Sunday, 12 April 2015

भाग्य और वर्तमान परिदृश्य ने मोदी को बनाया महानायक





जब भाजपा ने नरेन्द्र मोदी को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाया था, तब किसी को सपने में भी उम्मीद नहीं थी वे भाजपा को इतनी बड़ी जीत दिलायेंगे। मगर उन्होंने पीएम उम्मीदवारी को अपना लक्ष्य बनाया।
नरेंद्र मोदी ने कई बार अपने चुनावी भाषणों में कहा था कांग्रेस इस बार के चुनाव में खाता तक नहीं खोल पाएगी। राज -स्थान, गुजरात और गोवा इन तीन राज्यों में जो मोदी ने कहा वैसा ही हुआ। राजस्थान में 25, गुजरात में 26और गोवा में 2 सीटों पर बीजेपी ने काबिज होकर कांग्रेस का सूपड़ा साफ कर दिया। साथ ही उत्तरप्रदेश एवं बिहार जैसे जातीय मुद्दों पर चुनाव लडऩे वाले प्रदेशों में भी भारी जीत दर्ज कर दी। कुछेक पार्टियों को तो जैसे बैकफ ुट पर पहुंचा दिया। चुनाव में मोदी आंधी की तरह नहीं सुनामी की तरह आए और कांग्रेस को बहाकर सत्ता से किनारे कर दिया।
अपने ताबड़तोड़ चुनाव प्रचार अभियान के दौरान विकास को अपना मुख्य मुद्दा बनाते हुए मोदी ने देश की युवा शक्ति, मध्यवर्ग और ग्रामीण लोगों को 'बदलाव की बयार लाने का भरोसा दिलाने के लिए संपर्क साधने की पुरजोर कोशिश की और शायद उनकी यही कोशिश रंग लाई। हालांकि बीच बीच में कभी कभार भगवा ताकतों के कुछ पसंदीदा विषयों को उठाकर मतदाताओं का ध्रुवीकरण करने की कोशिशें भी उनके अभियान में दिखीं। मोदी बिना रुके, बिना थके अनवरत मेहनत करते रहे। आलम यह था कि वह एक दिन में चार से लेकर छह रैलियों तक को संबोधित कर रहे थे। कई हफ्तों तक उनका गला बैठ गया। फिर भी वह सियासात की बेहतरी की खातिर चिल्लाते रहे, गरजते रहे, जनता से वोट देने की अपील करते रहे। मोदी ने अपने धुंआधार प्रचार अभियान से लोकसभा चुनाव प्रचार का रिकार्ड ब्रेक कर दिया। मोदी ने इस दौरान देश भर में तीन लाख किलोमीटर से अधिक दूरी तय कर एक अनूठा रिकार्ड बना दिया। कुल 5827 कार्यक्रमों में भाग लिया। उन्होंने बीते साल सितंबर महीने से अब तक 25 राज्यों में 437 जनसभाओं को संबोधित किया और 1350 3डी रैलियों में शिरकत की। 5827 सार्वजनिक कार्यक्रमों के जरिये मोदी ने करीब 10 करोड़ लोगों तक अपनी पहुंच बनाई। मोदी का यह प्रचार अभियान 'ऐतिहासिक और 'अभूतपूर्व कहा जा सकता है। इस दौरान वह देश के हर राज्य और बड़े शहर में जा पहुंचे। पूरे देश को नाप लिया। मोदी चलते गए, बढ़ते गए और उन्होंने आखिरकार मुख्यमंत्री से प्रधानमंत्री बनकर ही दम लिया। एक कुशल योजनाकार मोदी ने, रेलवे स्टेशन पर चाय बेचने वाले से लेकर भारत का एक लोकप्रिय नेता बनने तक का सफर बड़ी सफलता से पूरा किया हालाकि उनके बहुत से विरोधी उनके इस दावे से सहमत नहीं हैं कि वे कभी चाय भी बेचा करते थे। भाजपा ने उनके नेतृत्व में जबरदस्त बहुमत प्राप्त करने का ऐसा कारनामा अंजाम दिया है जैसा 1984 में राजीव गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस ने 400 से ज्यादा सीटों पर जीत दर्ज कर किया था और ऐसा इस बीच कोई भी अन्य दल नहीं कर पाया।
यूं तो मोदी ने अपने शुरूआती राजनैतिक कैरियर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का प्रचारक रहते हुए देश को करीब से जाना-समझा, लेकिन लोकसभा चुनाव के संग्राम में उन्होंने अपने ''उत्साह का रथÓÓ देश के चारों कोनों में दौड़ाया और लक्ष्य पूरा होने के बाद भी नहीं थमे। अब प्रधानमंत्री बनने के बाद नया लक्ष्य और नई चुनौतियां भी उनका इंतजार कर रही हैं, यदि उनमें वे खरा उतरते हैं तो कोई अतिशयोक्ति नहीं कि आने वाले समय में उनकी राहें और आसान हो जाएंगी और वे देश के सर्वोत्तम लोकप्रिय नेता या महानायक बन जाऐंगे।
जैसा कि पहले भी बताया गया कि मोदी जी की जन्म लग्र वृश्चिक और राशि भी वृश्चिक है। शुक्र के महा दशा और शनि के अंतर में उनके राजनैतिक जीवन की शुरूआत २००१ से २०१३ अनवरत प्रसिद्धि, ताकत और गरिमा प्राप्त करते रहे। लग्रस्थ: मंगल के कारण एक आक्रामक एवं कठोर हिन्दुवादी नेता की छवि रखते हैं जिनके कुछ भी बोलने पर विवाद हो जाता है मगर ये विवाद इन्हें जनता के बीच बहुत प्रसिद्धी दिलाते हैं। इस बार के लाकसभा चुनाव में भी यह देखने को मिला कि उनके विरोधियों ने उनकी बुराई की, जबकि उससे उनका हुआ प्रचार। १६ जून के मतगणना के पहले जो यह चर्चा थी कि देश में ''मोदी लहर जैसी कोई चीज है भी कि नहीं, तो मतगणना के परिणाम सबके सामने है। साफ दिखाई दे रहा है कि यकीनन् मोदी लहर था और इस लहर ने अपने समर्थक पार्टियों को पार लगा दिया और विरोधी पार्टियों को किनारे कर दिया। भाजपा को मोदी का भरपूर लाभ मिला, साथ ही भाजपा को तमाम एलाइंस पार्टियों को भी मिला। यद्यपि आने वाले समय में मोदी के लिए कुछेक चुनौतियाँ जरूर हैं लेकिन मोदी में क्षमता है, व साहस है कि वो तमाम चुनौतियों को पार करके अवाम की आशाओं पर खरा उतरेंगे और उनके सितारे भी यही कह रहे हैं।

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