चिकित्सकीय सेवा संबंधी आवष्यक ग्रह योग तथा प्रतिकूलता को दूर करने के उपाय -
ज्योतिष विज्ञान के आधार पर किसी जातक की कुंडली में चिकित्सकीय सेवा से जुड़कर यष तथा प्रतिष्ठा प्राप्त करने के योग हैं या नहीं अथवा केाई जातक किस बीमारी का इलाज करने में समर्थ होगा यह जातक की ग्रह दषाओं तथा ग्रह स्थिति के आधार पर आसानी से लगाया जा सकता है। किसी जातक में लाभेष और रोगेष की युति लाभभाव या मंगल, चंद्र, सूर्य भी शुभ होकर अच्छी स्थिति में हो, तो चिकित्सा क्षेत्र से जुड़ने की संभावना बनती है। यदि किसी का पंचम भाव में सूर्य-राहु, बुध-राहु या दषमेष की इन पर दृष्टि हो, मंगल, चंद्र तथा गुरू भी अनुकूल स्थिति में हो तो सफल चिकित्सक बनने के योग बनते हैं। कोई दो केंद्राधिपति अनुकूल स्थिति में होकर उस कुंडली में उच्च के हों तो यदि उनमें से सूर्य, मंगल, चंद्र हो तो जातक के चिकित्सा विज्ञान में अध्ययन की प्रबल संभावना बनती है। किसी की कुंडली में मंगल उच्च या स्वग्रही हो तो जातक को सर्जरी में निपुण बनाता है। छठवा भाव सेवा का भाव कहा जाता है यदि छठवें भाव का संबंध कर्म या आयभाव से बनता है तो जातक को सेवा तथा दवाईयों के क्षेत्र में कर्म की संभावना बनती है। लाभेष मंगल से चंद्रमा का नवम पंचम योग भी चिकित्सकीय पेषे में महारथ एवं यष देने में समर्थ होता है। इस प्रकार यदि कुंडली में अनुकूल ग्रह हों तो दषाएॅ एवं उनके विपरीत परिणाम का उपाय कर चिकित्सकीय क्षेत्र में प्रवेष किया जा सकता है। जिसके लिए गणपति मंत्र का जाप, हवन तथा तर्पण आदि कराना चाहिए।
Pt.P.S Tripathi
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