Sunday, 12 April 2015

विकास के लिये जनता को दे रहें हैं कड़वी दवा






मोदी जी का जन्म लग्र और राशि भी वृश्चिक है। इस समय जब वे प्रधानमंत्री हैं, तब वर्तमान में चंद्रमा की महादशा में राहु का अंतर चल रहा है। मोदी जी की कुंडली में राहु पंचम स्थान में है तथा सूर्य राहु से पापाक्रांत है जो जबरदस्त यश और अपयश दोनों की वजह हो सकता है। बजट के पूर्व मोदी जी का लगातार विरोध हो सकता है, क्यूंकि विकास अभी परिदृश्य में नहीं है, पर मंहगाई का असर दिखने लगा है। बड़ा प्रश्न यह है कि क्या मोदी जी, विकास और राजनैतिक शांति, दोनों चुनौतियों से निपटने में सफल रहेंगे? सबसे बड़ी बात यह है कि राहु के अंतर में मोदी जी जबरदस्त जनअपेक्षाओं के साथ बेहद ताकतवर प्रधानमंत्री के रूप में उभरे और विरासत में मिली मंहगाई, प्रशासनिक अव्यवस्था, पूर्व में लिए गए अदूरदर्शितापूर्ण निर्णय साथ ही ईराक समस्या के रूप में आकस्मिक दुर्घटना एवं देश में वर्षा की अनिश्चित स्थिति और उस पर सर्वांगीण विकास की जबरदस्त इच्छा, ये सब मिलाकर मोदी जी की राहु-जन्य परीक्षा है और यह लगातार लगभग दो वर्षों तक चलेगा। अर्थात राहु के पश्चात गुरु डेढ़ वर्ष ऐसे ही उन्हें दबाव में रखने वाले हैं। जब शनि का अंतर आवेगा तब उन्हें कुछ राहत मिलती नजर आ रही है। परन्तु याद रहे, इससे पहले उन्हें लगातार अपने विरोधियों एवं सहयोगियों की टिप्पणियों का सामना करना पड़ेगा। संभव है यह विरोध, बड़ा भी हो। राहु की अंतरदशा में मोदी जी ने विकास के लिए कड़वी दवा का प्रयोग किया है जो बहुत जोखिम भरा भी हो सकता है। याद रहे, शनि की अंतरदशा में ही मोदी जी का राजनैतिक जीवन शुरू हुआ था। इसी बीच भाजपा की जन्म कुंडली भी देखनी होगी, जिसमें भाजपा की कुंडली में जन्म लग्र मिथुन, राशि वृश्चिक है। तीसरे स्थान में मंगल, गुरु तथा शनि, राहु से पापाक्रांत हैं। इस समय सूर्य की महादशा में गुरू की अंतरदशा तथा शनि की अंतरदशा फरवरी २०१६ तक चलेगी, जिसका मतलब साफ है कि पार्टी के बड़े शीर्षस्थ नेताओं पर भी लगातार आरोप लग सकते हैं, यह भी मोदी जी के लिए एक बड़ी चुनौती होगी। इसके साथ ही अपने कम सक्रिय मंत्रियों, सहयोगियों, सांसदों की आलोचनाओं का दंश भी मोदी जी को झेलना पड़ सकता है।
महंगाई से मुक्ति दिलाने का दावा करने वाली मोदी सरकार की मुश्किलें बढ़ रही हैं। कमजोर मॉनसून के असर से बचने के उपाय सरकार कर ही रही थी कि इराक में संकट गहराने से कच्चे तेल के दाम उछाल मारने लगे हैं। इस सबके बीच सोमवार को थोक महंगाई दर के आंकड़ों ने टेंशन बढ़ा दी। इसका कारण फल, सब्जियां खासकर आलू और अनाज की ज्यादा कीमतें बताई गईं। हालात यही रहे तो आने वाले दिनों में तेल और खाने-पीने की चीजों के दाम और बढ़ सकते हैं।
मोदी सरकार ने महंगाई कम करने को अपने एजेंडे में सबसे ऊपर रखा है, लेकिन हालात ऐसे बन रहे हैं कि सरकार के लिए बढ़ती कीमतों पर नियंत्रण मुश्किल हो सकता है। मई की महंगाई दर का आंकड़ा तो बढ़ कर आया ही है, अब आगे कीमतें और ऊपर जाने का खतरा बन गया है। प्याज की दर ही ऐसी है जो आम अवाम को सीधे तौर पर खटकती है। लोगों में फि र से असंतोष की लहर देखी जा सकती है।
महंगाई दर का आंकड़ा: देश में थोक मूल्य आधारित महंगाई दर मई में 6.01 फीसदी हो गई है। इससे पहले अप्रैल में यह 5.2 फीसदी थी। ताजा आंकड़ों के मुताबिक, मई में थोक महंगाई दर, दिसंबर 2013 के बाद से अपने उच्चतम स्तर पर पहुंच गई है। मई में खाने-पीने की महंगाई दर भी 8.64 से बढ़कर 9.5 फीसदी हो गई है।
रेल किराया भी रुलायगा: केंद्रीय रेल मंत्री सदानंद गौड़ा ने हाल ही में कहा था कि मंत्रालय रेल किराये की समीक्षा कर रहा है और अंतत: रेल किराया बढ़ा भी दिया गया। असल में सब्सिडी का आंकड़ा 26,000 करोड़ रुपए तक जा पहुंचा है जिसकी भरपाई के बिना रेल का विकास संभव नहीं है, इसलिये मजबूरन सरकार को रेल किराया बढ़ाना पड़ा। मगर यह भी अंतत्वोगत्वा मंहगाई बढ़ाने में एक बड़ी वजह बनी जिसका तत्काल असर वस्तुओं की कीमतों पर पड़ा है और जिसका देश भर में चौतरफा विरोध हो रहा है।
परेशान कर रहा मानसून: इस साल भारत में सूखे का खतरा भी मंडरा रहा है। कमजोर मानसून के कारण खाने-पीने की चीजों में कमी की वजह से महंगाई के बढऩे का खतरा बढ़ गया है। विशेषज्ञों का मानना है कि खराब मॉनसून मोदी के आर्थिक विकास के प्लान पर पानी फेर सकती है। अल नीन्यो का भी खतरा है। 2009 में जब पिछली बार अल-नीनो की स्थिति बनी थी तो लंबी अवधि में बारिश 22 फीसदी कम रही थी। ऐसे में फूड प्रॉडक्शन 7 फीसदी कम हो गया था। ऐसे हालात अगर दोबारा बने तो मोदी सरकार के लिए ''अच्छे दिन लाने का वादा पूरा करना मुश्किल हो सकता है। ऐसे में मंहगाई को काबू करना और आम जनता को राहत देने की कोशिशें कितनी सफल होती हैं, देखने का विषय होगा। मगर यह संघर्ष सत्र सितंबर से लगभग डेढ़ वर्ष यानी मोदी सरकार के दो वर्ष तक रहेंगे। दो वर्ष बाद सरकार के द्वारा लिये गए निर्णयों के परिणाम आने शुरू होंगे, तभी सरकार का आत्मविश्वास बेहतर होगा, तब तक सरकार को अपना पक्ष मजबूती से रखना होगा और अपने निर्णयों में जनता को शामिल करना होगा। जैसा कि वे चुनाव के समय अपनी रैलियों में करते थे और जनता के बीच जाकर निर्णय लेने की कोशिश करना होगा ताकि उनके खिलाफ दुष्प्रचार न हो।
इराक में जारी युद्ध: इराक में संकट की वजह यह है कि सत्तारूढ़़ शिया समर्थक सरकार और विद्रोही सुन्नी जेहादी समूह में टकराव है, जिन्होंने उत्तर में मोसूल व तिकरित जैसे बड़े शहरों पर कब्जा कर लिया है। वर्ष 2003 में अमेरिका के नेतृत्व में किए गए हमले में जब से सद्दाम हुसैन का तख्ता पलटा गया, इराक लगातार आंतरिक संघर्ष से जूझ रहा है। मौजूदा प्रधानमंत्री नूरी अल मालिकी, जो वर्ष 2006 से सत्ता में बने हुए हैं, देश के तीस फीसदी सुन्नी अल्पसंख्यकों का विश्वास कभी नहीं जीत पाए। यही वजह है कि आईएसआईएस सुन्नी बहुल मोसूल व तिकरित में दो डिवीजन इराकी सेना के होने के बावजूद हल्के प्रतिरोध के बाद कब्जा करने में सफल रहा। आज भारत सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती यह है कि कैसे इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक एंड सीरिया के कब्जे से 86भारतीयों को छुड़ाया जाए , जिनका उत्तरी इराक में या तो अपहरण किया गया है या फिर उन्हें बंधक बनाकर रखा गया है। बताया जा रहा है कि भारत सरकार सऊदी अरब सरकार के संपर्क में है, जिसका आईएसआईएस के जेहादियों पर प्रभाव है। हालांकि सऊदी अरब सरकार इस बात से इनकार करती है कि उसने किसी भी तरह से आईएसआईएस की आर्थिक मदद की है।
लेकिन यदि इराक में किसी भी भारतीय की जान जाती है तो मोदी सरकार पर उसका बुरा असर पड़ेगा। पहले ही एनडीए सरकार और पंजाब सरकार की इस बात के लिए कड़ी आलोचना की जाती रही है कि उत्तरी इराक में फंसे भारतीयों के बाबत समय रहते कार्रवाई नहीं की गई। इसलिए यह महत्वपूर्ण हो जाता है कि केंद्र व राज्य सरकार वापस आने के इच्छुक लोगों को निकालने के लिए तत्काल कदम उठाएं। भारतीयों को कैद से रिहा कराने के अलावा इराक में तेल क्षेत्रों में चल रही हिंसक गतिविधियों और आतंकवादियों के कब्जे ने सरकार की चिंताएं बढ़ा दी हैं। इराक संकट की वजह से अंतर्राष्ट्रीय तेल बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में आए उछाल और इसके आगे और बढऩे की आशंका से देश का वित्तीय घाटा बढऩे का खतरा मंडराने लगा है। सरकार को शनि-राहु के कारण उत्पन्न होने वाली अविश्वसनीयता से बचना होगा और हर मोर्चे पर विश्वसनीयता बनाने की कोशिश करनी होगी।

Pt.P.S Tripathi
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