्यक्ति के नियंत्रण, या एकांतर रूप में व्यक्ति की पसंद और उनके परिणामों से परे परिस्थितियों को प्रतिबिंबित करती है.
मंगल नकारात्मक हस्तकला बृहस्पति, शनि, अपोलो, बुध, मंगल सकारात्मक, मार्स नेगटिव, प्लेन ऑफ़ मार्स, लुना माउंट, नेपच्यून माउंट, वेनस माउंट
अन्य छोटी रेखाएं:
सूर्य रेखा - भाग्य रेखा के समानांतर अंगूठी वाली उंगली के नीचे स्थित यह रेखा यश या घोटाले की ओर इंगित करती है.
सूचक और मध्यम उंगलियों के बीच के कटिसूत्र वीनस - छोटी और अंगूठी वाली उंगलियों के बीच से शुरू होने वाली रेखाएं अंगूठी वाली उंगलियों और मध्य उंगली के बीच मेहराबनुमा आकार से गुजरती है और मध्य और अंगूठी वाली उंगलियों के बीच खत्म होती है और माना जाता है कि ये भावुक खोजी बुद्धि और हेराफेरी की क्षमता से संबंधित होती है.
संघीय रेखाएं - ये छोटी क्षैतिज रेखाएं दिल की रेखा और छोटी उंगली के अंत के बीच में होती हैं और माना जाता है कि ये कभी-कभी, लेकिन हमेशा नहीं- रोमांटिक करीबी रिश्तों की ओर इशारा करती हैं.
बुध रेखा - यह कलाई के पास हथेली के नीचे से शुरू होती है और हथेली होते हुए छोटी उंगली की ओर जाती है माना जाता है कि यह स्वास्थ्य के मुद्दों व्यापार बुद्धि, या संचार में कौशल की ओर इंगित करती हैं.
यात्रा रेखा - ये क्षैतिज रेखाएं कलाई और दिल की रेखा के बीच हथेली के किनारे को छूती है, प्रत्येक रेखा व्यक्ति की यात्रा की बारंबारता को दर्शाती है यानी अगर रेखा लंबी होगी तो व्यक्ति की यात्रा भी ज्यादा महत्वपूर्ण होगी.
अन्य चिह्न - इनमें नक्षत्र, पार, त्रिकोण, वर्गाकृतियां, त्रिशूल, और प्रत्येक उंगलियों के छल्ले शामिल होते हैं, माना जाता है कि हथेली की स्थितियों के आधार पर उनके प्रभाव और अर्थ अलग-अलग होते हैं और हस्तक्षेप करने वाली रेखाओं से मुक्त होती हैं.
"अपोलो रेखा"- अपोलो रेखा का मतलब है एक भाग्यशाली जीवन, यह चंद्रमा के उभार से चलकर अपोलो उंगली के नीचे कलाई तक जाती है.
"अशुभ लाइन" - यह जीवन रेखा को पार कर अंग्रेजी के 'एक्स' के रूप में होती है; यह बहुत बुरा संकेत है और हस्तरेखाविद अक्सर इसका उल्लेख नहीं करते, क्योंकि इस अशुभ रेखा के बारे में बताने से व्यक्ति चिंतित हो जाता है. अशुभ लाइन के आम संकेतक में अन्य लाइनों से मिलकर बना 'रू' आकार शामिल होता है.
हाथ की उंगलियां एवं हथेली में स्थित विभिन्न ग्रहों के पर्वत व्यक्ति के विचारों एवं भावनाओं को दर्शाते हैं। मनुष्य के विचार एवं भावनाएं सत्व, राजस एवं तमस गुणों का मिश्रण होते हैं। सत्व गुण की मुख्य विशेषता ज्ञान एवं सहनशीलता है। अन्य विशेषताएं करुणा, विश्वास, प्रेम, आत्म-नियंत्रण, समझ, शुद्धता धैर्य, और स्मृति हैं। राजस की मुख्य विशेषता गतिविधि एवं प्रवृत्ति है। अन्य विशेषताएं महत्वाकांक्षा, गतिशीलता, बेचैनी, जल्दबाजी, क्रोध, ईर्ष्या, लालच, और जुनून है। तमोगुण की मुख्य विशेषता है जड़ता या मूढ़ता। अन्य विशेषताएं सोच या व्यवहार, लापरवाही, आलस, भुलक्कड़पन, हिंसा और आपराधिक विचार हैं।
मनुष्य के विचारों में किस गुण की प्रधानता है इसका निर्धारण उस मनुष्य की हाथ के हथेलियों मे स्थित विभिन्न ग्रहों के पर्वत एवं उंगलियों को देखकर किया जा सकता है। हस्तरेखा विज्ञान के अनुसार हाथ की हथेली को मुख्यत: तीन भागों मे विभाजित किया जाता है। ये तीन भाग सत्व, राजस एवं तमस गुणों का प्रतिनिधित्व करते हैं। हथेली के अग्र भाग मे स्थित गुरु, शनि, सूर्य एवं बुध के पर्वत जो कि क्रमश: तर्जनी, मध्यमा, अनामिका एवं कनीष्टिका उंगलियों के ठीक नीचे स्थित होते हैं। मनुष्य के सात्विक गुणों को दर्शाते है। मंगल का उच्च पर्वत एवं मंगल का निम्न पर्वत जो हथेली के मध्य भाग में स्थित होते हैं राजसिक तत्व का प्रतिनिधित्व करते हैं। शुक्र एवं चंद्रमा के पर्वत हथेली के निचले भाग मे स्थित होते हैं। ये मनुष्य के तामसिक गुणों का प्रतिनिधित्व करते हैं। जिस ग्रह का पर्वत जितना उभरा हुआ होगा व्यक्ति में उस ग्रह से संबन्धित गुण उतने ही अधिक होंगे।
हाथ की उंगलियों में सत्व, राजस एवं तमस गुण क्रमश उंगली के ऊर्ध्व, मध्य एवं निम्न भाग दर्शाते हैं। उंगलियों के ये भाग अंग्रेजी में फैलैंगक्स के नाम से जाने जाते हैं। व्यक्ति थ की हथेलियों एवं उंगलियां को देखकर उसके व्यक्तित्व, आचार, विचार एवं व्यवहार के बारे में बहुत कुछ पता लगाया जा सकता है।उंगलियों का निचला भाग जो कि हथेली से जुड़ा हुआ होता है व्यक्ति की महत्वाकांक्षाओं को दर्शाता है। यह भाग व्यक्ति के भौतिक, आर्थिक स्तर, उसके खान-पान, रहन-सहन, सामाजिक स्तर आदि के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी देते हैं। उंगली के इस भाग से शरीर एवं बुद्धि के सामंजस्य का अध्ययन किया जाता है। उंगलियों का मध्य भाग व्यक्ति की व्यावहारिकता एवं उसके आस-पास के वातावरण से उसके सामंजस्य का आभास होता है। उंगली के इस भाग से व्यक्ति के कार्य क्षेत्र एवं व्यवसाय के बारे में भी जानकारी मिलती है। उंगलियों के ऊर्ध्व भाग से व्यक्ति की नियमबद्धता, दूरदर्शिता, कार्यकुशलता, सदाचरण एवं नैतिक मूल्यों का पता चलता है।
जिन व्यक्तियों की उंगलियों के तीनों भाग बराबर होते हैं उनका व्यक्तित्व आमतौर पर संतुलित होता है। जब एक व्यक्ति की उंगलियों के ऊर्ध्व एवं मध्य भाग बराबर होते हैं तब उस व्यक्ति की संकल्प शक्ति एवं निर्णय लेने की क्षमता मे सामंजस्य होता है। यदि ऊर्ध्व भाग अन्य दो भागों से बड़ा होता है तो संकल्प शक्ति की कमी का कारण व्यक्ति अपनी इच्छाओं एवं आकांक्षाओं की पूर्ति में कमी पाता है। संकल्प शक्ति की कमी के कारण सही निर्णय लेने की क्षमता भी प्रभावित होती है एवं व्यक्ति अपनी इच्छाओं तथा आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए सही निर्णय नहीं ले पाता है।
यदि उंगलियों का मध्य भाग अन्य दो भागों से अधिक लंबा है तो व्यक्ति की तार्किक क्षमता एवं बौद्धिक क्षमता प्रबल होती है। परंतु उसकी संकल्प शक्ति एवं कार्य के प्रति एकाग्रता मे कमी कारण सफलता मिलने मे देरी हो सकती है। ऐसे व्यक्ति दूसरों की सफलता देखकर ईर्ष्या की भावना से भी ग्रस्त हो सकते हैं। क्योंकि बुद्दिमत्ता में अन्य व्यक्तियों से कम न होने पर भी वे उनके जीतने सफल नहीं होते हैं। परंतु इसका प्रमुख कारण यह है कि उनकी संकल्प शक्ति एवं इच्छा शक्ति मे कमी है और इसे केवल मेहनत एवं कठिन परिश्रम से ही जीता जा सकता है।
यदि उंगलियों का निम्न भाग अन्य दो भागों से अधिक लंबा होता है तो आप विवेक पूर्ण एवं परिस्थिति के अनुसार निर्णय लेने में समर्थ हैं। ऐसे व्यक्ति भावुक प्रकृति के होते हैं। वे अपना समय, पैसा एवं सलाह जरूरतमंदों के लिए खर्च करने के लिए सदैव तत्पर रहते हैं। इसके लिए यदि उन्हे आलोचना भी सहनी पड़े तो वे उसके लिए तैयार रहते हैं।
हाथ की उंगलियों की स्थिति जिस व्यक्ति की पूर्ण रूप से व्यस्थित होती है वे व्यक्ति जीवन में बहुत सफल होते हैं। लंबी एवं पतली उंगलियों वाले व्यक्ति भावुक होते हैं जबकि मोटी उंगलियों वाले व्यक्ति मेहनती होते हैं। जिन व्यक्तियों की उंगलियां कोण के आकार की होती हैं वे अत्यधिक संवदेनशील होते हैं तथा अपनी वेषभूषा एवं सौन्दर्य का विशेष ध्यान रखते हैं। जिन व्यक्तियों की उंगलियां ऊपर से नुकीली होती हैं वे आध्यात्मिक प्रवृत्ति के होते हैं तथा इनकी कल्पना शक्ति अद्भुत होती है। स्वभाव से ये नम्र होते हैं।

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