Monday, 18 May 2015

जीवन में सुख समृद्धि हेतु उत्तर-पूर्व रखें शुभ



खुले स्थान का महत्व : वास्तु शास्त्र के अनुसार भूखण्ड में उत्तर, पूर्व तथा उत्तर-पूर्व (ईशान) में खुला स्थान अधिक रखना चाहिए। दक्षिण और पश्चिम में खुला स्थान कम रखें।

बॉलकनी, बरामदा, पोर्टिको के रूप में उत्तर-पूर्व में खुला स्थान ज्यादा रखें, टैरेस व बरामदा खुले स्थान के अन्तर्गत आता है। सुख-समृद्धि हेतु उत्तर-पूर्व में ही निर्मित करना शुभ होता है।

यदि दो मंजिला मकान बनवाने की योजना है, तो पूर्व एवं उत्तर दिशा की ओर भवन की ऊँचाई कम रखें। उन्हीं दिशाओं में ही छत खुली रखनी चाहिए। उत्तर-पूर्व में ही दरवाजे व खिड़कियाँ सर्वाधिक संख्या में होने चाहिए। यह भी सुनिश्चित करें कि दरवाजे व खिड़कियों की संख्या विषम न होने पाएँ। जैसे उनकी संख्या 2, 4, 6, 8 आदि रखें।

मकान में गार्डेनिंग ः ----आजकल लोग स्वास्थ्य के प्रति ज्यादा जागरूक होते जा रहे हैं। प्रायः शहरों में बन रहे मकानों में गार्डेनिंग की आवश्यकता पर जोर दिया जा रहा है। वास्तु के अनुसार मकान में गार्डेनिंग के कुछ नियम निर्धारित किए गए हैं। ऊँचे व घने वृक्ष दक्षिण-पश्चिम भाग में लगाएँ।

पौधे भवन में इस तरह लगाएँ कि प्रायः तीसरे प्रहर अर्थात्‌ तीन बजे तक मकान पर उनकी छाया न पड़े। वृक्षों में पीपल पश्चिम, बरगद पूर्व, गूलर दक्षिण और कैथ का वृक्ष उत्तर में लगाएँ।

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