Sunday, 12 April 2015

अजय चंद्राकर


अजय चंद्राकर का जन्म लग्र मिथुन, राशि कर्क है। आपके लग्र में राहु-सूर्य यूं तो ग्रहण योग बनाते हैं परंतु लग्रस्थ राहु के कारण गजब का प्रभावशाली व्यक्तित्व है, जिसके चलते आप जनता के बीच अत्यंत प्रसिद्ध हैं। राहु-सूर्य के कारण जीवन में उतार-चढ़ाव भी आते रहे हैं। बहुत से मिथक व चर्चे भी आपके होंगे। यह सब राहु-सूर्य के कारण हैं। छात्र जीवन से ही जीवन के संघर्ष एवं सामाजिक परिवेश के कारण समाज व राजनीति से अजब आकर्षण रहा है। वर्ष २००२ में जब शुक्र में राहु का अंतर प्रारंभ हुआ, आप छत्तीसगढ़ विधानसभा में पहुंचे एवं रमन-मंत्रिमंडल में सक्रिय और दबंग मंत्री के रूप में अपनी पहचान बना ली। मगर २००८ में शनि के अंतर में वे विधानसभा चुनाव में पराजित हुए। चूंकि शनि अष्टमेश और अष्टमस्थ भी है अत: पराजय के अलावा विवादों में भी लगातार तीन वर्ष उलझे रहे। वर्ष २०११ जून में बुध की अंतर में एक बार भी उनका भाग्य चमका, यद्यपि बुध बारहवें हैं फि र भी इस दशा में वे पुन: स्थापित हुए और पुन: रमन मंत्रिमंडल में अत्यंत महत्वपूर्ण बन गए। २ अप्रैल २०१४ से केतु का अंतर एक नई कहानी, एक नए परिदृश्य की रचना कर रहा है। आने वाला वर्ष अत्यंत थकान भरा, जिम्मेदारी भरा और सफ लताओं और प्रसिद्धियों का होगा। वर्ष २०१५ जून के बाद सूर्य की महादशा पुन: अपयश की वजह बन सकता है अत: सावधान रहने की आवश्यकता होगी।
लग्रस्थ राहु एवं तृतीयस्थ मंगल के कारण वे बड़ी तेजी से काम करने वाले जिन्होंने एक दिन में तीन विश्वविद्यालय के लिए अधिनियम पारित करने में सफ ल रहे। इसके अलावा पंचायती राज अधिनियम में संशोधन उनके लिए एक अन्य महत्वपूर्ण उपलब्धि रही, इस संशोधन के जरिए साक्षरता जैसे विषयों को कानून का स्वरूप दिया गया। साथ ही महिलाओं को पंचायत में 50 प्रतिशत आरक्षण का अधिनियम भी पारित किया गया. उच्च शिक्षा में एसआईआरडी, एनआईटी, ओपन स्कूल, व्यावसायिक शिक्षा मंडल, रिजनल साइंस सेंटर और अंबिकापुर में सैनिक स्कूल की स्थापना की गई। वहीं ए.आई.ट्रिपल आई. और आईआईएम के लिए छत्तीसगढ़ में पत्राचार भी अजय चंद्राकर ने शुरू करवाया। यह सब राहु के कारण ही संभव हो पाया क्योंकि राहु व्यक्ति को स्वप्रदृष्टा बनाता है। अपने विधानसभा क्षेत्र में चमचमाती सड़कें, नए स्कूलों की स्थापना, स्कूलों का उन्नयन के साथ विभिन्न समस्याओं के निराकरण में महती भूमिका रही। लग्र के राहु के कारण प्रारंभिक जीवन अत्यंत संघर्षमय होता है मगर अंततोगत्वा ऐसे जातक अटल बिहारी बाजपेयी की तरह प्रसिद्ध होते हैं। तीसरे मंगल के कारण अधीरता और क्रोध, इनकी प्रसिद्धि कम कर सकता है, इससे इनको बचना चाहिए। ऐसे जातक खुली आंखों से सपने देखने के आदि होते हैं तथा मंगल और गुरू के प्रभाव से यह अपने सपनों को पूरी ताकत से पूरा करने की चेष्टा भी करते हैं। शायद, इनका सपना हो कि वे छत्तीसगढ़ की विकास की गाथा लिखें।

Pt.P.S Tripathi
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