हिन्दी मास की अंतिम तिथि को पूर्णिमा कहा जाता है इस दिन चंद्रमा का पूर्ण रूप होता है जिसका धार्मिक दृष्टि से बहुत महत्व माना गया है। चूॅकि भारतीय शास्त्र में चंद्रमा का महत्वपूर्ण स्थान माना गया है अतः पूर्णिमा को बहुत शुभ एवं मंगलकारी तिथि माना जाता है। पूर्णिमा के दिन स्नान, दान का विषेष महत्व दिया गया है और इस दिन धर्मकर्म करने से जीवन में पुण्य की प्राप्ति होने से जीवन के कष्ट होते हैं तथा सुखसमृद्धि प्राप्त होती है ऐसी मान्यता भारतीय दर्षन में है। भाद्रपद मास को पुरूषोत्तम मास कहा जाता है, मान्यता है कि इस मास में किए गए दान और व्रत का विषेष महत्व होता है माना जाता है इस माह के तप से जीवन के सभी दुख दूर होकर मुक्ति प्राप्त होती है। भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा व्रत में भगवान नारायण की पूजा का विधान है। माना जाता है कि भाद्रपद पूर्णिमा में गंगाजी का स्नान कर दान करने से जीवन से कष्ट समाप्त होकर मन वांछित फल की प्राप्ति हेाती है। गंगाजी या किसी नदी तालाब में सबसे पहले नियमपूर्वक पवित्र होकर स्नान करने के उपरांत सफेद कपड़े पहनें और आचमन करें। इस के बाद व्रत प्रारंभ करने हेतु ‘उॅ नमो नारायण’ मंत्र का उच्चारण करें। जिनके मन में अषांति, तनाव तथा भ्रम की स्थिति होती है उन्हें पूर्णिमा का व्रत विषेष शुभ फलदायी होता है ऐसी ज्योतिषीय मान्यता है। इस पूर्णिमा व्रत में सत्यनारायण कथा का श्रवण करना तथा चंद्रमा के दर्षन कर अध्र्य देने पूजन तथा आरती कर एवं सफेद चीजों के दान के उपरांत पारण करने से मनोकामना की पूर्ति होती है।
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