अंको के गोचर और जातक के अपने अंक के तालमेल से जीवन में हानि लाभ, अच्छा बुरा का पता लगाया जा सकता है। आपको कौन-से रोग सता सकते हैं इसका संबंध आपके अंक से होता है। आपके अंक और वर्तमान में गोचर के अंकों के तालमेल से किस अंक को क्या रोग होगा है कब होगा इसकी जानकारी प्राप्त करना संभव होता है।
हमारे जीवन में अंक का विशेष महत्व होता है, जिस प्रकार सभी गणनाओं का आधार अंक होता है उसी प्रकार किसी व्यक्ति का जन्मांक और मूलांक उसके जीवन के सभी घटनाओं के साक्षी होते हैं, जिससे कहा जा सकता है कि अंक के आधार पर जीवन की प्रमुख घटनाएं जैसे जन्म, विवाह, व्यापार, लाभ-हानि, मृत्यु इत्यादि की गणना अंक के आधार पर किया जा सकता है।
अंक एक विज्ञान सम्मत विषय है अत: अंक के आधार पर किसी भी जातक की स्वास्थ्य संबंधि कष्टों का भी विवरण प्राप्त किया जा सकता है। ज्योतिष का ही नहींं यद्यपि संसार का प्रारम्भ ''अंक से ही हुआ है। जहाँ से काल का प्रारम्भ हुआ उसकी भी गणना का कारक ''अंक ही है। इस प्रकार जीवन में अंक का बहुत बड़ा महत्व है। अंक के बिना जब सृष्टि का प्रारम्भ संभव नहींं, तो अंक के बिना कुछ भी असंभव होता है। प्रत्येक शब्द को अंक अथवा संख्या में परिवर्तित कर, उसकी माप की जा सकती है। शब्द से मंत्र का निर्माण हुआ है, मंत्र को शक्ति प्रदान करने के लिए एक अनुपातिक गणना कर मंत्र को पूर्ण शक्ति प्राप्त हो जाती है, तब वह मंत्र अपना पूर्ण प्रभाव प्रदान करता है। किसी भी शब्द या मंत्र को निश्चित संख्या में जपने अथवा पढऩे से वह शक्तिशाली हो जाता है। किसी देवता के मंत्र में 22 अक्षर होते हैं, तो किसी देवता के मंत्र षडक्षरी भी होते हैं। इसी प्रकार संख्या और क्रिया का घनिष्ठ सम्बन्ध है, अंक की गणना शून्य से की जाती है, ''शून्य निराकार ब्रह्म का प्रतीक है तथा पूर्ण ब्रह्म का द्योतक है। शून्य का सृष्टि में बड़ा महत्व है। इस प्रकार अंक हर तरह से प्रभावशाली है।
अंक किसी भी वस्तु और क्रिया सम्बन्ध को प्रमाणित करता है, अंक ज्योतिष अपने नाम के अनुसार अंक पर आधारित है। अंकशास्त्र में मुख्य रूप से नामांक, मूलांक और भाग्यांक इन तीन विशेष अंकों को आधार मानकर फलादेश किया जाता है। अंक शास्त्र के अनुसार सृष्टि के सभी गोचर और अगोचर तत्वों का अपना एक निश्चत अंक होता है। अंकों के बीच सही तालमेल के अनुसार ही जातक का जीवन शुभ या अशुभ प्रभाव दिखाता है। जब तालमेल सही नहींं होता है तब वे अशुभ या विपरीत परिणाम देते हैं। इसी प्रकार अंको के गोचर और जातक के अपने अंक के तालमेल से जीवन में हानि लाभ, अच्छा बुरा का पता लगाया जा सकता है। आपको कौन-से रोग सता सकते हैं इसका संबंध आपके अंक से होता है। आपके अंक और वर्तमान में गोचर के अंकों के तालमेल से किस अंक को क्या रोग होगा है कब होगा इसकी जानकारी प्राप्त करना संभव होता है। आइए जानें आपके अंक के आधार पर आपको कौन-कौन से रोग हो सकते हैं:-
अंक 1: (जन्म तारीख- 1, 10, 19, 28)
जिस व्यक्ति का जन्म एक या उसकी श्रृंखला में होता है, वह स्त्री या पुरुष क्रियाशील, रचनात्मक, दृढ़ निश्चयी एवं व्यक्तित्व का धनी होता है। ये सभी बातें उन व्यक्तियों पर लागू होती हैं, जो किसी भी माह की 1, 10, 19, 28(इनका जोड़ 1 है) को पैदा हुए हों। अंक 1 सूर्य का प्रतीक है। सूर्य का नेत्र, कलेजा, मेरुदंड आदि पर विशेष प्रभाव पड़ता है इससे शारीरिक रोग, सिरदर्द, अपचन, क्षय, महाज्वर, अतिसार, नेत्र विकार आदि का विचार किया जाता है। इस प्रकार मूलांक 1 वाले व्यक्ति सूर्य से संबंधित या सिर से संबंधित रोग जैसे पित्त से संबंधित बीमारियां परेशान करती हैं। पित्त के घटने-बढऩे पर समस्याएं उत्पन्न होती हैं। अंक ज्योतिष के अनुसार मूलांक 1 वाले लोगों को दिल की बीमारियां, दांत के रोग,सिर दर्द, नेत्र रोग आदि होने की संभावना रहती है।
अंक 2: (जन्म तारीख- 2, 11, 20, 29)
जिनका जन्म 2, 11, 20, 29 तारीख को हुआ है, उनका मूलांक 2 है। इस अंक का प्रतिनिधित्व चंद्रमा ग्रह करता है जो मन का भी स्वामी है। इस कारण इस मूलांक के व्यक्ति भावुक, संवेदनशील, चंचल और अनिश्चिय की स्थिति में रहने वाले होते हैं। इनके ऊपर आजीवन कार्याधिकता का बोझ पड़ा रहता है। प्रभावित अंग- फेफड़े, छाती, हृदय, वक्षस्थल, जिह्वा, तालु, रक्त संचार से संबंधित रोग हो सकते हैं। इन्हें प्राय: हृदय और फेफड़े संबंधी, अपच, डिप्थीरिया, दार्इं आंख, निद्रा, अतिसार, जीभ पर छाले, रक्ताल्पता, गुर्दे संबंधी रोग, वीर्य दोष, मासिक धर्म में बाधा, जलोदर, आंत रोग, स्तन में गिल्टियां, कुंठा, उद्वेग। मूलांक 2 के लोगों को गैस के रोग, आंतों में सूजन, ट्यूमर, मानसिक दुर्बलता, फेफड़ों संबंधी रोग आदि होने की संभावना रहती है।
अंक 3: (जन्म तारीख- 3, 12, 21, 30)
जिनका जन्म 3, 12, 21, 30 तारीख को हुआ है, उनका मूलांक 3 है। इनके जीवन का प्रतिनिधित्व देवगुरु वृहस्पति करते हैं। प्रभावित अंग- जंघा और उसके आसपास के अवयव होते हैं। इस अंक से संबंधित रोग- चर्मरोग, स्नायु दुर्बलता, गुप्त रोग, भोग से अरुचि, रक्त दोष, वायु प्रकोप, मधुमेह, ज्वर, खांसी। मूलांक 3 वाले लोगों को स्नायु तंत्र यानी नर्वस सिस्टम के रोग, पीठ व पैरों में दर्द, चर्म रोग, गैस, हड्डियों के दर्द का रोग, गले का रोग और लकवा होने की आशंका रहती है।
अंक 4:(जन्म तारीख- 4, 13, 22, 31)
अंक ज्योतिष में संख्या 4 का स्वामी राहु ग्रह है, संख्या 4 के व्यक्ति काफी काल्पनिक होते हैं। इस मूलांक के व्यक्ति प्राय: रक्त की कमी से पीडि़त रहते हैं, जिसे अंग्रेजी में एनीमिया कहते हैं तथा रहस्यमय रोगों से ग्रस्त होने की संभावना है जिनका निदान कठिन होगा। वे न्यूनाधिक उदासीपन, रक्ताल्पता तथा सिर एवं कमर दर्द रहेंगे। इन्हें विद्युत चिकित्सा तथा सम्मेहन विद्या से लाभ होगा। थोड़ा सा ही बीमार होने पर रक्त की भी कष्ट रहेगा। इसलिए इन लोगों को भोजन में ऐसे तत्वों का समावेश रखना चाहिए जिनमें लौह तत्व प्रधान हो। मुलांक 4 वाले लोगों को सांस की बीमारियां, दिल के रोग, ब्लड-प्रेशर, पैरों में चोट, अनीमिया, नींद की समस्या, आंखों की समस्या, सिरदर्द, पीठ दर्द आदि की शिकायत हो सकती है।
अंक 5: (जन्म तारीख- 5, 14, 23)
5,14 और 23 तारीख को जन्मे जातकों का मूलांक 5 होता है। मूलांक 5 वाले व्यक्तियों का अधिष्ठाता ग्रह बुध है। ये फुर्ती से काम करने वाले, जल्दबाज, शीघ्र निर्णय लेने वाले हैं। इस अंक वाले व्यक्ति प्राय: सर्दी जुकाम व फ्लू इत्यादि से पीडि़त रहते हैं। इन्हें नर्वस ब्रेक डाउन का भी भय बना रहता है। थका लेने वाली प्रवृति हेती है। वे मन से बहुत अधिक सोचते हैं और स्नायविक रोगों तथा अनिद्रा से ग्रस्त हो जाते हैं। निद्रा, विश्राम और शांति इनके लिए सर्वोत्तम औषधियां है। मूलांक 5 के लोगों को आमतौर पर अपच और असिडिटी की समस्या से दो-चार होना पड़ता है। मानसिक तनाव, सिरदर्द, जुकाम, कमजोर नजर, हाथ और कंधों में दर्द, लकवा जैसे रोग होने की संभावना रहती है।
अंक 6: (जन्म तारीख- 6, 15, 24)
जिन लोगों का जन्म 6, 15 या 26 तारीख को हुआ हो उनका मूलांक 6 होता है। मूलांक 6 का स्वामी ग्रह शुक्र है। इस अंक वाले को गले, नाक और फेफड़े के ऊपरी हिस्से के रोगों से ग्रस्त होने की संभावना रहती है। साधारणत: इनका शरीर गठीला होता है। यूं तो आजकल फेफड़ों से संबंधित तपेदिक रोगों का इलाज साधारण बात हो गयी है। परंतु कुछ अन्य रोगों का संबंध भी फेफड़ों से है। मूलत: यह कामवासना का प्रधान अंक है। इन्हें इस प्रकार के रोगों के होने का भी भय बना रहता है। जिन लोगों का मूलांक 6है उन्हेंं गले, गुर्दे, छाती, मूत्र-विकार, हृदय रोग एवं गुप्तांगों के रोग, डायबीटीज, पथरी, फेफड़ों के रोग आदि होने की संभावना रहती है।
अंक 7: (जन्म तारीख- 7, 16, 25)
जिनका जन्म किसी भी माह की 7,16या 25 तारीख को हुआ है, उनका मूलांक 7 होता है। इस अंक का स्वामी ग्रह केतु होता है। ऐसे व्यक्ति भावुक, परिवर्तनशील तथा नए-नए स्थानों पर भ्रमण करने में रुचि रखते हैं। इस अंक वाले को प्राय: फोड़े-फुन्सी या अन्य प्रकार के चर्म रोग होने की संभावना रहती है। इस रोग से संबंधित शिकायत बनी ही रहेगी। अन्यों के अपेक्षा यह चिंता तथा चिढऩ से अधिक शीघ्र प्रभावी होते हैं। इनका शरीर दुबला-पतला होता है और वे अपनी सामथ्र्य से कहीं अधिक कार्य करने का प्रयास करते हैं। इनकी त्वचा विशेष कोमल होती है। जरा सी भी खरोंच इन्हें परेशान कर देती है। मूलांक 7 के लोगों को बदहजमी, पेट के रोग, आंखों के नीचे काले धब्बे, सिरदर्द, खून की खराबी आदि की संभावना रहती है। फेफड़े संबंधी रोग, चर्म रोग और याददाश्त की कमजोरी का सामना भी करना पड़ सकता है।
अंक 8: (जन्म तारीख- 8, 10, 19, 28)
किसी माह की 8, 17 या 26 तारीख को जन्में जातकों का मूलांक 8 होता है। मूलांक 8 का स्वामी ग्रह शनि होता है। अंकज्योतिष की दृष्टि से आठ नंबर बेहद मजबूत और शक्तिशाली होता है। ऐसे व्यक्ति अंतर्मुखी, कठिन परिश्रमी तथा दृढ़ निश्चयी होते हैं। इस मूलांक के व्यक्ति जिगर से संबंधित रोग लगे रहते हैं। पित्त तथा आंतों की परेशानियों से ग्रस्त हो सकते हैं। इन्हें सिरदर्द तथा गठिया रोग की भी प्रवृत्ति होत है। लीवर खराब होने से अन्य बीमारियां भी हो सकती है। इसलिए यथासंभव इन रोगों से बचने का प्रयत्न करना चाहिए। मूलांक 8 के लोग लीवर के रोग, वात रोग सता सकते हैं। इसके अलावा, इन्हें मूत्र-संबंधी रोग आदि की संभावना है। इसके अलावा इन्हें डिप्रेशन की शिकायत होने की संभावना रहती है।
अंक 9: (जन्म तारीख- 9, 18, 27)
मूलांक 9 उन लोगों का होता है जिनका जन्म 9, 18या 27 तारीख को हो। मूलांक 9 का प्रतिनिधि ग्रह मंगल है। ये लोग स्पष्टवादी, स्वाभिमानी, कठिन परिश्रमी, उग्र प्रकृति किन्तु दयालु स्वभाव के होते हैं। समस्त जीवन संघर्ष में व्यतीत होता है, रक्त विकार का भय रहता है। इन अंक वालों को न्यूनाधिक सभी प्रकार के ज्वर, खसरा, चेचक, चर्म रोग तथा नासारन्ध्र से संबंधित जुकाम आदि रोगों से पीडि़त हो सकते हैं। इन्हें चाहिए कि वे इन रोगों से बचाव रखने का भरपूर प्रयत्न करें। मूलांक 9 वाले लोगों को पेट के विकारों, आग से जलने, मूत्र प्रणाली में विकार, बुखार-सिरदर्द, दांत के दर्द, बाबासीर, रक्त विकार, चर्म रोग आदि होने की संभावना रहती है।
Pt.P.S Tripathi
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