सूर्य और शनि पिता-पुत्र होने पर भी परस्पर शत्रुता रखते हैं। वैसे भी प्रकृति का विचार करें तो प्रकाष और अंधकार, सच और झूठ का जो प्रभाव होता है वहीं प्रभाव सूर्य और शनि की युति। सूर्य-शनि युति जीवन को पूर्णतः संघर्षमय बनाते हैं। पहले से उपस्थित वृष्चिक के शनि के साथ सूर्य की भी युति हो रही है। चूॅकि वृष्चिक का शनि सत्य, सहिष्णुता तथा सदाचार को बढ़ावा देने के लिए जाने जाते हैं। वृष्चिक का सूर्य होने पर शनि अर्थात् प्रजा द्वारा राजा मतलब सूर्य के लिए विरोध पैदा कर सकता है साथ ही राजा द्वारा किए गए वादें एवं कार्य पर अब वृष्चिक के सूर्य-षनि युति पर परिणीति की मांग बढ़ेगी और यदि अब आम जनता की बुनियादी जरूरत आसानी से पूरी न हुई तो प्रजातांत्रिक असंतोष अपने चरम पर होगा। अतः इस एक माह में जब तक सूर्य-षनि की युति होगी प्रजातांत्रिक उथल-पुथल का समय रहेगा। राजा को अपने कार्य पर पुर्नमूल्यांकन ना करने पर भयानक विरोध का सामना करना पड़ सकता है। अतः समय रहते सूर्य-षनि संक्रांत में सूर्य की शांति के लिए तिल का दान तथा सूर्य को अघ्र्य देना चाहिए।
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