Friday, 1 May 2015

कार्यक्षेत्र में सहयोगियों तथा साझेदारों में तनाव के कारण और उपाय-



कार्यक्षेत्र में सहयोगियों तथा साझेदारों में तनाव के कारण और उपाय-
भारतीय ज्योतिष शास्त्र में जिस प्रकार ग्रहों में आपस में मित्रता-षत्रुता तथा समता होती है, उसी का असर जीवन में सहयोगियों या साझेदारों से बनता है फिर वह जीवन में नीति संबंधों का हो या व्यवसायिक संबंधों का सहभागिता, अनुकूलता तथा सहिष्णुता ज्योतिष गणना का विषय है। कार्यक्षेत्र में सहयोगियों या साझेदारों के साथ तनाव का प्रमुख कारण सोच-विचार, पसंद-नापसंद, निर्णय की क्षमता तथा आपसी समझ होती है। कार्यक्षेत्र में कार्य करने की समझ, कार्य के प्रति झुकाव तथा जानकारी से आपसी रिष्तें मजबूत या कमजोर होते हैं, जिसकी जानकारी सहायोगियों तथासाझेदारों के तीसरे एवं सप्तम स्थान से जाना जा सकता है। लग्न, तीसरे, सप्तम तथा एकादष स्थान से कार्य के प्रति निरंतरता, सोच तथा पसंद को जाना जा सकता है। जिस प्रकार जीवन साथी के चयन में गुण मेलापक को महत्व दिया जाता है, उसी के अनुरूप कार्य में साझेदार या सहकर्मी या अधिनस्थों के गुण-दोषों का मिलान कर जीवन में व्यवसायिक तथा सामाजिक जीवन को सफल बनाया जा सकता है। इसके लिए कार्य से संबंधित क्षेत्र का चयन करते समय अपनी ग्रह स्थितियों के अलावा, अपने ग्रहों की दिषा, दषा तथा भाव के अनुकूल व्यक्तियों से नजदीकी या दूरी बनाकर तथा किस व्यक्ति का संबंध किस स्थान है, जानकारी प्राप्त कर उस व्यक्ति से उस स्तर का संबंध बनाकर समस्या से निजात पाया जा सकता है। साझेदारों के चुनाव तथा व्यवहारगत संबंध तथा व्यक्ति का चुनाव कार्यक्षेत्र में लाभ-हानि तथा मानसिक शांति हेतु आवष्यक भूमिका का निभाता है।

Pt.P.S Tripathi
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