Monday, 13 April 2015

ज्योतिषीय दृष्टि से क्रोध और उपाय


ज्योतिषीय दृष्टि से क्रोध: ज्योतिषीय दृष्टि से क्रोध के मुख्य कारण मंगल, सूर्य, शनि, राहु तथा चंद्रमा हैं। इनमें से यदि मंगल ग्रह सूर्य (पहचान और सहनशक्ति) और चांद (शारीरिक और भावनात्मक जरूरत) के समान व्यवहार कर सकता है, यदि जन्मकुंडली में सूर्य और चंद्रमा, मंगल ग्रह से संबंधित हो तो क्रोध व्यक्त करने में कामयाब हो जाता है। सामान्य तौर पर एक छोटा लक्षण भी लंबे समय के क्रोध के लिए काफी होता है। क्रोध, आलोचना और बौद्धिक/ सामाजिक श्रेष्ठता की भावना की ओर ले जाता है। अभिव्यक्ति ज्ञान के साथ संतुलित होती है। मंगल ग्रह का शनि से युति गुस्से को नियंत्रित करने में असमर्थ होती है। यह अत्यधिक विघटन का भाव पैदा कर सकते हैं।
ज्योतिष के अनुसार, क्रोध अग्नि तत्व द्वारा द्योतक है। अग्नि तत्व के साथ संबंधित ग्रहों और राशियों के नकारात्मक या विपरीत होने से संबंधित व्यक्ति प्रतिकूल ग्रहों की अवधि के दौरान, अत्यधिक क्रोध करता है। मंगल के साथ नीच चंद्रमा घरेलु शांति के लिए शुभ नहीं है. दूसरे घर (तीसरे और छठे घर के स्वामी) और मंगल / शनि के कारण जातक का स्वभाव अपने कैरियर में गंभीर समस्याओं का सामना कराता है। यदि चंद्रमा लग्र में या तीसरे स्थान में मंगल, शनि या केतु के साथ युत हो तो क्रोध के साथ चिडचिडापन देता है। वहीं यदि सूर्य मंगल के साथ योग बनाये तो अहंकार के साथ क्रोध का भाव आता है। मंगल शनि की युति क्रोध जिद के रूप में व्यक्त होती है। राहु के लग्र, तीसरे अथवा द्वादश स्थान में होने पर काल्पनिक अहंकार के कारण अपने आप को बडा मानकर अंहकारी बनाता है जिससे क्रोध उत्पन्न हो सकता है।
क्रोध के वाहक हालात यदि अपरिहार्य हों तो उनका सामना करने के शांत तरीके खोजें ओर उनके अनुरूप आचरण करें। समय का पालन करें। चिंतन-मनन करें। थोड़े से संकल्प से क्रोध पर नियंत्रण किया जा सकता है। उन हालात पर गौर करें जो अकसर आपको उत्तेजित करते रहते हैं। ध्यान दें कि उन हालात को रोकने के लिए आप क्या कर सकते हैं? जब कभी आपको क्रोध आए उस समय अपने आचरणों पर गौर करें। यह देखें कि उनमें से किस आचरण में सुधार की जरूरत है। आपके अंदर क्रोध की भावना नहीं उठे इसके लिए रणनीति तैयार करें। ऐसी रणनीतियां भी अपनाएं जो क्रोध पर शीघ्र नियंत्रण में आपकी सहायता कर सकं। अपने परिजनों के साथ क्रोध पर नियंत्रण की विधियों पर चर्चा करें ताकि आपको उनसे सुझाव मिल सकें।
मंत्रजाप और सूर्य नमस्कार: शारीरिक और मानसिक दोनों कमजोरियों पर विजय पाने के लिए मंत्रजाप और सूर्य नमस्कार अचूक अस्त्र हैं, इन्हें प्रमाणित करने की भी आवश्यकता नहीं है। सूर्य नमस्कार, हमारे आत्मविश्वास, आरोग्य को बढ़ाने में सहायक होता है। मंत्रजाप मन की शक्ति को बढ़ाता है और निरंतर अभ्यास से एकाग्रता और धैर्य बढ़ता है।
मोती नहीं है गुस्सा कम करने का हल: मैंने बहुत से लोगों को यह कहते सुना है कि हमें बहुत क्रोध आता है, क्या हम मोती पहन लें, यह महज कल्पना और मिथ्या भ्रम है कि मोती गुस्सा कम करता है। इसलिए सिर्फ क्रोध कम करने के लिए मोती पहनना उचित नहीं है

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