Wednesday, 2 November 2016

कर्क लग्न में मंगल का प्रभाव

कर्क लग्न में जन्म लेने वाले जातकों को जन्मकुंडली के विभिन्न भावों में मंगल का प्रभाव (फल) लग्न (प्रथम भाव) में बैठे मंगल के प्रभाव से जातक के शारीरिक सौंदर्य में कमी रहती है । विद्या, संतान, राज्य एवं पिता के सुख में भी असंतोष मिलती है, मगर दैनिक जीवन में छोटी-मोटी कठिनाइयां आती रहती हैं ।द्वितीय भाव में अपने मित्र सूर्य की सिह राशि पर मंगल के स्थित होने से जातक को धन और परिवार को पर्याप्त सुख मिलता है । समाज में सम्मान पाता है । संतान एवं विद्या की शक्ति प्राप्त होने पर भी अनेक परेशानियों का अनुभव होता है । आयु तथा धर्म की वृद्धि होती है । तृतीय भाव में मंगल की उपस्थिति से जातक का पराक्रम बढ़ता है तथा भाई-बहनों का सुख प्राप्त होता है । विद्या एवं संतान की शक्ति भी मिलती है । जातक अपने बुद्धि-बल से भाग्यशाली होता है तथा धर्म व यश प्राप्त करता है । पिता से सहयोग मिलता है, इसलिए नौकरी या व्यापार में सफल होता है । चतुर्थ भाव में मंगल के प्रभाव से जातक को माता, भूमि तथा भवन आदि का सुख प्राप्त होता है । साथ ही उसे विद्या, बुद्धि और संतान के पक्ष में भी सफलता मिलती है । स्त्री एवं व्यवसाय के क्षेत्र में उन्नति तथा सुख का योग बनता है । धन- लाभ होता है । जातक सुखी, धनी और सफल जीवन व्यतीत करता है । पंचम भाव में मंगल के होने पर जातक के मान-सम्मान एवं प्रभाव में वृद्धि होती है । लाभ- प्राप्ति के लिए मानसिक परिश्रम अधिक करना पड़ता है । व्यय अधिक रहता है । बाहरी स्थानों के सपर्क से यश, धन तथा सफलता की प्राप्ति होती है । कहीं लग्न के अंतर्गत जन्मकुंडली के षष्ठ भाव में मंगल के होने पर जातक अपने शत्रुओँ पर विजय पाता है । वह विद्या और बुद्धि का धनी होता है । संतान- सुंख प्राप्त करता है । बुद्धियोग द्वारा भाग्य तथा घर्म की उन्नति होती है । शारीरिक सौंदर्य, स्वास्थ्य, सुख एवं शांति में कुछ कमी बनी रहती है । सप्तम भाव में मंगल का प्रभाव होने से जातक को कई सुंदर स्त्रियों का संयोग प्राप्त होता है । साथ ही उनसे कुछ मतभेद भी होता रहता है । व्यावसायिक सफलता मिलती है और सम्मान की प्राप्ति होती है । स्वास्थ्य में कमी तथा घरेलू सुख में असंतोष रहता है । जातक की धन-संचय शक्ति प्रबल रहती है । उसकी वाणी अति प्रभावशाली होती है । अष्टम भाव में मंगल के प्रभाव से जातक को आयु पिता, राज्य, नौकरी या व्यवसाय, विद्या, बुद्धि तथा संतान के पक्ष में कुछ हानि उठानी पड़ती है, किन्तु धन की वृद्धि होती है । परिवार का सहयोग व सुख मिलता है । नवम भाव में मंगल के प्रभाव से जातक की भागयोन्नति होती है । वह धनी, सुखी तथा यशस्वी होता है । दशम भाव में मंगल के रहने से जातक राजनीति एवं कानून का ज्ञाता होता है । स्त्री और पुत्र से सहयोग व सुख मिलता है । यदि मंगल एकादश 'भाव में हो तो जातक को कठिन परिश्रम करना पड़ता है, किन्तु धन का लाभ पर्याप्त मात्रा में होता है । राज्य द्वारा सम्मान की प्राप्ति होती है । धन तथा कुदुम्ब का सुख मिलता है । जातक को बुद्धि एवं संतान की शक्ति प्राप्त होती है । वह धनी, सुखी, योग्य, विद्वान, बुद्धिमान, विजयी तथा सफल होता है। द्वादश भाव में मंगल के होने पर जातक का अनेक अवसरों पर आय से अधिक व्यय होता है । पिता, पुत्र, एवं प्रतिष्ठा के क्षेत्र में कमी होती है । भाई-बहनों से सुख मिलता है तथा पराक्रम में वृद्धि होती है । शत्रुपक्ष से तनाव उत्पन्न होता है जातक मानसिक रूप से कुछ चिंताग्रस्त रहता है ।

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