Sunday, 5 June 2016

आपके साथ विश्वासघात क्यूँ????? जाने कुंडली से

क्यों होता है विष्वासघात जाने अपनी कुंडली से -
इंसान ने एक-दूसरे पर विश्वास, भरोसा या यकीन करना शायद अपने आभिर्भाव के साथ ही अपना लिया होगा। जिसकी शुरुआत उसके जीवन में शैशवावस्ता से ही हो जाती रही है। वर्तमान समय, मूल रूप से प्रतिस्पर्धा प्रधान हो चुका है और एक-दूसरे से आगे निकलना ही एकमात्र ध्येय रह गया है. इसीलिए रिश्तों का कद दिनों दिन बौना होता जा रहा है. झूठ बोलना या धोखा देना कोई बड़ी बात नहीं रह गई है. आदमी सब समझता है, जानता है, गुनता भी है पर पता नहीं क्यों मौका आने पर फिर झांसे में आ, विश्वास कर धोखा खा जाता है। जब तक होश संभालता है, तब तक तो उसके साथ विष्वासघात हो चुका होता है। लोग षिकायत ही करते रह जाते हैं कि उनके साथ लोग विष्वासघात करते रहते हैं। विष्वासघात को यदि कुंडली से देखा जाए तो यदि छठवे स्थान का स्वामी अपने स्थान से विपरीत कारक हो अथवा सप्तम विपरीत हो जाए तो ऐसे लोगों को विष्वासघात का सामना करना पड़ता है। इसके अलावा चतुर्थष भी खराब स्थिति में हो तो ऐसे लोगों के साथ अपने ही विष्वासघात करते हैं। अतः यदि किसी के साथ लगातार विष्वासघात हो तो उसे कुंडली दिखाकर अपनी कुंडली के इन स्थानों के ग्रहों की षांति कराना चाहिए।

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