मास शिवरात्रि व्रत कृष्णपक्ष की चतुर्दशी को किया जाता है। इस दिन एक दिन पूर्व भोजन कर दिनभर निराहार रहकर पत्रपुष्प तथा सुंदर वस्त्रों से मंडल तैयार करके वेदी पर कलश की स्थापना कर गौरी शंकर की स्वर्णमूर्ति तथा नंदी की चॉदी की मूर्ति रखकर अथवा सामान्य रूप से उपयोग करने वाली मूर्ति स्थापित कर कलश में जल से भरकर रोली, मोली, चावल, पान, सुपारी, लौंग, इलायची, चंदन, दूध, घी, शहद, कमलगट्टा, धतूरा, बेलपत्र आदि का प्रसाद शिवजी पर अर्पित करके पूजा करनी चाहिए। दूसरे दिन प्रात: जौ, तिल, खीर तथा बेलपत्र का हवन करके ब्राम्हणों को भोजन करवाकर व्रत का पारण करना चाहिए। इस प्रकार इस व्रत के करने से भगवान महादेव तथा भगवती गौरी का आशीर्वाद प्राप्त होने से जीवन के कष्ट समाप्त होकर सांसारिक दुखों से निवृत्ति प्राप्त होती है।
Pt.P.S Tripathi
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