भारत की सनातन धार्मिक और पूजन परंपरा में देवताओं का मुख्य स्थान है। इनकी संख्या भी हमारे यहां 33 करोड़ बतायी गई है। महादेव शंकर भगवान हों या शक्ति और बल के देवता बजरंग बली हों या फिर मर्यादा पुरुषोम राम हों या नटखट माखन चोर भगवान कृष्ण हों सभी की अपार महिमा का वर्णन हमारे शास्त्रों में किया गया है। पुरुषों की शक्ति और महिमा की अभिव्यक्ति करने वाले इन देवताओं के बाद महिलाओं के शक्ति पुंज की भी व्याख्या हमारे यहां दुर्गा और काली तथा चामुण्डा के रूप में सदियों से होती आई है। देवताओं के लिए ऐसे महत्वपूर्ण नजरिए रखने के बाद भारत की संस्कृति और धर्म ने विश्व में एक गौरवपूर्ण स्थान प्राप्त कर लिया है। अनेक देवताओं के इस देश में शक्ति स्वरूप भगवान की पूजा करके समृद्धि और संपन्न बनने की लालसा हर एक के मन में रहती है परंतु देवताओं की ऐसी अनगिनत संख्या के बीच मनुष्य यह समझ नहीं पाता है कि कौन से देवता की प्रकृति और स्वभाव उसके संस्कार से मेल बिठा पाते हैं। सभी देवताओं की बराबर समर्पण और भक्ति के साथ पूजा नहीं की जा सकती है क्योंकि एक व्यक्ति के अंदर एक ही देवता की प्रकृति का वास होता है। जो व्यक्ति सभी देवताओं को प्रसन्न करने की शक्ति रखता होगा उसे इस संसार में पूजा करने की आवश्यकता ही नहीं वह बिना पूजा के ही संसार के सभी लोगों के प्रति प्यार की भावनाएं रखकर मुक्ति का पथ प्राप्त कर लेगा। परंतु हम बात कर रहे हैं एक सामान्य आदमी की जिसे अपने संस्कार से मेल खाते किसी एक देवता या नाम की जरूरत जीवन में पड़ती है जिसके नाम का बार-बार स्मरण करके उसे जीवन संघर्षों से विजय प्राप्त करने का संबल मिलता है। अतः व्यक्ति को अपने अंदर समाहित देवता के स्वभाव को पहचानना जरूरी हो जाता है। अक्सर देखने में आता है कि किसी के लिए महादेव भोले भण्डारी की पूजा काफी लाभदायक होती है तो पता चलता है कि कोई व्यक्ति राम भक्त हनुमान की अपार कृपा प्राप्त कर रहा है। उसी तरह किसी को संतोषी मां तो किसी को शक्ति स्वरूपा दुर्गा की शक्ति प्राप्त होती है। कुछ मनुष्य तो अपने अनुभवजन्य गुणों से अपने देवता की प्रकृति के नजदीक देर सबेर आ जाते हैं परंतु कुछ भटकते रहते हैं। ऐसे भटकने वाले पुरुष अगर किसी योग्य हस्तरेखा शास्त्री के पास जाकर जानकारी प्राप्त करें तो उन्हें इस परेशानी (भटकने) से मुक्ति मिल सकती है। जी हां हाथ की रेखाएं बता सकती हैं कि किस देवी-देवता की पूजा ज्यादा लाभकारी होगी। अमुक हाथ की रेखाओं के माध्यम से ये जाना जा सकता है कि अमुक व्यक्ति के लिए अमुक देवता लाभदायी होगा। हाथ की रेखाओं में कुछ ऐसे संस्कारों की व्याख्या होती है जो आपके अंदर छुपी देवता की प्रकृति को स्पष्ट करती है। तो आइए इस लेख में जानं कि हस्त रेखाओं से देवी देवता किस तरह संबंधित हैं। 1- यदि हाथ में शनि की अंगुली सीधी हो, शनि ग्रह मध्य हो ते ऐसे व्यक्तियों को शनि देव की स्तुति अवश्य करनी चाहिए। नित्य शनि मंत्र का 108 बार जाप करने से मनुष्य के जीवन में सुख शांति व समृद्धि आती है। मंत्र - ऊँ प्रां प्रीं प्रौं सह शनिश्चराय नमः। 2- यदि हृदय रेखा पर त्रिशूल बनता हो, उंगलियां चाहे टेढ़ी-मेढ़ी हों तो इन्हें भगवान शिव की आराधना व उन्हें ही अपना आराध्य मानना चाहिए। इससे जीवन में आने वाले कष्टों से मुक्ति मिलती है। ऊँ नमः शिवाय का जाप हितकारी है। 3- यदि हृदयरेखा के अंत पर एक शाखा गुरु पर्वत पर जाती हो तो इन्हें भक्त प्रवर हनुमान जी का पूजन करना चाहिए जिससे जीवन में आने वाली विपदाएं दूर होती हैं। ऊँ नमो हनुमंता या हनुमान चालीसा का पाठ करने सुख शांति मिलती है। 4- यदि भाग्य रेखा खंडित हो व इसमें दोष हो तो इन्हें लक्ष्मी माता का ध्यान या लक्ष्मी मंत्र का जाप लाभकारी है। इससे आर्थिक कमियों का निदान होता है और घर में धन संपत्ति आती है। मंत्र इस प्रकार है- ऊँ श्रीं, ह्रीं, श्रीं कमले कमलालये प्रसीद-प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं सिद्ध लक्ष्म्यै नमः। 5- यदि हाथ में सूर्य ग्रह दबा हुआ हो, व्यक्ति को शिक्षा में पूर्ण सफलता न मिल पा रही हो, मस्तिष्क रेखा खराब हो, तो इन्हें सूर्य को जल देना चाहिए तथा सूर्य के पूजन के साथ सरस्वती का पूजन करना चाहिए। सूर्य मंत्र- ऊँ ह्रां, ह्रीं, ह्रौं सः सूर्याय नमः। 6- यदि जीवन रेखा व भाग्य रेखा को कई मोटी रेखाएं काटें तो इनके जीवन में प्रत्येक व्यवसाय में रुकावट आती है तो इस रुकावट को दूर करने के लिए ऊपर दिये गये लक्ष्मी मंत्र का जाप विधिवत् नित्य करना चाहिए। 7- यदि सभी ग्रह सामान्य हों, जीवन रेखा टूटी हो तो ये जीवन में दुर्घटनाओं का सूचक है। इसलिए इन्हें शिव आचरण या शिव स्तोत्र या ऊँ नमः शिवाय का जाप नियमित करना चाहिए। 8- यदि हृदय रेखा खंडित हो और साथ में हृदय रेखा से काफी सारी शाखाएं मस्तिष्क रेखा पर आ रही हों तो इन्हें मां दुर्गा का पूजन तथा दुर्गा सप्तशती का नित्य पाठ करना चाहिए। ऐसा करने से मनुष्य का विचलन शांत होता है तथा इससे उसकी निर्णय क्षमता में वृद्धि होती है। 9- यदि हृदय रेखा व मस्तिष्क रेखा एक हो या मस्तिष्क रेखा मंगल क्षेत्र तक जाती हो तो इन्हें भगवान कृष्ण का ध्यान करना चाहिए तथा मंत्र- ऊँ नमोः भगवते वासुदेवाय नमः का जाप करना चाहिए। इससे व्यक्ति को संतान सुख व वंश की प्राप्ति होती है। 10- यदि हाथ में भाग्य रेखा लंबी हो, जीवन रेखा गोल हो, हृदय रेखा सुंदर हो तो इन्हें मर्यादा पुरुषोम श्री राम का ध्यान और पूजन करना चाहिए। राम-राम के जाप से जीवन काफी सुखमय बन जाता है। इन रेखाओं के साथ हाथां में कई अन्य रेखाएं हैं जो अन्य देवताओं की कृपा दृष्टि की ओर ईशारा करती हंै। इन रेखाओं का संपूर्ण विवरण इस लेख में नहीं किया जा सकता अतः अनेक अन्य देवताओं और उनकी कृपा दृष्टि के लिए योग्य हस्तरेखा शास्त्री से परामर्श आवश्यक है।
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