मानवीय शक्तियों में प्रेम को सबसे बड़ी शक्ति माना गया है। प्रेम में मनुष्य का जीवन बदल देने की शक्ति होती है। प्रेम के प्रसाद से मनुष्य की निर्बलता और दरिद्रता, शक्तिमत्ता और सम्पन्नता में बदल जाती है। प्रेम पूर्ण जीवनचर्या में अशांति और असंतोष तो पास फटकने तक नहीं पाते। प्रेम मनुष्य जीवन का सर्वश्रेष्ठ वरदान माना गया है। किसी व्यक्ति को प्रेम प्राप्त होगा या नहीं और यह प्रेम कितना सफल होगा जाने कुंडली के विष्लेषण से...किसी जातक की कुंडली में अगर किसी भी स्थान का स्वामी अपने स्थान छठवे आठवे या बारहवे स्थान पर हो तो उसे स्थान से संबंधित प्रेम की प्राप्ति नहीं होती क्योंकि किसी वस्तु या व्यक्ति से सुख तथा आनंद की प्राप्ति ही प्रेम है। इसलिए जैसे किसी की कुंडली में दसम स्थान का स्वामी लग्न या भाग्य स्थान से अनुकूल संबंध ना बनाये तो उस व्यक्ति को अपने पिता, बाॅस, कार्य तथा अवसर की अनुकूल प्राप्तियाॅ नहीं होगी जिससे उसे सुख तथा आनंद नहीं प्राप्त होगा अतः यदि दसमेष छइवे, आठवे या बारहवे स्थान पर हो जाए या क्रूर ग्रहों से पापक्रांत हो तो उसे पिता का प्रेम प्राप्त नहीं होगा तथा कार्य का सुख भी प्राप्त नहीं होगा। इसी प्रकार यदि किसी व्यक्ति का पंचमेष या सप्तमेष प्रतिकूल हो तो उसे पार्टनर का प्रेम प्राप्त होने में बाधा आयेगी। इस प्रकार सुख तथा आनंद की प्राप्ति ही प्रेम है और यदि इसे संपूर्ण तौर पर प्राप्त करना चाहते हैं तो अपनी कुंडली का विष्लेषण कराकर पता करें कि आपके जीवन में किस प्रकार के सुख या प्रेम की कमी है और उस प्रेम को प्राप्त करने के लिए उससे संबंधित ग्रह की शांति जिसमें ग्रह दान, मंत्रजाप तथा रत्न धारण करना चाहिए।
Pt.P.S.Tripathi
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