कई जातक उच्च महत्वाकांक्षा तथा सुख-साधन की पूर्ति हेतु व्यवसाय करना चाहता है। जब तक जातक की कुंडली में ग्रहयोग व्यवसाय हेतु उपयुक्त ना हो, जातक को सफलता प्राप्त होने में बाधा होती है। प्रायः देखने में आता है कि कोई व्यवसाय बहुत लाभ देते हुए अचानक हानिदायक हो जाता है। अतः कुंडली के ग्रह योगों तथा दषाओं को ध्यान में रखते हुए व्यवसाय किया जाए साथ ही समय-समय पर ग्रह दषाओं का आकलन कराया जाकर उचित समाधान लेने से व्यवसायिक लाभ के साथ उन्नतिदायी होती है वहीं व्यक्ति के गहों की स्थिति और उनके अनुरूप ग्रह दषाओं में धन का गलत उपयोग तो कई बार धन का आवागमन रूक जाने से व्यवसायिक परेषानियाॅ दिखाई्र देती है, ये परेषानी बड़े व्यवसायियों से लेकर छोटे स्तर के व्यवसाय में भी हो सकता हैं अतः ज्योतिषीय आकलन से व्यवसायिक जीवन में अधिक सफलता प्राप्त की जा सकती है। धन एवं भौतिक सुख का कारण ग्रह शुक्र है और उस ग्रह के प्रतिकूल होने या दषाओं में व्यवसाय में हानि दिखाई देती है। वहीं राहु या शुक्र की दषा या अंतरदषा चले और ये ग्रह प्रतिकूल स्थिति में हों तो व्यवसाय में धन संबंधी कष्ट दिखाई देता है। अतः अनुकूल ग्रह स्थिति के साथ अनुकूल दषाओं का पता लगाकर अपने जीवन में सफलता प्राप्त की जा सकती है। व्यवसाय में धन या अवनति हो रही हो तो भृगु-कालेंद्र पूजा कराना, सूक्ष्म जीवों की सेवा करना एवं दुर्गा कवच का पाठ करना चाहिए।
Pt.P.S.Tripathi
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