कांग्रेस भवन:
छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर का कांग्रेस भवन हर दृष्टि से ऐतिहासिक महत्व का समारक है, जहां से स्वतंत्रता संग्राम की अलख जगाई गई थी। सन् 1938मेंं दान मेंं प्राप्त धान तथा धन और कांग्रेस कार्यकर्ताओं, छात्रों व शिक्षकों के जनसहयोग रुपी श्रमदान से 1938मेंं बनकर तैयार होने वाला यह छत्तीसगढ़ का ऐतिहासिक कांग्रेस भवन है। इसका उद्घाटन तब लौहपुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल ने किया था। लगभग 20 हजार वर्गफुट के भूखण्ड पर कांग्रेसभवन सन् 1938से छेरछेरा पुन्नी के समय एकत्र धान बेचकर एवं दान मेंं मिले करीब साढ़े सात हजार रुपये की प्रारंभिक राशि से निर्माण कार्य शुरु हुआ और तब से कांग्रेस की गतिविधियों ने जोर पकड़ा और यह स्व.रविशंकर शुक्ल के संकल्प का मूर्त रुप है। उन्होंने ही जिला कमेटी के अध्यक्ष की हैसियत से छेरछेरा पुन्नी का दिन इसलिए चुना था क्योंकि छत्तीसगढ़ के किसान इस दिन धान का अन्नदान करता है। कांग्रेस भवन मेंं पं. रविशंकर शुक्ल की संगमरमर से बनी प्रतिमा भी स्थापित है जो उनकी शताब्दी पर 31 दिसम्बर 1976को लगी। कांग्रेस भवन अपने अस्तित्व के साथ इतिहास की चिंगारी भी समेटे हुए हैं।
केशर-ए-हिन्द दरवाजा
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