Sunday, 15 November 2015

अंक ज्योतिष के अनुसार नवम्बर माह

21 अक्तूबर से वृश्चिक राशि प्रारम्भ हो जाती है, लेकिन सात दिन तक पूर्व राशि तुला के साथ इसका संधि-काल चलता है, अत 28 अक्तूबर तक यह पूर्ण प्रभाव में नहीं आ पाती|
उसके वाद 20 नवम्बर तक इसका पूर्ण प्रभाव रहता है । फिर आगामी धनु के साथ संधि-काल प्रारम्भ हो जाने के कारण सात दिन तक इसके प्रभाव में उत्तरोतर कमी जाती है।
वृश्चिक जल-त्रिकोण की दूसरी राशि है और इसका स्वामी मंगल (सौग्य) है । इस अवधि में अर्थात् 21 अक्तूबर से 20-28 नवम्बर तक जन्मे व्यक्ति या तो बहुत अच्छे होते हैं या
बहुत बुरे। लगभग इक्कीस वर्ष की आयु तक वे अत्यंत पवित्र ह्रदय और धर्मात्मा होते है |
लेकिन यदि उनकी काम-भावना जाग उठे तो प्राय वे इसकी उलटी दिशा में मुड़ जाते है फिर भी, कुछ अत्यंत उदात्त मनुष्य इस राशि में पैदा हुए हैं । लेकिन सभी अत्यंत भावुक होते है जो उनकी प्रकृति के सभी रूपों की विशेषता है | इस अवधि में पैदा हुए लोगों में असाधारण आकर्षण-शक्ति होती है। वे उत्तम डाक्टर-सर्जन, कष्टहर्ता, उपदेशक और वक्ता बनते हैं। सार्वजनिक जीवन में श्रोताओं पर उनका भारी प्रभाव पड़ता है जिन्हें वे अपनी इच्छानुसार किसी दिशा में मोड़ सकते है । उनका भाषा पर अधिकार होता है, बोलने और लिखने दोनों में, और अपनी वर्णन-शैली में अत्यंत नाटकीय होते हैं । उनकी सबसे वही कमजोरी यही है कि जिसके सम्पर्क में जाते हैं, उसी हैं । फलस्वरूप उन्हें प्राय दूसरों के दोषों के लिए भुगतना होता है ।
यदि वे इस राशि के उच्च धरातल वाले हों तो मानवीय, अत्यंत उदार और होते हैं । संकट काल और आपात स्थिति में शांत और दुढ़-संक्लपी रहते है तथा उन पर पूरा भरोसा किया जा सकता है । व्यापार, राजनीति, साहित्य या जिस ओर भी दिमाग लगायें विचारों में अत्यंत भौतिक होते हैं तथा आम तौर से सफल रहते हैं ।वे भाग्य की विचित्र प्रतिकूलता के भी शिकार होते हैं। प्राय: गलत कहानियों फैलाकर उन्हें बदनाम किया जाता है।शरीर के बजाय वे मन से अधिक लड़ने वाले होते हैं । यदि युद्ध के लिए विवश हो ही जाएं तो अच्छे संगठनकर्ता बनते हैं, लेकिन आम तौर से वे रक्तपात से घृणा करते हैं । कूटनीतिज्ञ या वार्ताकार के रूप में वे उत्तम कार्य करते है । दूसरे लोगों के झगडे निपटाने या शत्रुओं को एक स्थान पर लाने में उनकी महत्त्वपूर्ण भूमिका हो सकती हैं। वे बिच्छु की तरह डंक भी मार सकते हैं लेकिन थोडा-सा भी दुख प्रकट कर देने पर आम तौर से उनका क्रोध उतर जाता है और वे तत्काल अपने शत्रुओ को क्षमा कर देते हैं । लेकिन अच्छे गुणों की प्रधानता हो या बुरे गुणों की, उनमें दुहरा जीवन जीने की प्रवृत्ति होती हैं…एक दुनिया को दिखाने के लिए, दूसरा अपने लिए। निचले या अधिक भौतिक धरातल पर यह प्रवृत्ति अधिक विकसित होती है । ऐसी दशा में वे एक सुखी पारिवारिक जीवन बिताते भी देखे गए है और एक दूसरी गृहस्थी को भी पालते पाए गए हैं । उच्च धरातल पर यह प्रवृत्ति मानसिक जीवन को अधिक प्रभावित करती है । आम तौर से वे दो धंधे अपनाते हैं और दोनों में सफल होते हैं । देर-सवेर, वे गुप्त विद्याओं में दिलचस्पी लेने लगते हैं । वे शीघ्र अंतर्ज्ञान की शक्ति पा लेते हैं । और प्राय लेखक, चित्रकार, कवि या संगीतज्ञ के रूप में नाम कमाते हैं । वे स्वाभाविक, दार्शनिक और प्रकृति के अध्येता होते हैं । दूसरों के चरित्र को बहुत अच्छी तरह से देख पढ सकते हैं। जो उन्हें मानते हैं, वे आम तौर से प्यार और सराहना करते हैं । लेकिन शायद ही कुछ लोग कभी-न-कभी बदनामी या घोटालों के शिकार होने से बच पाते हों |इस अवधि में पैदा हुए व्यक्तियों की आय के आमतौर से दो साधन होते हैं । प्रारम्भिक वर्षों में उन्हें काफी परेशानियों और कठिनाइयों का सामना करना होता हैं। प्राय एकांतवास भी करना होता है । लेकिन ऐसी परीक्षाओं में उनकी इच्छा शक्ति और महत्वाकांक्षा बढ़ती ही तथा देर सवेर सफलता और यश मिलते हैं ।
जिस धंधे या व्यवसाय में लगे होते हैं, उसी में कठोर परिश्रम करते हैं । कोई कोर कसर नहीं छोडते । उनकी इच्छाशक्ति और संकल्प उन्हें काम करते रहने को प्रेरित करते रहते हैं । उनकी खोज की अच्छी योग्यता होती है और अपने काम में उपाय-कुशल होते हैं । वे अच्छे सस्कारी कर्मचारी बनते हैं । विशेषकर उन्हें कूटनीतिक स्थितियों से निपटने और गुप्त मिशन पूरे करने का वरदान मिला होता हैं। वे प्राय: सफल जासूस और अपराधों का पता लगाने वाले पुलिस अधिकारी बनते हैं ।
वे अच्छे वैज्ञानिक, रसायनशास्वी या जाँच पड़ताली बनते हैं, विशेषकर द्रवों के लिए उनमें अक्सर खतरनाक उद्यमों में लगने की प्रवृति रहती है, जैसे गुप्त खजाने, छिपी खानों की खोज, रहस्यपूर्ण तथा जान-जोखिम के अन्य काम | उच्च धरातल वाले गुप्त विद्याओं तथा मनोविश्लेषण में गहरी दिलचस्पी लेते हैं | निचले स्तर वाले गुंडों और पुत संस्थाओ से सम्बन्ध जोड़ना चाहते हैं । उच्च स्तर वाले प्राय: उच्च कूल में विवाह करते हैं। उन्हें विवाह से लाभ होता है । यदि नहीं होता तो भी कम-से-कमऐसा जीवन साथी चुनते हैं जो उच्च बौद्धिक स्तर वाला होता है अथवा नाम कमा चुका होता है ।
स्वास्थ्य
वृश्चिक में जन्मे लोग बचपन में प्राय नाजुक होते हैं और औसत से अधिक बाल-रोगों के शिकार होते हैं । उनकी बीमारियों आम तौर से वही आंतों और मलमूत्र मार्ग से सम्बन्धित होती हैं । वे भगन्दर, पित्ताशय में सूजन, कामांगो के संकट और ग्रंथियों की परेशानी से पीडित हो सकते हैं । जीवन में वे शायद ही किसी दुर्घटना से या हाथों में स्थायी चोट से बच पाते हों । फैफडों के ऊपरी भाग और स्वास नलिका कमजोर होते हैं । वृश्चिक में जन्मे सभी लोग अपने इक्कीसवें वर्ष के बाद बीमारी से असाधारण प्रतिरोध का परिचय देते हैं।
आर्थिक दशा
इन लोगों को भाग्य के असाधारण उतार-चढ़ाव का अनुभव करना पड़ता है । उनमें दूसरों पर अधिक भरोसा करने और अधिक आशावादी होने की प्रवृत्ति होती है । वे आसानी से ऐसी योजनाओं में फंस जाते हैं जिनका तोल ठोस आधार नहीं होता । वे अति उदार और फिजूल खर्च भी करते हैं । सहायता की पुकार होने पर, विशेषकर विपरीत लिंगी से वे अपने आपको रोक नहीं पाते । पैसा उनकी जेब में काटता है । अपनी मानसिक योग्यताओं से वे पैसा कमा तो सकते हैं लेकिन शायद ही जोड़कर रख पाते हैं ।परिस्थितियों अनुकूल होने पर वे खूब यात्राएँ करते हैं और नई परिस्थितियों और वातावरण के अनुकूल शीघ्र अपने को ढाल लेते हैं।
विवाह, सम्बन्ध, साझेदरियां आदि
इन लोगों के सबसे अधिक सौहार्दपूर्ण सम्बन्थ अपनी निजी राशि वृश्चिक (29 अक्तूबर से 20 नवम्बर), जल-त्रिकोण की अन्य राशियों मीन (49 फरवरी से 20 मार्च) तथा कर्क (21 जून से 20 जुलाई), इनके पीछे के संधिकाल में जसे व्यक्तियों के साथ रहेंगे । वे अपनी राशि से सातवीं वृष (21 अप्रैल से 20-27 मई) के दौरान जन्मे लोगों से भी काफी प्रभावित होते है ।
Pt.P.S.Tripathi
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