Saturday, 18 April 2015

भ्रस्टाचार कम किया जा सकता है

भ्रष्टाचार को कम करने अथवा मिटाने में कारगर सख्त और प्रभावी कानून के नियंत्रण के साथ नैतिकता और ईमानदारी अंदर से आनी चाहिए, न कि बाहर से थोपी जाय। भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने के लिए 12 अक्टूबर 2005 को देशभर में सूचना का अधिकार क़ानून लागू किया गया। इसके बावजूद रिश्वत खोरी कम नहीं हुई। हक ीक त में जनता के कल्याण के लिए शुरू की गई तमाम योजनाओं का फ़ायदा तो नौकरशाह ही उठाते हैं, आखीर में जनता तो ठगी की ठगी ही रह जाती है। शायद यही उसकी नियति है। जनता के हाथ में एक हथियार राइट टू रिजेक्ट का भी है। जिसका अर्थ है चुनाव लडऩे वाले सभी उम्मीदवारों को ख़ारिज करने का अधिकार। भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने 26 सितम्बर 2013 को एक ऐतिहासिक फ़ैसला देते हुए देश के मतदाताओं को यह अधिकार दे दिया है कि वे अब मतदान के दौरान सभी प्रत्याशियों को खारिज कर सकेंगे। इसके साथ इलेक्ट्रानिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) में नोटा अर्थात इनमें से कोई नहीं के विकल्प का एक बटन है। ईवीएम में नोटा बटन का उपयोग ऐसे मतदाता कर सकेंगे जो उनके क्षेत्र में चुनाव लड़ रहे किसी भी उम्मीदवार को वोट नहीं देना चाहते। इस प्रकार आज जब जनता के हाथ में इतने सारे हथियार हैं तो उसका उपयोग जनता को करते हुए उॅचे मापदंड स्थापित करना चाहिए और दंडाधिकारी की भूमिका जनता को ही निभाना चाहिए क्योंकि तीसरे स्थान का शनि अर्थात जनता उच्चस्थ का होकर लग्रस्थ है अर्थात जनता अपने अधिकारों का उपयोग करते हुए भ्रष्टाचार का विरोध करें। उसे ही इसके लिए शुरूआत करना होगा। हर क्षेत्र में भ्रष्टाचार का विरोध करना होगा। इसके लिए शुरूआत उसे अपने घर से करना होगा कि अगर कोई महिला अपने पति के भ्रष्ट तरीके से कमाये हुए धन को स्थान ही ना दे और अपने पड़ोसियों के सामथ्र्य से अधिक विलासिता से प्रेरित ना हो तो उसके घर में भ्रष्टाचार का अंत होगा। यदि एक व्यक्ति किसी भी कार्य के लिए भ्रष्टाचार का विरोध करें और बिना भ्रष्टाचार के कार्य को समर्थन करे तो ये तरीका है। इसके साथ ही भ्रष्टाचार कर रहे लोगो का सामूहिक विरोध होना चाहिए और अपनी क्षमता से अधिक साधन सम्पन्न होने वाले लोगों को समाजिक विरोध का सामना करना चाहिए, जिससे भी भ्रष्टाचार को रोका जा सकता है। इसके लिए जनता को ही प्रयास करना होगा। हर उस छोटी से छोटी और बड़ी से बड़ी जगह जहॉ पर भी अंतरविरोध दिखाई दे चाहे वह दूध में पानी मिलाने से लेकर मुफ्त में चावल लेना हो या फिर अपने किसी पद के चयन के लिए मोटी रकम से लेकर भौतिकता का सामान जुटाने के लिए। इस प्रकार सभी का विरोध जनता करने में सक्षम है। किंतु याद रहे यह कार्य सभी को करना होगा तभी वृश्चिक के शनि और कर्कगत बृहस्पति अपना प्रभाव दिखा पायेंगे। इसके लिए जनता को नेता या अधिकारियों को कोसने से पहले अपने हिस्से का भ्रष्टाचार रोकना होगा। शुरूआत जरूर कठिन हो सकती है किंतु लोगो का साथ लेकर इसे करना असंभव नहीं है इसका उदाहरण हमने दिल्ली के रामलीला मैदान या केजरीवाल विरूद्ध नरेंद्र मोदी के तौर पर देख ही चुके हैं। किंतु इसके लिए अपने सभी हथियार जैसे राईट टू रिजेक्ट से लेकर नोटा और अपने घरेलू भ्रष्ट धन के आगमन से लेकर पड़ोसी के शानओशौकत तक पर विरोध द्वारा कर सकते हैं।

Pt.P.S Tripathi
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