Tuesday, 26 January 2016

अष्टम भावस्थ शनि का विवाह पर प्रभाव

प्राचीन ज्योतिषाचार्यों ने एकमत से जातक की कुंडली के सप्तम भाव को विवाह का निर्णायक भाव माना है और इसे जाया भाव, भार्या भाव, प्रेमिका भाव, सहयोगी, साझेदारी भाव स्वीकारा है। अतः अष्टम भावस्थ शनि विवाह को क्यों और कैसे प्रभावित करता है यह विचारणीय हो जाता है क्योंकि अष्टम भाव सप्तम भाव का द्वितीय भाव है। विवाह कैसे घर में हो, जान - पहचान में या अनजाने पक्ष में हो, पति/पत्नी सुंदर, सुशील होगी या नहीं, विवाह में धन प्राप्ति होगी या नहीं आदि प्रश्न विवाह प्रसंग में प्रायः उठते हैं और यह आवश्यक भी है क्योंकि विवाह संबंध पूर्ण जीवन के लिए होते हैं। इन सब प्रश्नों का उत्तर सप्तम भाव से मिलना चाहिए। परंतु जब अष्टम भाव में शनि हो तो विवाह से जुड़े इन सब प्रश्नों पर प्रभाव पड़ता है। देखें कैसे? अष्टम भाव विवाह भाव (सप्तम) का द्वितीय भाव है तो यह विवाह का मारक स्थान होगा, जीवन साथी का धन होगा, परिवार तथा जीवन साथी की वाणी इत्यादि होगा। अतः अष्टम भावस्थ शनि इन सब बातों को प्रभावित करेगा। यदि शनि शुभ प्रभावी है तो जातक को जीवन साथी द्वारा परिवार, समाज में सम्मान, धन (दहेज या साथी द्वारा अर्जित) प्राप्ति, सुख, मधुर भाषी साथी प्राप्त हो सकता है। यदि शनि अशुभ प्रभाव में हो तो जातक के लिए मारक और उसके साथी द्वारा प्राप्त होने वाले शुभ फलों का ह्रास होगा। अष्टम भावस्थ शनि की दृष्टि दशम भाव पर होती है जो जातक का कर्म भाव है और उसके जीवन साथी का चतुर्थ भाव अर्थात परिवार, समाज, गृह सुख, विद्या आदि है; अतः जातक का यश, समाज में प्रतिष्ठा, परिवार सुख, धन समृद्धि, शिक्षा, व्यवसाय आदि प्रभावित होते हैं। अष्टम भावस्थ शनि की दूसरी दृष्टि द्वितीय भाव पर होती है तो जीवन साथी का अष्टम भाव है, अतः उसके दुःख कष्ट, आकस्मिक घटनाएं, गुप्त कृत्य आदि तथा स्वयं के संचित धन को प्रभावित करेगा। अष्टम भावस्थ शनि की तीसरी दृष्टि पंचम भाव पर होती है तो जीवन साथी का एकादश भाव है। अतः प्रभाव संतान पर, शिक्षा पर और जीवन साथी के हर लाभ पर होता है। विवाह जनित जितने भी सुख हैं वह अष्टम भावस्थ शनि से प्रभवित होते हैं जिनमें मुख्य हैं धन, संतान, शिक्षा, व्यवसाय, पैतृक संपत्ति, परिवार सुख आदि। शुभ शनि शुभ परिणाम देता है और अशुभ शनि शुभ फलों को कम कर देता है। इन धारणाओं को मन में रखते हुए कुछ कुंडलियों का अध्ययन किया गया है और पाया गया कि अष्टम भावस्थ शनि निश्चित रूप से विवाह जनित सुख-दुख को प्रभावित करता है।

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