Sunday, 19 April 2015

नरक का द्वार



एक व्यक्ति सड़क पर अपने घोड़े और कुत्ते के साथ घूम रहा था। ये दोनों उसके पालतू पशु ही नहीं, बल्कि मित्र भी थे। अचानक बिजली गिरी और वे दुनिया को अलविदा कह गए। अब वे तीनों खुद को हल्का महसूस कर रहे थे, तभी अचानक तीव्र आंच लगने लगी। ऐसा लगता था मानो वे आग लगे जंगल में बस बढ़ते ही जा रहे हों। उस मार्ग पर कोई न था, सिर्फ इन तीनों के, और आग के। गर्मी के कारण उन्हें जोरों की प्यास लग रही थी। पर आसपास पानी का नामो निशान नहीं था। आगे चल कर उन्हें एक संगमरमर का बना रास्ता दिखाई दिया, जिस पर थोड़ी-थोड़ी दूर पर सोने से मढ़ी हुई वर्गाकार आकृतियां बनी हुई थीं। उनके अंदर पानी के झरने लगे हुए हुए थे, जिनमें स्वच्छ पानी आ रहा था। दरवाजे पर तैनात द्वारपाल से उस व्यक्ति ने अभिवादन किया। यात्री ने कहा- यह कितना मनोहारी दृश्यों वाला स्थान है? द्वारपाल ने जवाब दिया- हां, यह स्वर्ग है।
व्यक्ति खुश हो गया कि मरने के बाद मैं स्वर्ग में आ गया और यहां पानी भी है। यात्री ने द्वारपाल से कहा कि वह और उसका घोड़ा व कुत्ता प्यासे हैं। पानी पीने की अनुमति दीजिए। द्वारपाल बोला- क्षमा कीजिए, स्वर्ग में जानवरों का प्रवेश निषिद्ध हैं।
वह हताशा से भर गया। हालांकि उसे बहुत जोरों की प्यास लगी हुई थी, लेकिन उसने अकेले पानी पीना उचित नहीं समझा। वह स्वर्ग को छोड़ घोड़े व कुत्ते के साथ आगे चल पड़ा। बहुत दूर चलने के बाद वह एक छोटे से घर के सामने निढाल होकर गिर पड़ा। थोड़ी देर में आंखें खुलीं उसने अपने आपको एक पेड़ के नीचे सोया हुआ पाया।
वहीं रास्ते से एक भद्र पुरुष आता दिखा। उसका मस्तक प्रकाश से विभोर था। यात्री ने पानी पीने की इच्छा जताई। उस व्यक्ति ने पहाड़ में स्थित झरने की ओर इशारा किया। यात्री और उसके जानवर, तीनों वहां गए और अपनी प्यास बुझाई। लौटकर उस व्यक्ति ने पूछा कि यह कौन-सी जगह है? उसने कहा 'स्वर्ग। ''परंतु द्वारपाल ने तो पहले वाली जगह को स्वर्ग बताया था जहां चमचमाता महल था और जल से भरे सरोबर थे यात्री ने कहा। ''नहीं, वह स्वर्ग नहीं है, पर वह तो नर्क है। जिस नर्क में हमारे मित्र भी लालच में आकर हमें दुख में छोड़कर चले जाते हैं। भद्र पुरुष ने कहा।
यात्री को समझ में आ गया, वह स्थान जहां उसे अपने लिए स्वार्थ दिखा था, लालच दिखी थी, वहीं से नर्क प्रारंभ हो जाती है। और जो मार्ग नि:स्वार्थ मित्रता को जाता है, वह स्वर्ग का मार्ग है।

Pt.P.S Tripathi
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