Sunday, 19 April 2015

कारोबार में आकस्मिक हानि का कारण एवं उसका ज्योतिषीय निदान -


कारोबार में आकस्मिक हानि का कारण एवं उसका ज्योतिषीय निदान  -
व्यक्ति के जीवन में कई बार कारोबार में आकस्मिक हानि प्राप्त होती है साथ ही कई बार योग्यता तथा सामथ्र्य होने के बावजूद कारोबार में वह सफलता प्राप्त नहीं होती, जिसकी कोषिष और चाहत होती है। इस प्रकार का कारण ज्योतिषषास्त्र द्वारा ज्ञात किया जा सकता है। यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में प्रथम, द्वितीय, तृतीय, चतुर्थ, अष्टम, नवम भाव में से किसी भाव में राहु के होने पर जातक के जीवन में आकस्मिक हानि का योग बनता है। अगर राहु के साथ सूर्य, शनि के अलावा कहीं भी राहु अष्टमेष या भाग्येष के साथ हो जाए तो यह प्रभाव जातक के व्यवसाय या कार्य पर भी दिखाई देता है। अष्टम में होने पर आकस्मिक हानि, विवाद तथा न्यायालयीन विवाद, उन्नति तथा धनलाभ में बाधा देता है। बार-बार कार्य में बाधा आना या व्यवसाय में परितर्वतन करना, सामाजिक अपयष अष्टम राहु के कारण दिखाई देता है। नवम स्थान में होने पर भाग्योन्नति तथा हर प्रकार के सुखों में कमी का कारण बनता है। यदि लगातार कारोबार में असफलता प्राप्त हो रहा हो तो नारायण बली, नागबली के साथ त्रिपिंणी श्राद्ध करायें एवं श्री नारायण गायत्री मंत्र का नित्य जाप कर दान करें तो जीवन में सुख तथा समृद्धि का रास्ता प्रष्स्त करता है।



Pt.P.S Tripathi
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