निरंतर चलायमान रहने अर्थात् किसी जातक को अपने जीवन में निरंतर उन्नति करने हेतु प्रेरित करने तथा बदलाव हेतु तैयार तथा प्रयासरत रहने हेतु जो ग्रह सबसे ज्यादा प्रभाव डालता है, उसमें एक महत्वपूर्ण ग्रह है केतु। ज्योतिष शास्त्र में राहु की ही भांति केतु भी एक छायाग्रह है तथा यह अग्नितत्व का प्रतिनिधित्व करता है। इसका स्वभाग मंगल ग्रह की तरह प्रबल और क्रूर माना जाता है। केतु ग्रह विषेषकर आध्यात्म, पराषक्ति, अनुसंधान, मानवीय इतिहास तथा इससे जुड़े सामाजिक संस्थाएॅ, अनाथाश्रम, धार्मिक शास्त्र आदि से संबंधित क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करता है। केतु ग्रह की उत्तम स्थिति या ग्रह दषाएॅ या अंतरदषाओं में जातक को उन्नति या बदलाव हेतु प्रेरित करता है। केतु की दषा में परिवर्तन हेतु प्रयास होता है। पराक्रम तथा साहस दिखाई देता है। राहु जहाॅ आलस्य तथा कल्पनाओं का संसार बनाता है वहीं पर केतु के प्रभाव से लगातार प्रयास तथा साहस से परिवर्तन या बेहतर स्थिति का प्रयास करने की मन-स्थिति बनती है। केतु की अनुकूल स्थिति जहाॅ जातक के जीवन में उन्नति तथा साकारात्मक प्रयास हेतु प्रेरित करता है वहीं पर यदि केतु प्रतिकूल स्थिति या नीच अथवा विपरीत प्रभाव में हो तो जातक के जीवन में गंभीर रोग, दुर्घटना के कारण हानि,सर्जरी, आक्रमण से नुकसान, मानसिक रोग, आध्यात्मिक हानि का कारण बनता है। केतु के शुभ प्रभाव में वृद्धि तथा अषुभ प्रभाव को कम करने हेतु केतु की शांति करानी चाहिए जिसमें विषेषकर गणपति भगवान की उपासना, पूजा, केतु के मंत्रों का जाप, दान तथा बटुक भैरव मंत्रों का जाप करना चाहिए जिससे केतु का शुभ प्रभाव दिखाई देगा तथा जीवन में निरंतर उन्नति बनेगी।
best astrologer in India, best astrologer in Chhattisgarh, best astrologer in astrocounseling, best Vedic astrologer, best astrologer for marital issues, best astrologer for career guidance, best astrologer for problems related to marriage, best astrologer for problems related to investments and financial gains, best astrologer for political and social career,best astrologer for problems related to love life,best astrologer for problems related to law and litigation,best astrologer for dispute
No comments:
Post a Comment