Saturday, 18 April 2015

आओ ज्योतिष सीखे ग्रहों की दृष्टि


ग्रहों की दृष्टि
ज्योतिष के आधार पर भूमि के बारह भाग और उनसे ग्रहों का सम्बन्ध प्रस्तुत किया गया है। हर एक भाग किसी न किसी दूसरे भाग को देखता या उस के द्वारा देखा जाता अर्थात् कुंडली के किसी भी घर में स्थापित ग्रह की दृष्टि कुंडली के दूसरे किसी न किसी घर में स्थापित ग्रह को देखती है या किसी न किसी दूसरे घर के ग्रहों द्वारा देखे जाते हैं। इसी को दृष्टि कहते हैं जो पूर्ण, आधी, चौथाई दृष्टि, मेल मिलाप, टक्कर कहलाती है।
पूर्ण दृष्टि
पूर्ण दृष्टि का अर्थ पूर्ण प्रभाव। कुंडली के कुल बारह घर या खाने हैं। पहले छह स्थानों का दृष्टि द्वारा बाद के छह स्थानों से सम्बन्ध है। उन में से पहला घर सातवें घर को पूर्ण दृष्टि से देखता है अर्थात् पहले घर के ग्रह अपना पूर्ण प्रभाव सातवें घर के ग्रहों पर करते हैं। इसी प्रकार तीसरा नौवें को, चौथा दसवें को, पांचवां ग्यारहवें को, छठा बारहवें को देखता है। जिस से यह भी सिद्ध होता है कि पहला सातवें को देखता है परन्तु सातवां पहले को नहीं देखता। तीसरा नौवें को देखता है पर नौंवा तीसरे को नहीं देखता। चौथा दसवें को देखता है पर दसवां चौथे को नहीं। पांचवां ग्यारहवें को देखता है पर ग्यारहवां पांचवें को नहीं क्योंकि बैटरी की रोशनी आगे जाया करती है आगे से पीछे नहीं आया करती है। किसी भी घर की दृष्टि अपने घर में ग्रह के प्रभाव को इस प्रकार से ले जाती है जैसे सिनेमा के परदे पर पड़ने वाली रोशनी अपने साथ चित्र को ले जाती है। बिना ग्रह के साथ घर की दृष्टि दूसरे ग्रह में ऐसे जायेगी जैसे बिना चित्रों के सिनेमा कि रोशनी परदे पर।
आधी और चौथाई दृष्टि
तीसरे घर का ग्रह ग्यारहवें घर के ग्रह को आधी दृष्टि से देखता है। परन्तु ग्यारहवें घर का ग्रह तीसरे घर के ग्रह को नहीं देखता है। पांचवें घर का ग्रह नौवें घर के ग्रह को आधी दृष्टि से देखता है परन्तु नौवें घर का ग्रह पांचवें घर के ग्रह को नहीं देखता है। यानि कि तीसरे और पांचवें घर के ग्रह क्रमशः ग्यारहवें और नौवें घर के ग्रहों को अपनी आधी शक्ति से प्रभावित करेंगे। परन्तु ग्यारहवें और नौवें घर का प्रभाव क्रमशः तीसरे और पांचवें घर के ग्रहों पर नहीं होगा।
टक्कर
कुंडली के किसी न किसी भी घर से हर ग्रह अपने से आठवें घर के ग्रह को टक्कर मार कर हानि पहुंचायेगा। वह उसका मित्र हो या शत्रु ग्रह हो इस बात का ध्यान न रखेगा जैसे पहला घर आठवें को टक्कर मारेगा और दसवां घर पांचवें घर को टक्कर मारेगा। इस प्रकार कुंडली के बारह ही घरों के ग्रह अपने घर से आठवें घर में स्थापित ग्रहों की टक्कर मार कर उसे हानि पहुंचायेगे।
आपस की शत्रुता
अपने से दसवें नम्बर पर पड़ने वाले ग्रह आपस में शत्रु हो कर एक दूसरे घर के संबंधित रिश्तेदारों और वस्तुओं के उल्ट प्रभाव देंगे।
बृहस्पति, मंगल और शनि की दृष्टि
सभी ग्रह अपने स्थान से सातवें स्थान को पूर्ण दृष्टि से देखते हैं, लेकिन मंगल अपने स्थान से चौथे और आठवें स्थान को, गुरु अपने स्थान से पांचवे और नवें स्थान को व शनि अपने स्थान से तीसरे और दसवें स्थान को भी पूर्ण दृष्टि से देखता है।
शनि का प्रतीक सांप भी होता है जब वह भूमि पर रेंग कर चलता है तो आगे की और देखता है परन्तु जब वह फन उठाकर खड़ा कर लेता है तो उसकी आँखें आगे देखने कि बजाय पीछे की और देखती हैं। सांप फन उसी समय उठाता है जब उसको अपने पास शत्रु का आभास हो। अतः ज्योतिष के आधार पर भी जब शनि शत्रुता की नीयत और दृष्टि से देखे तो वह उल्टी दृष्टि से अपने पीछे बैठे ग्रह को भी हानि पहुंचा सकता है, छठे से दूसरे घर के ग्रहों को।
कुछ आचार्यों ने राहु-केतु की दृष्टि को भी मान्यता प्रदान की है, लेकिन महषि॔ पराशर ने इनकी कोई दृष्टि नहीं मानी है। अन्य आचार्यों के मत से राहु अपने स्थान से पांचवे, सातवें और नवें स्थान को पूर्ण दृष्टि से देखता है। ऐसी ही केतु की दृष्टि भी होती है।
सूर्य और मंगल की दृष्टि उर्ध्व है, बुध और शुक्र की तिरछी, चन्द्रमा और गुरु की बराबर (सम) तथा राहु और शनि की दृष्टि नीची है।

Pt.P.S Tripathi
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