भूमि परीक्षण
भूमि परीक्षण के लिये भूखंड के मध्य में भूस्वामी के हाथ के बराबर एक हाथ गहरा, एक हाथ लंबा एवं एक हाथ चौड़ा गड्ढा खोदकर उसमें से मिट्टी निकालने के पश्चात् उसी मिट्टी को पुनः उस गड्ढे में भर देना चाहिए। ऐसा करने से यदि मिट्टी शेष रहे तो भूमि उत्तम, यदि पूरा भर जाये तो मध्यम और यदि कम पड़ जाये तो अधम अर्थात् हानिप्रद है। अधम भूमि पर भवन निर्माण नहीं करना चाहिये। इसी प्रकार पहले के अनुसार नाप से गड्ढा खोद कर उसमें जल भरते हैं, यदि जल उसमें तत्काल शोषित न हो तो उत्तम और यदि तत्काल शोषित हो जाए तो समझें कि भूमि अधम है। भूमि के खुदाई में यदि हड्डी, कोयला इत्यादि मिले तो ऐसे भूमि पर भवन नहीं बनाना चाहिए।
यदि खुदाई में ईंट पत्थर निकले तो ऐसा भूमि लाभ देने वाला होता है। भूमि का परीक्षण बीज बोकर भी किया जाता है। जिस भूमि पर वनस्पति समय पर उगता हो और बीज समय पर अंकुरित होता हो तो वैसा भूमि उत्तम है। जिस भूखंड पर थके होकर व्यक्ति को बैठने से शांति मिलती हो तो वह भूमि भवन निर्माण करने योग्य है। वास्तु शास्त्र में भूमि के आकार पर भी विशेष ध्यान रखने को कहा गया है। वर्गाकार भूमि सर्वोत्तम, आयताकार भी शुभ होता है। इसके अतिरिक्त सिंह मुखी एवं गोमुखि भूखंड भी ठीक होता है। सिंह मुखी व्यावसायिक एवं गोमुखी आवासीय दृष्टि उपयोग के लिए ठीक होता है।
Pt.P.S Tripathi
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