माॅ दुर्गाजी की नवीं शक्ति का नाम सिद्धिदात्री है। ये सभी प्रकार की सिद्धियों को देेने वाली हैं। मार्कण्डेय पुराण के अनुसार अणिमा, महिमा, गरिमा, लघिमा, प्राकाम्य, ईषित्व और वषित्व ये आठ प्रकार की सिद्धियाॅ होती हैं। माॅ सिद्धिदात्री भक्तों और साधकों को ये सभी सिद्धियाॅ प्रदान करने में समर्थ हैं। देवी पुराण के अनुसार भगवान षिव ने माॅ सिद्धिदात्री की कृपा से ही सारी सिद्धियाॅ प्राप्त की थीं और उनका आधा शरीर देवी का हो गया था, जिसके कारण उनका एक नाम अर्द्धनारीष्वर पड़ा।
माॅ सिद्धिदात्री देवी की चार भुजाएॅ हैं, जिसमें दाहिनी भुजा के उपर वाली भुजा में गदा, नीचे वाली भुजा में चक्र तथा दाहिनी वाली भुजा के उपर वाली भुजा में कमलपुष्प और नीचे वाली भुजा में शंख है। इनका वाहन सिंह है। नव दुर्गा के अंतिम देवी सिद्धिदात्री देवी हैं। इनकी उपासना से सभी लौकिक तथा पारलौकिक कामनाओं की पूर्ति होती है। इनकी कृपा से अनन्त दुखरूप संसार से निर्लिप्त रहकर सारे सुखों का भोग प्राप्त होकर मोक्ष प्राप्त होता है। सिद्धिदात्री कृपापात्र बनने से ही कोई कामना शेष नहीं बचती।
Pt.P.S Tripathi
Mobile no-9893363928,9424225005
Landline no-0771-4035992,4050500
Feel Free to ask any questions in
No comments:
Post a Comment