मंगल एवं गुरु को विशेष रूप से संतान कारक ग्रह माना गया है। पंचम भाव, पंचमेश ग्रह एवं गुरु का जन्म कुंडली में स्थान आदि से संतान संबंधी विशेष योग आदि का निर्णय किया जाता है।
सूर्य पंचम भाव में नीच तुला राशि का हो तथा नवमांश कुंडली में सूर्य शनि की राशि का हो, अथवा सूर्य अष्टम भाव में, शनि पंचम में तथा पंचमेश राहु से युक्त हो, पंचम भाव में राहु शनि आदि सूर्य के साथ हो तो पितृ श्राप के दोष के कारण सन्तान सुख में कमी आती है।
सूर्य गुरु एवं पंचमेश राहु, शनि, केतु आदि पाप ग्रहों से युक्त हो।
पंचमेश, पंचम या नवम भाव में चन्द्रमा राहु, शनि या मंगल आदि पाप ग्रहों से युक्त या दृष्ट हो।
पंचम भाव में राहु हो और पंचमेश को दूषित करता हो तो सर्प के श्राप का प्रभाव समझे।
यदि केतु के कारण संतान सुख में कमी हो तो ब्राह्मण का श्राप समझे।
Pt.P.S Tripathi
Mobile no-9893363928,9424225005
Landline no-0771-4035992,4050500
Feel Free to ask any questions in
सूर्य पंचम भाव में नीच तुला राशि का हो तथा नवमांश कुंडली में सूर्य शनि की राशि का हो, अथवा सूर्य अष्टम भाव में, शनि पंचम में तथा पंचमेश राहु से युक्त हो, पंचम भाव में राहु शनि आदि सूर्य के साथ हो तो पितृ श्राप के दोष के कारण सन्तान सुख में कमी आती है।
सूर्य गुरु एवं पंचमेश राहु, शनि, केतु आदि पाप ग्रहों से युक्त हो।
पंचमेश, पंचम या नवम भाव में चन्द्रमा राहु, शनि या मंगल आदि पाप ग्रहों से युक्त या दृष्ट हो।
पंचम भाव में राहु हो और पंचमेश को दूषित करता हो तो सर्प के श्राप का प्रभाव समझे।
यदि केतु के कारण संतान सुख में कमी हो तो ब्राह्मण का श्राप समझे।
Pt.P.S Tripathi
Mobile no-9893363928,9424225005
Landline no-0771-4035992,4050500
Feel Free to ask any questions in

No comments:
Post a Comment