Wednesday, 23 December 2015

ईष्या का ज्योतिषीय कारण -

इन्सान की फितरत है कि वो दूसरे को अपने से अधिक अकलमंद नहीं समझता। साथ ही दूसरो की सफलता, प्रसिद्धि, सुंदरता या व्यवहार को लेकर लगातार तुलना करता रहता है, और उसके मन की यही प्रवृति दूसरों के प्रति ईष्या का कारण बनती है। उसकी ईष्या से दूसरों का तो कुछ बुरा होता, लेकिन उसकी इस ईष्या से वो मानसिक और शरीरिक रुप से परेशान जरुर होता है। इन्सान को ईष्या के कारण अपने भले बुरे का ज्ञान भी नहीं होता। व्यक्ति को हमेशा ही ईष्या से दूरे रहना चाहिए या अपने मन में ही नही आने देना चाहिए क्यो कि ईष्या हमेशा मनुष्य को दुख देती है। ईष्या के कारण को ज्योतिषीय नजरिये से देखें तो किसी भी मनोवृत्ति के लिए तीसरा स्थान होता है, ईष्या भी मन के कारण पैदा होता है अतः यदि तीसरे स्थान का स्वामी सप्तम स्थान में बैठ जाए और सप्तमेश की स्थिति अच्छी हो तो ऐसे लोग अपने प्रतिद्व्रदी की अच्छी स्थिति को लेकर उनके प्रति ईष्या रखते हैं। और यदि इसका स्वामी ग्रह शुक्र हो तथा तीसरे स्थान में राहु हो तो ऐसे लोग लगातार अपनी स्थिति के प्रति नकारात्मक और दूसरों की स्थिति को अपने से बेहतर मानते हुए परेशान रहते हैं। अतः यदि मन में ईष्या बहुत ज्यादा आ रही हो तो गणेशजी की पूजा करनी चाहिए। तिल गुड का दान करना चाहिए तथा गणपति अर्थव का पाठ करना चाहिए।
Pt.P.S.Tripathi
Mobile No.- 9893363928,9424225005
Landline No.- 0771-4050500
Feel free to ask any questions

No comments: