विक्टोरिया गेट:
1 जनवरी 1877 मेंं भारत के वायसराय लार्ड ने दिल्ली दरबार का आयोजन किया। इसमेंं ब्रिटेन की साम्राज्ञी महारानी विक्टोरिया को इम्प्रेस ऑफ इंडिया यानि कैसर-ए-हिंद की उपाधि प्रदान की गई। इसी प्रसंग को यादगार बनाए रखने के लिए रायपुर के कुछ जमींदारों, धनी व्यक्तियों द्वारा सहयोग राशि देकर यह विशाल गेट बनवाया गया। यह दरवाजा शहर के हृदय स्थल जयस्तंभ चौक पर जी.ई.रोड के किनारे स्थित है। कैसर-ए-हिन्द पर ऊपर लगी मुख्य पट्टिका तो अब वक्त के थपेड़ों को सहते हुए पढऩे लायक नहीं रही। गेट के अंदर दोनों ओर लगी पट्टिकाएं भी धूमिल पड़ रही हैं। इसमेंं एक ओर इम्प्रेस ऑफ इंडिया और दूसरी ओर की पट्टिका मेंं कैसर-ए-हिन्द दरवाजा लिखा हुआ है। पट्टिका बताती है कि इसका निर्माण जनवरी 1877 मेंं किया गया। यह विशाल द्वार ब्रिटिश कालीन निर्माण कला का अद्वितीय उदाहरण है। इस द्वार का निर्माण भारी पत्थरों से किया गया तथा जुड़ाई के लिए चुना, जूट आदि का उपयोग किया गया। जहां कैसर-ए-हिन्द दरवाजा बना है, पहले वहां खाली मैदान था। यह उस समय शहर के प्रवेश द्वार की तरह था। यहां से रहमानिया चौक होते हुए बाजार होकर शहर के अंदर रास्ता जाता था, जिसे अब रॉयल गेट ऑफ रवि भवन के नाम से भी जाना जाता है। लगभग 12 मीटर की ऊंचाई वाले इस दरवाजे के भीतरी भाग मेंं दांयी व बांयी ओर फारसी इबारत है।
Pt.P.S Tripathi
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