Sunday, 12 April 2015

गंड-दोष(मूल- दोष)

तिथि गंड : नंदा तिथि के आदि (शुरुआत) की एवं पूर्णा तिथि के अंत की एक घड़ी अर्थात 24 मिनट का समय अशुभ होता है इसलिए इस समय में कोई भी शुभ कार्य नहीं करना चाहिए।
नक्षत्र गंड : ज्येष्ठा, श्लेषा, रेवती के अंत की 2 घड़ी अर्थात 48मिनट और मूल, मघा, अश्विनी के आदि अर्थात शुरुआत की 2 घड़ी अर्थात 48मिनट तक के समय में कोई भी शुभ कार्य नहीं करना चाहिए।
लग्न गंड : मीन, वृश्चिक, कर्क के अंत की आधी घड़ी अर्थात 12 मिनट का समय एवं मेष, धन, सिंह के आदि अर्थात शुरुआत आधी घड़ी अर्थात 12 मिनट के समय में कोई भी शुभ कार्य नहीं करना चाहिए।
तिथि, नक्षत्र, लग्न के गंड में अगर बालक का जन्म हो तो बालक का जीवित रहना थोड़ा मुश्किल रहता है, अगर जीवित रह जाये तो धनी अर्थात धनाड्य होता है।
कुल छ: नक्षत्र गंड हैं- मूल, ज्येष्ठा, श्लेषा, अश्विनी, रेवती, मघा, इनमें से तीन ज्येष्ठा, मूल, श्लेषा, नक्षत्रों को ज्यादा मानते हैं।
ज्येष्ठा नक्षत्र के गण्डमूल में जन्म लेने का फल: प्रत्येक नक्षत्र 24 घंटे का होता है, दिन के 24 घंटे के 10 भाग करें तो एक भाग के दो घंटे एवं 24 मिनट होते हैं इस प्रकार से ज्येष्ठा, नक्षत्र के प्रथम समय के दो घंटे 24 मिनट में अगर बालक का जन्म हो तो नानी के लिए अशुभ होता है। दूसरे दो घंटे 24 मिनट के समय में अगर बालक का जन्म हो तो, नाना को अशुभ होता है। तीसरे दो घंटे 24 मिनट के समय में अगर बालक का जन्म हो तो मामा को कष्ट होता है, चौथे दो घंटे 24 मिनट में अगर बालक का जन्म हो तो, माँ को कष्ट होता है। पांचवे दो घंटे 24 मिनट में अगर बालक का जन्म हो तो, स्वयं् बालक को कष्ट होता है। छठे दो घंटे 24 मिनट में अगर बालक का जन्म हो तो, गोत्र के लोगों को कष्ट होता है। सातवें दो घंटे 24 मिनट में अगर बालक का जन्म हो तो, नाना के परिवार एवं अपने कुटुंब को कष्ट होता है। आठवें दो घंटे 24 मिनट में अगर बालक का जन्म हो तो, बड़े भाई को कष्ट होता है। नवें दो घंटे 24 मिनट में अगर बालक का जन्म हो तो, होने वाले ससुर को कष्ट होता है। दसवें दो घंटे 24 मिनट में अगर बालक का जन्म हो तो, सभी कुटुंब वालों को कष्ट होता है।
मूल नक्षत्र के गण्डमूल में जन्म लेने का फल: प्रत्येक नक्षत्र 24 घंटे का होता है, इस प्रकार मूल नक्षत्र में 24 घंटे के आठ भाग करें, प्रथम भाग के 3 घंटे 12 मिनट में अगर बालक का जन्म हो तो, मूलनाश अर्थात बहुत ही अशुभ होता है। दूसरे भाग के 2 घंटे 24 मिनट में अगर बालक का जन्म हो तो, धनहानि होती है। तीसरे भाग के 4 घंटे 24 मिनट में अगर जन्म हो तो भाई का नाश होता है। चौथे भाग के 3 घंटे 36मिनट में अगर बालक का जन्म हो तो, माँ को पीड़ा अथवा कष्ट करता है। पांचवें भाग के 5 घंटे 36मिनट में अगर बालक का जन्म हो तो, सम्पूर्ण परिवार का नाश हो सकता है। छठवें भाग के 2 घंटों में अगर बालक का जन्म हो तो, बालक राजा का मंत्री हो सकता है अर्थात बड़ा होकर बड़े पद को प्राप्त कर सकता है। सातवें भाग के 1 घंटे 36मिनट में अगर बालक का जन्म हो तो, राजा हो सकता है अर्थात बहुत उच्च पद को प्राप्त कर सकता है। आठवें भाग के 1 घंटे 12 मिनट में अगर बालक का जन्म हो तो, बालक की आयु कम होगी।
श्लेषा नक्षत्र के गण्डमूल नक्षत्र में जन्म लेने का फल: प्रत्येक नक्षत्र 24 घंटे का होता है, दिन के 24 घंटे के 10 भाग करें इस प्रकार बालक का जन्म अगर नक्षत्र के प्रथम भाग के 2 घंटों में हुआ हो तो, बालक को राज्य की प्राप्ति हो सकती है। बालक का जन्म अगर नक्षत्र के दूसरे भाग के 2 घंटे 48मिनट में हुआ हो तो, पिता को कष्ट हो सकता है। बालक का जन्म अगर नक्षत्र के तीसरे भाग के 48मिनट में हुआ हो तो, माँ को कष्ट होता है। बालक का जन्म अगर नक्षत्र के चौथे भाग के 1 घंटे 12 मिनट में हुआ हो तो, बालक बड़ा होकर पर स्त्री गामी हो सकता है। बालक का जन्म अगर नक्षत्र के पांचवें भाग के 1 घंटे 36मिनट में हुआ हो तो, बालक पिता से विरोध होता है। बालक का जन्म अगर नक्षत्र के छठे भाग के 3 घंटे 12 मिनट में हुआ हो तो, बलवान होता है। बालक का जन्म अगर नक्षत्र के सातवें भाग के 4 घंटे 24 मिनट में हुआ हो तो, बालक आत्मघाती होता है। बालक का जन्म अगर नक्षत्र के आठवें भाग के 2 घंटे 24 मिनट में हुआ हो तो, बालक त्यागी होता है। बालक का जन्म अगर नक्षत्र के नवें भाग के 3 घंटे 36 मिनट में हुआ हो तो, भोगी अर्थात अपयश का कारण होता है। बालक का जन्म अगर नक्षत्र के दसवें भाग के 2 घंटों में हुआ हो तो, बालक धन नाश करता है।
ज्योतिषीय समाधान: मूल, ज्येष्ठा, श्लेषा, अश्विनी, रेवती, मघा इन छ: नक्षत्रों में जन्मे बालकों के दोषों को दूर करने के उपाय निम्न प्रकार से हैं :
उपरोक्त नक्षत्रों में से किसी भी नक्षत्र में बालक का जन्म हुआ हो तो, इस के लिए उक्त नक्षत्र के मंत्रों का अ_ाईस हजार जाप करें या किसी ब्राह्मण से करवाएं तथा जब नक्षत्र 28दिन में फिर से आये तब जिस नक्षत्र का मंत्र जपा हो उसके उस दिन 28छेद वाले घड़े से बालक एवं माता पिता की शुद्धिकरण कर उस मंत्र के दशांश का हवन करें या करवाएं एवं 28ब्राह्मणों को भोजन करवाएं, इससे नक्षत्र-गंड दोष दूर होते हैं।

Pt.P.S Tripathi
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