Sunday, 19 April 2015

छत्तीसगढ़ में शक्ति साधना के केंद्र एवं मंदिर

छत्तीसगढ़ में शक्ति साधना के केंद्र एवं मंदिर
जगत की उत्पत्ति के पीछे ''शक्ति'' को ही मूल तत्व मानने वाले माता के रूप में देवी की पूजा करते हैं। छत्तीसगढ़ में देवियाँ ग्रामदेवी और कुलदेवी के रूप में महामाया देवी के रूप में प्रतिष्ठित होकर पूजित हो रही हैं। इन देवियों को राजा-महाराजाओं, ज़मींदारों और मालगुज़ारों ने अपनी-अपनी राजधानियों में ''कुलदेवी'' के रूप में स्थापित किया था। पाँच देवियों के रूप में छत्तीसगढ़ में रतनपुर की महामाया, सरगुजा की महामाया और समलेश्वरी देवी, चंद्रपुर की चंद्रसेनी देवी, बस्तर की दंतेश्वरी देवी, डोंगरगढ़ की बमलेश्वरी देवी इन पाँच देवियों के अतिरिक्त छत्तीसगढ़ में चांपा में समलेश्वरी देवी, कोरबा ज़मींदारी में सर्वमंगला देवी, जशपुर रियासत में चतुर्भुजी काली माता, अड़भार में अष्टभुजी देवी, झलमला में गंगामैया, केरा, पामगढ़ और दुर्ग में चंडी दाई, खरौद में सौराईन दाई, शिवरीनारायण में अन्नपूर्णा माता, मल्हार में डिडनेश्वरी देवी, रायपुर - बिलासपुर रोड में बंजारी देवी का भव्य मंदिर है। छुरी की पहाड़ी में कोसगई देवी, बलौदा के पास खम्भेश्वरी देवी की भव्य प्रतिमा पहाड़ी में स्थित हैं।


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