साकारात्मक महत्वाकांक्षा हेतु करायें ग्रहों की शांति और पायें सफलता -
किसी व्यक्ति की महत्वाकांक्षा प्रगति की ओर प्रेरित करती है, दृढ़ संकल्पशाली बनाती है, उसकी इक्छाशक्ति बढा सकती है और उसे कर्मठ बना सकती है जो उसे लक्ष्य पर पहुंचा सकती है किंतु वहीं नाकारात्मक महत्वाकांक्षा उसकी तबाही का भी कारण बन सकती है। महत्वाकांक्षा कैसी होगी और उससे व्यक्ति का विनाश होगा या सफल इसका पता कुंडली में लग्न, तीसरे या पंचम स्थान से चलता है। यदि किसी की कुंडली में लग्न, तीसरे या पंचम स्थान में शनि, सूर्य जैसे ग्रह अनुकूल बैठे हों तो ऐसे लोग बड़े बनते के लिए महत्वाकांक्षी होते हैं और जीवन में सफलता हेतु कठोर प्रयास करते है। किंतु यदि ग्रह छठवे, आठवे या बारहवे स्थान में हों तो गलत आदतें या गलत रास्तों से चलकर नाम-पैसा कमाने के कारण गलत महत्वकांक्षा पाल कर जीवन में तात्कालीक सफलता और जीवन भर का दर्द ले लेते हैं अतः कुंडली का अध्ययन कराया जाकर बचपन से ही महत्वाकांक्षा को सही दिशा में बढ़ाने एवं सफलता को स्थायी रखने हेतु ग्रहों की शांति कराना चाहिए।
किसी व्यक्ति की महत्वाकांक्षा प्रगति की ओर प्रेरित करती है, दृढ़ संकल्पशाली बनाती है, उसकी इक्छाशक्ति बढा सकती है और उसे कर्मठ बना सकती है जो उसे लक्ष्य पर पहुंचा सकती है किंतु वहीं नाकारात्मक महत्वाकांक्षा उसकी तबाही का भी कारण बन सकती है। महत्वाकांक्षा कैसी होगी और उससे व्यक्ति का विनाश होगा या सफल इसका पता कुंडली में लग्न, तीसरे या पंचम स्थान से चलता है। यदि किसी की कुंडली में लग्न, तीसरे या पंचम स्थान में शनि, सूर्य जैसे ग्रह अनुकूल बैठे हों तो ऐसे लोग बड़े बनते के लिए महत्वाकांक्षी होते हैं और जीवन में सफलता हेतु कठोर प्रयास करते है। किंतु यदि ग्रह छठवे, आठवे या बारहवे स्थान में हों तो गलत आदतें या गलत रास्तों से चलकर नाम-पैसा कमाने के कारण गलत महत्वकांक्षा पाल कर जीवन में तात्कालीक सफलता और जीवन भर का दर्द ले लेते हैं अतः कुंडली का अध्ययन कराया जाकर बचपन से ही महत्वाकांक्षा को सही दिशा में बढ़ाने एवं सफलता को स्थायी रखने हेतु ग्रहों की शांति कराना चाहिए।
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