एक खिलाड़ी की जन्मकुंडली में चाहे कितने ही अच्छे योग क्यों न हों, यदि उसमें खेल विशेष से संबंधित अच्छे योग नहीं हैं, तो उसका करियर अधिक समय तक नहीं रह पाता है। बात क्रिकेट की करें तो हम देखते हैं कि प्रतिस्पद्र्धा के इस दौर में आये दिन खिलाड़ियों के चेहरे बदलते रहते हैं। इनमें से अधिकांश खिलाड़ी ऐसे होते हैं जो कुछ दिनों तक धूमकेतु अथवा पुच्छल तारे की भांति चमकते हैं और फिर लंबे समय के लिए गायब हो जाते हैं जबकि उन्हीं में से कुछ ऐसे भी खिलाड़ी होते हैं जो ध्रुव तारे की भांति अपना अलग ही स्थान बनाकर नित नये कीर्तिमान स्थापित करते रहते हैं। ऐसे खिलाड़ियों की जन्मकुंडली में निश्चित रूप से क्रिकेट संबंधी अच्छे योग पाये जाते हैं। ज्योतिष में क्रिकेट से संबंधित निम्नलिखित महत्वपूर्ण योग पाये जाते हैं- 1- लग्नेश, द्वितीयेश, तृतीयेश, नवमेश, दशमेश, एकादशेश में कोई चार या अधिक ग्रह शुभ स्थिति में हों। 2- तृतीयेश, षष्ठेश, अष्टमेश एवं द्वादशेश में दो या दो से अधिक ग्रहों की युति या दृष्टि संबंध हो। 3- दशमेश की तृतीयेश या अष्टमेश के साथ युति या दृष्टि संबंध हो। 4- अष्टमेश की युति या दृष्टि संबंध एकादशेश के साथ हो। 5- लग्न, तृतीय, षष्ठ, अष्टम, दशम या एकादश भाव पर मंगल, शनि या राहु की स्थिति हो। 6- लग्नेश, तृतीयेश, षष्ठेश, अष्टमेश, दशमेश या एकादशेश पर मंगल, शनि या राहु की दृष्टि हो अथवा युति संबंध हो। 7- तृतीयेश लग्न, तृतीय, नवम, दशम या एकादश में स्थित हो। 8- दशमेश लग्न, तृतीय, चतुर्थ या दशम भाव में स्थित हो। 9- गुरु की स्थिति या दृष्टि लग्न, तृतीय, षष्ठ, दशम या एकादश पर हो। 10- षष्ठेश, अष्टमेश एवं द्वादशेश अपने ही स्थान पर या परस्पर एक-दूसरे के स्थान पर स्थित हों। 11- विदेश यात्रा के चार-पांच अच्छे योग हों। उपर्युक्त ग्रह योगों को कुछ विश्व प्रसिद्ध क्रिकेटरों की कुंडलियों में देखना होगा। 12- लग्नेश शुक्र सप्तम भाव में उच्चराशिस्थ एकादशेश सूर्य के साथ युति करके शुभ स्थिति में है तथा चतुर्थ भाव में उच्च राशिस्थ द्वितीयेश मंगल के साथ तृतीय भाव का स्वामी गुरु भी युति करके शुभ स्थिति में है। इस प्रकार केंद्र में स्थित लग्नेश, द्वितीयेश, तृतीयेश और एकादशेश चारों ग्रह अपनी शुभ स्थिति में है। 13- अष्टमेश शुक्र की एकादशेश सूर्य के साथ युति है, जिन पर राहु की पंचम तथा मंगल की चतुर्थ दृष्टि है। 14- दशमेश चंद्रमा की तृतीय भाव में राहु के साथ युति है। 15- तृतीयेश गुरु की चतुर्थ भाव में मंगल के साथ युति है जिनकी संयुक्त दृष्टि दशम भाव पर है। 16- विदेश यात्रा के चार-पांच अच्छे ग्रह योग हैं।
best astrologer in India, best astrologer in Chhattisgarh, best astrologer in astrocounseling, best Vedic astrologer, best astrologer for marital issues, best astrologer for career guidance, best astrologer for problems related to marriage, best astrologer for problems related to investments and financial gains, best astrologer for political and social career,best astrologer for problems related to love life,best astrologer for problems related to law and litigation,best astrologer for dispute
No comments:
Post a Comment