पुष्य नक्षत्र- 03 नवम्बर 2015
पुष्य नक्षत्र को भारतीय ज्योतिष के अनुसार सबसे अधिक शुभ माने जाने वाले नक्षत्रों में से एक माना जाता है तथा इस नक्षत्र के उदय होने पर अधिकतर वैदिक ज्योतिषी शुभ कार्य करने का परामर्श देते हैं। सताइस नक्षत्रों में से पुष्य को आठवां नक्षत्र माना जाता है। सताइस नक्षत्रों की इस श्रृंखला में से पुष्य नक्षत्र शनि ग्रह के आधिपत्य में आने वाला पहला नक्षत्र है। हालांकि शनि को वैदिक ज्योतिष के अनुसार अधिकतर मुसीबतों के आगमन, समस्याओं तथा दुर्भाग्य के साथ जोड़ा जाता है किन्तु इसके बिल्कुल विपरीत शनि के आधिपत्य में आने वाले इस नक्षत्र को सौभाग्य, समृद्धि तथा अन्य बहुत से शुभ पक्षों के साथ जोड़ा जाता है। पुष्य शब्द का शाब्दिक अर्थ है पोषण करना अथवा पोषण करने वाला तथा इस शब्द का शाब्दिक अर्थ ही अपने आप में इस नक्षत्र के व्यवहार तथा आचरण में बहुत कुछ बता देता है। पुष्प शब्द अपने आप में सौंदर्य, शुभता तथा प्रसन्नता के साथ जोड़ा जाता है तथा इस शब्द से भी पुष्य नक्षत्र के शुभ तथा सुंदर होने के ही संकेत मिलते हैं।
वैदिक ज्योतिष के अनुसार गाय के थन को पुष्य नक्षत्र का प्रतीक चिन्ह माना जाता है तथा पुष्य नक्षत्र का प्रतीक चिन्ह गाय का यह थन भी हमें पुष्य नक्षत्र के स्वभाव के बारे में बहुत कुछ बताता है। गाय को भारतवर्ष में प्राचीन तथा वैदिक काल से ही पूज्या माना जाता है तथा गाय के दूध की तुलना वैदिक संस्कृति में अमृत के साथ की जाती थी।
वैदिक ज्योतिष में बृहस्पति को पुष्य नक्षत्र के स्वामी देवता के रूप में माना जाता है। बृहस्पति को देवताओं का गुरु माना जाता है जिन्हें देवगुरु भी कहा जाता है तथा इसी कारण से बृहस्पति का एक नाम गुरु भी वैदिक ज्योतिष में प्रचलित है। गुरु का इस नक्षत्र पर प्रभाव इस नक्षत्र को गुरु के कई गुण जैसे कि दया, सदभावना, समृद्धि, धर्मपरायणता, उदारता, सदभावना तथा आशावाद प्रदान करता है। पुष्य नक्षत्र का स्वभाव बृहस्पति के स्वभाव से इतना अधिक मेल खाता है कि पोषण करने का गुण, संवेदनशीलता, भावुकता तथा ऐसे ही कुछ अन्य गुण भी प्रदान करता है जिसके चलते इस नक्षत्र के प्रबल प्रभाव में आने वाले जातकों में यह गुण भी पाए जाते हैं। बृहस्पति तथा चन्द्रमा का मिश्रित प्रभाव पुष्य नक्षत्र के जातकों को लगातार धन तथा समृद्धि प्रदान करता रहता है क्योंकि वैदिक ज्योतिष में ये दोनों ही ग्रह धन तथा समृद्दि के साथ जोड़े जाते हैं।
पुष्य नक्षत्र को भारतीय ज्योतिष के अनुसार सबसे अधिक शुभ माने जाने वाले नक्षत्रों में से एक माना जाता है तथा इस नक्षत्र के उदय होने पर अधिकतर वैदिक ज्योतिषी शुभ कार्य करने का परामर्श देते हैं। सताइस नक्षत्रों में से पुष्य को आठवां नक्षत्र माना जाता है। सताइस नक्षत्रों की इस श्रृंखला में से पुष्य नक्षत्र शनि ग्रह के आधिपत्य में आने वाला पहला नक्षत्र है। हालांकि शनि को वैदिक ज्योतिष के अनुसार अधिकतर मुसीबतों के आगमन, समस्याओं तथा दुर्भाग्य के साथ जोड़ा जाता है किन्तु इसके बिल्कुल विपरीत शनि के आधिपत्य में आने वाले इस नक्षत्र को सौभाग्य, समृद्धि तथा अन्य बहुत से शुभ पक्षों के साथ जोड़ा जाता है। पुष्य शब्द का शाब्दिक अर्थ है पोषण करना अथवा पोषण करने वाला तथा इस शब्द का शाब्दिक अर्थ ही अपने आप में इस नक्षत्र के व्यवहार तथा आचरण में बहुत कुछ बता देता है। पुष्प शब्द अपने आप में सौंदर्य, शुभता तथा प्रसन्नता के साथ जोड़ा जाता है तथा इस शब्द से भी पुष्य नक्षत्र के शुभ तथा सुंदर होने के ही संकेत मिलते हैं।
वैदिक ज्योतिष के अनुसार गाय के थन को पुष्य नक्षत्र का प्रतीक चिन्ह माना जाता है तथा पुष्य नक्षत्र का प्रतीक चिन्ह गाय का यह थन भी हमें पुष्य नक्षत्र के स्वभाव के बारे में बहुत कुछ बताता है। गाय को भारतवर्ष में प्राचीन तथा वैदिक काल से ही पूज्या माना जाता है तथा गाय के दूध की तुलना वैदिक संस्कृति में अमृत के साथ की जाती थी।
वैदिक ज्योतिष में बृहस्पति को पुष्य नक्षत्र के स्वामी देवता के रूप में माना जाता है। बृहस्पति को देवताओं का गुरु माना जाता है जिन्हें देवगुरु भी कहा जाता है तथा इसी कारण से बृहस्पति का एक नाम गुरु भी वैदिक ज्योतिष में प्रचलित है। गुरु का इस नक्षत्र पर प्रभाव इस नक्षत्र को गुरु के कई गुण जैसे कि दया, सदभावना, समृद्धि, धर्मपरायणता, उदारता, सदभावना तथा आशावाद प्रदान करता है। पुष्य नक्षत्र का स्वभाव बृहस्पति के स्वभाव से इतना अधिक मेल खाता है कि पोषण करने का गुण, संवेदनशीलता, भावुकता तथा ऐसे ही कुछ अन्य गुण भी प्रदान करता है जिसके चलते इस नक्षत्र के प्रबल प्रभाव में आने वाले जातकों में यह गुण भी पाए जाते हैं। बृहस्पति तथा चन्द्रमा का मिश्रित प्रभाव पुष्य नक्षत्र के जातकों को लगातार धन तथा समृद्धि प्रदान करता रहता है क्योंकि वैदिक ज्योतिष में ये दोनों ही ग्रह धन तथा समृद्दि के साथ जोड़े जाते हैं।
Pt.P.S.Tripathi
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