Thursday, 7 May 2015

शुक्र की दषा का फल - सुख तथा समृद्धि का प्रारंभ -

Image result for happiness

शुक्र की दषा का फल - सुख तथा समृद्धि का प्रारंभ -

ज्योतिषिय विज्ञान में व्यक्ति को सुख तथा समृद्धि प्रदान कर्ता ग्रह शुक्र को माना जाता है। यदि किसी जातक की कुंडली में शुक्र क्रूर स्थान पर हो तो उसे शुक्र की दषा में विषेष लाभ प्राप्त होता है किंतु यदि शुक्र राहु या सूर्य से आक्रांत हो तो उसके विपरीत प्रभाव के अनुसार सुख में कमी का भी कारण बनता है। किसी भी जातक की कुंडली में शुक्र की दषा में मकान, वाहन घरेलू सुख में वृद्धि के साथ ही शुक्र अपनी दषा का फल अवष्य जातक को दिखाता है वह हैं राजरोग का लगना। राजरोग अर्थात् शुगर, कोलेस्ट्राल, वजन का बढ़ना इत्यादि रोग जिसे आधुनिक भाषा में राजरोग कहा जाता है। किसी जातक की कुंडली में शुक्र की दषा अथवा अंर्तदषा में खान-पान में परिवर्तन, सुख में वृद्धि तथा शारीरिक क्षमता में कमी आने का कारक शुक्र ग्रह है। शुक्र की दषा चलने पर बिना कुंडली की जानकारी के यह जाना जा सकता है कि यदि किसी जातक को खान-पान, घरेलू सुख में वृद्धि तथा मानप्रतिष्ठा में बढ़ोतरी का कारक शुक्र है। अतः इस दषा का विपरीत प्रभाव ताउम्र चलने वाली बिमारियों से भी लगाया जा सकता है। शुक्र की दषा में कोलेस्ट्राल का बढ़ना, शुगर का बढ़ना तथा मोटापा का बढ़ना इत्यादि प्रभाव स्पष्ट दिखाई देता है। यदि किसी को इस प्रकार से सुख में वृद्धि हो तो उसे शुक्र के विपरीत प्रभाव अर्थात् बिमारियों से बचाव हेतु ज्यादा मेहनत व्यायाम, तथा खान-पान में सर्तकता बरतने के साथ माता दुर्गा जी के दर्षन करना तथा दुर्गा कवच का पाठ करना चाहिए जिससे शुभ प्रभाव में र्वृिद्ध सुख में वृद्धि तथा अषुभ प्रभाव में कमी अर्थात् बिमारियों से बचाव में सहायता प्राप्त हो सके। 



Pt.P.S Tripathi
Mobile no-9893363928,9424225005
Landline no-0771-4035992,4050500
Feel Free to ask any questions in


              

No comments: