Wednesday, 13 May 2015

कैसे करें अपनी पूर्ण अंतर शक्ति का उपयोग


कैसे करें अपनी पूर्ण अंतर शक्ति का उपयोग
कहा जाता है कि ऊॅ का रूप ही प्रणव अर्थात् ब्रम्हा, विष्णु एवं महेष यानि तीनों देवताओं का रूप है... क्योंकि हिंदू धर्म के अंदर अक्षरों की पूजा की जाती है... ऊॅ के ऊपर चंद्र बिंदु का स्थान चंद्रमा की दक्षिण भुजा का रूप है... अ, उ और म के ऊपर शक्ति के रूप में चंद्र बिंदु का रूपण केवल इस भाव से किया गया है कि अ से अज यानि ब्रम्हा, उ से उदार यानि विष्णु और म से मकार यानि शिवजी... ऊॅ गं गणपतये नमः का जाप करते वक्त गं अक्षर में संपूर्ण ब्रम्हविद्या का निरूपण होता है... गं बीजाक्षर को लगातार जपने से तालू के अंदर और नाक के अंदर की वायु शुद्ध होती है और बुद्धि की ओर जाने वाली शिरायें और धमनियाॅ अपना रास्ता खोल लेती हैं, जिससे बुद्धि का विकास होता है... इस ब्रम्ह विद्या का उच्चारण नियमित रूप से किया जाए तो एकाग्रता बढ़ने से स्मरण शक्ति तेज होती है, जिसके कारण विद्या में पारंगत हो सकते हैं... जिससे जातक अपनी योग्यता का पूर्ण सदुपयोग कर जीवन में सफलता प्राप्त करता है.... जब किसी बालक का व्यवहार लापरवाह भरा हो तो उसके तीसरे एवं छठवें स्थान का विवेचन करना चाहिए, क्योंकि इन स्थानों के स्वामी बुध ग्रह हैं यदि ये स्थान दुषित हों तो उसे इस प्रकार गणपति की पूजा करनी चाहिए, जिससे जीवन में पूर्ण सफलता प्राप्त हो सके।


Pt.P.S Tripathi
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