Sunday, 12 April 2015

राजनीतिक सफलता हेतु ज्योतिष उपाय

राजनीति आज के परिदृष्य में जहाँ विवादों से भरी हुई है, वहीं कई राजनैतिक व्यक्ति अपनी छवि तथा व्यवहार से लोगों के बीच लोकप्रिय बने हुए हैं। राजनीति के क्षेत्र में लगातार सफलता प्राप्ति तथा लोकप्रिय बने रहने हेतु ग्रह स्थिति और ग्रह दशाओं का अनुकूल होना आवश्यक है। अत: लोग राजनीतिक सफलता हेतु विशिष्ट संयोगो, उन संयोगो द्वारा लोकप्रियता, वैभव तथा सम्मान प्राप्ति हेतु इच्छिुक होता है। कुंडली के द्वारा राजनीतिक जीवन में असफलता तथा उचाईयों के संबंध में जानकारी प्राप्त की जा सकती है। राजनीति में सफल कैरियर हेतु व्यक्ति में जो गुण होने चाहिए उसमें प्रमुख रूप से माने जाने वाले गुण हैं जोकि किसी व्यक्ति को सफल राजनैतिक कैरियर देने में समर्थ हो सकते हैं वह है नेतृत्व क्षमता, सेवा का भाव, सामाजिक हित अथवा अहित के संदर्भ में विचार लोकप्रियता तथा प्रभावी व्यक्तित्व का गुण होना चाहिए। किसी सफल राजनेता की कुंडली में छठवां, सांतवां, दसवां तथा ग्यारहवां घर प्रमुख माना जा सकता है। क्योंकि सत्ता में प्रमुख रहने हेतु दषम स्थान का उच्च संबंध होना चाहिए चंूकि दसम स्थान को राजनीति का स्थान या सत्ता का केंद्र माना जाता है साथ ही एकादष स्थान में संबंध होने से लंबे समय तक शाासन तथा विरासत का कारक होता है। छठवां घर सेवा का घर माना जाता है अत: इस घर से दषम स्थान का संबंध राजनीति में सेवा का भाव देता है। साथ ही सांतवा घर दषम से दषम होने के कारण प्रभावी होता है। किसी व्यक्ति की कुंडली में राहु तथा सूर्य, गुरू इत्यादि का प्रभावी होना भी राजनीति जीवन में सफलता का कारक माना जाता है। चूॅकि राहु को नीतिकारक ग्रह का दर्जा प्राप्त है वहीं सूर्य को राज्यकारक, शनि को जनता का हितैषी और मंगल नेतृत्व का गुण प्रदाय करता है। इस योग में तीसरे स्थान से संबंध रखने से व्यक्ति अच्छा वक्ता माना जा सकता है। अत: राजनीति में सफल होने हेतु इन ग्रहों तथा स्थानों का प्रभावी होना व्यक्ति को राजनीति जीवन में सफल बना सकता है।
लग्न कुण्डली में यह देखा जाता है कि दशम भाव अथवा दशम भाव के स्वामी ग्रह का सप्तम से सम्बंध होने पर जातक सफल राजनेता बनता है। क्योंकि सांतवा घर दशम से दशम है इसलिये इसे विशेष रुप से देखा जाता है साथ ही यह भाव राजनैतिक पद दिलाने में सहायक माना गया है। छठवा घर नौकरी या सेवा का घर होता है यदि इस घर का संबंध दशम भाव या दशमेश से होता है तो व्यक्ति जनता की सेवा करते हुए बडा नेता बनता है या नेता बन कर जनता की सेवा करता है। अब यही संकेत वर्ग कुण्डलियां भी दे रहीं हों तो समझों कि व्यक्ति राजनेता जरूर बनेगा। इसमें नवांश और दशमांश नामक वर्ग कुण्डलियां मुख्य रूप से विचारणीय होती हैं। यदि जन्म कुण्डली के राजयोगों के सहायक ग्रहों की स्थिति नवाशं कुण्डली में भी अच्छी हो तो परिणाम की पुष्टि हो जाती है। वहीं दशमाशं कुण्डली को सूक्ष्म अध्ययन के लिये देखा जाता है। यदि लग्न, नवांश और दशमाशं तीनों कुण्डलियों में समान या अच्छे योग हों तो व्यक्ति बड़ी राजनीतिक उंचाइयां छूता है।
सूर्य, चन्द्र, बुध व गुरु धन भाव में हों व छठे भाव में मंगल, ग्यारहवें घर में शनि, बारहवें घर में राहु व छठे घर में केतु हो तो एसे व्यक्ति को राजनीति विरासत में मिलती है। यह योग व्यक्ति को लम्बे समय तक शासन में रखता है। जिसके दौरान उसे लोकप्रियता व वैभव की प्राप्ति होती है। वहीं वृषश्चिक लग्न की कुण्डली में लग्नेश बारहवे में गुरु से दृ्ष्ट हो शनि लाभ भाव में हो, राहु -चन्द्र चौथे घर में हो, स्वराशि का शुक्र सप्तम में लग्नेश से दृ्ष्ट हो तथा सूर्य ग्यारहवे घर के स्वामी के साथ युति कर शुभ स्थान में हो और साथ ही गुरु की दशम व दूसरे घर पर दृष्टि हो तो व्यक्ति प्रखर व तेज नेता बनता है। सारांश यह कि कर्क, सिंह और वृश्चिक लग्न या चंद्र राशि होने पर राजनीतिक सफलता मिलने की सम्भावनाएं मजबूत होती हैं।

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