Tuesday, 29 December 2015

विवाह के समय कुंडली मिलन की सार्थकता

मनुष्य सामाजिक प्राणी है और समाज का निर्माण परिवार से होता है। परिवार का निर्माण दो व्यक्तियों के मिलन से होता है। इस मिलन को हम विवाह कहते हैं। परिवार समाज की मूलभूत इकाई है। एक स्वस्थ व खुशहाल परिवार ही एक स्वस्थ समाज का निर्माण कर सकता है। भारतीय विवाह पद्धति ही सिर्फ एक ऐसी पद्धति है जिसमें विवाह योग्य लड़के व लड़की की जन्म तिथि व समय के आधार पर कुंडलियां बनाकर उनका मेलापक करके विवाह की अनुमति देते हैं। कुंडली मिलान में 36 गुण होते हैं जिनमें कम से कम 18 मिलने चाहिए पर ही विवाह करना चाहिए। इस मिलान को अष्टकूट मिलान कहते हैं। कुंडली मिलान के दो भेद हैं - ग्रह मिलान और नक्षत्र मिलान/राशि/पुकारा जाने वाला नाम ग्रह मिलान में दोनों की कुंडलियों के विभिन्न भावों में स्थित ग्रहों के मिलान व स्थिति पर विचार किया जाता है। इसमें ग्रहों की शत्रुता व मित्रता देखी तथा आपस में युति देखी जाती है। नक्षत्र मिलान में जिस राशि में चंद्रमा हो उसके अनुसार नक्षत्र गणना कर नक्षत्र मिलान करते हैं। आजकल पुकारने वाले नाम के नक्षत्र का मिलान किया जाता है, पत्री के नक्षत्र का नहीं जो कि एक गलत तरीका है। अष्टकूट मिलान में निम्नलिखित आठ बातों का अध्ययन किया जाता है जिसके अनुसार अंकों का जोड़ 36 होता है। 1. वर्ण जातीय कर्म 1 2. वश्य स्वभाव 2 3.तारा भाग्य 3 4. योनि यौन विचार 4 5. ग्रहमैत्री आपसी संबंध 5 6. गण सामाजिकता 6 7. भकूट जीवन शैली 7 8. नाड़ी आय/संतान 8 36 यदि अष्टकूट मिलान में 18 गुण मिलते हैं तो विवाह की अनुमति दे दी है। आधुनिक संदर्भ में अष्टकूट मिलान में से ग्रह मैत्री और भकूट को सर्वाधिक महत्व प्राप्त है। विवाह के लिए कुंडली में पंचम, द्वितीय, सप्तम और अष्टम भावों पर विचार किया जाता है परंतु इनमें सप्तम व पंचम मुख्य हैं। केवल अष्टकूट मिलान पर्याप्त नहीं है, अपितु वर और कन्या के सप्तम भाव का शुभ होना भी विवाहित जीवन की सफलता के लिए आवश्यक है। इसके अतिरिक्त द्वितीय, चतुर्थ, पंचम तथा द्वादश भावों का विश्लेषण पारिवारिक तालमेल सुख, प्रेम तथा शयन सुख के लिए आवश्यक होता है। सप्तम भाव जीवन साथी का भाव है। इससे स्वभाव, रूप, रंग, प्रेम विवाह, व्यवहार आदि का विश्लेषण किया जाता है। वर्तमान समय में विवाह एक सामाजिक आवश्यकता भी नहीं रहा है। पति पत्नी साथ रहकर भी एक दूसरे से मानसिक व व्यावहारिक दोनों स्तरों पर दूर रहते हैं। इस विवाह का क्या अर्थ है जब दोनों व्यक्ति अनजानों की तरह पूरी जिंदगी व्यतीत कर दें।

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