होलिका पर्व - विद्धेष के नाष का पर्व -
होलिका दहन का अगले दिन चैत्र पक्ष की प्रतिपदा को होलिका का पर्व मनाया जाता है। इस दिन होली की अवषिष्ट राख की वंदना की जाती है, जिसमें पहले होली की पूजा एक माला, गन्ना, पूजा की सामग्री, कच्चे सूत की लड़ी, जल का लोटा, नारियल, बूट, पापड़ आदि से होली का पूजन कर अवषिष्ट को माथे पर लगाई जाती है। उसके उपरांत गुलाल, रंग तथा कुमकुम की वर्षा की जाती है। भक्त प्रहलाह के सुरक्षित बच निकलने को उत्साह से मनाने हेतु होली खेलने का रिवाज है। इस दिन सब आपस का भेदभाव मिटाकर बड़े उत्साह से एक दूसरे पर रंग लगाते हैं। यह एक सामाजिक त्योहार है, जो रंगो का त्योहार है। एक दूसरे पर रंग लागकर मिठा खिलाने का विधान है। इस प्रकार आसुरों का नाष तथा भक्तों को सुरक्षित बचने हेतु एक दूसरे को बधाई देकर खुषियाॅ मनाई जाती है।
Pt.P.S Tripathi
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