बैकुंठ चतुदर्शी व्रत -
कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की चतुदर्शी को पाप मुक्ति तथा बैकुण्ठ प्राप्ति हेतु बैकुंठ चतुर्दशी का व्रत भगवान विष्णु की प्रियता के लिए किया जाता है। इस दिन निराहर रहते हुए भगवान विष्णु की प्रतिष्ठा कर कमल के फूल से विधिवत पूजा कर धूप, दीप चंदन आदि पदार्थो से आरती उतारकर भोग लगायें।
कथा -
एक बार नारदजी बैकुंठ में भगवान विष्णु के पास गए। विष्णुजी ने नारदजी से आने का कारण जानना चाहा। नारदजी बोले हे भगवन आपको पृथ्वीवासी कृपा निधान कहते हैं किंतु इससे तो केवल आपके प्रिय भक्त ही तर पाते हैं। साधारण नर-नारी नहीं। इसलिए कोई ऐसा उपास बताइये जिससे साधारण नर-नारी भी आपकी कृपा के पात्र बन जाए। इस पर भगवान विष्णु ने कहा कि नारद कार्तिक शुक्ल पक्ष की चतुर्दषी को जो नर-नारी व्रत का पालन करते हुए भक्तिपूर्वक मेरी पूजा करेंगे उनको स्वर्ग प्राप्त होगा। इसके बाद भगवान ने जय-विजय को बुलाकर आदेष दिया कि कार्तिक शुक्ल पक्ष की चतुर्दषी को स्वर्ग के द्वार खोल दिए जायें। इस दिन जो भी किंचित मात्र भी मुझे स्मरण करेगा, उसे बैकुंठधाम प्राप्त होगा।
Pt.P.S Tripathi
Mobile no-9893363928,9424225005
Landline no-0771-4035992,4050500
Feel Free to ask any questions in
No comments:
Post a Comment