होटल व्यवसाय में सफलता के योग
अत्याधुनिक सुसज्जित फाइव स्टार होटल का जिक्र होते ही हमारे जेहन में एक ऐसी जगह की तस्वीर उभरती है जहाँ खाने-पीने से लेकर हर प्रकार की सुविधा एवं ठहरने की उत्तम व्यवस्था होती है। यहाँ ठहरने वालों को उचित आराम और सुविधाएँ मिलें इसके लिए छोटी से छोटी बात का ध्यान रखा जाता है। इसीलिए उच्च होटल व्यवसाय में बहुत अधिक धन की आवश्यकता होती है और यदि इतना धन लगाकर भी सफलता न मिले तो सब किया कराया बेकार हो जाता है। तो आइए जानते हैं कि इस क्षेत्र में सफलता के योग किस प्रकार कुंडली में बैठे ग्रहों से सुनिश्चित होते हैं।
यह व्यवसाय शुक्र, बुध, मंगल से प्रेरित है। व्यवसाय भाव दशम, लग्न, द्वितीय, तृतीय, चतुर्थ भाव व एकादश भाव विशेष महत्व रखते हैं। दशम भाव उच्च व्यवसाय का भाव है तो दशम से सप्तम जनता से संबंधित भाव हैं। व्यापार जनता से संबंधित है अतः इनका संबंध होना भी परम आवश्यक है।
द्वितीय भाव वाणी का है। यदि व्यापारी की वाणी ठीक नहीं होगी तो व्यापार चौपट हो जाएगा। लग्न स्वयं की स्थिति को दर्शाता है व एकादश भाव आय का है तो तृतीय भाव पराक्रम का है। इन सबका इस व्यवसाय में विशेष योगदान रहता है। अब आता है नवम भाव, इन सबके होने के साथ यदि नवम भाव का स्वामी भी मित्र स्वराशि उच्च का हो या उपरोक्त में से किसी भी एक या अनेक भावों के स्वामी के साथ संबंधित हो तो सोने पे सुहागा वाली बात होती है।
Pt.P.S Tripathi
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