स्त्रियः समस्ताः सकलाजगत्सु -
स्त्रियः समस्ताः सकलाजगत्सु
विद्या समस्तास्तव देविभेदाः, स्त्रियसमस्ताः सकलाजगत्सु।
विद्या समस्तास्तव देविभेदाः, स्त्रियसमस्ताः सकलाजगत्सु।
कल से हिन्दू नव वर्ष का आरम्भ हो रहा है जो कि चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से होता है। ब्रह्मा पुराण के अनुसार सृष्टि का प्रारंभ इसी दिन हुआ था। इसी दिन से ही काल गणना का प्रारम्भ हुआ। इस दिन के सूर्योदय से ब्रह्माजी ने जगत की रचना प्रारंभ की। इस वर्ष हिदू नव वर्ष अर्थात विक्रम संवत्सर २०७२ कीलक नामक संवत्सर अंग्रेजी के 21 अप्रेल 2015 से प्रारंभ हो रहा है। विक्रम संवत्सर का आरम्भ महान सम्राट विक्रमादित्य ने उत्तर और पश्चिम से भारत पर आक्रमण करने वाले बर्बर शकों और हूणों को परास्त करने के पश्चात् किया था। साथ ही विक्रमी संवत का पहला दिन विक्रमादित्य राजा के नाम पर संवत् प्रारंभ किया था जिसके राज्य में न कोई चोर हो, न अपराधी हो, और न ही कोई भिखारी हो साथ ही राजा चक्रवर्ती सम्राट भी हो। सम्राट विक्रमादित्य ने 2072 वर्ष पहले इसी दिन राज्य स्थापित किया था।
प्रभु श्री राम का राज्याभिषेक दिवस भी इसी दिन है। प्रभु राम ने इसी दिन को लंका विजय के बाद अयोध्या में राज्याभिषेक के लिये चुना। प्रभु राम के जन्मदिन रामनवमी से पूर्व नौ दिन उत्सव मनाने का प्रथम दिन। अतः चैत्र शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से प्रारंभ हिंदु नववर्ष से होता है। इस वर्ष में राजा शनि व मंत्री मंगल रहेगा। इस संवत्सर का दुर्गेश (रक्षा करने वाला ग्रह), फलेश (फलों का स्वामी ग्रह) तथा मेघेश (वर्षा का स्वामी ग्रह) चंद्रमा, धनेश (धन संबंधित मामलों का स्वामी ग्रह) गुरु, धान्येश (अनाज का स्वामी ग्रह) बुध रहेगा। नवरात्र स्थापना का दिन भी नववर्ष से ही शुरू होता है। शक्ति और भक्ति के नौ दिन अर्थात्, नवरात्र स्थापना का पहला दिन यही है। नवरात्रि का पर्व शक्ति का पर्व, सभी कष्टों से मुक्ति का पर्व, भक्ति का पर्व साथ ही स्त्री जीवन का उत्सव पर्व है। संपूर्ण विद्याएँ स्त्री की ही भिन्न रूप हैं और जगत की समस्त स्त्रियां है। वे सब स्त्री की ही मूर्तियां हैं। पुरूषार्थ चतुष्टय धर्म अर्थ काम मोक्ष की सिद्धि का पर्व वस्तुतः नवरात्रि स्त्री जीवन का पूर्ण महोत्सव है। जरा ध्यान से देखें स्त्री जीवन नव स्तर पर पूज्यनीय है अतः नववर्ष के प्रारंभ और नवरात्रि के पावन पर्व की बधाई....
प्रभु श्री राम का राज्याभिषेक दिवस भी इसी दिन है। प्रभु राम ने इसी दिन को लंका विजय के बाद अयोध्या में राज्याभिषेक के लिये चुना। प्रभु राम के जन्मदिन रामनवमी से पूर्व नौ दिन उत्सव मनाने का प्रथम दिन। अतः चैत्र शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से प्रारंभ हिंदु नववर्ष से होता है। इस वर्ष में राजा शनि व मंत्री मंगल रहेगा। इस संवत्सर का दुर्गेश (रक्षा करने वाला ग्रह), फलेश (फलों का स्वामी ग्रह) तथा मेघेश (वर्षा का स्वामी ग्रह) चंद्रमा, धनेश (धन संबंधित मामलों का स्वामी ग्रह) गुरु, धान्येश (अनाज का स्वामी ग्रह) बुध रहेगा। नवरात्र स्थापना का दिन भी नववर्ष से ही शुरू होता है। शक्ति और भक्ति के नौ दिन अर्थात्, नवरात्र स्थापना का पहला दिन यही है। नवरात्रि का पर्व शक्ति का पर्व, सभी कष्टों से मुक्ति का पर्व, भक्ति का पर्व साथ ही स्त्री जीवन का उत्सव पर्व है। संपूर्ण विद्याएँ स्त्री की ही भिन्न रूप हैं और जगत की समस्त स्त्रियां है। वे सब स्त्री की ही मूर्तियां हैं। पुरूषार्थ चतुष्टय धर्म अर्थ काम मोक्ष की सिद्धि का पर्व वस्तुतः नवरात्रि स्त्री जीवन का पूर्ण महोत्सव है। जरा ध्यान से देखें स्त्री जीवन नव स्तर पर पूज्यनीय है अतः नववर्ष के प्रारंभ और नवरात्रि के पावन पर्व की बधाई....
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