Saturday, 18 April 2015

वास्तुशास्त्र और अर्थनीति

धन कमाना जितना मुश्किल है उससे कुछ ज्यादा धन बचाना है। कई बार आप चाहते भी हैं तब भी धन बचाकर नहीं रख पाते हैं, आकस्मिक खर्च आकर बजट बिगाड़ जाते हैं। वास्तुशास्त्र मेंं कुछ सामान्य उपाय बताए गये हैं जिन्हें आजमाने से आकस्मिक खर्चों मेंं कमी आती है और बचत बढऩे लगता है।
धन रखने की दिशा:
धन मेंं वृद्धि और बचत के लिए तिजोड़ी अथवा आलमारी जिसमेंं धन रखते हों उसे दक्षिण की दिवार से सटा कर इस प्रकार रखें कि, इसका मुंह उत्तर दिशा की ओर रहे। पूर्व की दिशा की ओर आलमारी का मुंह होने पर भी धन मेंं वृद्धि होती है लेकिन उत्तर दिशा उत्तम मानी गयी है।
नल को बदलें:
नल से पानी का टपकते रहना वास्तुशास्त्र मेंं आर्थिक नुकसान का बड़ा कारण माना गया है, जिसे बहुत से लोग अनदेखा कर जाते हैं। वास्तु के नियम के अनुसार नल से पानी का टपकते रहना धीरे-धीरे धन के खर्च होने का संकेत होता है। इसलिए नल मेंं खराबी आ जाने पर तुरंत बदल देना चाहिए।
दीवार पर लटकाएं धातु का
सामान:
शयनकक्ष मेंं कमरे के प्रवेश द्वार के सामने वाली दीवार के बाएं कोने पर धातु की कोई चीज लटकाकर रखें। वास्तुशास्त्र के अनुसार यह स्थान भाग्य और संपत्ति का क्षेत्र होता है। इस दिशा मेंं दिवार मेंं दरारें हों तो उसकी मरम्मत करवा दें। इस दिशा का कटा होना भी आर्थिक नुकसान का कारण होता है।
घर मेंं नहीं रखें कबाड़: घर मेंं टूटे-फूटे बर्तन एवं कबाड़ को जमा करके रखने से घर मेंं नकारात्मक उर्जा का संचार होता है। टूटा हुआ बेड एवं पलंग भी घर मेंं नहीं रखना चाहिए इससे आर्थिक लाभ मेंं कमी आती है और खर्च बढ़ता है। बहुत से लोग घर की छत पर अथवा सीढ़ी के नीचे कबाड़ जमा करके रखते हैं जो धन वृद्धि मेंं बाधक होता है।
जल का निकासी:
बहुत से लोग इस बात का ध्यान नहीं रखते हैं कि उनके घर का पानी किस दिशा मेंं निकल रहा है। वास्तु विज्ञान के अनुसार जल की निकासी कई चीजों को प्रभावित करती है। जिनके घर मेंं जल की निकासी दक्षिण अथवा पश्चिम दिशा मेंं होती है उन्हें आर्थिक समस्याओं के साथ अन्य कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है। उत्तर दिशा एवं पूर्व दिशा मेंं जल की निकासी आर्थिक दृष्टि से शुभ माना गया है।

Pt.P.S Tripathi
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