कैरियर या व्यवसायिक अपडाउन के कारण वैवाहिक जीवन में रिष्ते खराब हो सकते हैं। यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में प्रथम, द्वितीय, तृतीय, चतुर्थ, अष्टम, नवम भाव में से किसी भाव में राहु के होने पर जातक के जीवन में आकस्मिक हानि का योग बनता है। अगर राहु के साथ सूर्य, शनि के होने पर यह प्रभाव जातक के स्वयं के जीवन के अलावा यह दुष्प्रभाव उसके परिवार पर भी दिखाई देता है। अगर प्रथम भाव में राहु के साथ सूर्य या शनि की युति बने तो व्यक्ति अषांत, गुप्त चिंता, स्वास्थ्य एवं पारिवारिक परेषानियों के कारण चिंतित रहता है। दूसरे भाव में इस प्रकार की स्थिति निर्मित होेने पर परिवार में वैमनस्य एवं आर्थिक उलझनें बनने का कोई ना कोई कारण बनता रहता है। तीसरे स्थान पर होने पर व्यक्ति हीन मनोबल का होने के कारण असफलता प्राप्त करता है। चतुर्थ स्थान में होने पर घरेलू सुख, मकान, वाहन से संबंधित कष्ट पाता है। बार-बार कार्य में बाधा आना या नौकरी छूटना, सामाजिक अपयष अष्टम राहु के कारण दिखाई देता है। नवम स्थान में होने पर भाग्योन्नति तथा हर प्रकार के सुखों में कमी का कारण बनता है। सामान्यतः चंद्रमा के साथ राहु का दोष होने पर वैवाहिक जीवन में परेषानी, गुप्तरोग, उन्नति में कमी तथा अनावष्यक तनाव दिखाई देता है। यदि किसी व्यक्ति के जीवन में इस प्रकार का दोष दिखाई दे तो अपनी कुंडली की विवेचना कराकर उसे शनिवार का व्रत कर धन की प्राप्ति के लिए कनकधारा स्तोत्र का पाठ करें तथा पाठ पूर्ण करने के उपरांत सवापाव तिल का दान करें। इस प्रकार का उपाय जीवन में एक साल करने के उपरांत हवन करा कर कुछ समय के उपरंात फिर प्रारंभ किया जा सकता है। ऐसा करने से जीवन में कैरियर संबंधी बाधा समाप्त होकर अच्छी आर्थिक स्थिति प्राप्त होने के साथ रिष्तों में भी मधुरता लाता है।
Pt.P.S Tripathi
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