तनाव से प्रभावित होता कर्म -कारण और निवारण -
आज की आधुनिक जीवनषैली में तनाव का होना लाजिमी है। सुबह उठने से लेकर रात के अंतिम प्रहर तक कोई ना कोई बात या कार्य या व्यवहार तनाव का कारण बनता ही है। किंतु कई बार व्यक्ति तनाव के कारण इतना ज्यादा परेषान हो जाता है कि इस तनाव का असर उसके कैरियर या व्यवसायिक कार्य को भी प्रभावित करती है। तनाव के ज्यादा होने के कारण जातक का कार्य के प्रति अनिच्छा तथा अरूचि होने से उसके व्यवसायिक रिष्तों को तो प्रभावित करते ही हैं साथ ही इससे उसके इन रिष्तों का असर उसके व्यवसायिक कार्य पर पड़ने के कारण हानि उठाने की नौबत आने लगती है। इसके होने का कारण होता है कि जब भी जातक तनाव में होता है तो वह या तो किसी से बात करना पसंद नहीं करता या बात करता है तो उसकी शैली से नाराजगी जाहिर होती है, जिससे लोग उससे दूरी बनाने लगते हैं। ऐसा होने का कारण तनाव तो होता है चिकित्सकीय सलाह तनाव को कम करने हेतु दवाईयों द्वारा तथा उस परिस्थिति को ठहराया जा सकता है किंतु ज्योतिष आधार पर इस तनाव का कारण ज्ञात किया जाना ज्यादा आसान होता है। जब भी किसी जातक का तृतीयेष षष्ठम, अष्टम या द्वादष भाव में हो तो ऐसा व्यक्ति तनाव का जल्दी ही षिकार होता है। जब भी इस ग्रह स्थिति में उस ग्रह की दषा या अंतरदषा चलती है तो व्यक्ति का तनाव उभरकर दिखाई देता है। इस तनाव से उस जातक का मनोबल कमजोर पड़ता है, जिससे उसके कार्य करने की अनिच्छा, लगातार बीमारी का अहसास तथा अकेले रहने की प्रवृत्ति उत्पन्न होने से उसका व्यवसाय प्रभावित होता है। इस तनाव का कारण ज्ञात कर तनाव को कम करने की ज्योतिषीय उपाय कर तनाव को समाप्त कर व्यवसाय में लाभ की स्थिति बनाई जा सकती है। जातक की कुंडली का विवेचन कर तृतीयेष ग्रह की शांति, मानसिक तनाव का कारण दूर कर तथा सौंदर्य लहरी का नित्य पाठ कर व्यवसायिक स्थिति में वापस लाभ प्राप्त किया जा सकता है।
Pt.P.S Tripathi
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